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रबर बागानों की ‘जियो-मैपिंग’

Lokesh Pal March 13, 2025 01:56 64 0

संदर्भ

रबर बोर्ड जल्द ही केरल में रबर बागानों की जियो-मैपिंग शुरू करेगा।

पौधों की ‘जियो-मैपिंग’

  • पौधों की ‘जियो-मैपिंग’ में पौधों के स्थान, वितरण और पारिस्थितिकी तंत्र को डिजिटल रूप से मैप करने के लिए GPS, GIS और रिमोट सेंसिंग का उपयोग करना शामिल है।
  • यह सटीक स्थानिक डेटा के साथ जैव विविधता संरक्षण, आवास निगरानी और कृषि योजना निर्माण में मदद करता है।

रबर बोर्ड के बारे में

  • रबर अधिनियम, 1947 के तहत वैधानिक निकाय है।
  • रबर उत्पादन और विपणन (संशोधन) अधिनियम, 1954 के तहत नाम संशोधित कर ‘रबर बोर्ड’ कर दिया गया।
  • मंत्रालय: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन कार्य करता है।
  • मुख्यालय: कोट्टायम, केरल।

रबर बागानों की ‘जियो-मैपिंग’ का महत्त्व

  • भारतीय सतत् प्राकृतिक रबर (Indian Sustainable Natural Rubber-iSNR) फ्रेमवर्क के तहत प्राकृतिक रबर को प्रमाणित करने में महत्त्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। 
    • भारतीय रबर उत्पादन को यूरोपीय संघ वनोन्मूलन विनियमन (European Union Deforestation Regulation-EUDR) के साथ जोड़ता है।
  • इस पहल के माध्यम से रबर उत्पादकों को बेहतर कीमतों एवं बाजार तक बेहतर पहुँच की उम्मीद है।

रबर के बारे में

  • रबर एक लोचदार पदार्थ है, जो बल के प्रभाव में विकृत हो जाता है और छोड़े जाने पर अपना आकार पुनः प्राप्त कर लेता है।
  • यह आइसोप्रीन और अन्य कार्बनिक यौगिकों के पॉलिमर से बनता है।
  • रबर के प्रकार
    • प्राकृतिक रबर: रबर के पेड़ों के लेटेक्स से प्राप्त होता है।
    • सिंथेटिक रबर: रासायनिक अभिक्रियाओं के माध्यम से उत्पादित मानव निर्मित रबर है।

प्राकृतिक रबर के बारे में

  • प्राकृतिक रबर ‘रबर ट्री’ [हेविया ब्रासिलिएन्सिस (Hevea Brasiliensis)] के लेटेक्स से निकाला जाता है, जो प्रोटीन, स्टार्च और एल्कलॉइड युक्त एक दूधिया तरल पदार्थ है।
  • हेविया ब्रासिलिएन्सिस अमेजन बेसिन की मूल प्रजाति है, जिसे 19वीं शताब्दी के अंत में अंग्रेजों द्वारा एशिया और अफ्रीका में लाया गया था।
  • रबर बागान के लिए विकास कारक
    • तापमान: 20°-35°C, आदर्श रूप से 27°C की आवश्यकता होती है।
    • मृदा: अच्छी जल निकासी वाली दोमट या लैटेराइट मिट्टी को प्राथमिकता दी जाती है।
    • वर्षा: वार्षिक रूप से 200 सेमी. से अधिक वर्षा की आवश्यकता होती है।
  • गुण
    • लेटेक्स संरचना: 40% तक प्राकृतिक रबर, शेष जल और अन्य तत्त्व हैं।
    • वल्कनाइजेशन: सल्फर के साथ प्राकृतिक रबर के संयोजन से क्षमता, कठोरता और घर्षण प्रतिरोध बढ़ता है।
  • प्राकृतिक रबर के उपयोग
    • 65% प्राकृतिक रबर का उपयोग ऑटोमोबाइल उद्योग में टायर और ट्यूब बनाने के लिए किया जाता है।
    • इसका उपयोग कंपन पृथक्करण और सड़क की ऊपरी सतह बनाने में किया जाता है।

रबर उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पहल

पहल

उद्देश्य

प्राकृतिक रबर क्षेत्र का सतत् एवं समावेशी विकास (SIDNRS) रबर की सतत् कृषि को बढ़ावा देना और किसानों की आय बढ़ाना।
रबर बागान विकास योजना गैर-परंपरागत क्षेत्रों में रबर बागानों का विस्तार करना तथा उत्पादकता में सुधार करना।
रबर समूह रोपण योजना समूह प्रयासों के माध्यम से रबर की खेती में छोटे किसानों को सहायता प्रदान करना।
रबर बागान में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) रबर बागानों में निजी और विदेशी निवेश को आकर्षित करना।
राष्ट्रीय रबर नीति 2019 व्यापार, गुणवत्ता मानकों और स्थिरता सहित रबर क्षेत्र के समग्र विकास को सुनिश्चित करना।

भारत में रबर उत्पादन की स्थिति

  • भारत प्राकृतिक रबर का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और चौथा सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
  • भारत प्राकृतिक और सिंथेटिक रबर का संयुक्त रूप से 5वाँ सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
  • केरल भारत के 90% से अधिक प्राकृतिक रबर का उत्पादन करता है।
  • पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा और असम: कुल रबर उत्पादन का 16% हिस्सा बनाते हैं।

वैश्विक परिदृश्य

  • थाईलैंड प्राकृतिक रबर का सबसे बड़ा उत्पादक है, उसके बाद इंडोनेशिया है।
  • भारत का व्यापार
    • आयात: 5,28,677 टन (वर्ष 2022-23) (इंडोनेशिया, थाईलैंड, चीन, दक्षिण कोरिया, जापान से)।
    • निर्यात: 3,700 टन (वर्ष 2022-23) (प्रमुख बाजार: संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, यू. ए. ई., यू.के, बांग्लादेश)।

यूरोपीय संघ वनोन्मूल विनियमन (European Union Deforestation Regulation-EUDR)

  • EUDR वैश्विक वनों की कटाई और वन क्षरण से निपटने के लिए यूरोपीय आयोग द्वारा प्रस्तुत किया गया एक विधायी ढाँचा है।
  • यह वनों की कटाई से जुड़ी कमोडिटी आपूर्ति शृंखलाओं को लक्षित करता है, जिससे जिम्मेदार सोर्सिंग सुनिश्चित होती है।
  • उत्पत्ति और कार्यान्वयन: वर्ष 2021 में प्रस्तावित और वर्ष 2023 में यूरोपीय संघ के ग्रीन डील के हिस्से के रूप में औपचारिक रूप से अपनाया गया।
    • सोया, पाम ऑयल, लकड़ी, कॉफी, कोको, रबर और मवेशियों जैसी प्रमुख वस्तुओं पर लागू होता है।
  • उद्देश्य
    • वनों की कटाई से जुड़े उत्पादों को यूरोपीय संघ के बाजार में प्रवेश करने से रोकना।
    • सुनिश्चित करना कि आयातित सामान संधारणीय भूमि-उपयोग प्रथाओं का अनुपालन करते हैं।
    • वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में पारदर्शिता और पता लगाने की क्षमता को बढ़ावा देना।
    • जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान को कम करने के वैश्विक प्रयासों का समर्थन करना।

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