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विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (Foreign Contribution (Regulation) Act)

Samsul Ansari January 25, 2024 05:56 192 0

संदर्भ

हाल ही में, भारत सरकार द्वारा सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) का विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) लाइसेंस को रद्द कर दिया गया है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम की आवश्यकता, चुनौतियाँ तथा आगे की राह।

FCRA के बारे में

  • विनियमन के क्षेत्र : यह अधिनियम राष्ट्रीय हित को नुकसान पहुँचाने वाली किसी भी गतिविधि को, कुछ संस्थाओं द्वारा स्वीकृत विदेशी योगदान और उसके उपयोग को नियंत्रित तथा प्रतिबंधित करता है।
  • उद्भव : इस अधिनियम को वर्ष 1976 में आपातकाल के दौरान इस आशंका के मध्य लाया गया था कि विदेशी शक्तियाँ उस समय स्वतंत्र संगठनों के माध्यम से देश में पैसा लगाकर भारत के मामलों में हस्तक्षेप कर रही थीं।
  • स्वीकृत अनुमोदन की अवधि: FCRA पंजीकरण पाँच वर्षों के लिए वैध होता है।

लाइसेंस निरस्तीकरण का आधार

  • आवेदन में दिया गया झूठा बयान
  • NGO द्वारा हुए किसी भी नियम और शर्तों के उल्लंघन के सिद्ध होने की स्थिति में 
  • NGO द्वारा समाज के लाभ हेतु उसके द्वारा चयनित क्षेत्र में लगातार दो वर्षों तक किसी उचित गतिविधि में संलग्न नहीं होने की स्थिति में 
  • NGO के निष्क्रिय होने पर

लाइसेंस निरस्तीकरण के अन्य कारण: केंद्र सरकार की राय में यदि वह सार्वजनिक हित के लिए जरूरी हो और यदि ऑडिट में फंड के दुरुपयोग के संदर्भ में एनजीओ वित्त में अगर अनियमितताएँ पाई जाती हैं, तब लाइसेंस निरस्तीकरण का आधार निर्मित होता है।

निराकरण : सभी सरकारी आदेशों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।

FCRA में संशोधन

  • एफसीआरए संशोधन 2010: विदेशी धन के उपयोग के संबंध में कानून को मजबूत करने और राष्ट्रीय हित को क्षति पहुँचाने वाली किसी भी गतिविधि हेतु उस धन के उपयोग पर रोक लगाने के लिए इसे अधिनियमित किया गया था।
  • एफसीआरए संशोधन 2020: इस अधिनियम द्वारा पूर्ववर्ती कानून में फिर से संशोधन किया गया जिसके पश्चात् सरकार को गैर-सरकारी संगठनों द्वारा विदेशी धन की प्राप्ति और उसके उपयोग पर नियंत्रण तथा जाँच का अधिकार प्राप्त हुआ।
  • विदेशी अंशदान (विनियमन) (संशोधन) नियम, 2022: इस अधिनियम के तहत समझौता योग्य अपराधों की संख्या 7 से बढ़ाकर 12 कर दी गई।

अन्य प्रमुख परिवर्तन

NGO को 10 लाख रुपये से कम के योगदान पर सरकार को सूचना देने से छूट दी गई, पहले यह सीमा 1 लाख रुपये थी ।

बैंक खाता खोलने की सूचना देने की समय सीमा में वृद्धि।

FCRA की आवश्यकता

  • राष्ट्रीय हित और सुरक्षा: कानून द्वारा व्यक्तियों और संस्थाओं को प्राप्त विदेशी दान को विनियमित करने की माँग की गई थी ताकि वे एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य के मूल्यों के साथ कार्य कर सकें।
  • विदेशी फंडिंग का विनियमन: FCRA ऐसे फंड के उपयोग में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए विदेशी योगदान को विनियमित करने हेतु एक कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
  • मनी लॉन्ड्रिंग और गैर-कानूनी गतिविधियों की रोकथाम: FCRA भारतीय कानून के तहत निषिद्ध या गैर-कानूनी गतिविधियों में विदेशी धन के उपयोग को रोकने में मदद करता है।
  • वैध उद्देश्यों की सुनिश्चितता : इस अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों द्वारा यह सुनिश्चित करने की कोशिश की गई थी कि विदेशी योगदान का उपयोग भारत के लोगों की भलाई हेतु सामाजिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक आदि जैसे वैध उद्देश्यों के लिए किया जा सके।

एफसीआरए से जुड़ी चिंताएँ

  • अंतरराष्ट्रीय कानून के साथ तारतम्यता का अभाव: इंटरनेशनल कमीशन ऑफ जूरिस्ट (ICJ) ने भारत द्वारा भारतीय विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन अधिनियम 2020 लाए  जाने पर निंदा की थी।
  • नागरिक स्वतंत्रता का क्षरण: राष्ट्रमंडल मानवाधिकार पहल और ऑक्सफैम इंडिया का निलंबन इस संदेह को जन्म देता है कि देश के स्वतंत्र मूल्यांकन जैसे कार्यों को समर्थन नहीं दिया जाता है।
  • NGO को लक्षित करना : पिछले सात वर्षों में सरकार द्वारा 16,700 से अधिक एनजीओ का पंजीकरण रद्द कर दिए जाने के कारण, सरकार पर एनजीओ को लक्षित करने का आरोप लग रहा है।
  • कठोर नियम: FRCA अधिनियम के तहत विदेशी फंडिंग प्राप्त करने वाले गैर-सरकारी संगठनों पर जटिल और कड़े विनियम लागू किए जाते है, लेकिन इसमें समय भी लग सकता है।
  • दुरुपयोग की संभावना: राज्य द्वारा FCRA का उपयोग उन संगठनों के दमन के लिए एक उपकरण के रूप में किया जा सकता है, जिनकी गतिविधियाँ पर्यावरण संबंधी चिंताओं, नागरिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों जैसे उसके लक्ष्यों से अलग पाई गई हैं।
  • अस्पष्ट और व्यक्तिपरक व्याख्या: कुछ गैर-सरकारी संगठनों द्वारा FCRA के कुछ प्रावधानों की अस्पष्ट और व्यक्तिपरक भाषा के बारे में चिंता व्यक्त की गई है।

आगे की राह

  • FCRA के अनुदान और निलंबन के संबंध में पारदर्शिता सुनिश्चित करना: ये पारदर्शी प्रक्रियाएंँ लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखती हैं और संगठनात्मक अखंडता की रक्षा भी करती हैं।
  • FCRA प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना: दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को केंद्र से मंजूरी मिलने के 10 दिनों के भीतर गैर-सरकारी संगठनों के लिए तुरंत FCRA खाते खोलने का आदेश दिया गया।
  • प्राधिकारियों के साथ समन्वय: FCRA लाइसेंस निरस्तीकरण की आवश्यकताओं और संबंधित चिंताओं को समझने के लिए प्राधिकारियों के साथ समन्वय आवश्यक है। रचनात्मक संवाद समाधान और स्पष्टीकरण के अवसर प्रदान कर सकता है।
  • फंडिंग चैनलों में विविधता का प्रयास : गैर-सरकारी संगठनों को भारत के अंदर सरकारी पहलों द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त करके विदेशी फंडों पर निर्भरता कम करनी चाहिए।
  • विश्वसनीय NGO को बढ़ावा : एफसीआरए लाइसेंस के बढ़ते निरस्तीकरण के साथ-साथ  एनजीओ के प्रति अविश्वास भी बढ़ रहा है। लेकिन कड़ी मेहनत करने वाले गैर-सरकारी संगठनों को पहचानने, बढ़ावा देने और यहाँ तक ​​कि उन्हें पुरस्कृत करने की भी आवश्यकता है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न : सेंटर फॉर पालिसी रिसर्च के लाइसेंस के निरस्तीकरण के मद्देनजर भारत की विदेशी अंशदान(विनियमन)अधिनियम की अनिवार्यता के साथ-साथ इसकी कमियों को भी रेखांकित कीजिए।

News Source: The Hindu

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