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जीन ऑफ थ्रोन्स

Lokesh Pal September 03, 2024 04:20 124 0

संदर्भ

एक नए शोध ने तिब्बती पठार पर गुलिया ग्लेशियर के बर्फ के टुकड़ों में उपस्थित सूक्ष्मजीवों के अनुकूलन पैटर्न का अध्ययन करके पिछले 41,000 वर्षों में पृथ्वी पर बदलती जलवायु के बारे में जानकारी प्रदान की है।

अनुसंधान (Research)

  • शोधकर्ता: यह अध्ययन ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के ‘आइस कोर पैलियोक्लाइमेटोलॉजी’ समूह के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया था।
  • प्रकाशित: यह लेख ‘द कन्वर्सेशन’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ था।
  • उद्देश्य: अध्ययन का उद्देश्य विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के प्रत्युत्तर में वायरल समुदायों में होने वाले परिवर्तनों का निरीक्षण करना है।
  • डेटा स्रोत: मेटाजीनोम (यह जीनोम का संग्रह है, जो पर्यावरण के नमूनों में मौजूद सभी सूक्ष्मजीवों की कुल आनुवंशिक सामग्री को कैप्चर करता है) को अध्ययन के लिए माना गया था।
  • प्रक्रिया: गुलिया आइस कोर के भीतर नौ अलग-अलग समय अंतरालों से ‘वायरल जीनोम’ का पुनर्निर्माण किया गया, जो तीन प्रमुख ठंडे-से-गर्म चक्रों में फैला हुआ था।
  • निष्कर्ष
    • ज्ञान का विस्तार: 1,705 विषाणु प्रजातियों के समतुल्य जीनोम की खोज की गई, जिससे ज्ञात ग्लेशियर-संरक्षित प्राचीन विषाणुओं का पचास गुना से अधिक विस्तार हुआ।
      • हमने जिन विषाणु प्रजातियों को पाया, उनमें से केवल एक-चौथाई ही वैश्विक डेटासेट में पहले से संगृहीत लगभग 1,000 मेटाजीनोम के साथ समानताएँ साझा करती थीं।
    • वायरस समुदायों में परिवर्तन और जलवायु परिवर्तन: यह देखा गया कि ठंडी और गर्म जलवायु अवधियों के बीच, वायरल समुदायों की संरचना में स्पष्ट अंतर दिखाई दिया, जो संभवतः बदलते वायु पैटर्न और ग्लेशियर पर तापांतर  से प्रभावित था।
      • ग्लेशियर पर विषाणु प्रजातियों का सबसे विशिष्ट समुदाय लगभग 11,500 वर्ष पहले दिखाई दिया था, जो कि अंतिम हिमनदी चरण से होलोसीन तक के प्रमुख संक्रमण के साथ मेल खाता था।
    • वायरस की अपने मेजबानों के साथ अंतःक्रिया: वायरस की अपने मेजबानों के साथ अंतःक्रिया को निर्धारित करने के लिए कंप्यूटर मॉडल का उपयोग किया गया, जिसमें वायरल जीनोम की तुलना उस वातावरण में पाए जाने वाले अन्य सूक्ष्म जीवों के जीनोम से की गई।
      • यह पाया गया कि वायरस लगातार फ्लेवोबैक्टीरियम को संक्रमित करते हैं, जो कि ग्लेशियर के वातावरण में आमतौर पर पाए जाने वाले बैक्टीरिया की एक वंशावली है। 
      • मेजबान चयापचय पर प्रभाव: गुलिया ग्लेशियर पर वायरस अपने होस्ट्स से जीन प्राप्त करते हुए पाए गए, ताकि उनके चयापचय में हस्तक्षेप किया जा सके, जिससे संक्रमण के दौरान उनके होस्ट्स की स्थिति में बदलाव आया और ग्लेशियर के वातावरण की चरम स्थितियों में जीवित रहने की उनकी क्षमता प्रभावित हुई।
  • महत्त्व
    • अनुकूलन पर नया दृष्टिकोण: निष्कर्षों ने इस बात पर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है कि विषाणु प्रजातियों ने हजारों वर्षों में जलवायु परिवर्तनों पर कैसी प्रतिक्रिया दी है। 
    • भविष्य के शोध के लिए दायरा बढ़ाना: इन प्राचीन अंतःक्रियाओं को समझना वायरोलॉजी और जलवायु विज्ञान दोनों में भविष्य के शोध के लिए एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। 
    • जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में सहायक: प्राचीन वायरस की अनुकूलन प्रकृति के बारे में मूल्यवान ज्ञान प्राप्त किया गया है, जिसका उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है कि वे वर्तमान वैश्विक जलवायु परिवर्तन के लिए कैसे अनुकूल होंगे। 
    • पृथ्वी की जलवायु के बारे में जानकारी: ग्लेशियर की बर्फ का अध्ययन करना और प्रत्येक परत में समय के साथ सूक्ष्मजीवों और उनके पारिस्थितिकी तंत्रों के बारे में जानकारी प्राप्त करना पृथ्वी की जलवायु और उसके द्वारा समर्थित जीवन के इतिहास को जानने के लिए एक महत्त्वपूर्ण संसाधन होगा।

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