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जीन थेरेपी का भविष्य

Lokesh Pal December 30, 2025 03:08 11 0

संदर्भ

जीन-आधारित उपचारों में हुई प्रगति, जिनमें स्मॉल इंटरफियरिंग RNA (siRNA) आधारित औषधियाँ भी शामिल हैं, दुर्लभ आनुवंशिक रोगों से आगे बढ़कर उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप जैसी जटिल स्थितियों के उपचार विकल्पों का विस्तार कर रही है।

चिकित्सा का भविष्य: उभरते दृष्टिकोण

  • लक्षण नियंत्रण से उपचार की ओर परिवर्तन: जहाँ पारंपरिक औषधियाँ रोग के लक्षणों का प्रबंधन करती हैं, वहीं उभरती आनुवंशिक चिकित्सा रोग के मूल आणविक तंत्र को स्रोत स्तर पर सुधारने का लक्ष्य रखती है।
  • RNA-आधारित उपचार: स्मॉल इंटरफियरिंग RNA जैसी तकनीकें DNA में परिवर्तन किए बिना जीन अभिव्यक्ति को संशोधित करती हैं, जिससे अधिक सुरक्षित और लक्षित हस्तक्षेप संभव होते हैं।
    • स्मॉल इंटरफियरिंग RNA (siRNA) एक छोटा RNA अणु है, जो लक्षित मैसेंजर RNA को विघटित कर विशिष्ट जीनों को मूक कर देता है।
  • दीर्घकालिक उपचार प्रभाव: नई चिकित्सा पद्धतियाँ, जिनमें स्मॉल इंटरफियरिंग RNA आधारित औषधियाँ शामिल हैं, सिंगल इंजेक्शन से कई महीनों तक स्थायी लाभ प्रदान कर सकती हैं।

जीन चिकित्सा के बारे में

  • परिचय: जीन थेरेपी में रोगी की कोशिकाओं के भीतर स्थित दोषपूर्ण जीन या उनकी अभिव्यक्ति को ठीक, निष्क्रिय करके या संशोधित करके बीमारी का उपचार करना शामिल है।
  • कार्य-प्रणाली: DNA में एनकोड किए गए जीन RNA में ट्रांसक्रिप्ट होते हैं और फिर सामान्य शारीरिक कार्यों के लिए आवश्यक प्रोटीन में ट्रांसलेट होते हैं; इस प्रक्रिया में व्यवधान से रोग उत्पन्न हो सकते हैं।
  • जीन चिकित्सा के प्रकार
    • सोमेटिक जीन थेरेपी: प्रजनन कोशिकाओं के अलावा अन्य कोशिकाओं में परिवर्तन करती है; इसके प्रभाव वंशानुगत नहीं होते (उदाहरण के लिए, कैंसर के उपचार में, मांसपेशियों के डिस्ट्रॉफी जैसे वंशानुगत विकारों के लिए)।
    • जर्मलाइन जीन थेरेपी: जनन कोशिकाओं में परिवर्तन करती है; ये परिवर्तन संतानों में वाहित हो सकते हैं (अत्यधिक प्रतिबंधित/नैतिक चिंताएँ)।
  • जीन चिकित्सा की विशेषताएँ
    • डाउनस्ट्रीम जैव-रासायनिक प्रभावों के स्थान पर मूल आनुवंशिक कारण को लक्षित करती है।
    • जीन प्रतिस्थापन, जीन साइलेंसिंग या जीन एडिटिंग जैसी तकनीकें शामिल हो सकती हैं।
    • विशिष्ट आनुवंशिक दोषों से उत्पन्न स्थितियों के उपचार में उच्च सटीकता प्रदान करती है।
  • दुर्लभ रोगों से आगे विस्तारित सीमा: प्रारंभ में ‘स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी’ जैसे दुर्लभ मोनोजेनिक विकारों में सफलता के बाद, नए दृष्टिकोण सामान्य रोगों में जीन गतिविधियों के विनियमन पर केंद्रित हैं।
  • जीन चिकित्सा की आवश्यकता: अनेक रोग दोषपूर्ण या अतिसक्रिय जीनों से उत्पन्न होते हैं, जो हानिकारक प्रोटीन का निर्माण करते हैं; पारंपरिक औषधियाँ इनमें स्थायी रूप से सुधार कर नहीं पातीं।
    • जीन थेरेपी स्थायी समाधान प्रदान करती है, जीवन भर दवाओं पर निर्भरता को कम करती है, और उन क्षेत्रों में परिणामों में सुधार करती है, जहाँ पारंपरिक फार्माकोलॉजी की सीमाएँ हैं।

स्मॉल इंटरफियरिंग RNA (siRNA) आधारित औषधियों के बारे में

  • स्मॉल इंटरफियरिंग RNA (siRNA) आधारित औषधियाँ जीन-साइलेंसिंग थेरेपी हैं, जो लक्षित मैसेंजर RNA को विघटित कर रोग-कारक जीनों की अभिव्यक्ति को अवरुद्ध करती हैं।
  • मुख्य विशेषताएँ
    • RNA स्तर पर कार्य करती हैं; DNA में परिवर्तन किए बिना हानिकारक प्रोटीन निर्माण को रोकती हैं।
    • अत्यधिक लक्षित-विशिष्ट, जिससे अनावश्यक प्रभाव कम होते हैं।
    • कुशल अवशोषण के लिए इसे प्रायः GalNAc जैसे वाहकों का उपयोग करके यकृत तक पहुँचाया जाता है।
      • GalNAc  (एन-एसीटाइलगैलेक्टोसामीन) लक्षित ‘रिसेप्टर-बद्ध अणु’/ ‘संयोजक अणु’ का एक प्रकार है, जो यकृत कोशिकाओं तक विशिष्ट वितरण को सुगम बनाता है।
    • कम खुराक लेने पर भी लंबे समय तक (महीनों तक) प्रभावी रहता है।
    • उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप जैसे जीन रहित विकारों के उपचार में प्रभावी।
  • वर्तमान उदाहरण: FDA द्वारा अनुमोदित ‘स्मॉल इंटरफियरिंग RNA’ आधारित औषधियाँ जैसे- इन्क्लिसिरान ‘लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन’ कोलेस्ट्रॉल को लगभग 50% तक कम करती हैं तथा जाइलेबेसीरान उच्च रक्तचाप के लिए दीर्घकालिक उपचार के रूप में आशाजनक परिणाम दिखाती है।

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