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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर G4 देशों की चर्चा

Lokesh Pal August 14, 2024 02:55 90 0

संदर्भ

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप-स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों से निपटने में असमर्थ है, क्योंकि इसमें प्रतिनिधित्व का अभाव है।

  • वह ‘अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना: ऐतिहासिक अन्याय का समाधान करना और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफ्रीका का प्रभावी प्रतिनिधित्व बढ़ाना’ विषय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उच्च स्तरीय बहस में G4 देशों (ब्राजील, जर्मनी, जापान और भारत) की ओर से वक्तव्य दे रहे थे।

संबंधित तथ्य

  • G4 देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की माँग: भारत ने युवा तथा भावी पीढ़ियों की आवाज पर ध्यान देते हुए सुधारों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें अफ्रीका भी शामिल है, जहाँ ऐतिहासिक अन्याय को सुधारने की माँग लगातार मजबूत हो रही है।
  • प्रतिनिधित्व में वृद्धि: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, सुधार के समूह के मॉडल में स्पष्ट रूप से प्रस्ताव दिया गया है कि 6 स्थायी और चार या पाँच अस्थायी सदस्यों को जोड़कर सुरक्षा परिषद की सदस्यता को वर्तमान 15 से बढ़ाकर 25-26 किया जाए।
    • छह नए स्थायी सदस्यों में से दो-दो सदस्य अफ्रीकी देशों और एशिया-प्रशांत देशों से, एक-एक सदस्य लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों से तथा एक-एक सदस्य पश्चिमी यूरोपीय देशों और अन्य देशों से प्रस्तावित है।
  • अफ्रीका पर ध्यान: स्थायी सदस्यता से जुड़े अधिकारों और विशेषाधिकारों, जैसे- वीटो, पर G4 समूह ने सामान्य अफ्रीकी स्थिति पर जोर दिया कि जब तक यह मौजूद है, यह सभी स्थायी सदस्यों, नए और पुराने दोनों को समान रूप से उपलब्ध होना चाहिए।
    • G4 देशों का मानना ​​है कि स्थायी एवं अस्थायी श्रेणियों में अफ्रीकी प्रतिनिधित्व UNSC सुधार का एक अनिवार्य हिस्सा होगा, ताकि परिषद अधिक प्रतिनिधिपूर्ण और प्रभावी बन सके।
    • पिछले वर्ष सितंबर में भारत की अध्यक्षता में आयोजित नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के दौरान G20 ने अफ्रीकी संघ को पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया था।
    • चूँकि चर्चा के तहत UNSC के एजेंडे में 70% से अधिक विषय-वस्तु अफ्रीका से संबंधित है, इसलिए इसे एक स्थायी समाधान मिलना चाहिए।
    • साथ ही, अफ्रीका सबसे युवा जनसांख्यिकी, विशाल प्राकृतिक संसाधनों, विस्तारित क्षमताओं, बढ़ते बाजारों और बढ़ती महत्त्वाकांक्षाओं वाला महाद्वीप है।
  • भावी कार्रवाई: अगले महीने के अंत में न्यूयॉर्क में वार्षिक उच्च स्तरीय संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के लिए विश्व के नेता एकत्रित होंगे तथा वे संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा आयोजित महत्त्वाकांक्षी भविष्य के शिखर सम्मेलन में भी भाग लेंगे।
    • शिखर सम्मेलन में अंतर-सरकारी स्तर पर वार्ता के आधार पर, कार्रवाई-उन्मुख ‘भविष्य के लिए समझौता’ तैयार किया जाएगा, जिसमें अन्य बातों के अलावा सतत् विकास और वृद्धि के लिए वित्तपोषण, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा पर अध्याय होंगे।

ग्रुप ऑफ फोर (G4) राष्ट्रों के बारे में

G4 राष्ट्र पारंपरिक रूप से वार्षिक उच्च स्तरीय संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के दौरान मिलते हैं।

  • प्रतिनिधित्व: यह ब्राजील, जर्मनी, भारत तथा जापान के समूह का प्रतिनिधित्व करता है जो UNSC के स्थायी सदस्य बनने के इच्छुक हैं।
  • उद्देश्य: इसका गठन वर्ष 2005 में UNSC की स्थायी सदस्यता के लिए एक-दूसरे का समर्थन करने के लिए किया गया था।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बारे में

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत वर्ष 1945 में स्थापित, संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है।

  • सदस्य: इसमें 15 सदस्य होते हैं, जिनमें 5 स्थायी सदस्य (P5) और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जो दो वर्ष के कार्यकाल के लिए चुने जाते हैं।
    • स्थायी सदस्य संयुक्त राज्य अमेरिका, रूसी संघ, फ्राँस, चीन तथा यूनाइटेड किंगडम हैं।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता

  • व्यापक एवं समावेशी प्रतिनिधित्व: संयुक्त राष्ट्र एक बड़े विश्व का प्रतिनिधित्व करता है, हालाँकि इसके स्थायी सदस्यों में केवल 5 ही हैं।
    • सुदूर पूर्व एशिया, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों का UNSC की स्थायी सदस्यता में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
    • संयुक्त राष्ट्र की स्थापना वर्ष 1945 में हुई थी और इसमें 51 देशों की कुल सदस्यता में से 11 सदस्य शामिल थे, यानी सदस्य देशों का लगभग 22%। जबकि आज, संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देश हैं और परिषद के केवल 15 सदस्य हैं, यानी 8% से भी कम सदस्य शामिल हैं।
    • कई देशों का जनसंख्या और सदस्यता के अनुपात के आधार पर इस निकाय में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं हैं।
  • समकालीन वास्तविकताएँ: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की वर्तमान संरचना द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व करती है और इसलिए यह दुनिया में शक्ति के बदलते संतुलन के साथ सामंजस्य नहीं रखती है।
  • स्थायी सदस्यों द्वारा वीटो शक्ति: पाँच स्थायी सदस्यों (चीन, फ्राँस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका) को परिषद के किसी भी प्रस्ताव या निर्णय पर वीटो का विशेषाधिकार प्राप्त है।
  • अनुचित महत्त्व: परिषद की संरचना उस दौर के शक्ति संतुलन को अनुचित महत्त्व देती है।
    • उदाहरण के लिए, यूरोप में विश्व की जनसंख्या का मात्र 5% हिस्सा है, तथापि किसी भी वर्ष में (रूस को छोड़कर) 33% सीटों पर उसका नियंत्रण होता है।
  • समानता में अन्याय: जापान और जर्मनी दशकों से संयुक्त राष्ट्र के बजट में दूसरे और तीसरे सबसे बड़े योगदानकर्ता रहे हैं, जबकि संयुक्त राष्ट्र चार्टर में उन्हें अभी भी ‘शत्रु राष्ट्र’ माना जाता है (चूंँकि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना द्वितीय विश्वयुद्ध के विजयी सहयोगियों द्वारा की गई थी)।
  • अवसरों से वंचित करना: यह भारत जैसे अन्य राष्ट्रों को अवसरों से वंचित करता है, जो अत्यधिक आबादी वाले हैं, विश्व अर्थव्यवस्था में एक बड़ा हिस्सा रखते हैं, या संयुक्त राष्ट्र में योगदान (जैसे शांति अभियानों में भागीदारी) ने विश्व मामलों के विकास को आकार देने में मदद की है, जो UNSC सुधारों की आवश्यकता को उजागर करता है।

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