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केंद्र सरकार द्वारा समलैंगिक समुदाय के मुद्दों पर समिति का गठन

Lokesh Pal April 18, 2024 06:00 228 0

संदर्भ 

केंद्र सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप समलैंगिक समुदाय से संबंधित विभिन्न मुद्दों की जाँच के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति को गठित करने हेतु अधिसूचना जारी की गई है।

संबंधित तथ्य

  • समिति का गठन: ध्यातव्य है कि इससे पूर्व उच्चतम न्यायालय द्वारा केंद्र के मत पर सहमति व्यक्त करते हुए समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार करने के बाद केंद्र सरकार ने समलैंगिक जोड़ों को एक ‘सिविल यूनियन’ (विवाह के समान एक कानूनी व्यवस्था) में प्रदान किए जाने वाले अधिकारों को निर्धारित करने हेतु एक समिति गठित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी।
  • संरचना: केंद्र सरकार ने कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति अधिसूचित की है।
    • इस समिति में केंद्रीय गृह मंत्रालय, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय व केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्रालय के सचिव शामिल होंगे।
  • उद्देश्य: यह समिति समलैंगिक जोड़ों को मिलने वाले लाभ का दायरा निर्धारित करेगी।

उच्चतम न्यायलय का निर्णय 

  • विवाह का मौलिक अधिकार: 17 अक्टूबर, 2023 को, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली उच्चतम न्यायालय की पाँच-न्यायाधीशों की एक संवैधानिक पीठ ने समलैंगिक जोड़ों के लिए शादी के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देने से इनकार कर दिया।
  • उच्चतम न्यायालय की पीठ का अल्पमत: हालाँकि उच्चतम न्यायालय की इस पीठ में अल्पमत में रहे सदस्यों ने विवाह का अधिकार न देते हुए समलैंगिक जोड़ों को कानूनी अधिकार देने के लिए ‘सिविल यूनियन’ (Civil Union) के पक्ष में फैसला सुनाया।
  • विवाह पर उच्चतम न्यायालय का दृष्टिकोण: उच्चतम न्यायालय के अनुसार, हालाँकि विवाह स्वयं में युगल को कोई अधिकार नहीं देता है, परंतु यह कुछ “अर्थपूर्ण बढ़त के रूप में अमूर्त लाभ” और “अधिकारों की एक शृंखला” प्रदान करता है जिसका उपयोग एक विवाहित जोड़ा कर सकता है।
  • समलैंगित जोड़ों के लिए सिविल यूनियन:  ‘सिविल यूनियन’ (Civil Union) उस कानूनी स्थिति को संदर्भित करता है, जिसके तहत समलैंगिक जोड़ों को वे विशिष्ट अधिकार एवं उत्तरदायित्व प्रदान किए जाते हैं, जो आम तौर पर विवाहित जोड़ों को प्राप्त होते हैं।
    • उच्चतम न्यायालय ने समलैंगिक जोड़ों के लिए सिविल यूनियन का विकल्प निर्धारित करने पर असहमति जताई और राज्य से उन लोगों के लिए चयन की सुविधा प्रदान करने की वकालत की, जो इसका प्रयोग करना चाहते हैं।

गठित समिति का अधिदेश

  • समलैंगिक जोड़ों के अधिकारों को परिभाषित करना: समिति का गठन उन समलैंगिक जोड़ों के अधिकारों के दायरे को परिभाषित करने और स्पष्ट करने के उद्देश्य से किया जाएगा जो साथ में हैं।
  • सदस्य: समिति में समलैंगिक समुदाय के व्यक्तियों के साथ-साथ समलैंगिक लोगों की सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक जरूरतों से निपटने में संबंधित क्षेत्र का ज्ञान एवं अनुभव रखने वाले विशेषज्ञ शामिल होंगे।
  • हितधारको से परामर्श: समिति अपने निर्णयों को अंतिम रूप देने से पहले समलैंगिक समुदाय से संबंधित व्यक्तियों के बीच व्यापक हितधारक परामर्श करेगी, जिसमें हाशिए पर रहने वाले समूहों से संबंधित व्यक्ति और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारें शामिल हैं।
  • विचार के लिए मुख्य मुद्दे: समिति समलैंगिक समुदाय के निम्नलिखित कानूनी अधिकारों पर विचार करेगी:
    • राशन कार्ड और संयुक्त बैंक खाता खोलने के लिए समलैंगिक जोड़ों को एक ही परिवार का हिस्सा मानने का अधिकार।
    • समलैंगिक समुदाय से संबंधित किसी असाध्य रूप से बीमार मरीज द्वारा अग्रिम निर्देश या सूचना के अभाव में चिकित्सकों द्वारा उसके पार्टनर या साथी को ‘निकटतम परिजन’ (Next of kin) माने जाने का अधिकार।
    • जेल में मुलाकात का अधिकार और मृत साथी के शरीर को सुपुर्द किए जाने तथा अंतिम संस्कार की व्यवस्था करने का अधिकार।
    • अन्य कानूनी अधिकार जैसे उत्तराधिकार अधिकार, भरण-पोषण, आयकर अधिनियम 1961 के तहत वित्तीय लाभ, रोजगार से मिलने वाले अधिकार जैसे ग्रेच्युटी और पारिवारिक पेंशन एवं बीमा।

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