‘फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग’ (FMRI) अवसाद के ‘उपप्रकारों’ और कारगर उपचारों का पता लगा सकता है।
फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (FMRI)
मस्तिष्क गतिविधि का मापन: फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (FMRI- Functional Magnetic Resonance Imaging) एक ऐसी तकनीक है, जो रक्त ऑक्सीजन के स्तर को मापकर मस्तिष्क की गतिविधि का पता लगाती है।
गैर आक्रामक: यह मस्तिष्क की गतिविधि का निरीक्षण करने की एक गैर आक्रामक तकनीक है।
पारंपरिक MRI से अंतर: पारंपरिक MRI के विपरीत, जो मस्तिष्क संरचना पर केंद्रित है, FMRI विशिष्ट कार्यों के दौरान मस्तिष्क की गतिविधि को कैप्चर करता है।
कार्यात्मक मानचित्र बनाना: यह अनिवार्य रूप से मस्तिष्क गतिविधि का एक कार्यात्मक मानचित्र बनाता है, जिससे शोधकर्ताओं एवं चिकित्सकों को विभिन्न स्थितियों को बेहतर ढंग से समझने, निदान करने, निगरानी करने तथा उपचार करने की अनुमति मिलती है।
मानसिक बीमारी में मस्तिष्क की गतिविधि को समझना
मस्तिष्क में विद्युतीय गतिविधि: हृदय की तरह मस्तिष्क में भी विद्युतीय गतिविधि होती है, जिसे ‘फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग’ (FMRI) का उपयोग करके समय के साथ होने वाले परिवर्तनों को देखा और विश्लेषित किया जा सकता है।
असामान्य मस्तिष्क सर्किट सक्रियण: मानसिक बीमारी वाले व्यक्तियों में, विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ने वाले मस्तिष्क सर्किट ठीक से सक्रिय नहीं हो सकते हैं।
इसके परिणामस्वरूप स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में मस्तिष्क के कुछ क्षेत्रों में विद्युत गतिविधि की असामान्य तीव्रता हो सकती है।
मस्तिष्क गतिविधि पैटर्न की पहचान: लोग सामान्य एवं असामान्य दोनों तरह के अद्वितीय मस्तिष्क गतिविधि पैटर्न प्रदर्शित करते हैं।
जब किसी विशिष्ट मानसिक बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों में समान पैटर्न देखे जाते हैं, तो उन्हें उपप्रकारों (Subtypes) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
उपप्रकार निर्धारण के लिए सिद्धांत-संचालित दृष्टिकोण: कई अध्ययनों ने मस्तिष्क गतिविधि के आधार पर अवसाद के उपप्रकारों की पहचान की है, नए अध्ययन ने उन उप प्रकारों को विकसित करने के लिए ‘सिद्धांत-संचालित’ दृष्टिकोण का उपयोग किया है, जो चिकित्सकीय रूप से प्रासंगिक हैं और लक्षित उपचार के लिए संभावित रूप से उपयोगी हैं।
अवसाद उपप्रकारों में निर्णायक अध्ययन
अवसाद के उपप्रकारों की पहचान: हालिया शोध ने FMRI स्कैन में देखे गए दोषपूर्ण मस्तिष्क पैटर्न के आधार पर अवसाद को छह अलग-अलग उपप्रकारों में वर्गीकृत किया है।
मस्तिष्क बायोमार्कर और सटीक मनोचिकित्सा: अध्ययन का उद्देश्य कार्डियोलॉजी के समान सिद्धांतों को लागू करना है, जिसमें मस्तिष्क गतिविधि डेटा का उपयोग करके मनोचिकित्सा उपचार को परिष्कृत किया जाता है, जैसे कि इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम हृदय की स्थिति का मूल्यांकन करता है।
उपचार का पूर्वानुमान: शोध में पाया गया कि छह उपप्रकारों में से तीन ने विशिष्ट अवसादरोधी एवं उपचारों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।
उदाहरण: अतिसक्रिय संज्ञानात्मक सर्किट वाले एक उप प्रकार ने वेनालाफैक्सिन XR के प्रति बेहतर प्रतिक्रिया दिखाई। हालाँकि, तीन उपप्रकारों के लिए उपचार के विकल्प अस्पष्ट रहे। इन उपप्रकारों एवं उनकी उपचार आवश्यकताओं को समझने के लिए तथा अधिक शोध की आवश्यकता है।
अवसादग्रस्तता विकार (Depression)
परिभाषा एवं लक्षण: अवसादग्रस्तता विकार (Depression) एक प्रचलित मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है जिसमें लगातार उदास मनोदशा यालंबे समय तक गतिविधियों में रुचि की कमी होती है।
सामान्य मनोदशा परिवर्तन से अंतर: अवसाद सामान्य मनोदशा में उतार-चढ़ाव एवं रोजमर्रा की भावनाओं से भिन्न होता है, यह जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव डालता है।
जोखिम कारक: अवसाद सामाजिक, मनोवैज्ञानिक एवं जैविक कारकों की जटिल अंतःक्रिया से उत्पन्न होता है।
किसी को भी अवसाद हो सकता है, लेकिन दुर्व्यवहार, गंभीर नुकसान या तनावपूर्ण अनुभव वाले व्यक्तियों को इसका खतरा अधिक होता है।
WHO की प्रतिक्रिया: WHO की मानसिक स्वास्थ्य कार्य योजना, वर्ष 2013-2030 अवसाद सहित मानसिक विकारों वाले लोगों के लिए उचित हस्तक्षेप प्रदान करने के लिए आवश्यक कदमों पर प्रकाश डालती है।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस प्रत्येक वर्ष 10 अक्टूबर को मनाया जाता है, जिसका समग्र उद्देश्य विश्व भर में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
मानसिक स्वास्थ्य एटलस को WHO द्वारा वर्ष 2017 में लॉन्च किया गया था एवं इसे प्रत्येक तीन वर्ष में जारी किया जाता है।
आत्महत्या की रोकथाम एक वैश्विक प्राथमिकता है एवं सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDGs) में शामिल किया गया है।
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