100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

केंद्रीय बजट 2025-2026 में जेंडर बजट हेतु आवंटन

Lokesh Pal February 06, 2025 04:29 18 0

संदर्भ

केंद्रीय बजट 2025- 2026 में कुल केंद्रीय बजट में जेंडर बजट आवंटन में काफी बढोतरी देखी गई है।

जेंडर बजट संबंधी आँकड़े

  • आवंटन में वृद्धि: कुल केंद्रीय बजट के प्रतिशत के रूप में जेंडर बजट आवंटन वित्त वर्ष 2025-26 में 8.86% तक बढ़ गया, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 में यह 6.8% था।
  • कुल आवंटन: वित्त वर्ष 2025-26 में महिलाओं तथा लड़कियों के कल्याण के लिए 4.49 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में 3.27 लाख करोड़ रुपये से 37.25% अधिक है।

जेंडर बजट विवरण (GBS) घटक 

  • भाग A (100% महिला-विशिष्ट योजनाएँ): 17 मंत्रालयों/विभागों और 5 केंद्रशासित प्रदेशों के लिए ₹1,05,535.40 करोड़ (कुल GBS आवंटन का 23.50%) का आवंटन किया गया।
  • भाग B (महिलाओं के लिए 30-99% आवंटन): 37 मंत्रालयों/विभागों और 4 केंद्रशासित प्रदेशों के लिए ₹3,26,672 करोड़ (कुल GBS आवंटन का 72.75%)।
  • भाग C (महिलाओं के लिए 30% से कम आवंटन): 22 मंत्रालयों/विभागों के लिए ₹16,821.28 करोड़ (कुल GBS आवंटन का 3.75%)।

जेंडर बजट के बारे में

  • जेंडर बजट, महिलाओं को मुख्यधारा में लाने का एक साधन है, जो बजट को संपूर्ण नीति प्रक्रिया में लैंगिक दृष्टिकोण लागू करने के लिए प्रवेश बिंदु के रूप में प्रयोग करता है।
  • जेंडर बजट कोई पृथक बजट नहीं है और न ही यह महिलाओं तथा पुरुषों पर समान खर्च से संबंधित है।
    • जेंडर बजट में सरकार की विभिन्न आर्थिक नीतियों का लैंगिक परिप्रेक्ष्य से विश्लेषण किया जाता है।

  • कार्य: यह केंद्रीय बजट का एक अलग विवरण (अलग बजट नहीं) प्रस्तुत करता है, यह महिलाओं और लड़कियों के लिए लक्षित बजटीय आवंटन और व्यय का अनुमान प्रदान करता है।
    • इसमें लैंगिक परिप्रेक्ष्य से सरकार की विभिन्न आर्थिक नीतियों का विश्लेषण किया गया है।

  • जेंडर बजटिंग (GB) के पीछे तर्क
    • समानता और दक्षता: नागरिकों के बीच समानता को बढ़ावा देने के मूल सिद्धांत के अलावा, जेंडर बजटिंग दक्षता लाभ के माध्यम से अर्थव्यवस्था को लाभ पहुँचा सकता है।
    • लैंगिक  आधार पर प्रणालीगत अंतर को ध्यान में रखना: पुरुषों और महिलाओं की बजटीय नीतियों के लिए प्रायः अलग-अलग प्राथमिकताएँ होती हैं और लैंगिक आधार पर संवेदनशील बजट, महिलाओं की चिंताओं को लैंगिक नजरिए से संबोधित करने में काफी सहायक सिद्ध हो सकता है।
  • अपेक्षाएँ: प्रभावी ढंग से लागू किए जाने पर, जेंडर बजट यह उजागर करने में मदद करता है कि कैसे अनजाने में लैंगिक असमानताएँ सार्वजनिक नीतियों में अंतर्निहित हो गई हैं, ताकि संसाधनों को अधिक समान रूप से आवंटित किया जा सके।
    • इससे बजट उपायों को प्राथमिकता देने में भी मदद मिलती है, जो प्रमुख लैंगिक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक होंगे।

महिला-नेतृत्व वाले विकास तथा महिला-केंद्रित विकास के बीच अंतर

महिला-नेतृत्व विकास और महिला-केंद्रित विकास दोनों ही विकास के दृष्टिकोण हैं, जो महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन वे अपने फोकस और दृष्टिकोण में भिन्न हैं:

  • महिला-नेतृत्व विकास: यह महिलाओं को अग्रणी भूमिका निभाने और समुदाय या समाज की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक प्रगति को आकार देने में सक्रिय रूप से भाग लेने पर केंद्रित है।
    • इसके कुछ लक्ष्यों में शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता को बढ़ावा देना तथा लैंगिक डिजिटल विभाजन को कम करना शामिल है।
  • महिला-केंद्रित विकास: यह महिलाओं को समाज में एक महत्त्वपूर्ण शक्ति के रूप में स्वीकार करने और उन्हें विकास कार्यक्रमों में एकीकृत करने पर केंद्रित है।
    • इसके कुछ लक्ष्यों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार, कठिनाई को कम करना और क्षमता निर्माण शामिल हैं।

जेंडर बजट का विकास

  • इसे पहली बार वर्ष 1984 में ऑस्ट्रेलिया में महिलाओं पर राष्ट्रीय बजट के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए प्रस्तुत किया गया था और इस दृष्टिकोण को कनाडा, दक्षिण अफ्रीका और फिलीपींस सहित अन्य देशों द्वारा अपनाया गया था।
  • संयुक्त राष्ट्र बीजिंग प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन: वर्ष 1995 में, इसने सरकारी बजट प्रक्रियाओं में लैंगिक दृष्टिकोण को एकीकृत करने का आह्वान किया।

  • संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्य (SDG): वर्ष 2015 में, इसने लैंगिक समानता (SDG5) के लिए बजट आवंटन को ट्रैक करने के लिए पर्याप्त संसाधनों और उपकरणों का आह्वान किया।
  • अदीस अबाबा एक्शन एजेंडा फॉर डेवलपमेंट: वर्ष 2015 में, इसने लैंगिक समानता के लिए संसाधन आवंटन को ट्रैक करने और जेंडर बजट के लिए क्षमता को मजबूत करने के महत्त्व को मान्यता दी।
  • वूमेन-20 (W20) (G20 के लिए एक आधिकारिक जुड़ाव समूह): वर्ष 2014 में ऑस्ट्रेलिया में स्थापित, और इसने आधिकारिक तौर पर वर्ष 2015 में तुर्की में परिचालन शुरू किया।
    • वर्ष 2020 में, इसने जेंडर बजट में अधिक निवेश का आह्वान किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोविड-19 महामारी से उबरने में राजकोषीय नीतियाँ लैंगिक समानता को बढ़ावा दे।
  • सहस्राब्दि विकास लक्ष्य (MDG): भारत सरकार जिन आठ MDG की हस्ताक्षरकर्ता है, उनमें ‘लक्ष्य 3: लैंगिक समानता को बढ़ावा देना और महिलाओं को सशक्त बनाना’ शामिल है।

भारत में जेंडर बजट

  • महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MWCD) ने वर्ष 2004 में जेंडर बजट को महिला सशक्तीकरण के एक साधन के रूप में मान्यता दी थी। 
  • वित्त मंत्रालय ने जनवरी 2005 तक सभी मंत्रालयों में जेंडर बजटिंग सेल की स्थापना का आदेश दिया था।
    • जेंडर बजटिंग प्रकोष्ठों पर चार्टर वर्ष 2007 में जारी किया गया था।
  • CEDAW अनुसमर्थन: भारत ने वर्ष 1993 में महिलाओं के विरुद्ध सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर कन्वेंशन (CEDAW) की पुष्टि की है।
  • पहला जेंडर बजट स्टेटमेंट (GBS) वर्ष 2005-06 के केंद्रीय बजट में प्रकाशित किया गया था।
  • विभिन्न हितधारक: जेंडर बजटिंग में कई अलग-अलग हितधारक शामिल हो सकते हैं।
    • केंद्रीय स्तर: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MWCD)।
    • राज्य स्तर: महिला एवं बाल विकास, समाज कल्याण, वित्त और योजना विभाग।
    • जिला स्तर: महिला सशक्तिकरण केंद्र (HEW) कम-से-कम एक लैंगिक आधारित विशेषज्ञ के साथ जेंडर बजट का समन्वय करता है।
  • भूमिका: जेंडर बजट ढाँचे ने लैंगिक-तटस्थ मंत्रालयों को महिलाओं के लिए नए कार्यक्रम डिजाइन करने में मदद की है।
    • पिछले दो दशकों में, भारत का जेंडर बजट स्टेटमेंट (GBS) एक व्यापक दस्तावेज के रूप में विकसित हो गया है जो स्पष्ट, पूर्वानुमानित प्रारूप में मद-वार आवंटन और व्यय का विवरण प्रदान करता है।

जेंडर बजट का महत्त्व 

  • लैंगिक समानता को बढ़ावा: जेंडर बजट यह सुनिश्चित करता है, कि वित्तीय आवंटन लैंगिक असमानताओं को संबोधित करते हैं, लैंगिक समानता पर सतत् विकास लक्ष्य (SDG)-5 का समर्थन करते हैं।
  • सूचित नीति विकल्प: जेंडर बजट नीति निर्माताओं को नीतियों के लैंगिक प्रभाव पर विचार करने में मदद करता है, यह सुनिश्चित करता है कि महिलाओं की चिंताओं को वित्तीय नियोजन में एकीकृत किया जाए।
  • संसाधनों का बेहतर उपयोग: एक अच्छी तरह से डिजाइन किया गया जेंडर बजट ढाँचा शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा में लैंगिक अंतर को कम करने के लिए संसाधनों के इष्टतम उपयोग को सक्षम बनाता है।
  • कानूनी ढाँचों को मजबूत करना: यह कार्यान्वयन के लिए वित्तीय सहायता सुनिश्चित करके आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 2013 और कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2013 जैसे महिला-विशिष्ट कानूनों के साथ संरेखित करता है।
  • व्यापक सामाजिक प्रभाव: G-20 देशों पर IMF वर्किंग पेपर सहित अध्ययनों से पता चला है कि जेंडर बजट, लैंगिक-संवेदनशील प्रोग्रामिंग की ओर ले जाता है, जो आर्थिक विकास तथा सामाजिक विकास को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
  • लैंगिक-तटस्थ बजटिंग की हानियों को संबोधित करना: पारंपरिक बजटिंग में अक्सर लैंगिक आधारित प्रभावों की अनदेखी की जाती है। जेंडर बजट यह सुनिश्चित करता है कि सभी प्रमुख बजटीय आवंटन महिलाओं की विशिष्ट आवश्यकताओं और अर्थव्यवस्था में उनकी भूमिकाओं पर विचार करें।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही: जेंडर बजट महिला-केंद्रित योजनाओं के लिए निधि आवंटन में पारदर्शिता को बढ़ावा देता है, कार्यान्वयन और प्रभाव आकलन में जवाबदेही सुनिश्चित करता है।

भारत में जेंडर बजटिंग की चुनौतियाँ

  • आवंटन में अस्पष्टताएँ: निधि वर्गीकरण में विसंगतियाँ मौजूद हैं। उदाहरण के लिए, जेंडर बजट के भाग-B में मनरेगा के लिए कम आवंटन किया गया है, जबकि कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी 59.3% से अधिक है।
  • PMAY-G विसंगति: हालाँकि भाग-A (महिलाओं के लिए 100% आवंटन) के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है, लेकिन केवल 23% आवास महिलाओं को आवंटित किए गए हैं।
  • चुनिंदा मंत्रालयों में निधियों का संकेंद्रण: जेंडर बजट का लगभग 90% कुछ मंत्रालयों में केंद्रित है, जिससे प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढाँचा और उद्यमिता जैसे विविध क्षेत्रों में इसकी पहुँच सीमित हो जाती है।
  • दीर्घकालिक योजनाएँ: आयुष्मान भारत और आवास योजना जैसे कार्यक्रम, हालाँकि लाभकारी हैं, लेकिन मिशन शक्ति और महिला शिक्षा पहल जैसे तत्काल प्रभाव वाले कार्यक्रमों से निधियों को हटा देते हैं।
  • कमजोर निगरानी और मूल्यांकन तंत्र: लैंगिक-पृथक डेटा की कमी नीति प्रभावशीलता के सटीक माप को बाधित करती है।
  • संयुक्त राष्ट्र की संस्तुति: क्षेत्रीय निगरानी को मजबूत करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MWCD) और वित्त मंत्रालय के बीच सहयोग बढ़ाने का आह्वान।
  • तकनीकी और डेटा-संबंधी चुनौतियाँ: बिना विस्तृत डेटा के, जेंडर बजट की प्रभावशीलता को ट्रैक करना मुश्किल है।
  • नीति आयोग की वर्ष 2022 की रिपोर्ट: केंद्र द्वारा प्रायोजित 119 योजनाओं में से केवल 62 में ही जेंडर बजट का उपयोग किया जाता है, जो असंगत कार्यान्वयन को उजागर करता है।
  • अंडर-रिपोर्टिंग और ओवर-रिपोर्टिंग मुद्दे
    • ओवर-रिपोर्टिंग उदाहरण: PM रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) ने स्पष्ट औचित्य के बिना जेंडर बजट के तहत अपने फंड का 40% आवंटित किया।
  • कम रिपोर्टिंग का उदाहरण: मनरेगा में अनिवार्य है कि इसके आवंटन का कम-से-कम एक-तिहाई (33%) हिस्सा महिलाओं के लिए आरक्षित होना चाहिए, हालाँकि महिलाओं की भागीदारी इस सीमा से अधिक हो गई है, जिसमें लगभग 50% श्रमिक महिलाएँ हैं।
    • जेंडर बजट स्टेटमेंट ने वित्त वर्ष 2026 में महिलाओं के लिए कुल मनरेगा बजट का 47% हिस्सा रिपोर्ट किया है।
  • राजनीतिक इच्छाशक्ति और जवाबदेही की कमी: जेंडर बजट के लिए कोई अनिवार्य न्यूनतम आवंटन मौजूद नहीं है, जिसके कारण असंगत समर्थन और अपर्याप्त निगरानी होती है।

आगे की राह

  • संस्थागत तंत्र को मजबूत करना: केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर सभी मंत्रालयों और विभागों में जेंडर बजट स्टेटमेंट के निर्माण को अनिवार्य बनाना।
    • नीति आयोग को मंत्रालयों और राज्यों में जेंडर बजटिंग के कार्यान्वयन की निगरानी और मूल्यांकन में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
  • डेटा संग्रह और विश्लेषण में सुधार करना: महिलाओं और लड़कियों की आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से समझने के लिए जेंडर-विभाजित डेटा एकत्र करने और उसका विश्लेषण करने में निवेश करना।
    • सभी नीतियों और कार्यक्रमों के लिए जेंडर प्रभाव आकलन करना ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे जेंडर असमानताओं को प्रभावी ढंग से संबोधित करते हैं।
  • आवंटन बढ़ाना और उचित उपयोग सुनिश्चित करना: लगातार जेंडर गैप को दूर करने के लिए कुल केंद्रीय बजट में जेंडर बजटिंग का हिस्सा बढ़ाकर कम-से-कम 10-12% करना।
    • यह सुनिश्चित करने के लिए कि उसका उपयोग प्रभावी तरीके से हो रहा है और लक्षित लाभार्थियों तक पहुँच रहे हैं, निधियों के उपयोग की निगरानी करना।
  • जेंडर बजट के दायरे का विस्तार करना: प्रत्येक सरकारी पहल में लैंगिक-संवेदनशील आवंटन सुनिश्चित करने के लिए बुनियादी ढाँचे, कृषि और ग्रामीण विकास सहित सभी क्षेत्रों में जेंडर बजटिंग को एकीकृत करना।
    • यह सुनिश्चित करना कि आदिवासी महिलाओं, ग्रामीण महिलाओं और दिव्यांग महिलाओं जैसी वंचित वर्ग की महिलाओं को विकास कार्यक्रमों में शामिल किया जाए।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना: धन आवंटित करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पद्धतियों का सार्वजनिक रूप से खुलासा करके आवंटन और रिपोर्टिंग प्रक्रियाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
    • आवंटित निधियों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने और आवश्यक समायोजन करने के लिए मंत्रालयों में लैंगिक  ऑडिट करना।
  • कानूनी और नीतिगत ढाँचे को मजबूत करना: सभी मंत्रालयों और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में लैंगिक-आधारित बजटिंग को मुख्यधारा में लाने के लिए जेंडर बजटिंग अधिनियम लागू करना।
    • यह सुनिश्चित करना कि जेंडर बजटिंग सतत् विकास लक्ष्य 5 (लैंगिक समानता) और अन्य संबंधित लक्ष्यों के साथ संरेखित हो।
  • महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ावा देना: महिलाओं की उद्यमिता और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए स्टैंड-अप इंडिया और मिशन शक्ति जैसे कार्यक्रमों का विस्तार करना।
    • महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों के लिए ऋण और बाजार संपर्क तक पहुँच प्रदान करना।

निष्कर्ष 

एक मजबूत जेंडर बजटिंग ढाँचा भारत को लैंगिक समानता और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को प्राप्त करने के करीब ले जा सकता है। पारदर्शिता, जवाबदेही, कार्यान्वयन और निगरानी में सुधार करके, जेंडर बजटिंग महिला सशक्तीकरण और समावेशी आर्थिक विकास के लिए एक शक्तिशाली उपकरण बन सकता है।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.