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जीन उत्परिवर्तन का पहचान क्षमता पर प्रभाव

Lokesh Pal July 03, 2024 04:02 163 0

संदर्भ

हाल ही में जेनेटिक्स (Genetics) पत्रिका में प्रकाशित एक शोध में बताया गया है कि जब MCTP2 जीन में परिवर्तन होता है, तो चेहरे पहचानने की क्षमता गंभीर रूप से क्षीण हो जाती है। 

  • MCTP2 जीन (MCTP2 Gene): यह मनुष्यों में दृश्य सामाजिक अनुभूति (Social Cognition) के उच्चतर रूप के लिए आवश्यक है।

डीएनए अनुक्रम (DNA Sequencing) 

  • यह डीएनए अणु में न्यूक्लियोटाइड या बेस के सटीक अनुक्रम को निर्धारित करने के लिए सामान्य प्रयोगशाला तकनीक को संदर्भित करता है।
  • क्षारकों का अनुक्रम (जिसे प्रायः उनके रासायनिक नामों के प्रथम अक्षरों से संदर्भित किया जाता है: A, T, C, और G) जैविक सूचना को कूटबद्ध करता है, जिसका उपयोग कोशिकाएँ विकास और संचालन के लिए करती हैं।
  • डीएनए का अनुक्रम स्थापित करना जीन और जीनोम के अन्य भागों के कार्य को समझने के लिए महत्त्वपूर्ण है।

MCTP2 जीन उत्परिवर्तन (MCTP2 Gene Mutation)

  • उत्परिवर्ती जीन वाले व्यक्तियों को उन लोगों को पहचानने में सामाजिक रूप से स्वीकार्य समय से कहीं अधिक समय लगा, जिनसे उनकी परिचित होने की अपेक्षा की जाती थी। 
  • हाल ही में, शोधकर्ताओं ने एक परिवार में एक ही उत्परिवर्तन पाया।
  • जीनोमिक डीएनए को अनुक्रमित करके, शोधकर्ताओं ने पाया कि इस खंड में स्थित MCTP2 जीन में उत्परिवर्तन हुआ।
  • परिणामस्वरूप, MCTP2 जीन द्वारा एनकोड किए गए प्रोटीन में एक अमीनो एसिड को दूसरे द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया था।

जीन उत्परिवर्तन (Gene Mutations)

  • उत्परिवर्तन (Mutations) किसी जीव के डीएनए अनुक्रम में परिवर्तन है।
  • उत्परिवर्तन कोशिका विभाजन के दौरान डीएनए प्रतिकृति में त्रुटि, उत्परिवर्तनों के संपर्क में आने या विषाणु संक्रमण के कारण हो सकता है। 
  • जर्मलाइन उत्परिवर्तन (जो अंडजों एवं शुक्राणुओं में होते हैं) संतानों में स्थानांतरित हो सकते हैं, जबकि दैहिक उत्परिवर्तन (जो शरीर की कोशिकाओं में होते हैं) संतानों में स्थानांतरित नहीं होते हैं। 

जीन उत्परिवर्तन विभिन्न कारणों से हो सकते हैं

इसे मोटे तौर पर आंतरिक (अंतर्जात) और बाह्य (बहिर्जात) कारकों में वर्गीकृत किया जा सकता है: अंतर्जात कारक (Endogenous Factors)

  • डीएनए रिप्लीकेशन के दौरान त्रुटियाँ (Errors During DNA Replication)
    • बेमेल आधार (Mismatched Bases): कभी-कभी, डीएनए रिप्लीकेशन के दौरान गलत डीएनए बेस का आधान कर दिया जाता है।

डीएनए रिप्लीकेशन (DNA Replication)

यह वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा कोशिकाओं में जीनोम के डीएनए की प्रतिलिपि बनाई जाती है। कोशिका के विभाजित होने से पहले, उसे पहले अपने पूरे जीनोम की प्रतिलिपि (या प्रतिकृति) बनानी होती है ताकि प्रत्येक परिणामी संतति कोशिका का अपना पूरा जीनोम बन जाए।

    • स्लिपेज (Slippage): रिप्लीकेशन के दौरान, डीएनए पॉलीमरेज असंतुलित हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप ‘सम्मिलन या विलोपन’ हो सकता है।
  • स्वतः स्फूर्त रासायनिक परिवर्तन (Spontaneous Chemical Changes)
    • डिएमिनेशन (Deamination): किसी बेस से अमीनो समूह को हटाना, उदाहरणार्थ, साइटोसिन (Cytosine) का यूरेसिल (Uracil) में परिवर्तित होना।
    •  विप्यूरीनन (Depurination): डीएनए से प्यूरीन बेस [एडेनिन (Adenine) या ग्वानिन (Guanine)] का नष्ट होना। 

बहिर्जात कारक विकिरण (Exogenous Factors Radiation)

  • पराबैंगनी (UV) प्रकाश: थायमीन डिमर (Thymine Dimers) का कारण बनता है, जहाँ दो आसन्न थायमीन बेस एक साथ उपस्थित होते हैं।
    • आयनीकरण विकिरण (Ionizing Radiation): इसमें एक्स-रे और गामा किरणें शामिल हैं, जो डबल-स्ट्रैंड ब्रेक तथा अन्य गंभीर क्षति का कारण बन सकती हैं।
  • रासायनिक उत्परिवर्तजन (Chemical Mutagens): ऐसे रसायन जो डीएनए बेस से मिलते जुलते हैं और डीएनए में शामिल किए जा सकते हैं, जिससे गलत बेस पेयरिंग हो सकती है। 
  • वायरस: कुछ वायरस अपने डीएनए को मेजबान जीनोम में एकीकृत कर सकते हैं, जिससे उत्परिवर्तन उत्पन्न हो सकता है।

जीवनशैली और पर्यावरणीय कारक

  • धूम्रपान: तंबाकू के धुएँ में कई उत्परिवर्ती रसायन होते हैं, जो डीएनए को नुकसान पहुँचा सकते हैं। 
  • आहार: कुछ आहार घटक डीएनए के साथ सीधे संपर्क या चयापचय प्रक्रियाओं के माध्यम से उत्परिवर्तन दरों को प्रभावित कर सकते हैं। 
  • प्रदूषक: एस्बेस्टस, भारी धातुएँ और औद्योगिक रसायन जैसे पर्यावरण प्रदूषक उत्परिवर्तन का कारण बन सकते हैं।

News Source: The Hindu

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