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खाद्य बनाम ईंधन (Food vs Fuel)

Samsul Ansari December 13, 2023 11:25 245 0

भारतीय अर्थव्यवस्था

संदर्भ 

हाल ही में भारत सरकार ने चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए इथेनॉल उत्पादन हेतु गन्ने एवं संबंधित उत्पादों के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया।

संबंधित तथ्य 

  • इथेनॉल उत्पादन हेतु गन्ने के उपयोग पर प्रतिबंध: उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने पहले सभी मिलों एवं आसवन फैक्ट्री (Distilleries) को तत्काल प्रभाव से किसी भी इथेनॉल को बनाने के लिए गन्ने के रस या सिरप का उपयोग बंद करने का निर्देश दिया था।
    • इसप्रकार, प्रतिबंध के कारण इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम (Ethanol Blending Programme – EBP) पर प्रतिकूल प्रभाव को लेकर उत्पादकों के बीच चिंताएँ  उत्पन्न हो गई हैं।

चीनी (नियंत्रण) आदेश, 1966

  • यह सरकार को चीनी (नियंत्रण) आदेश, 1966 द्वारा केंद्र या राज्य सरकार के किसी भी अधिकारी या प्राधिकारी को प्रदत्त चीनी के उत्पादन को विनियमित करने, उत्पादकों द्वारा चीनी की बिक्री आदि को प्रतिबंधित करने की शक्ति प्रदान करता है।

  • चीनी (नियंत्रण) आदेश, 1966: यह निर्देश चीनी (नियंत्रण) आदेश, 1966 के खंड 4 एवं 5 के अनुसार जारी किया गया था।
    • हालाँकि, भारत सरकार ने वर्ष 2023-24 में इथेनॉल उत्पादन के लिए ‘बी-गुड़’ (B-Molasses) के उपयोग की अनुमति दी है।
  • मूल्य वृद्धि पर अंकुश: इस निर्णय से घरेलू बाजार में 1.8-2.0 मिलियन टन (MT) चीनी आने की उम्मीद है, जिससे इस सीजन में महाराष्ट्र और कर्नाटक में चीनी उत्पादन में गिरावट की खबरों के बीच कीमतों में वृद्धि को रोकने में मदद मिलेगी।

निर्णय के पक्ष में तर्क

  • चीनी उत्पादन में गिरावट का अनुमान: यह निर्णय वर्ष 2023-24 विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी उत्पादन में अनुमानित गिरावट की पृष्ठभूमि में आया है।
    • वर्ष 2022-2023 के अंत में शुगर स्टॉक वर्ष 2018-19 के रिकॉर्ड 143.3 लाख टन (LT) से काफी कम था और वर्ष 2016-17 के 39.4 लाख टन के बाद से सबसे कम था।
    • इसका उद्देश्य घरेलू खपत के लिए पर्याप्त चीनी उपलब्धता बनाए रखना और कीमतों को नियंत्रण में रखना है।

केंद्र सरकार के निर्णय से चिंताएँ

  • इथेनॉल सम्मिश्रण लक्ष्य पर प्रभाव: तेल-विपणन कंपनियों ( Oil-Marketing companies) जैसे:- OMC-BPCL, HPCL, IOCL, आदि) ने अपने 15% सम्मिश्रण उद्देश्य को पूरा करने के लिए वर्ष 2023-2024 के लिए लगभग 825 करोड़ लीटर इथेनॉल की डिलीवरी के लिए एक निविदा प्रकाशित की।
    • पहले दौर की बोली में उन्हें करीब 559 करोड़ लीटर का ऑफर मिला था, जिसमें से 135 करोड़ लीटर गन्ने के रस या सिरप से बना इथेनॉल था।
    • हालिया प्रतिबंधों से इथेनॉल की आपूर्ति पर असर पड़ेगा, जिससे OMC के इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य प्रभावित होंगे।
    • इससे इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2023-24 (ESY 24) के लिए सम्मिश्रण उद्देश्य अपने लक्ष्य से भटक सकता है जो 1 नवंबर, 2023 से 31 अक्टूबर, 2024 तक चलता है।
    • ESY23 के लिए 12% इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य पूरा किया गया है। ESY24 के लिए 15% और ESY26 के लिए 20% इथेनॉल मिश्रण लक्ष्य है।
  • इथेनॉल उत्पादन संबंधी कंपनियों के लिए झटका: उल्लेखनीय है कि कंपनियों ने गन्ने के रस/सिरप से सीधे इथेनॉल का उत्पादन करने की क्षमता स्थापित की है। सरकार के इस निर्णय से ये कम्पनियाँ प्रभावित हो सकती हैं। 
    • हालाँकि, भारत सरकार के फैसले से फीडस्टॉक की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, जिससे स्थिर क्षमता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  • चीनी मिलों के राजस्व पर प्रभाव: इथेनॉल आसवन बड़ी सूचीबद्ध चीनी मिलों को अतिरिक्त राजस्व स्रोत प्रदान करता है, हालाँकि, वर्तमान प्रतिबंध ने कंपनियों के राजस्व सृजन को सीमित कर दिया है।
  • गन्ने की पेराई क्षमता में कमी: इंडिया शुगर मिल्स एसोसिएशन (India Sugar Mills Association- ISMA) के अनुसार, इससे आपूर्ति रुक सकती है, जिसके परिणामस्वरूप गन्ने की पेराई क्षमता कम हो जाएगी और लागत बढ़ जाएगी।
    • गौरतलब है कि ISMA भारत में निजी चीनी उद्योगों का एक शीर्ष निकाय है।
    • क्रशिंग क्षमता का मतलब पेराई की अनुमानित अधिकतम दर है जिस पर एक मिल दक्षता के उचित स्तर को बनाए रखते हुए लगातार कार्य कर सकती है।

इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के बारे में

  • EBP कार्यक्रम जनवरी, 2003 में शुरू किया गया था।
  • उद्देश्य: इस कार्यक्रम का उद्देश्य वैकल्पिक एवं पर्यावरण अनुकूल ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना और ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए आयात निर्भरता को कम करना है।

ESY 2022-23

  • इथेनॉल उत्पादन का स्रोत: गन्ना एवं इसके उप-उत्पाद (जैसे- बी गुड़) भारत में इथेनॉल उत्पादन के प्रमुख स्रोत हैं। इथेनॉल उत्पादन के अन्य स्रोत मक्का, चावल एवं जौ हैं।
    • ईंधन-मिश्रण के लिए गन्ने से आपूर्ति किया जाने वाला लगभग 25-30% इथेनॉल गन्ने के रस एवं सिरप से आता है।
    • अन्य 45% बी-भारी गुड़ (B-Heavy Molasses) से आता है, जो चीनी प्रसंस्करण के दो बार की गन्ना पेराई के बाद गन्ने के रस का अवशेष है।
    • शेष सी-भारी गुड़ (C-Heavy Molasses) से है जो चीनी प्रसंस्करण के तीन बार की गन्ना पेराई के बाद का अवशेष है। 
    • गन्ने के अलावा, मक्के एवं चावल से भी इथेनॉल का आसवन किया जाता है।
  • वर्तमान इथेनॉल सम्मिश्रण लक्ष्य: भारत सरकार ने वर्ष 2025-26 तक 20% इथेनॉल सम्मिश्रण लक्ष्य को पूरा करने का निर्धारण किया है।
    • इस लक्ष्य को ‘E20’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है कि वर्ष 2025 तक एक लीटर ईंधन तेल में 200 मिलीलीटर इथेनॉल और 800 मिलीलीटर पेट्रोलियम होने की संभावना है।
  • वर्तमान स्थिति: वर्ष 2022-23 इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) में, सरकार ने पेट्रोल के साथ इथेनॉल का 12 प्रतिशत मिश्रण हासिल किया।
    • चालू वर्ष का लक्ष्य 15 प्रतिशत है जिसके लिए 690 लीटर इथेनॉल की आवश्यकता होगी।
    • भारत सरकार ने जून, 2022 में EBP कार्यक्रम के तहत देश में पेट्रोल में इथेनॉल के औसत 10 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया है।

supply of ethanol over years

  • महत्त्व: भारत ने नवंबर, 2022 की लक्षित समयसीमा से पहले, वर्ष 2022 के मध्य में 10 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का प्रारंभिक लक्ष्य पूरा कर लिया है।
    • इससे 41,500 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी मुद्रा में वृद्धि हुई है, 2.7 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आई है।

EBP के लाभ

  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (GHG): अमेरिकी ऊर्जा विभाग के ‘आर्गोन नेशनल लेबोरेटरी’ के अनुसार, अनाज आधारित इथेनॉल गैसोलीन की तुलना में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 44-52% की कटौती करता है।
    • मक्का संबंधी इथेनॉल, गैसोलीन की तुलना में 46% की औसत GHG की कमी प्रदान कर सकता है।
  • आयात निर्भरता को कम करना: वर्ष 2025 तक E20 (पेट्रोल के साथ 20% इथेनॉल मिश्रण) के कार्यान्वयन के साथ, भारत तेल आयात में लगभग  45,000 करोड़ और सालाना 63 मीट्रिक टन तेल बचाएगा।
  • आगे की संभावनाएँ: अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, शुद्ध शून्य लक्ष्य के कारण वर्ष 2050 तक 3.5-5.0 गुना जैव ईंधन विकास क्षमता होगी, जो भारत के लिए ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़ा अवसर उत्पन्न करेगी।
    • नेट-ज़ीरो: इसका अर्थ है ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को यथासंभव शून्य के करीब लाना, शेष उत्सर्जन को महासागरों एवं जंगलों द्वारा वायुमंडल से पुनः अवशोषित कर लेना है।
  • इथेनॉल बाजार में वृद्धि: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अनुसार, वैश्विक इथेनॉल बाजार का मूल्य वर्ष 2022 में 99.06 बिलियन डॉलर था और वर्ष 2032 तक 5.1% की CAGR से बढ़ने और वर्ष 2032 तक 162.12 बिलियन डॉलर को पार करने का अनुमान है।

EBP कार्यक्रम के समक्ष चुनौतियाँ

  • खाद्य सुरक्षा के जोखिम: EBP के अंतर्गत इथेनॉल उत्पादन हेतु खाद्यान्न का उपयोग किया जाता है, जिससे भविष्य में भारत के समक्ष खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो सकता है।    
  • वर्ष 2023 के ‘वैश्विक भुखमरी सूचकांक’ में भारत भूख की गंभीर चिंताओं को उजागर करने वाले 125 देशों में से 111वें स्थान पर है।
    • खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार, वर्ष 2018 और वर्ष 2020 के बीच लगभग 209 मिलियन भारतीय या कुल आबादी का लगभग 15% अल्पपोषित थे।
  • जल गहन फसलों पर ध्यान देना: वर्तमान में, उत्पादित होने वाले अधिकांश इथेनॉल में कच्चे माल के रूप में चावल के साथ गन्ने का उपयोग किया जाता है। ये दोनों फसलें जल सघन कृषि से संबंधित हैं।
    • गेहूँ के साथ चावल एवं गन्ना, भारत के सिंचाई जल का लगभग 80% उपभोग करते हैं।
  • अकुशल सब्सिडी तंत्र: FCI वर्तमान में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिए खंडित चावल खरीद रहा है, लेकिन इसे आधी कीमत पर डिस्टिलरीज को आपूर्ति कर रहा है।

इथेनॉल सम्मिश्रण के लिए सरकारी हस्तक्षेप

  • वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (Global Biofuels Alliance-GBA): सतत ऊर्जा के लिए कम कार्बन वाली विधियों के रूप में जैव ईंधन के विकास को बढ़ावा देना।
  • भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण के लिए नीति आयोग रोडमैप 2020-25: इसने वर्ष 2025-26 तक इथेनॉल के उत्पादन और आपूर्ति के लिए एक वार्षिक रोडमैप और इथेनॉल के देशव्यापी विपणन के लिए प्रणालियों का सुझाव दिया।
  • जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018: इस नीति का उद्देश्य पेट्रोल में 20% बायो इथेनॉल के मिश्रण के लक्ष्य को वर्ष 2030 के बजाय वर्ष 2025-26 तक ही पूरा कर लिया जाए। साथ ही अतिरिक्त फीडस्टॉक को जैव ईंधन के उत्पादन के लिए योग्य बनाया जाए।
  • E100 पायलट प्रोजेक्ट: इसका लक्ष्य पूरे देश में इथेनॉल के उत्पादन एवं वितरण के लिए एक नेटवर्क स्थापित करना है।
  • RUCO परियोजना: इसका उद्देश्य वनस्पति तेल, पशु वसा या रेस्तरां ग्रीस को डीजल वाहनों को चलाने के लिए बायो डीजल में परिवर्तित करना है या वास्तव में डीजल का उपयोग करने वाले किसी भी उपकरण को बायो डीजल में परिवर्तित करना है।
  • प्रधानमंत्री जी-वन योजना (Pradhan Mantri JI-VAN Yojana) 2019: इसका उद्देश्य वाणिज्यिक परियोजनाओं की स्थापना के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना और 2G इथेनॉल क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना है।

  • यह प्रक्रिया अत्यधिक अप्रभावी है क्योंकि डिस्टिलरीज को दी जाने वाली सब्सिडी का बोझ करदाताओं पर डाला जाता है।
    • डिस्टिलरी एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली के बीच सब्सिडी वाले खाद्यान्नों के कारण प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है जिससे ग्रामीण गरीबों के लिए प्रतिकूल परिणाम उत्पन्न हो सकते हैं और उन्हें भुखमरी का सामना करना पड़ सकता है।
  • खाद्य-आधारित फीडस्टॉक्स को प्राथमिकता: भारत का इथेनॉल सम्मिश्रण लक्ष्य मुख्य रूप से खाद्य-आधारित फीडस्टॉक्स पर केंद्रित है।
    • यह जैव ईंधन पर वर्ष 2018 की राष्ट्रीय नीति के खिलाफ है, जिसमें घास एवं शैवाल, सेल्युलोज संबंधी सामग्री (जैसे- खोई, कृषि वानिकी संबंधी अवशेष) और चावल, गेहूँ एवं मकई से भूसे जैसी वस्तुओं को प्राथमिकता दी गई है।
  • रसद संबंधी मुद्दे: वर्तमान में, इथेनॉल की पूरी मात्रा का परिवहन टैंकरों द्वारा सड़क मार्ग से किया जा रहा है जो न केवल महंगा है, बल्कि ईंधन के परिवहन के दौरान ट्रकों द्वारा वायुमंडल में GHG का अप्रत्यक्ष तौर पर निष्कासन भी किया जाता है।
  • ढाँचागत चुनौतियाँ: विपणन टर्मिनलों/डिपो पर इथेनॉल के लिए अतिरिक्त भंडारण टैंक की आवश्यकता होती है। जैसे- 
    • इथेनॉल-अनुपालक वितरण इकाइयों की आवश्यकता।
    • खुदरा दुकानों पर इथेनॉल मिश्रित गैसोलीन आपूर्ति के लिए एक अतिरिक्त भूमिगत टैंक, पाइप/नली और वितरण इकाइयों की आवश्यकता।

आगे की राह 

  • गैर-खाद्य फीडस्टॉक का उपयोग: खाद्य उत्पादन प्रणाली के साथ किसी भी व्यापार-बंद को रोकने के लिए दूसरी पीढ़ी (2G) सहित ‘उन्नत जैव ईंधन’ से इथेनॉल उत्पादन की तकनीक को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • B-भारी गुड़ पर ध्यान देना: चीनी उत्पादन पर न्यूनतम प्रभाव के साथ बढ़ी हुई इथेनॉल आपूर्ति के लिए अवशिष्ट रस की मात्रा को B-भारी गुड़ में बदलने की अनुमति दी जानी चाहिए।
  • इथेनॉल की कीमत में प्रतिपूरक वृद्धि: इथेनॉल के मूल्य निर्धारण में प्रतिपूरक वृद्धि B और C भारी गुड़ से प्राप्त करने की आवश्यकता है क्योंकि यह चीनी मिलों के लिए पर्याप्त नकदी प्रवाह सुनिश्चित करेगा।
    • इससे जूस एवं सिरप से इथेनॉल उत्पादन में कमी के कारण किसानों के भुगतान में संभावित देरी या चूक में भी कमी आएगी।
  • ईंधन की तुलना में खाद्य फसलों को प्राथमिकता: घटते भू-जल भंडार, कृषि योग्य भूमि की कमी, अप्रत्याशित मानसून एवं जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि उपज में गिरावट के कारण खाद्य उत्पादन को ईंधन फसलों की तुलना में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
    • कचरे से जैव ईंधन: कचरे से बने इथेनॉल पर ध्यान केंद्रित करके भारत टिकाऊ जैव ईंधन नीति में वैश्विक नेता बन सकता है।
  • जल-गहन फसलों से प्रस्थान: इथेनॉल रणनीति के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसानों को जल-गहन फसलों की ओर न ले जाया जाए और जल संकट से बचा जाए।
  • परिवहन के वैकल्पिक साधन: सरकार को इथेनॉल परिवहन के अन्य साधनों का विकल्प चुनना चाहिए जैसे- तटीय क्षेत्रों में विशेष पाइपलाइन, रेल टैंक वैगन एवं घाट या स्टीमर।
    • रेल द्वारा इथेनॉल ट्रक-टैंकरों को ले जाने के RORO (Roll-on/Roll-off) मॉडल पर विचार किया जा सकता है।
    • ब्राज़ील मॉडल को अपनाना: ब्राज़ील में ईंधन एवं इथेनॉल की आपूर्ति पूरी तरह से पाइपलाइनों, रेल या तटीय जहाजों के माध्यम से होती है, जिसमें 14 तेल रिफाइनरियाँ और 354 इथेनॉल भट्टियाँ सहयोग करती हैं।

News Source: Indian Express

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