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भू- चुंबकीय तूफान

Lokesh Pal May 15, 2024 05:45 166 0

संदर्भ 

अत्यधिक सक्रिय ‘सनस्पॉट क्षेत्र’ AR13664 द्वारा उत्पन्न G5 स्तर के सौर तूफान से पृथ्वी प्रभावित हुई, जिससे पृथ्वी की ओर निर्देशित ‘एक्स-क्लास फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन’ (CMEs) की एक शृंखला शुरू हुई।

कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs): ये सूर्य के कोरोना से प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र का अत्यधिक उत्सर्जन करते हैं। वे अरबों टन कोरोनल सामग्री को बाहर निकाल सकते हैं और एक अंतर्निहित चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न कर सकते हैं।

  • सबसे तीव्र पृथ्वी-निर्देशित CMEs हमारे ग्रह तक 15-18 घंटों में पहुँच सकते हैं। 

सनस्पॉट: ‘सनस्पॉट’ सूर्य की सतह पर अंधकारयुक्त क्षेत्र होते हैं। 

  • अँधकार होने का कारण सूर्य की सतह के अन्य हिस्सों की तुलना में ठंडा होना है। क्योंकि वे उन क्षेत्रों में निर्मित होते हैं, जहाँ चुंबकीय क्षेत्र विशेष रूप से मजबूत होते हैं।
  • ये चुंबकीय क्षेत्र इतने मजबूत होते हैं कि वे सूर्य के भीतर की कुछ ऊष्मा को सतह तक पहुँचने  से रोकते हैं।

संबंधित तथ्य

  • सनस्पॉट AR 3664: यह AR 3663 के साथ मिलकर पृथ्वी से 16 गुना अधिक चौड़ा हो गया है, जो पृथ्वी से कहीं अधिक बड़े ‘क्लस्टर’ का निर्माण करता है और चुंबकीय ऊर्जा से युक्त होता है।
    • ऐसे सनस्पॉट में अति आवेशित चुंबकीय क्षेत्र, ऊर्जा का एक बड़ा विस्फोट करते हैं, जो कोरोनल मास इजेक्शन (CMEs) नामक आवेशित कणों के ढेर को ‘सोलर फ्लेयर्स’ (विकिरण की शक्तिशाली चमक) के साथ अंतरिक्ष में भेजता है।
      • 10 मई को तीन CMEs धरती से टकराए।
  • वर्तमान भू-चुंबकीय तूफान: इसे भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान उत्कृष्टता केंद्र (CESSI) पैमाने पर ‘गंभीर’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था और यह G5 स्तर का सौर तूफान है, जो आखिरी बार वर्ष 2003 में देखा गया था।
    • CESSI एकमात्र भारतीय संस्थान है, जो अंतरिक्ष मौसम पर समय पर अपडेट प्रदान करता है।
  • सौर तूफान माप: सौर तूफान की तीव्रता को G-स्केल, या G1 से G5 तक के भू-चुंबकीय तूफान पैमाने पर मापा जाता है, जिसमें प्रत्येक स्तर भू-चुंबकीय गतिविधियों के विभिन्न स्तरों का प्रतिनिधित्व करता है।
    • G1 तूफान सबसे निम्न स्तर का होता है और बिजली ग्रिडों में केवल मामूली उतार-चढ़ाव का कारण बनता है, जबकि G5 तूफान व्यापक बिजली कटौती के साथ उपग्रह संचार में व्यवधान उत्पन्न कर सकता है।

सौर तूफानों का कारण

  • सौर चक्र कनेक्शन: वर्ष 2003 की भू-चुंबकीय तूफान घटना और वर्तमान घटना तब घटित हुई जब सूर्य अपने सौर चक्र के चरम के करीब था।
    • पृथ्वी वर्तमान में सौर चक्र 25 (Solar Cycle 25) में है, जो वर्ष 2020 में शुरू हुआ था।
  • चरम स्थिति के निकट पहुँचना: चरम स्थिति तब होती है, जब फ्लिप (चुंबकीय क्षेत्र) वास्तव में होता है, जिससे सौर सतह पर बड़े और चुंबकीय रूप से जटिल सनस्पॉट क्लस्टर का निर्माण होता है।
    • हालाँकि इस तरह के बड़े क्लस्टर एक सामान्य विशेषता है, लेकिन कई CME के साथ G 5 भू-चुंबकीय तूफान आता है, जो आमतौर पर प्रत्येक 11 वर्ष के सौर चक्र में केवल कुछ ही बार होता है।

सौर चक्र (Solar Cycle) 

  • यह वह चक्र है, जिससे सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र लगभग प्रत्येक 11 वर्ष में गुजरता है, जिससे सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र पूरी तरह से परिवर्तित हो जाता है। सूर्य के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव अपना स्थान बदल लेते हैं।
    • जैसे-जैसे चुंबकीय क्षेत्र बदलता है, वैसे-वैसे सूर्य की सतह पर सौर गतिविधियों में भी परिवर्तन होता है।
  • प्रभाव: सौर चक्र, सूर्य की सतह पर गतिविधियों को प्रभावित करता है:-
    • इससे सनस्पॉट का निर्माण होता है, जो सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र के कारण होता है।
      • वर्तमान में पृथ्वी से टकराने वाले आवेशित कण इन सौर धब्बों की घटनाओं में निहित हैं।
    • सौर चक्र के दौरान सूर्य पर विशाल विस्फोट, जैसे सौर प्रज्वलाएँ और ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ भी बढ़ जाते हैं। ये विस्फोट अंतरिक्ष में ऊर्जा और सामग्री का प्रसार करते हैं।
  • सौर चक्र को ट्रैक करना: यह सौर धब्बों की संख्या की गणना करके किया जाता है।
    • सोलर मिनिमम: यह सौर चक्र की शुरुआत है या जब सूर्य पर सबसे कम सनस्पॉट होते हैं।
    • सोलर मैक्सिमम: समय के साथ सौर गतिविधियों और सौर धब्बों की संख्या चरम पर पहुँच जाती है या जब सूर्य पर सबसे अधिक सौर धब्बे होते हैं।
    • चक्र का अंत: अधिकतम के बाद, यह वापस सोलर मिनिमम तक पहुँच जाता है और फिर एक नया चक्र शुरू होता है। 

सौर तूफानों के प्रभाव

  • उपग्रहों की भेद्यता: सौर तूफान ‘लो अर्थ ऑर्बिट या LEO (200-1,600 किमी.) में सक्रिय उपग्रहों के सुचारू संचालन में बाधा डाल सकते हैं, जिनका उपयोग नेविगेशन, सैन्य, खुफिया, संचार आदि जैसे कई उद्देश्यों के लिए किया जाता है। 
  • विकिरण में वृद्धि: यह उच्च अक्षांशों पर हवाई उड़ानों पर मनुष्यों, विशेष रूप से एयरलाइन चालक दल एवं यात्रियों के लिए स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न कर सकता है, क्योंकि सौर तूफान के दौरान पृथ्वी के वायुमंडल के ऊपरी हिस्सों तक पहुँचने वाले सौर और ब्रह्मांडीय विकिरण की मात्रा बढ़ जाती है। 
  • उपग्रहों पर ‘ड्रैग इफेक्ट’ (Drag effect): अत्यधिक ड्रैग का मतलब उपग्रहों को असहनीय मात्रा में घर्षण का सामना करना पड़ सकता है, जो चरम मामलों में उपग्रहों को प्रज्वलित और जला सकता है, जिससे उनका संचालन पूरी तरह से बंद हो सकता है। 
  • ग्रिड का पतन: मार्च 1989 में CME के साथ एक X4 श्रेणी के सौर प्रज्वला से क्यूबेक (Quebec) में ग्रिड ध्वस्त हो गया और कैरोलिना से कैलिफोर्निया तक अमेरिकी ग्रिड पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। 
  • विद्युत कटौती: वे विद्युत प्रणालियों पर अधिभार डालने के लिए भू-चुंबकीय रूप से प्रेरित धाराओं (GICs) को प्रेरित कर सकते हैं, जिससे वोल्टेज विनियमन समस्याएँ, ट्रांसफार्मर क्षति और बड़े पैमाने पर विद्युत कटौती हो सकती है। 
    • उदाहरण: वर्ष 2003 में स्वीडन और दक्षिण अफ्रीका में विद्युत धारा स्थानांतरित होने के दौरान पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में उतार-चढ़ाव देखा गया।

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