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भारत-म्याँमार सीमा पर मुक्त आवागमन व्यवस्था (Free movement system on India-Myanmar border)

Samsul Ansari January 23, 2024 11:46 258 0

संदर्भ

 हाल ही केंद्र सरकार ने भारत और म्याँमार के बीच लोगों की मुक्त आवाजाही को रोकने के लिए दोनों देशों की पूरी सीमा पर बाड़ लगाने का निर्णय लिया है।

संबंधित तथ्य 

  • भारत और म्याँमार के बीच की सीमा चार राज्यों मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में 1,643 किमी. तक फैली हुई है।
  • यह एक खुली सीमा है, जो जंगली और पहाड़ी इलाके से होकर गुजरती है, यह सीमा लगभग पूरी तरह से बाड़-विहीन है, जिससे इसकी निगरानी करना भी कठिन हो जाता है।
    • मणिपुर में, सीमा के 6 किमी. से भी कम हिस्से पर बाड़ लगाई गई है।

मुक्त आवागमन व्यवस्था (Free Movement Regime-FMR) क्या है?

  • परिभाषा: FMR दोनों देशों के बीच एक पारस्परिक रूप से सहमत व्यवस्था है, जो सीमा के दोनों ओर रहने वाली जनजातियों को बिना वीजा के दूसरे की सीमा के भीतर 16 किमी. तक यात्रा करने की अनुमति देती है।
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: वर्ष 1950 में स्थापित, प्रारंभिक FMR में सीमा के दोनों ओर की जनजातियों को 40 किमी. तक वीजा-मुक्त यात्रा करने की अनुमति दी गई थी।
    • वर्ष 2018 में हुए, एक औपचारिक समझौते ने  FMR को 16 किमी. और निर्दिष्ट प्रवेश बिंदुओं तक सीमित कर दिया है।
  • इसका उद्देश्य साझा सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों के कारण उनके पारंपरिक आवागमन को आसान बनाना था।
  • समय के साथ, विद्रोही गतिविधियों और तस्करी में वृद्धि जैसी सुरक्षा चिंताओं के कारण इस पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।

FMR के तर्क और लाभ

  • ऐतिहासिक विभाजन: अंग्रेजों ने क्षेत्र के लोगों की राय जाने बिना ही , वर्ष 1826 में भारत और म्याँमार के बीच सीमा का निर्धारण कर दिया। इस सीमांकन ने एक ही नृजातीयता और संस्कृति के लोगों को बिना उनकी सहमति के प्रभावी रूप से दो देशों में विभाजित कर दिया। 
  • सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को सुगम बनाना: FMR सीमावर्ती समुदायों को रिश्ते बनाए रखने और सीमा पार व्यापार में संलग्न होने की अनुमति देता है।
    • इस क्षेत्र के लोगों के बीच सीमा पार मजबूत जातीय और पारिवारिक संबंध हैं। मणिपुर के मोरेह क्षेत्र में ऐसे गांव हैं जहाँ कुछ घर म्याँमार में हैं।
  • स्थानीय व्यापार और व्यवसाय: इसका उद्देश्य स्थानीय व्यापार और व्यवसाय को बढ़ावा देना था। इस क्षेत्र में सीमा शुल्क और सीमा हाटों के माध्यम से सीमा पार वाणिज्य का एक लंबा इतिहास रहा है।
    • कम आय वाली अर्थव्यवस्था को देखते हुए, स्थानीय आजीविका को बनाए रखने के लिए ऐसे आदान-प्रदान महत्त्वपूर्ण हैं।
  • क्षेत्रीय संबंधों को बढ़ावा: FMR म्याँमार के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत की एक्ट ईस्ट नीति का हिस्सा था।
    • म्याँमार के सीमावर्ती लोगों के लिए भी, भारतीय शहर अपने देश के शहरों की तुलना में व्यवसाय, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के लिए अधिक निकट हैं।

FMR को क्यों समाप्त किया जा रहा है?

भारत सरकार निम्न कारणों से FMR को समाप्त कर रही है :

  • अवैध आप्रवासन: म्याँमार से अवैध प्रवासन को सुगम बनाने के लिए FMR को दोषी ठहराया गया है, खासकर हालिया संकट के दौरान।
    • आदिवासी कुकी-चिन ( Kuki-Chin) लोगों का म्याँमार से भारत में अवैध प्रवास मणिपुर में चल रहे संघर्ष के प्रमुख मुद्दों में से एक है।
  • नशीली दवाओं की तस्करी और आतंकवाद: चिंताएँ हैं कि खुली सीमाएँ और FMR का दुरुपयोग तस्करी और विद्रोही गतिविधियों को सक्षम बनाता है।
    • मणिपुर के मुख्यमंत्री कार्यालय के आँकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2022 में मणिपुर में स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances-NDPS) अधिनियम के तहत 500 मामले दर्ज किए गए और 625 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है।
  • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: लंबी, बिना बाड़ वाली सीमा, सीमा नियंत्रण और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है।
    • यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (United National Liberation Front-UNLF), पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (People’s Liberation Army-PLA), यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (United Liberation Front of Assam-ULFA), नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (National Socialist Council of Nagaland-NSCN) और कुकी एवं  जोमिस के छोटे समूहों जैसे कई विद्रोही समूहों ने सागांग (Sagaing) डिवीजन, काचिन (Kachin) राज्य और चिन (Chin) राज्य (म्याँमार में) में शिविर बनाए हुए हैं।

FMR को समाप्त करने का विरोध

  • मिजोरम और नागालैंड का तर्क है कि FMR सीमा पार महत्त्वपूर्ण जातीय और आर्थिक संबंधों को संरक्षित रखता है।
  • वे सीमा पर बाड़ लगाने को अस्वीकार्य मानते हैं क्योंकि इसकी औपनिवेशिक उत्पत्ति समुदायों को विभाजित करती है।
  • उदाहरण के लिये- नागालैंड के मोन (Mon) जिले में यह सीमा लोंगवा (Longwa) गांव के मुखिया के घर से होकर गुजरती है, जिससे उनका घर दो हिस्सों में बंट जाता है।

FMR और सीमा प्रबंधन का भविष्य:

  • सुरक्षा और स्थानीय आवश्यकताओं का संतुलन: विशेषज्ञ सीमा सुरक्षा और प्रवर्तन के बिना इसकी प्रभावशीलता पर संदेह करते हैं। वे  FMR को पूरी तरह से हटाने या पूरी सीमा पर बाड़ लगाने के बजाय FMR को विनियमित करने का सुझाव देते हैं।
    • मणिपुर द्वारा वर्ष 2022 से FMR के निलंबन से स्थिति में कोई विशेष बदलाव नहीं आया है।
  • FMR के विकल्प: बेहतर सीमा प्रबंधन, खुफिया जानकारी एकत्र करना और म्याँमार में प्रवास के मूल कारणों को संबोधित करना महत्त्वपूर्ण है।
  • द्विपक्षीय सहयोग: प्रभावी सीमा प्रबंधन और साझा सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए म्याँमार के साथ सहयोग आवश्यक है।

निष्कर्ष

भारत-म्याँमार सीमा जटिल चुनौतियाँ प्रस्तुत करती है। सुरक्षा चिंताओं को स्थानीय समुदायों की जरूरतों और क्षेत्रीय संबंधों के साथ संतुलित करने के लिए एक सूक्ष्म दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है, जो केवल बाड़ लगाने या मौजूदा समझौतों को समाप्त करने से कहीं अधिक है।

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