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‘फुट रॉट’ रोग/’बकाने’ रोग

Lokesh Pal May 10, 2024 04:33 196 0

संदर्भ

हाल ही में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU), लुधियाना ने चावल की बासमती किस्मों में ‘फुट रॉट’ बीमारी से निपटने के लिए ‘बायोकंट्रोल एजेंट’ “ट्राइकोडर्मा एस्पेरेलम” (Trichoderma Asperellum) विकसित किया है।

‘फुट रॉट’ रोग

  • इसे बकाने रोग के नाम से भी जाना जाता है।
  • यह ‘फ्यूसेरियम वर्टिसिलियोइड्स’ (Fusarium Verticillioides) कवक के कारण होता है, जो एक मृदा-बीज जनित रोगजनक है, जो पौधे की जड़ के माध्यम से संक्रमण फैलाता है और अंततः तने के आधार को प्रभावित करता है।
  • यह विशेष रूप से अंकुरित अवस्था में बासमती चावल की फसल को प्रभावित करता है, हालाँकि संक्रमित पौधों को प्रत्यारोपित करने की स्थिति में यह प्रत्यारोपण के बाद संक्रमण का कारण भी बन सकता है।
  • लक्षण: संक्रमित पौधे पहले हल्के पीले रंग के हो जाते हैं, फिर लंबे हो जाते हैं और सूख जाते हैं और अंततः (आमतौर पर) समाप्त हो जाते हैं।

‘फुट रॉट’ रोग को नियंत्रित करने के लिए निवारक प्रबंधन रणनीतियाँ

  • बीमारी फैलने से रोकने के लिए किसान निम्नलिखित उपायों को अपनाते हैं-
    • प्रारंभिक अंकुरित बीज उपचार,
    • रोगमुक्त बीजों का उपयोग करने का प्रयास करना, और
    • संक्रमित पौध को नष्ट कर देना।
  • समय पर बीज नर्सरी प्रबंधन 
    • जून के प्रथम पखवाड़े में बीज की बुवाई तथा जुलाई में रोपाई करें।
    • मई में बुवाई करने में अक्सर समस्याएँ आती हैं, क्योंकि इस महीने का तापमान रोग के लिए अनुकूल होता है।
  • अच्छी तरह से सूखा हुआ खेत: जिन खेतों में नर्सरी स्थापित की जा रही है, वह ‘फुट रॉट’ रोग के प्रसार से बचने के लिए उचित सिंचाई के साथ अच्छी तरह से सूखा होना चाहिए।
  • वर्तमान प्रथाएँ
    • बुवाई और रोपाई से पहले बीजों को ‘ट्राइकोडर्मा हर्जियानम’ से उपचारित किया जाता है।
    • बुवाई से पहले बीजों को ‘स्प्रिंट 75 WS’ (कार्बेन्डाजिम + मैंकोजेब) जैसे कवकनाशकों से भी उपचारित किया जाता है।
      • लेकिन ये रासायनिक उपचार हैं, जो मृदा के लिए हानिकारक हैं और चावल के उपभोक्ताओं के लिए विषाक्त हो सकते हैं।

नए बायोकंट्रोल एजेंट ‘ट्राइकोडर्मा एस्पेरेलम’ का महत्त्व

  • यह चावल की कृषि तकनीक में एक महत्त्वपूर्ण विकास है, जो एक अधिक सतत रणनीति प्रस्तुत करेगा, जो पारंपरिक कीटनाशकों के लिए एक गैर-रासायनिक विकल्प प्रदान करेगी।
  • यह परिवर्तन खाद्य सुरक्षा के लिए वैश्विक मानकों के अनुरूप, सुरक्षित चावल उत्पादन सुनिश्चित करता है।
  • यह पर्यावरणीय क्षति को कम करते हुए रोग प्रबंधन में सहायता करने में मदद करेगा।

बासमती चावल

  • बासमती चावल एक लंबे दाने वाला सुगंधित चावल है, जो अपने अतिरिक्त लंबे पतले दानों, फूली हुई संरचना, बेहतर सुगंध और विशिष्ट स्वाद के लिए जाना जाता है।
  • बासमती चावल की किस्में: बीज अधिनियम, 1966 के तहत लगभग 34 किस्मों को मान्यता दी गई है।
  • कृषि क्षेत्र: केवल जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खेती की अनुमति है।
    • यह एक पंजीकृत GI (भौगोलिक संकेत) उत्पाद है।
  • सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक: भारत शीर्ष निर्यातक है, वैश्विक उत्पादन का लगभग 70%।

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