हाल ही में विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) का द्विवार्षिक ‘फ्यूचर ऑफ जॉब्स’ रिपोर्ट, 2025 संस्करण जारी किया गया है।
वर्ष 2030 तक 10 सबसे तेजी से बढ़ती नौकरियाँ
बिग डेटा विशेषज्ञ
फिनटेक इंजीनियर
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तथा मशीन लर्निंग विशेषज्ञ
सॉफ्टवेयर और एप्लिकेशन डेवलपर्स
सुरक्षा प्रबंधन विशेषज्ञ
डेटा वेयरहाउसिंग विशेषज्ञ
स्वायत्त और इलेक्ट्रिक वाहन विशेषज्ञ
UI तथा UX डिजाइनर
लाइट ट्रक या डिलीवरी सेवा ड्राइवर
इंटरनेट ऑफ थिंग्स विशेषज्ञ
‘फ्यूचर ऑफ जॉब्स’ रिपोर्ट, 2025 के बारे में
उद्देश्य: रिपोर्ट में व्यावसायिक व्यवधान को समझने और श्रमिकों के लिए भविष्य की नौकरियों में संक्रमण के अवसरों की पहचान करने के लिए विकसित हो रहे तकनीकी, सामाजिक तथा आर्थिक रुझानों पर प्रकाश डाला गया है।
डेटासेट: रिपोर्ट 22 उद्योग समूहों और 55 अर्थव्यवस्थाओं में 1,000 अग्रणी वैश्विक नियोक्ताओं के व्यापक सर्वेक्षण से प्राप्त एक अद्वितीय डेटासेट का परिणाम है।
मुख्य विशेषताएँ
रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2030 तक 170 मिलियन नई नौकरियाँ सृजित होंगी तथा नौकरियों में व्यवधान वर्ष 2030 तक 22 प्रतिशत नौकरियों के बराबर होगा।
चालक: वर्ष 2030 तक वैश्विक श्रम बाजार को आकार देने और बदलने के लिए अपेक्षित प्रमुख चालक हैं:-
तकनीकी परिवर्तन: AI और सूचना प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों (81%) का सबसे बड़ा प्रभाव होगा, उसके बाद रोबोट और ऑटोमेशन प्रणालियाँ (58%) और ऊर्जा उत्पादन एवं भंडारण प्रौद्योगिकियाँ (41%) वर्ष 2030 तक अपने व्यवसाय को बदल देंगी।
भू-आर्थिक विखंडन: व्यापार और निवेश प्रतिबंध लगाने, सब्सिडी बढ़ाने आदि जैसे वैश्विक स्तर पर सरकारों द्वारा बढ़ते संरक्षणवादी उपाय वैश्विक आर्थिक विकास के लिए मध्यम अवधि का जोखिम उत्पन्न करते हैं, जिससे खुले नवाचार एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के अवसर कम हो जाते हैं।
आर्थिक अनिश्चितता: मुद्रास्फीति में कमी और लचीली मौद्रिक नीति कुछ उम्मीद प्रदान करती है, लेकिन धीमी वृद्धि और राजनीतिक अस्थिरता कई देशों को आर्थिक झटकों के जोखिम में स्थान देती है।
जनसांख्यिकीय बदलाव: रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में 40% नियोक्ता, उम्र बढ़ने और कार्य करने की आयु में कमी को बढ़ावा दे रहे है, जबकि 25% कार्य करने की आयु में वृद्धि को बढ़ावा दे रहे हैं।
हरित परिवर्तन: ऑटोमोटिव और एयरोस्पेस, तथा खनन और धातु जैसे उद्योगों में महत्त्वपूर्ण संगठनात्मक परिवर्तन होगा, क्योंकि श्रमिक कार्बन-मुक्ति की ओर बढ़ने के साथ ही वैकल्पिक नौकरियों में बदलाव के लिए कौशल उन्नयन और पुनर्कौशलीकरण का सहारा लेंगे।
कौशल सेट में रुझान: वर्ष 2025 तथा वर्ष 2030 के बीच अगले कुछ वर्षों में जिन कौशल सेटों में वृद्धि देखी जाएगी, वे हैं एआई, बिग डेटा, साइबर सुरक्षा, क्रिएटिव थिंकिंग, बहुभाषावाद आदि।
क्रिएटिव थिंकिंग कौशल में ‘रिजिलियंस, फ्लेक्सिबिलिटी और एगिलिटी’ के कौशल के साथ-साथ 66 प्रतिशत की नेट वृद्धि देखी गई।
सबसे कम वृद्धि: ‘निर्भरता और विस्तार पर ध्यान’ के कौशल में केवल 12 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
नकारात्मक वृद्धि: ‘पढ़ना, लिखना और गणना अधिगम’ कौशल में नकारात्मक वृद्धि दर 4 प्रतिशत रही, तथा ‘शारीरिक निपुणता, सहनशक्ति और परिशुद्धता’ में नकारात्मक वृद्धि दर 24 प्रतिशत रही।
तेजी से बढ़ती नौकरियाँ
प्रतिशत के हिसाब से: AI और मशीन लर्निंग, सॉफ्टवेयर और एप्लिकेशन डेवलपर्स, और फिनटेक इंजीनियर।
पूर्ण मात्रा के हिसाब से: खेतिहर मजदूर, डिलीवरी ड्राइवर, निर्माण मजदूर, विक्रेता, खाद्य प्रसंस्करण मजदूर, नर्सिंग पेशेवर, सामाजिक कार्य आदि जैसी केयर इकॉनमी की नौकरियों में मात्रा के हिसाब से सबसे अधिक वृद्धि देखी जाएगी।
सबसे तेजी से घट रही नौकरियाँ: इस सूची में डाक सेवा क्लर्क, बैंक टेलर और संबंधित क्लर्क, डेटा एंट्री क्लर्क, कैशियर और टिकट क्लर्क सबसे ऊपर हैं।
अन्य भूमिकाएँ: इसमें मुद्रण और व्यापार कर्मचारी, लेखा, बहीखाता तथा पेरोल क्लर्क, सामग्री-रिकॉर्डिंग और स्टॉक-कीपिंग क्लर्क, परिवहन परिचारक और कंडक्टर, कानूनी सचिव और टेलीमार्केटर शामिल थे।
भारत पर फोकस
चालक: वर्ष 2030 तक नौकरियों के भविष्य को आकार देने वाले प्राथमिक रुझान हैं, डिजिटल पहुँच में वृद्धि, भू-राजनीतिक तनाव और जलवायु-शमन प्रयास।
निवेश: ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ AI, रोबोटिक्स और स्वायत्त प्रणालियों जैसी प्रौद्योगिकियों में कंपनियों द्वारा निवेश में वृद्धि हुई है।
प्रौद्योगिकी अपनाना: भारत में सेमीकंडक्टर और कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकियों (35%) जैसी कुछ प्रौद्योगिकियों को अपनाने में वैश्विक स्तर पर आगे निकलने की उम्मीद है और 21 प्रतिशत लोगों को उम्मीद है कि क्वांटम और एन्क्रिप्शन उनके संचालन को बदल देंगे।
सबसे तेजी से बढ़ती नौकरी भूमिकाएँ: बिग डेटा विशेषज्ञ, AI और मशीन लर्निंग संबंधी विशेषज्ञ तथा सुरक्षा प्रबंधन विशेषज्ञ
विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum)
विश्व आर्थिक मंच (WEF) एक अंतरराष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है, जो सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता है।
स्थापना: WEF की स्थापना वर्ष 1971 में जर्मन अर्थशास्त्री क्लॉस श्वाब (Klaus Schwab) द्वारा यूरोपीय प्रबंधन मंच के रूप में की गई थी।
संगठन ने वर्ष 1987 में अपना नाम बदलकर विश्व आर्थिक मंच कर लिया।
मुख्यालय: कोलोग्नी-जिनेवा (Cologny-Geneva)।
अधिदेश: मंच का मुख्य लक्ष्य वैश्विक मुद्दों को संबोधित करने और सरकारी, उद्योग तथा सामाजिक एजेंडा को आकार देने के लिए सहयोगी उद्यमशीलता की भावना को बढ़ावा देना है।
वित्तपोषण: WEF को सदस्य कंपनियों द्वारा वित्तपोषित किया जाता है, जो वैश्विक उद्यम हैं और जिनका टर्नओवर पाँच बिलियन डॉलर से अधिक है।
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