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विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन नियम, 2025

Lokesh Pal May 30, 2025 03:10 23 0

संदर्भ

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने FCRA अधिनियम, 2010 की धारा 48 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन नियम, 2025 के माध्यम से विदेशी अंशदान (विनियमन) नियम, 2011 में संशोधन को अधिसूचित किया है।

FCRA अधिनियम, 2010 की धारा 48: केंद्र सरकार की नियम बनाने की शक्ति

  • केंद्र सरकार को आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा नियम बनाने का अधिकार देता है।
  • FCRA अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए नियम बनाए जाते हैं।
  • इसमें प्रक्रियाएँ, प्रपत्र और दस्तावेज निर्धारित करने की शक्ति शामिल है।
  • विनियामक आवश्यकताओं को अद्यतन करने के लिए प्रशासनिक लचीलापन सुनिश्चित करता है।
  • नियम अधिनियम के मुख्य प्रावधानों के अनुरूप होने चाहिए।

आवेदकों के लिए नए FCRA दिशा-निर्देश वित्तीय दस्तावेज

  • FCRA पंजीकरण या नवीनीकरण चाहने वाले गैर-सरकारी संगठनों और संघों को अब पिछले तीन वित्तीय वर्षों के लेखापरीक्षित वित्तीय विवरण और रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
    • इन दस्तावेजों में निम्नलिखित शामिल होने चाहिए:
      • परिसंपत्तियों और देनदारियों का विवरण।
      • प्राप्तियाँ और भुगतान खाता।
      • आय और व्यय खाता।
  • CA प्रमाणन: यदि वित्तीय विवरणों में गतिविधि-वार व्यय शामिल नहीं है, तो चार्टर्ड अकाउंटेंट से प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा।
    • इस प्रमाण-पत्र में गतिविधि-वार व्यय की गई राशि को निर्दिष्ट करना होगा, जिसे आय और व्यय तथा प्राप्तियों और भुगतान खातों के साथ मिलान किया जाना चाहिए।
  • गतिविधि रिपोर्ट: आवेदकों को पिछले तीन वर्षों की वर्ष-वार गतिविधि रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
  • पूँजी निवेश प्रकटीकरण: यदि NGO के लक्ष्यों एवं उद्देश्यों पर व्यय पिछले तीन वर्षों में ₹15 लाख से कम है, तो व्यय में पूँजी निवेश को शामिल करने को स्पष्ट करते हुए एक हलफनामा प्रस्तुत करना होगा।
  • पहले से पंजीकृत NGO के लिए हलफनामा: वे NGO जो पहले FCRA के तहत पंजीकृत थे और जिनका प्रमाण-पत्र समाप्त हो गया है या रद्द कर दिया गया है, उन्हें गैर-पंजीकरण अवधि के दौरान विदेशी योगदान की प्राप्ति और उपयोग का विवरण देते हुए एक हलफनामा प्रस्तुत करना होगा।
  • FATF दिशा-निर्देशों का पालन: पंजीकरण या नवीनीकरण प्रक्रिया के हिस्से के रूप में सभी आवेदकों को वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध रहना होगा।

गैर-सरकारी संगठनों पर प्रतिबंध

  • समाचार सामग्री प्रकाशित करने पर प्रतिबंध: विदेशी निधि प्राप्त करने वाले तथा प्रकाशन संबंधी गतिविधियों में शामिल NGO को समाचार सामग्री प्रकाशित करने से प्रतिबंधित किया गया है।
    • उन्हें भारत के समाचार-पत्रों के रजिस्ट्रार से एक प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा, जिसमें पुष्टि की गई हो कि वे कोई समाचार सामग्री प्रसारित नहीं करते हैं।
  • प्रकाशन उद्देश्यों के साथ वचनबद्धता: यदि किसी NGO के एसोसिएशन के ज्ञापन या ट्रस्ट डीड (Trust Deed) में प्रकाशन को उसके उद्देश्यों में से एक के रूप में शामिल किया गया है, तो मुख्य पदाधिकारी को FCRA, 2010 के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए वचनबद्धता प्रस्तुत करनी होगी।

प्रेस स्वतंत्रता और नागरिक समाज विनियमन पर प्रभाव

  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश: संशोधन प्रभावी रूप से विदेशी धन प्राप्त करने वाले गैर-सरकारी संगठनों को किसी भी पत्रकारिता या समाचार-प्रकाशन गतिविधि में संलग्न होने से रोकता है, भले ही वे उनके घोषित उद्देश्यों के अनुरूप हों।
    • यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए एक महत्त्वपूर्ण विनियामक बाधा उत्पन्न करता है, विशेष रूप से मानवाधिकार, पारदर्शिता या जाँच कार्य में शामिल गैर-सरकारी संगठनों के लिए।
  • विनियामक बोझ में वृद्धि: नए नियम अधिक जटिल प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं को प्रस्तुत करते हैं, जिसमें विस्तृत वित्तीय समाधान और कई हलफनामे शामिल हैं।
    • यह छोटे गैर-सरकारी संगठनों को FCRA पंजीकरण की माँग करने या जारी रखने से हतोत्साहित कर सकता है।
  • NGO की प्रभावशीलता पर प्रभाव: FATF दिशा-निर्देशों, प्रकाशन प्रतिबंधों और सख्त दस्तावेजीकरण के अनुपालन का संयोजन नागरिक समाज संगठनों पर एक भयावह प्रभाव उत्पन्न कर सकता है, संभावित रूप से असहमति को दबा सकता है और विदेशी-वित्तपोषित विकास या वकालत के प्रयासों को सीमित कर सकता है।

आगे की राह 

  • संतुलित विनियमन: यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि विनियमन NGO के संचालन और अभिव्यक्ति को अत्यधिक प्रतिबंधित किए बिना राष्ट्रीय हितों की रक्षा करें।
  • स्पष्ट परिभाषाएँ: अस्पष्टता से बचने और FCRA पंजीकरण के मनमाने तरीके से अस्वीकृतियों को रोकने के लिए ‘न्यूज कंटेंट’ को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना।
  • शिकायत निवारण तंत्र: FCRA से संबंधित अस्वीकृतियों का सामना करने वाले गैर सरकारी संगठनों के लिए एक स्वतंत्र अपीलीय तंत्र स्थापित करना।
  • वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यास: अमेरिका में, गैर-सरकारी संगठनों को पहले संशोधन के तहत मजबूत सुरक्षा प्राप्त है। यू. के. एवं यूरोपियन यूनियन गैर-सरकारी संगठनों को पारदर्शिता मानदंडों के साथ लेकिन सामग्री प्रतिबंधों के बिना सामग्री प्रकाशित करने की अनुमति देते हैं, जिससे मुक्त भाषण और सुरक्षा में संतुलन बना रहता है।

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