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फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन

Lokesh Pal October 29, 2024 02:32 40 0

संदर्भ

हाल ही में नीति आयोग ने भारत के ताप विद्युत संयंत्रों में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (Flue Gas Desulfurization- FGD) प्रतिष्ठानों की आवश्यकता पर सवाल उठाए हैं।

संबंधित तथ्य 

  • नीति आयोग ने संघीय पर्यावरण और ऊर्जा मंत्रालयों को कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को डीसल्फराइजेशन उपकरण के लिए नए ऑर्डर देने बंद करने का निर्देश देने की सिफारिश की है।

फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (FGD) के बारे में 

  • FGD: यह एक स्क्रबिंग विधि है, जो जीवाश्म ईंधन वाले बिजलीघरों या कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के धुएँ वाले गैस उत्सर्जन से सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) को हटाने के लिए एक क्षारीय अभिकर्मक, आमतौर पर सोडियम या कैल्शियम आधारित, का उपयोग करती है।

  • प्रभावशीलता: FGD फ्लू गैस से 95% तक सल्फर डाइऑक्साइड को हटा सकता है, जिससे SO₂ उत्सर्जन में काफी कमी आती है।

फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन जिप्सम (Flue gas desulfurization gypsum- FGDG)

  • FGDG एक औद्योगिक उपोत्पाद है, जो कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होता है।
  • 1960 के दशक के उत्तरार्द्ध से कोयला आधारित बिजली संयंत्रों से सल्फर डाइऑक्साइड के  उत्सर्जन को सीमित करने के लिए ‘फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन सिस्टम’ का उपयोग किया जाता रहा है, लेकिन पिछले दशक में FGDG का उत्पादन काफी कम हो गया है।

  • फ्लू गैस संरचना: इसे ‘एग्जॉस्ट या स्टैक गैस’ के रूप में भी जाना जाता है, फ्लू गैस दहन संयंत्रों से निकलती है और इसमें पार्टिकुलेट मैटर (धूल), सल्फर ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड सहित प्रदूषकों का मिश्रण होता है। इसमें पार्टिकुलेट, सल्फर डाइऑक्साइड, पारा और कार्बन डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषक हो सकते हैं, लेकिन अधिकांश फ्लू गैस में नाइट्रोजन ऑक्साइड होते हैं। बिजली संयंत्रों, औद्योगिक सुविधाओं और अन्य स्रोतों से अनुपचारित फ्लू गैस स्थानीय तथा क्षेत्रीय वायु गुणवत्ता को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है।
  • FGD सिस्टम के प्रकार
    • सूखा सोरबेंट इंजेक्शन: SO₂ को बेअसर करने के लिए एक सूखे क्षारीय एजेंट का उपयोग करता है।
    • गीली चूना पत्थर आधारित प्रणाली: उच्च निष्कासन दक्षता के लिए जल और चूना पत्थर के घोल का उपयोग करता है।
    • समुद्री जल आधारित प्रणाली: SO₂ को अवशोषित करने के लिए समुद्री जल में प्राकृतिक क्षारीयता का उपयोग करता है।
    • प्रक्रिया अवलोकन: स्क्रबर या अवशोषक टॉवर में, अशुद्ध फ्लू गैस को जल और चूना पत्थर (स्क्रबिंग स्लरी) के मिश्रण के साथ छिड़का जाता है, जो सल्फर डाइऑक्साइड के साथ अभिक्रिया करता है और उसे बाँधता है, जिससे वायुमंडल में उसका उत्सर्जन रुक जाता है।

पर्यावरण पर सल्फर डाइऑक्साइड का प्रभाव

  • प्रमुख वायु प्रदूषक: सल्फर डाइऑक्साइड एक गंभीर पर्यावरण प्रदूषक है, जो मानव, पशु और पौधों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
  • अम्लीय वर्षा का अग्रदूत: SO₂ अम्लीय वर्षा में योगदान देता है, जो जंगलों, मीठे जल और मिट्टी को नुकसान पहुँचाता है।
    • अम्लीय वर्षा, कीटों और जलीय जीवन को प्रभावित कर, वनस्पति को नुकसान पहुँचाकर तथा जैव विविधता को कम करके पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित करती है।
    • इससे बुनियादी ढाँचे और सामग्रियों को नुकसान पहुँचता है, जिससे पेंट उखड़ जाता है और पुलों जैसी स्टील संरचनाओं को नुकसान पहुँचता है।
    • इससे पत्थर की इमारतों और मूर्तियों का अपक्षय तेज होता है, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों का क्षरण होता है।

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