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गंगा जल बँटवारा संधि

Lokesh Pal June 25, 2024 03:47 203 0

संदर्भ

हाल ही में केंद्र सरकार ने वर्ष 1996 की गंगा जल बँटवारा संधि (Ganga Water Sharing Treaty) के समीक्षा एवं अद्यतन के लिए बांग्लादेश के साथ वार्ता शुरू करने का निर्णय लिया किंतु इस निर्णय में पश्चिम बंगाल सरकार से परामर्श न लेने के कारण पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्र सरकार की आलोचना की है। 

हालिया घटनाक्रम

  • वर्ष 1996 की गंगा जल संधि का नवीनीकरण: भारतीय प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि भारत और बांग्लादेश वर्ष 1996 की गंगा जल संधि के नवीनीकरण के लिए तकनीकी स्तर की वार्ता शुरू करेंगे। 
    • तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक भारतीय तकनीकी टीम शीघ्र ही बांग्लादेश का दौरा करेगी। 

  • आलोचनाएँ 
    • पश्चिम बंगाल से परामर्श नहीं किया गया: पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा इस बात की आलोचना की जा रही है, कि संधि के एक पक्षकार के रूप में पश्चिम बंगाल राज्य से परामर्श नहीं किया गया तथा पिछली संधि की बकाया राशि का भी  भुगतान नहीं किया गया है। 
    • गंगा नदी में उत्खनन पर रोक: इसके अतिरिक्त, गंगा में उत्खनन रोक दिए जाने से बाढ़ और कटाव की स्थिति उत्पन हो सकती है। 

गंगा जल बँटवारा संधि (Ganga Water Sharing Treaty)

  • पृष्ठभूमि
    • भारत और बांग्लादेश 54 सीमापार नदियाँ साझा करते हैं, जो भारत और बांग्लादेश दोनों से होकर प्रवाहित होती हैं, जिनमें से गंगा प्रमुख मौसमी नदी है।
    • वर्ष 1975 में भारत ने फरक्का में गंगा पर एक बैराज का निर्माण किया गया जो:
      • हुगली नदी में जल के प्रवाह को परिवर्तित करने के लिए तथा 
      • कलकत्ता बंदरगाह की सफाई इस प्रकार सुनिश्चित करना, जिससे गंगा के जल के रूप में बांग्लादेश का हिस्सा प्रभावित न हो। 

  • संधि के बारे में
    • इस संधि के तहत, उच्च तटवर्ती भारत और निम्न तटवर्ती बांग्लादेश ने फरक्का (जो भारत में गंगा नदी पर अंतिम जल नियंत्रण संरचना है) में इस सीमा पार नदी के जल  को साझा करने पर सहमति व्यक्त की, जो बांग्लादेश की सीमा से लगभग 10 किलोमीटर दूर भागीरथी नदी पर निर्मित एक बाँध है। 
    • वैधता: यह संधि 30 वर्ष की अवधि के लिए थी, जो वर्ष 2026 में समाप्त हो जाएगी। 
    • साझाकरण अवधि: कम उत्पादन अवधि के दौरान, प्रत्येक वर्ष 1 जनवरी से 31 मई तक, संधि में दिए गए फार्मूले के अनुसार 10 दिन की अवधि के आधार पर। 
    • गंगा जल बँटवारे का फार्मूला
      • यदि फरक्का में जल की उपलब्धता 70,000 क्यूसेक से कम है तो जल का विभाजन 50:50 (प्रत्येक को 35,000 क्यूसेक) के आधार पर किया जाता है।
      • यदि उपलब्धता 70,000 और 75,000 क्यूसेक के बीच है तो बांग्लादेश को 35,000 क्यूसेक जल एवं शेष जल भारत को प्राप्त होता है। 
      • यदि उपलब्धता 75,000 क्यूसेक या इससे अधिक है तो भारत को 75,000 क्यूसेक जल प्राप्त होता है, शेष बांग्लादेश को प्राप्त होता है।
      • महत्त्वपूर्ण माह (अप्रैल): बांग्लादेश को अप्रैल के पहले और अंतिम दस दिनों में 35,000 क्यूसेक जल प्रवाह की गारंटी दी जाती है। 
      • आपातकालीन समायोजन: यदि किसी भी दस दिवसीय अवधि में प्रवाह 50,000 क्यूसेक से कम हो जाता है, तो दोनों राष्ट्रों की सरकारें आपातकालीन समायोजन के लिए परामर्श करेंगी। 
    • निगरानी: एक संयुक्त समिति फरक्का में फीडर नहर और हार्डिंग ब्रिज (बांग्लादेश के अंदर वह स्थान जहाँ प्रवाह की निगरानी की जाती है) पर दैनिक जल प्रवाह की निगरानी करती है, तथा दोनों राष्ट्रों की सरकारों को वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करती है। 
    • चिंताएँ
      • परामर्श संबंधी चिंताएँ: संधि नवीनीकरण में परामर्श की कमी तथा पिछले समझौतों के दायित्वों की पूर्ति न होने के संबंध में, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में, आलोचनाएँ की गई हैं। 
      • बाढ़, कटाव और गाद: पश्चिम बंगाल और बिहार ने संधि के विषय में कई चिंताएँ जताई हैं, जिनमें गंगा नदी पर फरक्का बैराज के कारण मृदा कटाव, अवसाद का जमाव एवं बाढ़ शामिल है, क्योंकि यह नदी के तलछट को न्यूनतम अवरोध के साथ प्रवाह की अनुमति नहीं देता है। 
      • लवणता में वृद्धि और मरुस्थलीकरण: ऊपरी गंगा प्रवाह में वनों की कटाई और मृदा कटाव में खतरनाक वृद्धि के कारण निचले प्रवाह की ओर अवसाद जमाव जैसी स्थितियाँ उत्पन्न हो रही है। लवणता में वृद्धि के साथ इस क्षेत्र में मरुस्थलीकरण को बढ़ावा मिल रहा है। 
      • सुंदरबन क्षेत्र पर प्रभाव: विश्व  का सबसे बड़ा मैंग्रोव वन और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल सुंदरबन, फरक्का बैराज के कारण विनाशकारी प्रभावों का सामना कर रहा है। गंगा से हिमालय की तलछट द्वारा निर्मित यह वन अब संकटग्रस्त हो रहा है, क्योंकि शुष्क मौसम के दौरान फरक्का में पानी की निकासी के कारण तलछट युक्त मीठे जल का निर्वहन कम हो जाता है, जिससे इसके पारिस्थितिकी तंत्र को खतरा पैदा हो रहा है।
      • जल वितरण: बांग्लादेश फरक्का बैराज से जल के प्रभाव और न्यायसंगत वितरण के बारे में चिंतित है। उदाहरण- वर्ष 1949 से 1988 के मध्य फरक्का में औसत प्रवाह का उपयोग वर्ष 1996 की संधि की प्रमुख विशेषताओं को तैयार करने के लिए किया गया था, जहाँ जलवायु परिवर्तन के अपरिहार्य मुद्दे को नजरअंदाज कर दिया गया था। 

निष्कर्ष

सभी पक्षों के मध्य वार्ता एवं तकनीकी समीक्षा में सभी निहित पक्षों को शामिल करने की आवश्यकता है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि संधि के उद्देश्य पूरे हों और इस महत्त्वपूर्ण संसाधन के लाभ भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रहें। 

गंगा नदी 

  • सीमापार नदी: गंगा नदी एक सीमापारीय नदी है, जो भारत और बांग्लादेश से होकर बहती है। 
  • उद्गम: इस नदी का उद्गम उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 3,900 मीटर की ऊँचाई पर स्थित गौमुख के निकट  गंगोत्री ग्लेशियर से होता है। 
  • गंगा नदी प्रणाली का भौगोलिक विस्तार: नदी की लंबाई 2,525 किलोमीटर है। यह उत्तराखंड (110 किलोमीटर) और उत्तर प्रदेश (1,450 किलोमीटर), बिहार (445 किलोमीटर) और पश्चिम बंगाल (520 किलोमीटर) से होकर प्रवहित होती है। 
  • पद्मा: गंगा नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है, जहाँ इसका नाम पद्मा है। 
    • इसमें जमुना (ब्रह्मपुत्र की निचली धारा) और अंततः मेघना नदी मिलती है। 

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