हाल के वर्षों में कर्नाटक, CBI के लिए सामान्य सहमति वापस लेने वाले कई गैर-भाजपा शासित राज्यों में शामिल हो गया है।
संबंधित तथ्य
यह निर्णय कर्नाटक के मुख्यमंत्री की पत्नी को 14 मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (Mysore Urban Development Authority) स्थलों के आवंटन में कथित अनियमितताओं के लिए प्रमुख के खिलाफ CBI जाँच की मांग के बीच आया है।
CBI की शक्तियाँ
CBI को अपना अधिकार दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (DSPE) अधिनियम, 1946 से प्राप्त होता है।
DSPE अधिनियम के प्रावधान: ये मुख्य रूप से केंद्रशासित प्रदेशों पर ]लागू होते हैं और राज्यों की सहमति से ही उन पर लागू होते हैं।
DSPE अधिनियम की धारा 6: CBI को अपने अधिकार क्षेत्र में जाँच करने के लिए संबंधित राज्य सरकार की सहमति की आवश्यकता होती है।
सहमति की आवश्यकता नहीं: सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय राज्य की सहमति के बिना देश में कहीं भी ऐसे अपराध की जाँच के लिए CBI को आदेश दे सकते हैं।
सीमित क्षेत्राधिकार: CBI की स्थिति राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) से अलग है।
NIA, NIA अधिनियम, 2008 द्वारा शासित है और इसका क्षेत्राधिकार पूरे देश में है।
CBI का कानूनी आधार संघ सूची की प्रविष्टि 80 पर आधारित है: अन्य राज्यों को उनकी अनुमति से पुलिस शक्तियों के विस्तार की अनुमति देना।
CBI के लिए सहमति
सहमति के प्रकार: राज्य सरकार द्वारा दी गई सहमति दो रूपों (केस विशिष्ट या ‘सामान्य’) में आ सकती है।
सामान्य सहमति: यह CBI को राज्यों के भीतर निर्बाध रूप से कार्य करने की अनुमति देती है।
सामान्य सहमति के साथ CBI को जाँच के संबंध में या प्रत्येक मामले के लिए उस राज्य में प्रवेश करते समय प्रत्येक बार नई अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होती है।
केस विशिष्ट सहमति: सामान्य सहमति वापस लेने के बाद CBI को किसी भी मामले में जाँच करने के लिए केस विशिष्ट सहमति प्राप्त करनी होगी।
सामान्य सहमति वापस लेने के निहितार्थ
CBI की शक्ति पर प्रभाव: CBI अधिकारी राज्य में प्रवेश करते ही पुलिस अधिकारी की सभी शक्तियाँ खो देंगे, जब तक कि राज्य सरकार ने उन्हें इसकी अनुमति न दी हो।
चूँकि ‘पुलिस’ संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत राज्य सूची में प्रविष्टि 2 है।
नई जाँच: CBI उन राज्यों में नई जाँच शुरू नहीं कर सकती, जिन्होंने सहमति वापस ले ली है, जब तक कि उन्हें राज्य की मंजूरी नहीं मिल जाती।
संचालित मामले: एजेंसी सहमति वापस लिए जाने से पहले पंजीकृत मामलों की जाँच जारी रख सकती है।
हाल ही में सामान्य सहमति वापस लेने के कारण
मिजोरम: वर्ष 2015 में CBI के लिए सामान्य सहमति वापस लेने वाला पहला राज्य। किंतु बाद में दिसंबर 2023 में इसे बहाल कर दिया गया।
पश्चिम बंगाल: नवंबर 2018 में ममता बनर्जी के नेतृत्व में सामान्य सहमति वापस ले ली गई। मुख्यमंत्री ने भाजपा पर राजनीतिक प्रतिशोध के लिए CBI का प्रयोग करने का आरोप लगाया।
आंध्र प्रदेश: एन चंद्रबाबू नायडू की TDP सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा CBI के कथित दुरुपयोग के विरुद्ध राजनीतिक कदम के रूप में वर्ष 2018 में सामान्य सहमति वापस ले ली थी। किंतु वाई एस जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने वर्ष 2019 में इसे बहाल कर दिया।
केंद्र सरकार के खिलाफ आरोप: राज्यों ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार विपक्ष शासित राज्यों और नेताओं को गलत तरीके से निशाना बनाने के लिए CBI का दुरुपयोग कर रही है।
उच्चतम न्यायालय की चिंता: नवंबर 2021 में, उच्चतम न्यायालय ने इस बात पर चिंता व्यक्त की थी कि CBI ने रिपोर्ट दी थी कि सामान्य सहमति वापस लेने वाले राज्यों में वर्ष 2018 से जाँच की मंजूरी के लगभग 150 अनुरोध लंबित हैं।
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