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प्रधानमंत्री गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के चार वर्ष

Lokesh Pal October 14, 2025 03:15 20 0

संदर्भ

एकीकृत, मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए 13 अक्टूबर, 2021 को प्रारंभ की गई पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान योजना  ने चार वर्ष पूरे कर लिए हैं।

पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (PMGS-NMP) के बारे में

  • विषय: यह एक डिजिटल, GIS-आधारित प्लेटफॉर्म है जो 57 केंद्रीय मंत्रालयों और 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में बुनियादी ढाँचे की योजना को एकीकृत करता है।
  • भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग एवं भू-सूचना विज्ञान संस्थान (BISAG-N) द्वारा विकसित, यह रियल-टाइम डेटा साझाकरण, परियोजना मानचित्रण और मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी को सक्षम बनाता है।
  • उद्देश्य: व्यापार को सुगम बनाना, व्यवधानों को कम करना और लागत दक्षता के साथ कार्यों को शीघ्र पूरा करना।
  • PMGS-NMP को संचालित करने वाले प्रमुख इंजन: सात प्राथमिक इंजन, जो मिलकर आर्थिक विकास, रोजगार और व्यापार प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देते हैं:-
    • रेलवे: समर्पित माल ढुलाई गलियारे, स्टेशन पुनर्विकास और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क।
    • सड़क परिवहन और राजमार्ग: भारतमाला गलियारे, एक्सप्रेसवे और आर्थिक केंद्रों का अंतर्संबंध।

    • बंदरगाह और जलमार्ग: सागरमाला, अंतर्देशीय जलमार्ग, तटीय कार्गो केंद्र और बंदरगाह-रेल संपर्क।
    • हवाई अड्डे और नागरिक उड्डयन: उड़ान क्षेत्रीय संपर्क, कार्गो टर्मिनल और लॉजिस्टिक्स हवाई अड्डे।
    • व्यापक शहरी परिवहन: मेट्रो, क्षेत्रीय तीव्र परिवहन प्रणाली और शहरी दक्षता के लिए शहरी लॉजिस्टिक्स एकीकरण।
    • लॉजिस्टिक्स अवसंरचना: मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP), वेयरहाउसिंग जोन और अंतर्देशीय कंटेनर डिपो।
    • ऊर्जा संचरण और संचार (सहायक इंजन): विद्युत, IT और दूरसंचार गलियारे डिजिटल और ऊर्जा संपर्क सुनिश्चित करते हैं।
  • PMGS-NMP की विशेषताएँ
    • क्लाउड-आधारित एवं सुरक्षित: ओपन-सोर्स तकनीक पर निर्मित और मेघराज (सरकारी क्लाउड) पर होस्ट किया गया।

    • डेटा-संचालित निर्णय-निर्माण: व्यवहार्यता का मूल्यांकन करने और पर्यावरणीय एवं सामाजिक बाधाओं को न्यूनतम करने के लिए इसरो इमेजरी, रियल-टाइम उपग्रह डेटा और IoT इनपुट का उपयोग करता है।
    • अंतर-मंत्रालयी समन्वय: नेटवर्क योजना समूह (NPG) विभिन्न क्षेत्रों के बीच समन्वय सुनिश्चित करता है और अनावश्यक निवेश से बचाता है।
    • यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP): 10 मंत्रालयों की 33 से अधिक लॉजिस्टिक्स IT प्रणालियों को एकीकृत करता है, 930 से अधिक निजी कंपनियाँ इसमें शामिल हैं।
    • प्रमुख कार्यक्रमों का एकीकरण: भारतमाला, सागरमाला, उड़ान, अंतर्देशीय जलमार्ग, आर्थिक गलियारे और औद्योगिक समूहों को एक डिजिटल अंब्रेला के अंतर्गत एकीकृत करता है।
    • जिला-स्तरीय विकेंद्रीकरण: स्थानिक रूप से सूचित, स्थानीय स्तर की विकास योजना के लिए ‘डिस्ट्रिक्ट मास्टर प्लान’ (DMP) शुरू किया गया।

नेटवर्क योजना समूह (Network Planning Group-NPG)

यह पीएम गतिशक्ति के तहत एक अंतर-मंत्रालयी निकाय है, जो मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी, अंतिम लक्ष्य एकीकरण और सभी क्षेत्रों में समन्वित कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का मूल्यांकन और समन्वय करता है।

  • नोडल मंत्रालय: उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (भारत सरकार)।
  • संरचना: प्रमुख अवसंरचना मंत्रालयों (रेलवे, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, बंदरगाह एवं जहाजरानी, ​​नागरिक उड्डयन, विद्युत, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, तथा दूरसंचार) के वरिष्ठ प्रतिनिधि।

पीएम गतिशक्ति की प्रमुख उपलब्धियाँ

  • विभिन्न सरकारी एजेंसियों को एकीकृत करना: 57 केंद्रीय मंत्रालय/विभाग, 36 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश ऑनबोर्ड किए गए, राष्ट्रीय मास्टर प्लान (National Master Plan- NMP) पर लगभग 1,700 भू-स्थानिक बिंदु मौजूद हैं।
    • नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (NPG) ने मल्टीमॉडलिटी और समकालिक निष्पादन के लिए ₹13.59 लाख करोड़ मूल्य की 293 परियोजनाओं का मूल्यांकन किया है।
  • राज्य मास्टर प्लान (State Master Plans- SMP): सभी 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने राज्य मास्टर प्लान पोर्टल को राष्ट्रीय प्लेटफॉर्म के साथ संरेखित कर लिया है।
    • स्थानीय स्तर पर क्षेत्र-आधारित, भू-स्थानिक नियोजन को सक्षम बनाने के लिए 28 आकांक्षी जिलों के लिए पहले ही एक ‘डिस्ट्रिक्ट मास्टर प्लान’ (District Master Plan -DMP) शुरू किया जा चुका है।
  • डिस्ट्रिक्ट मास्टर प्लान’ (District Master Plan- DMP) का विस्तार: ‘पीएम गतिशक्ति डिस्ट्रिक्ट मास्टर प्लान’ (PMGS-DMP) ने अब 112 आकांक्षी जिलों का मानचित्रण किया है, जिससे स्थानिक रूप से सूचित, डेटा-संचालित नियोजन को आधारभूत स्तर तक विस्तारित किया गया है।
  • बंदरगाह एवं रसद दक्षता: विश्व बैंक के लॉजिस्टिक प्रदर्शन सूचकांक (Logistics Performance Index- LPI) 2023 के अनुसार, भारत अंतरराष्ट्रीय शिपमेंट में 22वें और समग्र रूप से 38वें स्थान पर है।
    • भारतीय बंदरगाहों ने केवल 0.9 दिनों का टर्नअराउंड समय हासिल किया, जो अमेरिका (1.5 दिन), ऑस्ट्रेलिया (1.7 दिन), जर्मनी (1.3 दिन) और सिंगापुर (1.0 दिन) जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से बेहतर प्रदर्शन है।
  • प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण: प्रशिक्षण का विस्तार वर्ष 2021-22 में लगभग 500 प्रतिभागियों से बढ़ाकर वर्ष 2022-23 में 5,000 से अधिक, वर्ष 2023-24 में 10,000 से अधिक, और वर्ष 2024-25 में 10,000 से अधिक प्रतिभागियों तक विस्तारित किया गया।
    • अधिकारियों के प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण के लिए लगभग 25 कार्यशालाएँ/प्रशिक्षण सत्र (मंत्रालयवार) आयोजित किए गए। क्षमता निर्माण पहल के तहत, कुल मिलाकर 25,000 से अधिक अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया।
  • लॉजिस्टिक्स लागत दक्षता: नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकॉनॉमिक रिसर्च (NCAER) के अनुसार, भारत की लॉजिस्टिक्स लागत घटकर सकल घरेलू उत्पाद का 7.8-8.9% रह गई है, जो पहले 13-14% थी।
    • यह पीएम गतिशक्ति ढाँचे के तहत प्राप्त मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी और एकीकृत लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढाँचे की बढ़ती दक्षता को दर्शाता है।

भारत के परिवहन बुनियादी ढाँचे में परिवर्तन (वर्ष 2014-2025)

  • सड़कें: राष्ट्रीय राजमार्गों की संख्या में 60% की वृद्धि हुई (91,287 किमी. से बढ़कर 1,46,204 किमी.)।
  • राजमार्ग निर्माण की गति बढ़कर 34 किमी./दिन हो गई (वर्ष 2014 में 11.6 किमी./दिन)।
  • 7.8 लाख किमी. ग्रामीण सड़कें का निर्माण हुआ (वर्ष 2014- वर्ष 2025)।
  • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana- PMGSY)-IV के तहत वर्ष 2029 तक 25,000 आवासों का निर्माण किया जाएगा।
  • रेलवे: माल/यात्री यातायात की बाधाओं को दूर करने के लिए PMGS के तहत मल्टी-ट्रैकिंग आधारित स्वीकृतियाँ जारी हैं।
    • वर्ष 2014 से अब तक 45,000 किलोमीटर से अधिक रेल विद्युतीकरण पूरा हो चुका है।
  • सुरक्षा: प्रमुख मार्गों पर ‘कवच’ प्रणाली तैनात की गई है।
  • बंदरगाह और जलमार्ग: बंदरगाह क्षमता दोगुनी होकर लगभग 2,762 मिलियन टन हो गई है।
    • अंतर्देशीय जल माल ढुलाई में लगभग 710% (18 → 146 मिलियन टन) की वृद्धि हुई है।
    • कुल मिलाकर जहाज का टर्नअराउंड समय 93 घंटे से घटकर 49 घंटे हो गया है।
    • सागरमाला परियोजना ने 277 परियोजनाएँ पूरी कीं; सागरमाला 2.0 का शुभारंभ।
  • ग्रीन हाइड्रोजन हब: तीन प्रमुख बंदरगाहों दीनदयाल (कांडला), VOC बंदरगाह (तूतीकोरिन) और पारादीप बंदरगाह पर विकास कार्य संचालित है।
  • वायु: उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) के तहत 88 हवाई अड्डे चालू हो गए हैं।
    • क्षेत्रीय संपर्क के तहत 1.51 करोड़ से अधिक यात्रियों ने उड़ान भरी है।
    • डिजी यात्रा को 24 हवाई अड्डों पर अपनाया गया।

पीएम गतिशक्ति कैसे बाधाएँ दूर कर रही है?

  • भू-स्थानिक जानकारी: उन्नत भौगोलिक सूचना प्रणाली (Geographic Information System-GIS) उपकरणों का उपयोग करते हुए, एजेंसियाँ ​​अब विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (Detailed Project Reports- DPR) तैयार करने से पहले राष्ट्रीय मास्टर प्लान (National Master Plan- NMP) पर वन मंजूरी, तटीय विनियमन क्षेत्र (Coastal Regulation Zone- CRZ) प्रतिबंध, मौजूदा उपयोगिताओं, आवासों और अंतर्संबंधित बुनियादी ढाँचा परिसंपत्तियों की पूर्व-जाँच करती हैं।
    • यह सक्रिय विश्लेषण पुनर्निर्देशन को न्यूनतम करता है, दोहराव को रोकता है और मंजूरी प्राप्त करने में लगने वाले समय को काफी कम करता है।
  • NPG ‘एकल तालिका’ योजना: PMGS ढाँचे के तहत संस्थागत नेटवर्क योजना समूह (Network Planning Group- NPG) एक अंतर-मंत्रालयी निकाय के रूप में कार्य करता है, जहाँ परियोजनाओं की रेल/सड़क/बंदरगाह/विद्युत द्वारा संयुक्त रूप से जाँच की जाती है ताकि अंतिम-लक्ष्य तक पहुँच संबंधी कमियों को दूर किया जा सके।
    • अब तक, अंतिम-मील कनेक्टिविटी की कमियों को दूर करने और समन्वित विकास सुनिश्चित करने के लिए इस तंत्र के माध्यम से 293 बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का मूल्यांकन किया गया है।
  • स्मार्ट लॉजिस्टिक्स रेल्स: यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (Unified Logistics Interface Platform- ULIP) और लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (Logistics Data Bank- LDB) ने कई मंत्रालयों में डिजिटल प्रणालियों को एकीकृत करके मल्टीमॉडल कार्गो मूवमेंट को अधिक पारदर्शी, पूर्वानुमानित और कुशल बना दिया है।
    • ये प्लेटफॉर्म एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (Application Programming Interfaces- API) के माध्यम से रियल-टाइम कंटेनर ट्रैकिंग और डेटा एक्सचेंज को सक्षम बनाते हैं, जो भारत के लॉजिस्टिक्स डिजिटलीकरण अभियान का समर्थन करते हैं।

यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (Unified Logistics Interface Platform- ULIP)

  • ULIP एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो विभिन्न मंत्रालयों की लॉजिस्टिक्स-संबंधी प्रणालियों को एकीकृत करता है ताकि निर्बाध डेटा विनिमय संभव हो सके।
  • यह संपूर्ण कार्गो ट्रैकिंग को सक्षम बनाता है और लॉजिस्टिक्स संचालन में पारदर्शिता को बढ़ावा देता है। ULIP पर 930 से अधिक निजी कंपनियाँ पंजीकृत हैं और बेहतर समन्वय के लिए कई लाइव एप्लिकेशन उपलब्ध हैं।

लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (Logistics Data Bank- LDB) 

  • LDB एक RFID-आधारित प्रणाली है, जो वास्तविक समय में कंटेनरीकृत कार्गो की आवाजाही की निगरानी करती है तथा बंदरगाहों, रेलवे और राजमार्गों पर ‘एक्जिम’ माल के परिवहन की दृश्यता प्रदान करती है।

  • सुरक्षित पहुँच, मानकीकरण और डिजिटल शासन: जन परिचय नामक ‘सिंगल साइन-ऑन’ (SSO) ढाँचा, पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (NMP) प्लेटफॉर्म पर सभी मंत्रालयों और राज्य पोर्टलों पर सुरक्षित उपयोगकर्ता प्रमाणीकरण और सुसंगत पहुँच सुनिश्चित करता है।
    • सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रियाएँ (SOP) देश भर में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुसंगत कार्यान्वयन को बढ़ावा देने वाली एक समान प्रक्रिया स्थापित करती हैं।

पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के सामने आने वाली चुनौतियाँ

  • डेटा इंटरऑपरेबिलिटी और गुणवत्ता: विभिन्न राज्यों और मंत्रालयों के भू-स्थानिक डेटा का एकीकरण असमान बना हुआ है क्योंकि कई विभाग अलग-अलग GIS प्रारूपों, मानकों और डेटा गुणवत्ता स्तरों का उपयोग करते हैं।
    • इससे पीएम गतिशक्ति पोर्टल पर जानकारी का विश्लेषण करना या उसका सत्यापन करना मुश्किल हो जाता है।
    • कई राज्यों में, भूमि रिकॉर्ड और संपत्ति डेटाबेस अभी भी पूरी तरह से डिजिटल नहीं हैं, जिसके कारण इनपुट अधूरे या पुराने हो जाते हैं।
  • राज्य और जिला स्तर पर सीमित क्षमता: हालाँकि सभी 36 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश इस प्लेटफॉर्म से जुड़ गए हैं, उन्नत GIS टूल और डिजिटल मानचित्रों का उपयोग करने की क्षमता में व्यापक रूप से भिन्नता है।
    • कई जिलों में विस्तृत परियोजना स्तर तैयार करने के लिए प्रशिक्षित भू-स्थानिक अधिकारियों या तकनीकी कर्मचारियों का अभाव है।
    • यह असमान क्षमता पीएम गतिशक्ति दृष्टिकोण को अपनाने में देरी करती है, खासकर छोटे या संसाधनों की अल्पता वाले राज्यों में।
  • वित्तपोषण की कमी और एक समर्पित बजट का अभाव: पीएम गतिशक्ति ढाँचे में एक अलग, समर्पित वित्तपोषण तंत्र नहीं है।
    • इसके बजाय, यह अलग-अलग मंत्रालयों के पूँजीगत व्यय (कैपेक्स) या “पूँजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना (वर्ष 2022- 2023)” के तहत राज्यों को दी जाने वाली ₹5,000 करोड़ की सहायता जैसे विशेष अनुदानों पर निर्भर करता है।
    • इससे कार्यान्वयन की गति सीमित हो जाती है और प्रायः उन परियोजनाओं में देरी होती है, जिनके लिए अंतर-मंत्रालयी समन्वय या बहु-मॉडल संपर्क की आवश्यकता होती है।
  • नियामक और भूमि अधिग्रहण में देरी: पीएम गतिशक्ति प्लेटफॉर्म के प्रत्यक्ष नियंत्रण से कई अड़चनें उत्पन्न हुई हैं, खासकर भूमि अधिग्रहण, पर्यावरणीय मंजूरी और पारिस्थितिकी या सामाजिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में सामाजिक सहमति से संबंधित मुद्दे।
    • जब परियोजना संरेखण डिजिटल रूप से अनुकूलित होते हैं, तब भी जटिल कानूनी और प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं के कारण जमीनी स्तर पर अनुमोदन में समय लगता है।
  • सीमित निजी क्षेत्र डेटा एकीकरण: यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP) और लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (LDB) ने कई लॉजिस्टिक्स कंपनियों को अपने साथ जोड़ा है, लेकिन निजी वाहकों, शिपर्स और मूल उपकरण निर्माताओं (OEM) द्वारा डेटा साझाकरण अभी भी सीमित है।
    • डेटा-साझाकरण में व्यापक उद्योग भागीदारी, कार्गो दृश्यता में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकती है, ठहराव समय को कम कर सकती है और बहु-मॉडल समन्वय में सुधार कर सकती है, फिर भी यह भविष्य में सुदृढ़ीकरण का एक क्षेत्र बना हुआ है।

भारत को आगे क्या करना चाहिए?

  • अनुमोदन को सरल बनाएँ और समन्वय को मजबूत बनाना: भारत को भूमि, वन और पर्यावरण अनुमोदनों के लिए पीएम गतिशक्ति प्लेटफॉर्म के अंतर्गत एक समयबद्ध ‘सिंगल विंडो’ स्वीकृति प्रणाली स्थापित करनी चाहिए।
    • अंतर-मंत्रालयी कार्यबल यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि परियोजनाओं की वास्तविक समय आधारित निगरानी की जाए, जिससे अड़चनों और दोहराव को रोका जा सके।
  • भूमि और परिसंपत्ति प्रबंधन का आधुनिकीकरण: नए अधिग्रहण पर ध्यान केंद्रित करने के स्थान पर मंत्रालय पुनर्विकास के लिए कम उपयोग किए गए या क्षरित भूमि खंडों की पहचान करने के लिए रिमोट सेंसिंग और GIS उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं।
    • सभी राज्यों में भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण में तेजी लाने से विवाद कम होंगे और मार्ग संरेखण निर्णयों में सुधार होगा।
  • जिला स्तरीय योजना और क्षमता का विस्तार: 28 आकांक्षी जिलों में ‘डिस्ट्रिक्ट मास्टर प्लान’ (DMP) की सफलता विकेंद्रीकृत योजना की क्षमता को दर्शाती है।
    • देश भर में DMP का विस्तार करने से स्थानीय प्रशासन को भू-स्थानिक डेटा के आधार पर स्कूलों, अस्पतालों, लॉजिस्टिक्स पार्कों और आर्थिक गलियारों का मानचित्रण करने का अधिकार मिलेगा।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारी और डेटा सहयोग को प्रोत्साहित करना: नवाचार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए, गतिशक्ति प्लेटफॉर्म को निजी क्षेत्र के लिए आंशिक रूप से खोला जा सकता है, जिसमें डेटा तक नियंत्रित पहुँच होगी।
    • यूनिफाइड लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP) के माध्यम से लॉजिस्टिक्स ऑपरेटरों, OEM और बुनियादी ढाँचा डेवलपर्स की व्यापक भागीदारी से पूर्वानुमानित विश्लेषण और कार्गो दृश्यता में वृद्धि होगी।
  • एक समर्पित वित्तपोषण तंत्र का निर्माण करना: उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) के तहत एक पीएम गतिशक्ति बुनियादी ढाँचा कोष की स्थापना से नेटवर्क योजना समूह (NPG) द्वारा जाँची गई परियोजनाओं के लिए लक्षित समर्थन प्रदान किया जा सकता है।
    • बुनियादी ढाँचा निवेश ट्रस्ट (InvITs), रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (REITs), और सॉवरेन वेल्थ फंड का लाभ उठाकर दीर्घकालिक संस्थागत वित्त आकर्षित किया जा सकता है।
  • स्थिरता और सामुदायिक भागीदारी को एकीकृत करना: बुनियादी ढाँचे का विकास भारत के नेट जीरो 2070 लक्ष्य और समावेशी विकास एजेंडे के अनुरूप होना चाहिए।
    • मंत्रालय हरित रसद, नवीकरणीय गलियारों और अपशिष्ट-से-ऊर्जा केंद्रों को योजना के प्रारूपों में शामिल कर सकते हैं।
    • स्थानीय समुदायों के साथ शीघ्र जुड़ाव विशेष रूप से हिमालय और तटीय क्षेत्रों जैसे पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्रों में सामाजिक स्वीकृति, त्वरित मंजूरी और स्थायी परिणाम सुनिश्चित करता है।

निष्कर्ष 

पीएम गतिशक्ति एकीकृत, डेटा-संचालित बुनियादी ढाँचा नियोजन की ओर एक परिवर्तन का प्रतीक है। वर्ष 2047 तक एक लॉजिस्टिक क्षमता से युक्त विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए डिजिटल एकीकरण और स्थानीय परिदृश्य को मजबूत करना महत्त्वपूर्ण होगा।

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