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गर्भ-इनि-दृष्टि (GARBH-INi-DRISHTI) डेटा रिपॉजिटरी

Lokesh Pal February 07, 2025 03:56 18 0

संदर्भ

जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए अपनी पहली फेरेट अनुसंधान सुविधा, गर्भ-इनि-दृष्टि (GARBH-INi-DRISHTI) डेटा रिपॉजिटरी प्रारंभ की है।

  • इसने एक महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं।

गर्भ-इनि-दृष्टि (GARBH-INi-DRISHTI) डेटा रिपॉजिटरी के बारे में

  • विकासकर्ता: ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट (Translational Health Science and Technology Institute-THSTI)।
    • THSTI, फरीदाबाद (हरियाणा) में स्थित जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) का एक स्वायत्त संस्थान है।

प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते के बारे में

  • सुंद्योटा नुमान्डिस प्रोबायोस्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड (Sundyota Numandis Probioceuticals Pvt. Ltd.) के साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
  • उद्देश्य: महिलाओं के स्वास्थ्य अनुप्रयोग के लिए THSTI के अभिनव माइक्रोबियल संघ, लैक्टोबैसिलस क्रिस्पैटस का व्यावसायीकरण करना।
  • संभावित अनुप्रयोग
    • प्रजनन स्वास्थ्य के लिए न्यूट्रास्युटिकल्स और प्रोबायोटिक्स।
    • योनि संक्रमण और मूत्र मार्ग संक्रमण (Urinary Tract Infections-UTI) के उपचार के लिए।

  • उद्देश्य: यह दक्षिण एशिया के गर्भवती महिलाओं के सबसे बड़े समूह संबंधी डेटासेट में से एक तक पहुँच प्रदान करेगा।
  • महत्त्व
    • इसमें 12,000 से अधिक गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं और प्रसवोत्तर माताओं से प्राप्त नैदानिक ​​डेटा, चित्र और बायोस्पेसिमेन शामिल हैं।
    • वैश्विक शोधकर्ताओं को मातृ और नवजात स्वास्थ्य पर अध्ययन करने के लिए सशक्त बनाता है।
  • यह GARBH-INi कार्यक्रम का हिस्सा है, जो मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए एक राष्ट्रीय पहल है।

GARBH-INi कार्यक्रम के बारे में

  • उद्देश्य: मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य अनुसंधान को बढ़ाना तथा समय से पहले जन्म के लिए पूर्वानुमान उपकरण विकसित करना।
  • पहल: जैव प्रौद्योगिकी विभाग, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय।
  • यह अटल जय अनुसंधान बायोटेक मिशन का हिस्सा है, जो राष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक प्रौद्योगिकी नवाचार (Undertaking Nationally Relevant Technology Innovation-UNaTI) का उपक्रम है।

भारत की पहली फेरेट अनुसंधान सुविधा के बारे में

  • यह फेरेट्स को केंद्र में रखते हुए उन्नत जैव चिकित्सा अनुसंधान के लिए डिजाइन की गई अत्याधुनिक जैव सुरक्षा प्रयोगशाला है।
  • वैक्सीन विकास, संक्रामक रोग अनुसंधान और महामारी की तैयारी के लिए भारत की क्षमता को मजबूत करता है।
  • सुविधा स्थल: THSTI, फरीदाबाद, हरियाणा।

फेरेट्स (Ferrets) क्यों?

  • फेरेट्स [मुस्टेला पुटोरियस फ्यूरो (Mustela Putorius Furo)]
    • नेवला परिवार के छोटे, मांसाहारी स्तनधारी।
    • 2,500 से अधिक वर्षों से पालतू बनाए गए और आमतौर पर बायोमेडिकल अनुसंधान में उपयोग किए जाते हैं।
  • फेरेट्स का उपयोग जैव-चिकित्सा अनुसंधान में व्यापक रूप से किया जाता है, विशेष रूप से:
    • इन्फ्लूएंजा, कोविड-19 और तपेदिक जैसी श्वसन संबंधी बीमारियाँ में।

    • उभरते संक्रामक रोगों के लिए वैक्सीन और दवा परीक्षण में।
    • न्यूरोलॉजिकल और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल अध्ययन में।
    • प्रजनन स्वास्थ्य और आनुवंशिक अनुसंधान में।
  • प्राथमिकता का कारण: उनकी श्वसन प्रणाली मनुष्यों से काफी मिलती-जुलती है, जो उन्हें वायुजनित रोगों के अध्ययन के लिए आदर्श बनाती है।

लैक्टोबैसिलस क्रिस्पैटस (Lactobacillus Crispatus) के बारे में 

  • लैक्टोबैसिलस क्रिस्पैटस (एल. क्रिस्पैटस) [Lactobacillus Crispatus (L. Crispatus)]: एक लाभदायक प्रोबायोटिक जीवाणु है, जो प्राकृतिक रूप से महिला के प्रजनन एवं मूत्र मार्ग में उपस्थित होता है।
  • लैक्टिक एसिड, हाइड्रोजन परॉक्साइड (H₂O₂) और रोगाणुरोधी यौगिकों का उत्पादन करके एक स्वस्थ वजाइनल माइक्रोबायोम को बनाए रखने में मदद करता है।
  • लैक्टोबैसिलस क्रिस्पैटस और THSTI अनुसंधान: THSTI ने GARBH-INi समूह में नामांकित भारतीय महिलाओं से एल. क्रिस्पैटस (L. Crispatus) के आनुवंशिक रूप से परिभाषित स्ट्रेन को अलग किया। 
  • गर्भवती महिलाओं के लिए यह आवश्यक है क्योंकि:
    • समय से पहले जन्म के जोखिम को कम करता है।
    • बाँझपन और गर्भावस्था की जटिलताओं से जुड़े संक्रमणों को रोकता है।

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