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‘गरबा’ नृत्‍य यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल (‘Garba’ dance included in UNESCO’s intangible cultural heritage list)

Lokesh Pal December 07, 2023 06:17 267 0

संदर्भ

  • यूनेस्‍को के अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए अंतर-सरकारी समिति की 18वीं बैठक 5 से 9 दिसम्‍बर तक बोत्सवाना के ‘कसाने’ शहर में आयोजित हो रही है। इस दौरान 6 दिसंबर को यूनेस्को ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में ‘गुजरात के गरबा’ को शामिल किया है।

संबंधित तथ्य

  • यह समावेशन ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए 2003 कन्वेंशन’ के प्रावधानों के तहत किया गया है।
  • इस उल्लेखनीय अवसर का जश्न मनाने के लिए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) के आठ नर्तकों के एक समूह ने यूनेस्को बैठक स्थल पर गरबा का प्रदर्शन किया। 

भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR)

  • भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) की स्थापना वर्ष 1950 में स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने की थी। 
  • इसका उद्देश्य भारत के बाहरी सांस्कृतिक संबंधों से संबंधित नीतियों और कार्यक्रमों के निर्माण और कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से भाग लेना है। 
    • भारत और अन्य देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों और आपसी समझ को बढ़ावा देना और मजबूत करना।
    • अन्य देशों और लोगों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना और राष्ट्रों के साथ संबंध विकसित करना।

  • भारत में, गुजरात सरकार ने इस मील के पत्थर का जश्न मनाने के लिए राज्य भर में कई ‘गरबा’ कार्यक्रम आयोजित किए।
  • गुजरात का ‘गरबा’ नृत्‍य इस सूची में शामिल होने वाली भारत की 15वीं अमूर्त सांस्कृतिक विरासत है। 
  • अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक निकाय ने ‘गरबा’ को पूरे गुजरात राज्य और पूरे भारत में किया जाने वाला एक अनुष्ठानिक और भक्तिपूर्ण नृत्य बताया।

गुजरात का ‘गरबा’ नृत्‍य:

  • नारी शक्ति की पूजा का द्योतक: नवरात्रि के त्योहार के दौरान नौ दिनों तक गरबा मनाया जाता है। यह त्योहार स्त्री ऊर्जा या शक्ति की पूजा के लिए समर्पित है। इस स्त्री ऊर्जा की सांस्कृतिक, प्रदर्शनात्मक और दृश्य अभिव्यक्तियाँ, गरबा नृत्य के माध्यम से व्यक्त की जाती हैं। 
  • गरबा का प्रदर्शन: गरबा का प्रदर्शन उत्सवों के अवसर पर घरों और मंदिर प्रांगणों, गाँवों के सार्वजनिक स्थानों, सड़कों और बड़े खुले मैदानों में होता है। इस प्रकार गरबा एक सर्वव्यापी भागीदारी वाला सामुदायिक कार्यक्रम बन जाता है।
  • यह नृत्‍य सामाजिक और लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देने वाली महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। 
  • एक नृत्य शैली के रूप में गरबा जन-जन की जड़ों में गहराई से समाया हुआ है जिसमें जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग शामिल हैं जो विभिन्‍न समुदायों को बिना किसी भेदभाव के एक साथ लाने वाली एक जीवंत परंपरा के रूप में विकसित हो रहा है।

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन’ (UNESCO):

इतिहास:

  • वर्ष 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान धुरी राष्ट्रों का सामना कर रहे यूरोपीय देशों ने  यूनाइटेड किंगडम में ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ़ अलाइड मिनिस्टर्स ऑफ एजुकेशन’ (Conference of Allied Ministers of Education – CAME) का आयोजन किया था।
  • CAME के प्रस्ताव के आधार पर एक ‘शैक्षिक और सांस्कृतिक संगठन’ की स्थापना के लिए नवंबर, 1945 में लंदन में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन बुलाया गया था। इस सम्मेलन के अंत में 16 नवंबर, 1945 को यूनेस्को की स्थापना की गई थी। 
  • यूनेस्को के जनरल कॉन्फ्रेंस का प्रथम सत्र वर्ष 1946 में नवंबर-दिसंबर के दौरान पेरिस में आयोजित किया गया था।
  • यह संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है। यह शिक्षा, विज्ञान एवं संस्कृति के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से शांति स्थापित करने का  प्रयास करती है। 
  • यह संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास समूह (UN SDG) का सदस्य है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों एवं संगठनों के इस समूह का उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्यों को पूरा करना है। 
  • यूनेस्को का मुख्यालय पेरिस में अवस्थित है एवं विश्व में इसके 50 से अधिक क्षेत्रीय कार्यालय हैं।
  • अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए वर्ष 2003 के यूनेस्को कन्वेंशन की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में वर्तमान में 5 क्षेत्रों और 143 देशों के लगभग 704 तत्त्व शामिल हैं। इसमें अभिव्यक्ति के ऐसे रूप शामिल हैं जो अमूर्त विरासत की विविधता को प्रोत्साहन देते हैं और इसके महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाते हैं।

कार्य:

  • सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और उन्हें उम्र भर सीखने हेतु प्रेरित करना।
  • सतत् विकास के लिए नीति एवं विज्ञान संबंधी ज्ञान का उपयोग करना।
  • सांस्कृतिक विविधता, परस्पर संवाद एवं शांति की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना।
  • संचार एवं सूचना के माध्यम से समावेशी ज्ञान से युक्त समाज का निर्माण करना।
  • विश्व के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों जैसे ‘अफ्रीका’ एवं ‘लैंगिक समानता’ पर ध्यान केंद्रित करना।
  • उभरती सामाजिक और नैतिक चुनौतियों को संबोधित करना।

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