100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

चौथा वैश्विक सामूहिक प्रवाल विरंजन कार्यक्रम

Lokesh Pal April 18, 2024 07:00 180 0

संदर्भ

वर्ष 2023-2024 में चौथे वैश्विक सामूहिक प्रवाल विरंजन कार्यक्रम के शुरुआत की पुष्टि संयुक्त राज्य अमेरिका के ‘नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन’ (National Oceanic and Atmospheric Administration- NOAA) के ‘कोरल रीफ वॉच’ (Coral Reef Watch- CRW) और ‘इंटरनेशनल कोरल रीफ इनिशिएटिव’ (International Coral Reef Initiative- ICRI) द्वारा की गई है। 

राष्ट्रीय समुद्री एवं वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) का कोरल रीफ वॉच (CRW)

  • यह कोरल रीफ पारिस्थितिकी तंत्र पर्यावरणीय परिवर्तनों की दुनिया की एकमात्र पूर्व-चेतावनी प्रणाली प्रदान करता है।

कार्य

  • उन स्थितियों पर नजर रखना जो प्रवाल विरंजन का कारण बन सकती हैं।
  • रियल टाइम में जानकारी एवं प्रारंभिक चेतावनियाँ प्रदान करना
  • दुनिया भर में प्रवाल भित्तियों पर तनावपूर्ण पर्यावरणीय स्थितियों के दृष्टिकोण प्रदान करने के लिए परिचालन जलवायु पूर्वानुमानों का उपयोग करना।
  • यह निर्णयन समर्थन प्रणाली को संचालित करने के लिए रिमोट सेंसिंग, मॉडलिंग एवं इन सीटू डेटा का उपयोग करता है।

अंतरराष्ट्रीय कोरल रीफ पहल (International Coral Reef Initiative- ICRI)

  • परिचय: यह दुनिया भर में प्रवाल भित्तियों एवं संबंधित पारिस्थितिकी प्रणालियों को संरक्षित करने का प्रयास करने वाले राष्ट्रों तथा संगठनों के बीच एक वैश्विक साझेदारी है।
  • स्थापित: इसकी स्थापना वर्ष 1994 में आठ राष्ट्रों (ऑस्ट्रेलिया, फ्राँस, जापान, जमैका, फिलीपींस, स्वीडन, यूनाइटेड किंगडम एवं संयुक्त राज्य अमेरिका) द्वारा की गई थी।
    • दिसंबर 1994 में जैविक विविधता पर कन्वेंशन के पक्षों के पहले सम्मेलन में इसकी घोषणा की गई थी।
  • सदस्यता: ICRI में अब भारत सहित 100 से अधिक सदस्य हैं।
  • मूलभूत दस्तावेज: ICRI ने ICRI की चार आधारशिलाएँ (एकीकृत प्रबंधन, विज्ञान, क्षमता निर्माण तथा समीक्षा) स्थापित करते हुए अपने मूलभूत दस्तावेजों के रूप में ‘कॉल टू एक्शन’ और ‘फ्रेमवर्क फॉर एक्शन’ को अपनाया।

वैश्विक स्तर पर प्रवाल विरंजन की घटना

  • ब्लीचिंग की सीमा: CRW एवं ICRI ने फरवरी 2023 और अप्रैल 2024 के बीच पाँच अलग-अलग महासागर/समुद्र घाटियों में 53 देशों, क्षेत्रों तथा स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में कोरल ब्लीचिंग की स्थिति दर्ज की।
  • प्रभावित क्षेत्र: यह रिपोर्ट तंजानिया, मॉरीशस, सेशेल्स, ट्रोमेलिन, मैयट एवं इंडोनेशिया के पश्चिमी तट सहित हिंद महासागर के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर कोरल ब्लीचिंग की पुष्टि करती है।
  • घटनाओं की आवृत्ति: पिछली घटना (तीसरी वैश्विक कोरल ब्लीचिंग) वर्ष 2014 से 2017 के मध्य दर्ज की गई थी, जिससे वर्तमान घटना पिछले 10 वर्षों में दूसरी ऐसी घटना बन गई है।
    • वैश्विक कोरल ब्लीचिंग की पिछली घटनाएँ पहले वर्ष 1998 में, फिर वर्ष 2010 में एवं वर्ष 2014-2017 के बीच दर्ज की गई हैं।

  • भविष्य का अनुमान: जलवायु मॉडल सुझाव देते हैं कि वर्ष 2040 से वर्ष 2050 के आसपास अधिकांश चट्टानों के लिए प्रवाल विरंजन घटनाएँ एक वार्षिक घटना बन सकती हैं।
  • CRW घोषणा: CRW वैश्विक सामूहिक प्रवाल विरंजन घटना की घोषणा तभी करता है, जब वह प्रवाल विरंजन के सभी समुद्री बेसिनों को रिकॉर्ड करता है या उनसे इनपुट प्राप्त करता है।

प्रवाल विरंजन (Coral Bleaching)

  • प्रवाल विरंजन तब होता है जब प्रवाल पॉलिप समुद्री शैवाल को बाहर निकाल देता है। इसके ऊतक से जूक्सांथेला एवं सहजीवी संबंध टूट जाता है। इसके परिणामस्वरूप वे अपना रंग तथा पोषक तत्त्वों एवं ऊर्जा का स्रोत खो देते हैं।
  • प्रतिक्रिया: कोरल ब्लीचिंग घटना एक तनाव प्रतिक्रिया को इंगित करती है जो उन्हें पुनर्स्थापित होने में सक्षम बनाती है, जो गर्मी के तनाव की तीव्रता एवं इसकी अवधि पर निर्भर करती है।
    •  यदि समुद्री प्रदूषण एवं समुद्री अम्लीकरण जैसे अन्य तनाव कारकों पर नियंत्रण रखा जाए तथा कुछ अनुकूलन उपाय किए जाए तो प्रवाल अपनी मूल स्थिति में वापस आ सकते हैं।

प्रवाल विरंजन के कारण

  • तापमान: प्रवाल केवल एक विशिष्ट तापमान सीमा में ही जीवित रह सकते हैं एवं ग्लोबल वार्मिंग के कारण प्रवाल पर दबाव पड़ने के कारण वैश्विक समुद्री सतह का तापमान बढ़ रहा है।
  • व्यापक समुद्री हीटवेव: समुद्री हीटवेव के दौरान, समुद्र एवं महासागर की सतहों के विशाल क्षेत्रों में तापमान बढ़ जाता है तथा लंबे समय तक उच्च बना रहता है।
    • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की वैश्विक जलवायु स्थिति, 2023 रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2023 वायुमंडल एवं महासागरों के लिए रिकॉर्ड पर सबसे गर्म था तथा किसी भी दिन वैश्विक महासागर का लगभग एक तिहाई हिस्सा इसकी चपेट में आ गया था।
  • अल नीनो: महासागरीय तापन एवं बड़े पैमाने पर प्रवाल विरंजन का वर्ष 1997 के बाद से अल नीनो घटनाओं से गहरा संबंध है, अल नीनो वर्षों के दौरान प्रवालों का बड़े पैमाने पर विरंजन भी देखा गया है।
  • सामान्य महासागर वार्मिंग: महासागर के गर्म होने से पृथ्वी के चारों ओर प्रवाल भित्ति पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक गंभीर खतरा उत्पन्न हो जाएगा, क्योंकि कोरल ब्लीचिंग की घटनाओं की गंभीरता, आवृत्ति एवं परिमाण में वृद्धि होगी।
    • उदाहरण: वर्ष 2020 एवं 2022 में ऑस्ट्रेलिया के तट से दूर ग्रेट बैरियर रीफ में हाल के ला नीना वर्षों में स्थानीयकृत प्रवाल विरंजन की घटनाएँ भी देखी गई हैं।
  • अवसादन (Sedimentation): तटीय निर्माण एवं खनन जैसी मानवीय गतिविधियों के परिणामस्वरूप कटाव की दर तीव्र हो सकती है, जल में तलछट की मात्रा बढ़ सकती है तथा प्रकाश संश्लेषण की प्राकृतिक प्रक्रिया बाधित हो सकती है।
  • अकार्बनिक पोषक तत्त्व: अमोनिया एवं नाइट्रेट जैसे अकार्बनिक पोषक तत्त्वों में वृद्धि के कारण जूक्सांथेला (Zooxanthellae) 2-3 गुना बढ़ जाता है, जो कम प्रवाल प्रतिरोध तथा बढ़ी हुई रोग संवेदनशीलता जैसे माध्यमिक प्रतिकूल प्रभाव पैदा कर सकता है।

प्रवाल

  • प्रवाल निडेरिया संघ (Phylum Cnidaria) के कॉलोनियल समुद्री अकशेरुकी जीव हैं।
  • पॉलिप: एक व्यक्तिगत प्रवाल को पॉलिप के रूप में जाना जाता है। पॉलिप एक थैली जैसा जीव है एवं वे आधार के पास एक एक्सोस्क्लटन उत्सर्जित करते हैं। पॉलिप्स पौधे जैसी कोशिकाओं के साथ एक सहजीवी संबंध बनाते हैं, जिन्हें जूक्सांथेला (एककोशिकीय डाइनोफ्लैजलेट्स) कहा जाता है।
  • सहजीवी संबंध: कोरल पॉलिप प्लवक नामक छोटे जीवों एवं अन्य छोटे जीवों को निगल सकता है, लेकिन फिर भी वे अपनी अधिकांश ऊर्जा तथा पोषक तत्त्व अपने ऊतकों के भीतर रहने वाले जूक्सांथेला से प्राप्त करते हैं, जो कोरल को उसका रंग देने के लिए भी जिम्मेदार हैं। बदले में मूंगे जूक्सांथेला को आश्रय और सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  • जीवित रहने की शर्तें
    • उथला जल: प्रवालों को अपनी वृद्धि के लिए सूर्य के प्रकाश एवं साफ उथले जल की आवश्यकता होती है। वे आम तौर पर 165 फीट (50 मीटर) से ऊपर जल में पाए जाते हैं।
    • स्वच्छ जल: यह सूर्य की रोशनी को अंदर आने देता है। जब जल अपारदर्शी होता है तो वे अच्छी तरह पनपते नहीं हैं।
    • गर्म जल: रीफ-बिल्डिंग कोरल को जीवित रहने के लिए गर्म जल की स्थिति की आवश्यकता होती है। विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले विभिन्न मूंगे 20-32 डिग्री सेल्सियस के बीच जल के तापमान का सामना कर सकते हैं।
    • प्रदूषण मुक्त जल: प्रवाल प्रदूषण एवं तलछट के प्रति संवेदनशील होते हैं। चट्टान के पास समुद्र में छोड़े गए अपशिष्ट जल में बहुत अधिक पोषक तत्त्व हो सकते हैं जिससे चट्टान पर समुद्री शैवाल उग आते हैं।
    • लवणता (Salinity): प्रवालों को जीवित रहने के लिए खारे जल (लवणता लगभग 27 ppt) की आवश्यकता होती है एवं नमक तथा जल के अनुपात में एक निश्चित संतुलन की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि प्रवाल उन क्षेत्रों में नहीं रहते जहाँ नदियाँ ताजा जल समुद्र में निष्कासित करती हैं। 

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.