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वर्ष 2024 में जबरन विस्थापन

Lokesh Pal June 15, 2024 03:05 161 0

संदर्भ

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वर्ष 2023 की शुरुआत एवं मई 2024 के बीच विश्व स्तर पर रिकॉर्ड स्तर पर 120 मिलियन लोग जबरन विस्थापित स्थिति में रह रहे थे।

शरणार्थी (Refugees)

  • परिभाषा: शरणार्थी वे लोग हैं, जो अपने घरों को छोड़कर कर कहीं और चले गए हैं, अंतरराष्ट्रीय सीमापार कर गए हैं एवं वापस नहीं लौट सकते क्योंकि उन्हें डर है कि उनकी जान खतरे में है। लोग शरणार्थी तब बनते हैं, जब उनके एक या अधिक बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जाता है या उन्हें डराया/धमकाया जाता है।
  • सुरक्षा: शरणार्थियों को उस देश द्वारा सुरक्षा पाने का अधिकार है, जहाँ वे शरण माँगते हैं एवं उन्हें घर लौटने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।
    • उन्हें संयुक्त राष्ट्र के वर्ष 1951 शरणार्थी कन्वेंशन के तहत शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य देखभाल एवं संचलन की स्वतंत्रता का भी अधिकार है, हालाँकि इन अधिकारों का अक्सर उल्लंघन किया जाता है।

आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति (Internally Displaced Persons- IDP)

  • परिभाषा: IDP को शरणार्थियों के समान कारणों से अपने घरों से भागने के लिए मजबूर किया गया है, लेकिन उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सीमापार नहीं की है। IDP अपने मूल देश में रहते हैं लेकिन उत्पीड़न के डर से अक्सर घर लौटने से डरते हैं या अनिच्छुक होते हैं।
  • IDPs के अधिकार: हालाँकि कई IDPs को शरणार्थियों के समान कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन उन्हें अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत समान अधिकार नहीं दिए जाते हैं उल्लेखनीय है कि ‘आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति’ एक वर्णनात्मक शब्द है, कानूनी नहीं। 
    • हालाँकि शरणार्थियों को सहायता एक कानूनी आवश्यकता है, आंतरिक विस्थापन पर सिद्धांत गैर-बाध्यकारी हैं।
    • IDPs के पास अभी भी अधिकार हैं, लेकिन कुछ सरकारें उन अधिकारों का सम्मान करने में असमर्थ या अनिच्छुक हैं।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • जबरन विस्थापन संबंधी आँकड़े: अनुमान है कि वर्ष 2023 के अंत में 117.3 मिलियन लोग जबरन विस्थापित रहे, जो उत्पीड़न, संघर्ष, हिंसा, मानवाधिकारों के उल्लंघन एवं सार्वजनिक व्यवस्था को गंभीर रूप से परेशान करने वाली घटनाओं से भागने के लिए मजबूर हुए।
    • मई में, वैश्विक स्तर पर 120 मिलियन लोग विस्थापित हुए, जो वर्ष 2022 के आँकड़ों से लगभग 10% अधिक है, जो दुनिया की लगभग 1.5% आबादी का प्रतिनिधित्व करता है।
  • बड़े पैमाने पर विस्थापन संकट: रिपोर्ट में दुनिया भर में उन फ्लैशपाइंट (हिंसाग्रस्त क्षेत्रों) पर प्रकाश डाला गया, जहाँ संघर्ष एवं हिंसा ने लोगों को अपने घरों से निकलने के लिए मजबूर कर दिया था। 
    • सूडान में अप्रैल 2023 में शुरू हुई लड़ाई को ‘दुनिया में सबसे बड़े मानवीय एवं विस्थापन संकट’ में से एक के रूप में उद्धृत किया गया था, जिसमें दिसंबर 2023 तक 6 मिलियन से अधिक लोगों को भागने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
  • संघर्ष से प्रभावित देश: म्याँमार, अफगानिस्तान, यूक्रेन, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, सोमालिया, हैती, सीरिया और आर्मेनिया उन देशों में से थे, जहाँ संघर्ष और हिंसा ने लोगों को अन्यत्र सुरक्षा की तलाश करने के लिए मजबूर किया था।
  • शरणार्थी और प्रवासी गंतव्य: रिपोर्ट में बताया गया है कि 75% शरणार्थी एवं प्रवासी निम्न तथा मध्यम आय वाले देशों की ओर जा रहे हैं, यह प्रक्रिया इस धारणा का खंडन करती है कि अधिकांश विस्थापित लोग अमीर देशों की ओर पलायन कर रहे हैं।
  • शरण हेतु आवेदनों के लिए शीर्ष देश: हालाँकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी नए शरणार्थी आवेदनों में से आधे आवेदन केवल पाँच देशों में प्राप्त हुए थे, जिनमें से अधिकांश 1.2 मिलियन के साथ अमेरिका में किए गए थे। 
    • इसके बाद 3,29,100 के साथ जर्मनी, उसके बाद मिस्र, स्पेन एवं कनाडा का स्थान है।

जबरन विस्थापन (Forced Displacement) के बारे में

  • जबरन विस्थापन: जबरन विस्थापन तब होता है, जब व्यक्तियों एवं समुदायों को सशस्त्र संघर्ष, सामान्य हिंसा, मानवाधिकारों का हनन, प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं और/या विकास परियोजनाओं जैसी घटनाओं अथवा स्थितियों के प्रभाव से बचने के लिए अपने घरों या निवास स्थान को छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है।  

जबरन विस्थापन के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय कानून 

  • जबरन विस्थापन के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय कानून: अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून के अनुसार, संघर्ष के पक्षकारों को नागरिक आबादी को शत्रुता के प्रभाव से जितना संभव हो सके बचाना होगा एवं अपनी शक्ति में सभी नागरिकों के साथ मानवीय व्यवहार करना होगा।
  • निषेध: कानून संघर्षरत पक्षों को नागरिकों को जबरन विस्थापित करने से सख्ती से रोकता है, जब तक कि उनकी सुरक्षा या बाध्यकारी सैन्य कारणों के लिए बिल्कुल आवश्यक न हो। 
    • इसमें कहा गया है कि विस्थापित व्यक्तियों को इन कारणों के समाप्त हो जाने पर स्वेच्छा से एवं सुरक्षित रूप से लौटने का अधिकार होना चाहिए।

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