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छठे महासागर का निर्माण: कैसे और कहाँ?

Lokesh Pal April 02, 2024 06:26 211 0

संदर्भ

भू-वैज्ञानिकों के अनुसार, अफ्रीकी महाद्वीप वर्तमान में एक दुर्लभ भू-वैज्ञानिक घटना का अनुभव कर रहा है, जिससे 5 से 10 मिलियन वर्षों में एक नए महासागर का निर्माण हो सकता है।

अफार त्रिभुज (Afar Triangle) के बारे में

  • अफार त्रिभुज का भू-विज्ञान: अफार त्रिभुज एक भू-वैज्ञानिक निक्षेप है, जहाँ तीन टेक्टॉनिक प्लेटें [न्युबियन (Nubian), सोमाली (Somali) एवं अरेबियन प्लेटें (Arabian Plates)] आपस में मिलती हैं।
  • पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट प्रणाली (East African Rift system) का हिस्सा: यह क्षेत्र पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट प्रणाली का हिस्सा है, जो अफार क्षेत्र से लेकर पूर्वी अफ्रीका तक फैला हुआ है।
  • अफार त्रिभुज में भ्रंश पड़ने की प्रक्रिया: यहाँ होने वाली भ्रंशन प्रक्रिया टेक्टॉनिक प्लेटों के धीरे-धीरे अलग होने का परिणाम है, यह एक ऐसी घटना है, जो लाखों वर्षों से घटित हो रही है।
  • पेलियोन्टोलॉजिकल महत्त्व (Paleontological Significance): इस क्षेत्र में सबसे पुराने होमिनिन (Hominins) के जीवाश्म नमूनों के बारे में जानकारी मिली है; यह मानव समूह का सबसे प्रारंभिक भाग है एवं कुछ जीवाश्म विज्ञानियों का मानना ​​है कि यह मानव के विकास का उद्गम स्थल हो सकता है।

संबंधित तथ्य

  • प्रयोग के बारे में: वैज्ञानिकों ने बोत्सवाना के एक हीरे का विश्लेषण किया, जो पृथ्वी की सतह से 660 किलोमीटर नीचे संक्रमण क्षेत्र और निचले मेंटल के बीच इंटरफेस पर निर्मित हुआ था।
    • इससे पुष्टि हुई कि संक्रमण क्षेत्र सूखा नहीं है, बल्कि इसमें काफी मात्रा में जल पाया जाता है।
  • अफार त्रिभुज में संभावित महासागर निर्माण: भू-वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 5 से 10 मिलियन वर्षों में, टेक्टॉनिक संचलन अंततः अफ्रीकी महाद्वीप को दो भागों में विभाजित कर देगा, जिससे एक नए महासागर बेसिन का निर्माण हो जाएगा।
    • यह प्रक्रिया अफार त्रिभुज में हो रही है, जिसे ‘अफार अवदाब’ (Afar Depression) के रूप में भी जाना जाता है, जो हॉर्न ऑफ अफ्रीका (Horn of Africa) में अवस्थित है।
  • पूर्वी अफ्रीका में टेक्टॉनिक प्लेट का क्रमिक पृथक्करण: इस दुर्लभ भू-वैज्ञानिक घटना में टेक्टॉनिक प्लेटों का क्रमिक पृथक्करण शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप पूर्वी अफ्रीका में एक अलग महाद्वीप का निर्माण हुआ।
  • क्षेत्र में ज्वालामुखी विस्फोटों की उपस्थिति, विशेष रूप से एर्टा एले (Erta Ale) ज्वालामुखी में, टेक्टॉनिक बदलाव से संबंधित अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, जो मध्य-महासागर पर्वतमाला के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
  • अफार क्षेत्र में बाढ़: यह नया जल भंडार अफार क्षेत्र एवं पूर्वी अफ्रीकी दरार घाटी में लाल सागर तथा अदन की खाड़ी में आने वाली बाढ़ का परिणाम हो सकता है।
    • परिणामस्वरूप, पूर्वी अफ्रीका का यह हिस्सा अपने अलग महाद्वीप के रूप में विकसित होगा।

छठा महासागर (Sixth Ocean)

  • स्थान: शोधकर्ताओं के अनुसार, पृथ्वी के ऊपरी (भूरा) और निचली मेंटल (नारंगी) के बीच के संक्रमण क्षेत्र में चट्टान में काफी मात्रा में जल भंडार मौजूद है।
  • एकत्र किए गए साक्ष्य संक्रमण क्षेत्र (Transition Zone- TZ) में जल का संकेत प्रदान करते हैं, वह सीमा परत, जो पृथ्वी की ऊपरी मेंटल और निचली मेंटल को अलग करती है।
    • सीमा परत 410 से 660 किलोमीटर की गहराई पर अवस्थित है, जहाँ 23,000 बार तक के अत्यधिक दबाव के कारण ओलिव-ग्रीन मिनरल ओलिविन (Olive-Green Mineral Olivine) अपनी क्रिस्टलीय संरचना को बदल देता है।

रिफ्टिंग प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक

  • पूर्वी अफ्रीका के नीचे मेंटल प्लूम (Mantle Plume) का उभार: पूर्वी अफ्रीका के नीचे मेंटल से अत्यधिक गर्म चट्टानों का एक विशाल प्लूम का उभार हो रहा है।
    • यह प्लूम ऊपरी परत पर दबाव डाल सकता है, जिससे इसमें खिंचाव हो सकता है एवं टूट सकता है।

पृथ्वी पर महासागर 

  • अटलांटिक महासागर
  • प्रशांत महासागर
  • हिंद महासागर 
  • आर्कटिक महासागर 
  • दक्षिणी महासागर

रिफ्टिंग (Rifting) 

  • रिफ्टिंग को एक टेक्टॉनिक प्लेट के दो या दो से अधिक टेक्टॉनिक प्लेटों में विभाजित होने के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो अलग-अलग प्लेट सीमाओं से अलग होती हैं। 
  • महाद्वीपीय टेक्टॉनिक प्लेट के खिसकने से सामान्य भ्रंश घाटियाँ, छोटे झुके हुए ब्लॉक पर्वत एवं ज्वालामुखी का निर्माण होता है।

निष्कर्षों का महत्त्व

  • पृथ्वी की गतिशील प्रकृति: अफ्रीका में छठे महासागर का संभावित गठन पृथ्वी की निरंतर गतिशील प्रकृति को संदर्भित करता है।
    • एक नए महासागर का निर्माण एक ऐसी प्रक्रिया है, जो लाखों वर्षों तक चलती है एवं इसकी शुरुआत के साक्ष्य पृथ्वी के गतिशील विकास तथा हजारों वर्षों में इसके परिदृश्य के संभावित परिवर्तन में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
  • पृथ्वी गतिशीलता अवधारणा (Earth Dynamism Concept) की पृष्ठभूमि: वर्ष 2005 में, एक महत्त्वपूर्ण घटना ने इस क्रमिक प्रक्रिया पर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया।
    • इथियोपियाई रेगिस्तान में 35 मील लंबी रिफ्ट या दरार दिखाई दी, जो अफ्रीकी महाद्वीप में हो रहे भू-गर्भिक विभाजन का संकेत देती है। यह रिफ्ट प्रक्रिया की दृश्य सतह अभिव्यक्ति के रूप में कार्य करती है।
    • इस रिफ्ट का उद्भव पृथ्वी की गहराई में टेक्टॉनिक बलों के ‘सरफेस एक्सप्रेशन’ (Surface Expression) को दर्शाता है, क्योंकि सोमाली प्लेट धीरे-धीरे न्युबियन प्लेट से अलग होती जा रही है, जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी की परत में खिंचाव हो रहा है एवं परत के घनत्व में कमी आती जा रही है।
  • महासागर निर्माण के चरणों का अध्ययन करने का अवसर: एक नए महासागर का निर्माण एक जटिल एवं लंबी प्रक्रिया है, जिसमें महाद्वीपीय विघटन से लेकर मध्य महासागरीय कटक के विकास तक दरार के विभिन्न चरण शामिल होते हैं।
    • पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट वैज्ञानिकों को इन चरणों का अध्ययन करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है।
  • भविष्य के महाद्वीप एवं महासागर विन्यास के लिए निहितार्थ: यह पृथ्वी की भू-वैज्ञानिक प्रक्रियाओं को समझने के महत्त्व पर प्रकाश डालता है, क्योंकि महाद्वीपों एवं महासागरों के भविष्य के विन्यास पर उनका गहरा प्रभाव पड़ता है।

टेक्टॉनिक प्लेटें 

टेक्टॉनिक प्लेटें स्थिर नहीं होती हैं बल्कि एस्थेनोस्फीयर के ऊपर कठोर इकाइयों के रूप में लगातार क्षैतिज रूप से घूमती रहती हैं। कभी-कभी ये प्लेटें टकराती हैं, अलग हो जाती हैं, या एक-दूसरे के बगल में खिसक जाती हैं जिससे भूकंप या ज्वालामुखी विस्फोट होता है।

प्रमुख प्लेटें

  • अंटार्कटिका एवं उसके निकटवर्ती समुद्री प्लेट (Antarctica and its adjacent Oceanic Plate)
  • उत्तरी अमेरिकी प्लेट (North American plate) (पश्चिमी अटलांटिक तल के एक हिस्से के साथ, कैरेबियाई द्वीपों के साथ दक्षिण अमेरिकी प्लेट से अलग होती है।)
  • दक्षिण अमेरिकी प्लेट (South American Plate) (कैरेबियाई द्वीपों के साथ उत्तरी अमेरिकी प्लेट से अलग होती है।)
  • प्रशांत प्लेट (Pacific Plate)
  • भारत-ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड प्लेट (India-Australia-New Zealand Plate)
  • अफ्रीकी प्लेट (African Plate) (पूर्वी अटलांटिक तल सहित)
  • यूरेशिया प्लेट (Eurasia Plate), इसके पड़ोसी समुद्री भाग के साथ।

कुछ अन्य छोटी प्लेटें

  • काॅकाॅस प्लेट (Cocos Plate) : मध्य अमेरिका एवं प्रशांत प्लेट के बीच अवस्थित है।
  • नजका  प्लेट (Nazca Plate): दक्षिण अमेरिका एवं प्रशांत प्लेट के बीच अवस्थित है।
  • अरेबियन प्लेट (Arabian Plate): मुख्य रूप से सऊदी अरब का भू-भाग अवस्थित है।
  • फिलीपीन प्लेट (Philippine Plate): एशियाई एवं प्रशांत प्लेट के बीच अवस्थित है।
  • कैरोलीन प्लेट: फिलीपीन तथा भारतीय प्लेट (न्यू गिनी के उत्तर) के बीच अवस्थित है।
  • फूजी प्लेट (Fuji Plate): ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्व में अवस्थित है।

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