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NEP-2020 के पांँच वर्ष पूर्ण

Lokesh Pal July 31, 2025 02:38 12 0

संदर्भ

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020, स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत की तीसरी शिक्षा नीति है, अब इसके पाँच वर्ष पूर्ण हो चुके हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)-2020

  • 21वीं सदी में भारत की पहली व्यापक शिक्षा नीति और स्वतंत्रता के बाद तीसरी राष्ट्रीय शिक्षा नीति, NEP 2020, का उद्देश्य भारत को एक ज्ञानवर्धक समाज और वैश्विक महाशक्ति में परिवर्तित करना है।
  • यह नीति पारंपरिक मूल्यों को आधुनिक शिक्षा की माँगों के साथ मिलाते हुए छात्रों के समग्र विकास पर बल देती है।
  • इसका प्रस्ताव डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली एक समिति ने प्रस्तुत किया था।

 

NEP-2020 के मुख्य उद्देश्य

  • सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio- GER): GER को 26.3% (वर्ष 2018) से बढ़ाकर वर्ष 2035 तक 50% करने का लक्ष्य।
    • शिक्षा की मात्रा और गुणवत्ता दोनों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित।
  • पाठ्यचर्या और शैक्षणिक सुधार: पारंपरिक सीमाओं के स्थान पर लचीली, बहु-विषयक शिक्षा पर बल।
    • चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (Four-Year Undergraduate Program- FYUP) और अकादमिक क्रेडिट बैंक (Academic Bank of Credits- ABC) की शुरुआत।
  • अनुसंधान और नवाचार: राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (National Research Foundation- NRF) बहु-विषयक अनुसंधान को बढ़ावा देगा।
    • अनुसंधान निधि लक्ष्य: ₹50,000 करोड़ (वर्ष 2023- वर्ष 2028)।
  • अंतरराष्ट्रीयकरण: भारत में परिसर स्थापित करने के लिए वैश्विक विश्वविद्यालयों को आकर्षित करना।
    • वैश्विक अनुसंधान स्थिति में सुधार के लिए सहयोग।
  • शिक्षक क्षमता निर्माण: शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम।

स्वतंत्रता के बाद से भारत में राष्ट्रीय शिक्षा नीतियाँ

  • प्रथम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (वर्ष 1968): यह कोठारी आयोग (वर्ष 1964-1966) की रिपोर्ट और सिफारिशों पर आधारित, जिसका उद्देश्य शिक्षा प्रणाली का पुनर्गठन करना तथा अन्य सभी के लिए समान अवसर प्रदान करना था।
    • प्रमुख विशेषताएँ 
      • साक्षरता पर ध्यान: साक्षरता दर बढ़ाने और शिक्षा तक पहुँच में सुधार पर केंद्रित।
      • भाषा नीति: क्षेत्रीय भाषाओं और हिंदी को संपर्क भाषा के रूप में बढ़ावा दिया गया।
      • व्यावसायिक शिक्षा: रोजगार के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण को प्रोत्साहित किया गया।
      • विकेंद्रीकरण: शैक्षिक निर्णयों में राज्य की स्वायत्तता का समर्थन किया गया।
  • दूसरी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986): आधुनिकीकरण और तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में शुरू की गई। वर्ष 1992 में संशोधित।
    • मुख्य विशेषताएँ
      • सार्वभौमिक पहुँच: लक्षित सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा और गुणवत्ता सुधार।
      • तकनीकी शिक्षा पर ध्यान: तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा दिया गया।
      • भाषा नीति: क्षेत्रीय भाषाओं को निरंतर समर्थन।
      • लैंगिक समानता: बालिकाओं और हाशिए पर स्थित समुदायों के लिए शिक्षा पर बल दिया गया।

NEP-2020 के सुधार और उपलब्धियाँ 

स्कूल शिक्षा सुधार

  • पाठ्यक्रम में सुधार
    • 5+3+3+4 संरचना ने पूर्व में प्रचलित 10+2 प्रणाली का स्थान ले लिया है।
    • इसमें आधारभूत शिक्षा (पूर्व-प्राथमिक से कक्षा 2 तक), प्रारंभिक (कक्षा 3-5 तक), माध्यमिक (6-8 तक) और माध्यमिक (9-12 तक) शामिल हैं।
    • वर्ष 2023 में स्कूल शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (National Curriculum Framework for School Education- NCFSE) जारी की गई।
  • आधारभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (Foundational Literacy and Numeracy- FLN)
    • निपुण भारत मिशन को जुलाई 2021 में वर्ष 2026-27 तक FLN प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ शुरू किया गया था। इस पहल से 8.9 लाख स्कूलों के 4.2 करोड़ से अधिक कक्षा 1 के छात्र लाभान्वित हो चुके हैं।
    • विद्या प्रवेश, एक 12-सप्ताह का खेल-आधारित विद्यालय तैयारी कार्यक्रम, 4.2 करोड़ कक्षा 1 के छात्रों को लाभान्वित कर चुका है।
    • बाल वाटिकाओं (प्रीस्कूल) में 1.1 करोड़ से अधिक बच्चों का नामांकन हो चुका है और केंद्रीय विद्यालयों में 496 मॉडल केंद्र कार्यरत हैं।
    • जादुई पिटारा, खेल-आधारित शिक्षण सामग्री के संग्रह के रूप में शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों में अनुभवात्मक शिक्षा को बढ़ावा देना है।
    • प्रभाव: वर्ष 2024 की रिपोर्ट में कहा गया है कि कक्षा 3 के 23.4% छात्र कक्षा 2 की पाठ्यपुस्तकें पढ़ सकते हैं (वर्ष 2022 में 16.3% से बढ़कर), और अंकगणितीय कौशल में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • डिजिटल शिक्षण पहल
    • भारत के नेशनल मूक्स (मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स) प्लेटफॉर्म, स्वयं (स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव-लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स) में 5.15 करोड़ से अधिक नामांकन हैं, जो 16,530 से अधिक पाठ्यक्रम प्रदान करता है।
    • दीक्षा, स्कूली शिक्षा के लिए डिजिटल बुनियादी ढाँचा, क्यूआर-कोडेड पाठ्यपुस्तकों, स्व-गति शिक्षण और शिक्षक प्रशिक्षण का समर्थन करता है। इसमें 2,778 FLN सामग्री उपलब्ध है, तथा ई-जादुई पिटारा वर्ष 2024 में लॉन्च किया जाएगा।
    • राष्ट्रीय विद्या समीक्षा केंद्र (Rashtriya Vidya Samiksha Kendra- RVSK) विद्यालयी शिक्षा पर वास्तविक समय के आँकड़ों की निगरानी करता है, जो साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने में सहायक होता है।
  • समावेशी शिक्षा
    • भारतीय सांकेतिक भाषा (Indian Sign Language-ISL) को माध्यमिक स्तर पर एक विषय के रूप में शामिल किया गया है, जिसके अंतर्गत 46 विषयों पर 1,000 से अधिक ISL वीडियो तथा टॉकिंग बुक्स तैयार की गई हैं।
    • दिव्यांगता स्क्रीनिंग के लिए लॉन्च किया गया PRASHAST ऐप, दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के अनुरूप है।

उच्च शिक्षा सुधार

  • सकल नामांकन अनुपात (GER) लक्ष्य
    • NEP-2020 का लक्ष्य वर्ष 2035 तक 50% GER प्राप्त करना है। उच्च शिक्षा संस्थानों की संख्या वर्ष 2014-15 में 51,534 से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 58,643 हो गई है, और कॉलेजों की संख्या में 18.2% की वृद्धि हुई है।
    • नामांकन में 20% की वृद्धि हुई है, जो 4.14 करोड़ (वर्ष 2020- 2021) से बढ़कर 4.95 करोड़ (वर्ष 2024-25) हो गई है।
  • बहुविषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय (Multidisciplinary Education & Research Universities- MERUs):
    • PM-USHA योजना ने अनुसंधान, डिजिटल बुनियादी ढाँचे और वैश्विक संबंधों से संबंधित सुधारों का समर्थन करने के लिए 35 विश्वविद्यालयों को ₹100 करोड़ प्रदान किए हैं, जो MERU के दृष्टिकोण को साकार करने में मदद करेंगे।
    • बहु-विषयक शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालयों को पाठ्यक्रमों की एक विस्तृत शृंखला प्रदान करने और एक लचीले, शिक्षार्थी-केंद्रित मॉडल को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया गया है।
  • शैक्षणिक अनुकूलन
    • एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (Academic Bank of Credits- ABC) ने 2,469 संस्थानों को अपने साथ जोड़ा है और 32 करोड़ से अधिक आईडी जारी की हैं, जिससे छात्रों के लिए क्रेडिट पोर्टेबिलिटी की सुविधा उपलब्ध हुई है।
      • 153 विश्वविद्यालयों ने मल्टीपल एंट्री और एग्जिट विकल्पों को लागू किया है, जिससे 31,156 स्नातक और 5,583 स्नातकोत्तर छात्रों को लाभ हुआ है।
    • मल्टीपल एंट्री और एग्जिट (Multiple Entry and Exit- MEME) ढाँचा छात्रों को अपनी जरूरतों के अनुसार अपनी शिक्षा को रोकने और फिर से शुरू करने की अनुमति प्रदान करता है, जिससे आजीवन सीखने में मदद मिलेगी।
    • 97 केंद्रीय वित्तपोषित संस्थानों (Centrally Funded Institutions- CFI) द्वारा द्विवार्षिक प्रवेश लागू किए गए हैं।
  • अंतरराष्ट्रीयकरण 
    • साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय जैसे विदेशी विश्वविद्यालयों ने भारत में अपने परिसर स्थापित किए हैं।
    • 116 उच्च शिक्षा संस्थान अब ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं, जिससे 19 लाख से अधिक छात्र लाभान्वित हो रहे हैं।

व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास

  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY): 1,000 कौशल केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें 1 लाख उम्मीदवार व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में नामांकित हैं।
    • व्यावसायिक शिक्षा अब कक्षा 6 से स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल कर ली गई है।
  • महिला कौशल: बालिकाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण में सुधार हुआ है।
    • वर्ष 2023 में, उत्तर प्रदेश में 80,000 बालिकाएँ ‘पासपोर्ट टू अर्निंग’ कार्यक्रम के माध्यम से वित्तीय और डिजिटल साक्षरता प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं।

शिक्षक सशक्तीकरण 

  • निष्ठा प्रशिक्षण कार्यक्रम: ECCE तथा FLN पर केंद्रित निष्ठा शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत 14 लाख से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
    • शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय व्यावसायिक मानक (National Professional Standards for Teachers- NPST) शिक्षक भर्ती, प्रशिक्षण और कॅरियर प्रगति के लिए स्पष्ट मानदंड प्रदान करता है।
  • पाठ्यक्रम और शिक्षणशास्त्र: राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क ( National Credit Framework- NCrF) की शुरुआत से छात्रों को शैक्षणिक, व्यावसायिक और अनुभवात्मक शिक्षा के माध्यम से क्रेडिट अर्जित करने का अवसर मिलता है, जिससे आजीवन सीखने और गतिशीलता को बढ़ावा मिलता है।
  • शिक्षक विकास: योग्यता-आधारित छात्रवृत्ति और प्रौद्योगिकी पूर्वानुमान का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि शिक्षकों की जरूरतें पूरी हों, जिससे शैक्षणिक स्वायत्तता को बढ़ावा मिलता है।

समानता और समावेशन पहल

  • सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूहों के लिए समर्थन (Support for Socio-Economically Disadvantaged Groups- SEDGs)
    • समग्र शिक्षा: वर्ष 2030 तक 100% सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio- GER)।
      • स्कूल में छात्रों की उपस्थिति दर में उल्लेखनीय सुधार हुआ, उच्च प्राथमिक शिक्षा में 96.57% GER प्राप्त हुआ।
    • डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘विद्यांजलि’ के माध्यम से अब तक 30,000 से अधिक परिसंपत्तियों का योगदान और 34,000 से अधिक गतिविधि-आधारित संलग्नताएँ सफलतापूर्वक संपन्न कराई जा चुकी हैं, जिससे स्कूली शिक्षा प्रणाली को सशक्त बनाने में उल्लेखनीय सहयोग मिला है। जिससे 1.7 करोड़ छात्रों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
  • समावेशी छात्रावास और आवासीय विद्यालय
    • कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (Kasturba Gandhi Balika Vidyalayas- KGBV) वर्तमान समय में इनमें 7.58 लाख बालिकाएँ हैं, 1,137 नेताजी सुभाष आवासीय विद्यालय हाशिए पर स्थित शिक्षार्थियों को सहायता प्रदान करते हैं।

प्रौद्योगिकी एकीकरण

  • राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा संरचना (National Digital Education Architecture- NDEAR), विद्या समीक्षा केंद्र और राष्ट्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी मंच (National Educational Technology Forum- NETF) जैसे प्लेटफॉर्मों के माध्यम से सीखने और निगरानी के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ प्राप्त करना।
    • NDEAR और विद्या समीक्षा केंद्र वास्तविक समय में शैक्षिक डेटा प्रदान करते हैं।
    • समग्र शिक्षा योजना के तहत 200 शैक्षिक चैनल और ICT-सक्षम स्मार्ट कक्षाएँ शुरू की गई हैं।

हालिया अपडेट

  • नो-डिटेंशन नीति का उन्मूलन: दिसंबर 2024 में, सरकार ने कक्षा 5 और 8 के लिए नो-डिटेंशन नीति को समाप्त कर दिया, जिसके तहत वर्ष के अंत में होने वाली परीक्षा में असफल होने वाले छात्रों को दो माह के भीतर पुनः परीक्षा देनी होगी या उसी कक्षा को दोहराना होगा।
    • इसका उद्देश्य बुनियादी योग्यता सुनिश्चित करना है, लेकिन छात्रों में बढ़ते तनाव को लेकर बहस छिड़ गई है।
  • नए पाठ्यक्रम की रूपरेखा:  वर्ष 2022 में 3-8 वर्षों के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा जारी की गई, जिसके बाद कक्षा 1 के लिए तीन माह के खेल-आधारित स्कूल तैयारी मॉड्यूल के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए।
  • संस्थागत विकास: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने वर्ष 2024 में भारतीय ज्ञान प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए हिंदू, बौद्ध और जैन अध्ययन केंद्र स्थापित किए गए।
    • जनवरी 2025 में राष्ट्रीय डिजिटल विश्वविद्यालय को शुरू किया गया है।

NEP-2020 की आलोचना

  • केंद्रीकरण बनाम राज्य स्वायत्तता
    • केंद्रीकृत नियंत्रण: स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (National Curriculum Framework for School Education- NCFSE) और त्रि-भाषा सूत्र के कारण तमिलनाडु जैसे राज्यों के साथ तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जो जबरन हिंदी के उपयोग का विरोध कर रहे हैं।
    • पाठ्यचर्या की रूपरेखा: आलोचकों का तर्क है कि NCF प्रक्रिया अत्यधिक केंद्रीकृत थी, जिससे राज्य पाठ्यक्रम संबंधी निर्णयों में स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे थे।
    • राज्यों का विरोध: केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने संविधान की समवर्ती सूची का हवाला देते हुए चार वर्षीय स्नातक डिग्री संरचना और पीएम-श्री स्कूलों जैसे NEP प्रावधानों को पूर्णतया अपनाने से इनकार कर दिया है।
    • एकरूपता बनाम विविधता: पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धति में एकरूपता का NEP का दृष्टिकोण देश की क्षेत्रीय विविधता, विशेष रूप से त्रि-भाषा नीति के संदर्भ में, के साथ टकराव की स्थिति उत्पन्न करता है।
  • कार्यान्वयन बाधाएँ
    • शिक्षकों की कमी: शिक्षक प्रशिक्षण पर जोर दिए जाने के बावजूद, शिक्षक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (National Curriculum Framework for Teacher Education- NCFTE) को लागू करने में देरी हुई है।
    • डिजिटल विभाजन: केवल 72% स्कूलों में इंटरनेट की सुविधा है, जिससे स्वयं और दीक्षा जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म की पहुँच सीमित हो गई है।
    • बहु-विषयक शिक्षा को अपनाने में देरी, क्योंकि कई कॉलेजों में अभी भी सुधारों को लागू करने के लिए संकाय और बुनियादी ढाँचे का अभाव है।
  • इक्विटी संबंधी चिंताएँ
    • प्रवासी बच्चे: अंतरराज्यीय क्रेडिट हस्तांतरण या मोबाइल कक्षाओं का कोई प्रावधान नहीं है, जिससे प्रवासी श्रमिकों के बच्चों के स्कूल छोड़ने का खतरा बना रहता है।
    • विमुक्त जनजातियाँ: विमुक्त जनजातियों के 0.8% युवा ही उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाते हैं, जो हाशिए पर स्थित समुदायों की व्यवस्थागत उपेक्षा को दर्शाता है।
    • दिव्यांग बच्चे (Children with Disabilities- CwD): यद्यपि राष्ट्रीय शिक्षा नीति दिव्यांग बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा के महत्त्व पर प्रकाश डालती है, फिर भी बुनियादी ढाँचे में, जैसे सहायक उपकरणों की उपलब्धता, सुलभ कक्षाएँ और प्रशिक्षित शिक्षकों की उपलब्धता में अभी भी कमियाँ विद्यमान हैं।
  • व्यावसायिक शिक्षा और कौशल
    • लिंग-आधारित प्रशिक्षण: लड़कियों के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रम प्राय सिलाई और ब्यूटी सैलून जैसे पारंपरिक क्षेत्रों तक ही सीमित होते हैं, जिससे उनके कॅरियर में वृद्धि बाधित होती है।
    • व्यावसायिक शिक्षा के लिए बुनियादी ढाँचे की कमी, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी जैसे गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में, एक चुनौती बनी हुई है।
  • मूल्यांकन और बोर्ड परीक्षाएँ: योग्यता-आधारित मूल्यांकन धीरे-धीरे शुरू किए जा रहे हैं, और “उच्च जोखिम” या हाई स्टैक वाली परीक्षाएँ अभी भी शिक्षा प्रणाली, विशेष रूप से बोर्ड परीक्षाओं में, हावी हैं।
    • सभी स्कूल बोर्डों में समग्र रिपोर्ट कार्ड पूरी तरह से लागू नहीं किए गए हैं।
  • वित्तपोषण संबंधी चुनौतियाँ
    • अपर्याप्त निधि: शिक्षा पर व्यय सकल घरेलू उत्पाद का 3% बना हुआ है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के 6% के लक्ष्य से काफी कम है।
    • धन का अपर्याप्त उपयोग: हाल के वर्षों में समग्र शिक्षा निधि का 15% अप्रयुक्त रहा, जिससे सरकारी पहलों का प्रभाव सीमित हो गया।
  • नौकरशाही संबंधी देरी: भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission of India- HECI) और राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (National Research Foundation- NRF) जैसे सुधारों को नौकरशाही संबंधी बाधाओं के कारण देरी का सामना करना पड़ा है।

NEP 2020 के तहत नियामक सुधार

  • भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission of India- HECI): राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI) नामक एक एकल, व्यापक नियामक के गठन का प्रस्ताव है।
    • यह उच्च शिक्षा के लिए नियामक ढाँचे को सरल और कारगर बनाने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (All India Council for Technical Education- AICTE) और अन्य जैसी मौजूदा कई नियामक एजेंसियों का स्थान लेगा।
    • HECI के कार्यों में मान्यता, वित्तपोषण और गुणवत्ता आश्वासन शामिल होंगे, जो स्वायत्तता और संस्थागत स्व-नियमन पर केंद्रित होंगे।
    • HECI से अपेक्षा की जाती है कि वह संस्थागत गुणवत्ता की देख-रेख करे और विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के लिए शैक्षणिक स्वतंत्रता को बढ़ावा दे तथा लचीली एवं बहु-विषयक शिक्षा का समर्थन करे।
  • बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (Multidisciplinary Education and Research Universities- MERU): राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में बहुविषयक शिक्षा एवं अनुसंधान विश्वविद्यालयों (MERU) की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है।
    • ये विश्वविद्यालय शिक्षा और अनुसंधान के प्रति बहुविषयक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किए गए हैं, जो कठोर अनुशासन-आधारित संरचनाओं के विपरीत होंगे।
    • एमईआरयू अंतःविषयक शिक्षण, अनुसंधान सहयोग और वैश्विक एकीकरण के लिए अनुकूल वातावरण बनाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। इसमें विविध क्षेत्रों में स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों प्रकार की शिक्षा शामिल होगी।
    • राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य अनुसंधान-संचालित संस्थानों को बढ़ावा देना और यह सुनिश्चित करना है कि एमईआरयू वैश्विक विश्वविद्यालयों के साथ प्रभावी ढंग से सहयोग कर सकें।
  • अकादमिक क्रेडिट बैंक (Academic Bank of Credits- ABC): अकादमिक क्रेडिट बैंक (ABC) उच्च शिक्षा में एक महत्त्वपूर्ण सुधार है, जिसे विभिन्न संस्थानों में क्रेडिट हस्तांतरण को सुगम बनाने और शैक्षणिक गतिशीलता को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया गया है।
    • ABC छात्रों द्वारा अर्जित क्रेडिट का एक डिजिटल संग्रह बनाए रखेगा, जिससे विभिन्न संस्थानों में उनकी पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित होगी।
    • यह प्रणाली छात्रों को अपने पाठ्यक्रमों से बाहर निकलने और पुनः प्रवेश लेने या संस्थान बदलने में सक्षम बनाएगी, जिससे उन्हें आजीवन सीखने के लिए लचीलापन मिलेगा।
  • राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (National Accreditation Council- NAC): राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा संस्थानों को मान्यता प्रदान करने के लिए मौजूदा राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAC) के स्थान पर एक राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (National Assessment and Accreditation Council- NAAC) के गठन का प्रस्ताव किया गया है।
    • यह शैक्षणिक संस्थानों के लिए गुणवत्ता आश्वासन, संवर्द्धित संस्थागत स्वायत्तता और अंतरराष्ट्रीय मानकों को सुनिश्चित करेगा।
  • राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (National Research Foundation- NRF): यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत प्रमुख सुधारों में से एक है, जिसका उद्देश्य उच्च शिक्षा में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना और वित्तपोषित करना है।
    • NRF अंतःविषय अनुसंधान का समर्थन करेगा और विश्वविद्यालयों एवं अनुसंधान संस्थानों को प्रतिस्पर्द्धी अनुदान प्रदान करेगा।
    • यह विविध क्षेत्रों में अनुसंधान को वित्तपोषित करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि वैश्विक स्तर पर अनुसंधान तथा नवाचार में भारत की स्थिति में और अधिक वृद्धि हो।
  • राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा योग्यता ढाँचा (National Higher Education Qualification Framework- NHEQF): NHEQF स्नातक से लेकर डॉक्टरेट कार्यक्रमों तक, उच्च शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर योग्यताओं को मानकीकृत और परिभाषित करेगा।
    • यह ढाँचा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग्यताओं की समतुल्यता सुनिश्चित करेगा, जिससे छात्रों के लिए विभिन्न संस्थानों और देशों में जाना आसान हो जाएगा।
    • यह अंतःविषय शिक्षा को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा।
  • डिजिटल शिक्षा और ऑनलाइन शिक्षण विनियमन
    • UGC (मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा और ऑनलाइन कार्यक्रम) विनियमों में संशोधन किया गया है ताकि विश्वविद्यालयों को सख्त गुणवत्ता दिशा-निर्देशों के अनुपालन में ऑनलाइन डिग्री कार्यक्रम प्रदान करने की अनुमति मिल सके।
    • इस नीति में भारत में ऑनलाइन शिक्षा पारिस्थितिकी तंत्र का और विस्तार करने के लिए एक राष्ट्रीय डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना की परिकल्पना की गई है।
  • राष्ट्रीय क्रेडिट ढाँचा (National Credit Framework- NCrF): NEP, 2020 के अंतर्गत प्रस्तुत NCrF का उद्देश्य स्कूल, व्यावसायिक प्रशिक्षण और उच्च शिक्षा में क्रेडिट प्रणाली को मानकीकृत और एकीकृत करना है।
    • NCrF शैक्षणिक, व्यावसायिक और कार्य-आधारित शिक्षा सहित विभिन्न शिक्षण मार्गों में क्रेडिट के हस्तांतरण की अनुमति देगा, जिससे आजीवन शिक्षा और गतिशीलता को बढ़ावा मिलेगा।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना: NEP, 2020 उच्च शिक्षा में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करती है, जिसमें बुनियादी ढाँचे, अनुसंधान उत्पादन और शिक्षा की समग्र गुणवत्ता में सुधार के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public- Private Partnerships- PPP) पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

आगे की राह 

  • राज्य-केंद्र समन्वय को मजबूत करना: राज्यों के साथ समावेशी परामर्श सुनिश्चित करना, जिससे क्षेत्रीय अनुकूलन स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप हो सकें।
    • कार्यान्वयन में केंद्रीय नीतियों और राज्य की स्वायत्तता के बीच संतुलन बनाए रखना।
  • बुनियादी ढाँचे का विकास: डिजिटल विभाजन को समाप्त करने के लिए, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, डिजिटल बुनियादी ढाँचे का विस्तार करना।
    • शौचालय और विद्युत जैसी बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए, स्कूलों में भौतिक सुविधाओं में सुधार करना।
  • शिक्षक प्रशिक्षण और विकास: विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, शिक्षकों के लिए सतत् व्यावसायिक विकास (CPD) पर ध्यान केंद्रित करना।
    • विशेष आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शिक्षकों के लिए समावेशी शिक्षा प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करना।
  • व्यावसायिक शिक्षा का विस्तार: महिलाओं एवं पुरुषों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण में गैर-पारंपरिक कौशल (जैसे- आईटी, नवीकरणीय ऊर्जा) को एकीकृत करना।
    • बेहतर रोजगार अवसरों के लिए उद्योग साझेदारी को मजबूत करना।
  • वित्तपोषण और संसाधन आवंटन: 6% जीडीपी लक्ष्य को पूरा करने और बेहतर निधि उपयोग सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा बजट में वृद्धि करना।
    • निधि उपयोग को प्रभावी ढंग से ट्रैक करने के लिए निगरानी प्रणाली को लागू करना।
  • अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देना: नवाचार को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (National Research Foundation- NRF) और अनुसंधान पार्कों की स्थापना करना।
    • ‘वर्चुअल वर्ल्ड’ के अनुसंधान अनुप्रयोगों के लिए उद्योग-अकादमिक सहयोग को प्रोत्साहित करना।
  • नियामक सुधारों को बढ़ावा देना: उच्च शिक्षा में प्रशासन को सुव्यवस्थित करने के लिए भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission of India- HECI) को त्वरित गति प्रदान करना।
    • गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मान्यता प्रणाली को मजबूत करना।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी: शिक्षा, विशेष रूप से बुनियादी ढाँचे और व्यावसायिक प्रशिक्षण में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाना।
    • वैश्विक एकीकरण को बढ़ाने के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष

NEP, 2020 ने भारत की शिक्षा प्रणाली में परिवर्तनकारी सुधारों, नामांकन में वृद्धि, समावेशिता और लचीलेपन की शुरुआत की है। हालाँकि, राज्यों के प्रतिरोध, डिजिटल विभाजन और वित्तपोषण की कमी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए, वर्ष 2035 तक इसके लक्ष्य को साकार करने हेतु मजबूत केंद्र-राज्य समन्वय को बढ़े हुए निवेश और लक्षित समानता उपायों को अपनाने की आवश्यकता है।

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