वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी की है कि कठोर संरक्षण उपायों के बिना पृथ्वी पर उपस्थित कुछ अद्वितीय जीव अगले पाँच वर्षों में विलुप्त हो सकते हैं।
कारण: आवास की हानि, जलवायु परिवर्तन, अवैध शिकार और प्रदूषण जैसी समस्याओं ने संकट उत्पन्न कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर विलुप्ति जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।
गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियाँ सर्वाधिक आसन्न खतरों का सामना कर रही हैं।
पूर्वी तराई गोरिल्ला [गोरिल्ला बेरिंजेई ग्रेउरी (Gorilla Beringei Graueri)]: ये गोरिल्ला की सबसे बड़ी उप-प्रजाति है।
आबादी स्थिति: तेजी से घट रही है और अब इनकी संख्या 7,000 से भी कम रह गई है।
स्थान: कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य
खतरा: वनोन्मूलन, खनन और मानव अतिक्रमण के कारण आवास की हानि।
स्थान: इंडोनेशिया के उजंग कुलोन राष्ट्रीय उद्यान में सीमित
खतरे: आवास की हानि और सींगों के लिए अवैध शिकार। आबादी की कम आनुवंशिक विविधता भी एक खतरा है।
अमूर तेंदुआ (पैंथेरा पार्डस ओरिएंटलिस)]: इसे प्रायः दुनिया की सबसे दुर्लभ ‘बिग कैट’ कहा जाता है, जो अत्यधिक शीत अनुकूल है।
आबादी: लगभग 100
स्थान: रूस और चीन
खतरा: अवैध शिकार और मानव विस्तार के कारण आवास की हानि।
यांग्त्जी फिनलेस पोरपोइज (नियोफोकैना एशियाओरिएंटलिस) [Yangtze Finless Porpoise (Neophocaena Asiaeorientalis)]: डॉल्फिन के विपरीत, इनके पृष्ठीय पंख नहीं होते हैं, जो उन्हें ‘सीटेशियन’ के बीच अद्वितीय बनाता है।
आबादी: 1,000 से कम
स्थान: यांग्त्जी नदी, चीन
खतरे: औद्योगिक प्रदूषण, अत्यधिक मत्स्यन और आवास के विनाश के कारणयांग्त्जी नदी पारिस्थितिकी तंत्र का पतन।
पिछले 40 वर्षों में उनकी संख्या में 50% से अधिक की गिरावट आई है।
भारतीय घड़ियाल (गेवियलिस गैंगेटिकस) [Indian Gharial (Gavialis Gangeticus)]: इनकी लंबी, सँकरी थूथन होती है, जो मछली पकड़ने में सहायक होती है और ये मनुष्यों पर हमला नहीं करते हैं।
आबादी: 250 से कम।
स्थान: भारत, नेपाल
खतरा: बाँध निर्माण, प्रदूषण और नदी आवासों की हानि के कारण इनकी आबादी में तीव्र गिरावट आई है।
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