भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने भारत में 2 प्रमुख मसाला ब्रांडों के मसाला मिश्रणों की गुणवत्ता जाँच शुरू कर दी है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI)
स्थापित: यह एक स्वतंत्र वैधानिक प्राधिकरण है, जिसे खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत स्थापित किया गया है।
प्रशासनिक मंत्रालय: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (भारत सरकार)
उद्देश्य: FSSAI को खाद्य पदार्थों के लिए विज्ञान आधारित मानकों को निर्धारित करने एवं मानव उपभोग के लिए सुरक्षित तथा पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उनके निर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री एवं आयात को विनियमित करने के लिए बनाया गया है।
संबंधित तथ्य
FSSAI की कार्रवाई दो प्रमुख ब्रांडों के कई लोकप्रिय मसाला मिश्रणों में अनुमेय स्तर से अधिक एथिलीन ऑक्साइड (Ethylene Oxide) के अंश होने संबंधी शिकायतों के बाद की गई है।
हांगकांग एवं सिंगापुर ने भी मसालों के कुछ वेरिएंट को वापस ले लिया है क्योंकि उनके संबंधित खाद्य नियामकों ने उनके मसाला मिश्रण में एथिलीन ऑक्साइड नामक कीटनाशक की उपस्थिति पाई है।
हांगकांग के खाद्य सुरक्षा केंद्र (CFS) ने MDH मद्रास करी पाउडर, करी पाउडर मिश्रित मसाला पाउडर, साँभर मसाला मिश्रित मसाला पाउडर एवं एवरेस्ट फिश करी मसाला नामक 4 वेरिएंट को वापस ले लिया है।
FSSAI अपनी गुणवत्ता जाँच में यह भी आकलन करेगा कि संबंधित ब्रांडों द्वारा बेचे गए उत्पाद कानून द्वारा निर्धारित रासायनिक अवशेषों के भारतीय मानकों से मेल खाते हैं या नहीं।
वर्ष 2023 में, अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (US Food & Drug Administration) ने एवरेस्ट साँभर मसाला तथा गरम मसाला को वापस ले लिया क्योंकि नमूनों में साल्मोनेला (Salmonella) की पुष्टि हुई थी।
एथिलीन ऑक्साइड (Ethylene oxide)
यह एक मीठी गंध वाली ज्वलनशील रंगहीन गैस है।
उपयोग: इसका उपयोग मुख्य रूप से एंटीफ्रीज, डिटर्जेंट एवं कीटनाशकों जैसे अन्य रसायनों के उत्पादन के लिए किया जाता है।
स्टरलाइजिंग एजेंट के रूप में: इसका उपयोग बैक्टीरिया एवं वायरस के DNA को नष्ट करके चिकित्सा उपकरणों तथा सौंदर्य प्रसाधनों को स्टरलाइज करने के लिए किया जाता है।
कीटनाशक: इसका उपयोग माइक्रोबियल संदूषण को रोकने के लिए कृषि उत्पादों को धूम्रित करने के लिए किया जा सकता है।
एक्सपोजर का स्रोत: मनुष्य साँस लेने एवं निगलने के माध्यम से एथिलीन ऑक्साइड के संपर्क में आ सकते हैं, जो व्यावसायिक (अनियंत्रित औद्योगिक उत्सर्जन), उपभोक्ता (एथिलीन ऑक्साइड से निष्कासित किए गए उत्पादों की खपत वाले) तथा पर्यावरण (जल-जमाव वाली मिट्टी से उत्पन्न, खाद एवं सीवेज संबंधी अपशिष्ट) के माध्यम से हो सकता है।
कार्सिनोजेनिक एजेंट (Carcinogenic Agent)
WHO की ‘इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर’ ने एथिलीन ऑक्साइड को समूह 1 कार्सिनोजेन के रूप में वर्गीकृत किया है।
अल्पकालिक जोखिम: यह मानव केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है, एवं आँखों तथा श्लेष्मा झिल्ली में जलन पैदा कर सकता है।
दीर्घकालिक जोखिम: यह आँखों, त्वचा, नाक, गले एवं फेफड़ों में जलन पैदा कर सकता है तथा मस्तिष्क एवं तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुँचा सकता है।
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