भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, 24 नवंबर को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.538 बिलियन डॉलर बढ़कर 597.935 बिलियन डॉलर हो गया।
संबंधित तथ्य
हाल ही में 20 अक्टूबर को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 583.5 बिलियन डॉलर के निचले स्तर पर पहुँच गया, लेकिन 24 नवंबर को फिर से थोड़ा बढ़कर 597.9 बिलियन डॉलर हो गया।
10-वर्षीय अमेरिकी सरकारी बांड पर रिटर्न नवंबर में गिर गया और अब लगभग 4.2% है। रिटर्न में गिरावट ने FIIs को भारत में पैसा वापस लाने के लिए प्रोत्साहित किया है।
इसलिये देश में फिर से FII डॉलर आने से RBI को रुपये की रक्षा के लिए अपने डॉलर भंडार को निकालने की आवश्यकता नहीं है। यही कारण है कि विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 598 बिलियन डॉलर के करीब पहुँच गया है।
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ (FCAs):
विदेशी मुद्रा संपत्ति (FCA): इन्हें अमेरिकी डॉलर, यूरो, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर जैसी मुद्राओं में रखा जाता है।
इसे डॉलर के रूप में व्यक्त किया जाता है।
विशेष आहरण अधिकार (SDRs)
विशेष आहरण अधिकार (SDRs) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ((IMF) द्वारा परिभाषित और अनुरक्षित पूरक विदेशी मुद्रा आरक्षित परिसंपत्तियाँ हैं।
SDR एक मुद्रा नहीं है, बल्कि IMF सदस्य देशों द्वारा रखी गई मुद्रा के दावे का प्रतिनिधित्व करता है जिसके लिए उनका आदान-प्रदान किया जा सकता है।
IMF में आरक्षित स्थिति
आरक्षित स्थिति अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के सदस्य देश के कोटा का एक खंड है जो बिना शुल्क या आर्थिक सुधार शर्तों के उपलब्ध है।
विदेशी मुद्रा भंडार:
विदेशी मुद्रा भंडार देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा रखी गई विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ हैं।
संघटक: इनमें विदेशी मुद्राएँ, बॉण्ड, ट्रेज़री बिल और अन्य सरकारी प्रतिभूतियाँ शामिल हो सकती हैं।
उद्देश्य: अंतर्राष्ट्रीय भुगतान करना और विनिमय दर जोखिमों से बचाव करना।
भंडार को अमेरिकी डॉलर में दर्शाया और व्यक्त किया जाता है।
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