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भारत में गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था

Lokesh Pal June 11, 2025 02:48 18 0

संदर्भ

केंद्रीय श्रम मंत्रालय के अध्ययन के अनुसार, भारत में गिग कार्यबल वर्ष 2047 तक 62 मिलियन तक बढ़ जाएगा।

संबंधित तथ्य

  • केंद्रीय श्रम मंत्रालय से संबद्ध वी.वी. गिरि राष्ट्रीय श्रम संस्थान (VV Giri National Labour Institute- VVGNLI) द्वारा किए गए अध्ययन में गिग श्रमिकों पर नीति आयोग की वर्ष 2022 की रिपोर्ट के अनुमानों का उपयोग किया गया।

गिग इकॉनमी के बारे में

  • गिग इकॉनमी एक ऐसा श्रम बाजार है जो पूर्णकालिक स्थायी कर्मचारियों के बजाय स्वतंत्र ठेकेदारों एवं फ्रीलांसरों पर निर्भर करता है।
  • हाल के वर्षों में, वैश्विक रोजगार बाजार में ‘गिगिफिकेशन’ (Gigification) या गिग मॉडल को अपनाने के साथ एक परिवर्तनकारी बदलाव देखा गया है, जो हमारे कार्य करने के तरीके को बदल रहा है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:-
    • फ्रीलांसर जिन्हें प्रति कार्य भुगतान मिलता है। 
    • स्वतंत्र ठेकेदार जो कार्य करते हैं और अनुबंध-दर-अनुबंध आधार पर भुगतान प्राप्त करते हैं। 
    • परियोजना-आधारित कर्मचारी, जिन्हें परियोजना के अनुसार भुगतान प्राप्त होता है। 
    • अस्थायी कर्मचारी, जिन्हें एक निश्चित समय के लिए कार्य पर रखा जाता है। 
    • अंशकालिक कर्मचारी, जो पूर्णकालिक घंटों से कम कार्य करते हैं।
  • गिग वर्कर (Gig Worker): वह व्यक्ति जो पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध वाले पूर्णकालिक कर्मचारी के बजाय, आमतौर पर एक स्वतंत्र ठेकेदार या फ्रीलांसर के रूप में, अल्पकालिक, लचीले कार्य में संलग्न होता है।

गिग इकॉनमी का वर्गीकरण

  • प्लेटफॉर्म-आधारित: वे कार्य खोजने और करने के लिए ऑनलाइन ऐप या डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं, जैसे कि राइड-हेलिंग, फूड डिलीवरी, ई-कॉमर्स, ऑनलाइन फ्रीलांसिंग, आदि।
  • गैर-प्लेटफॉर्म-आधारित गिग वर्कर: वे पारंपरिक नियोक्ता-कर्मचारी संबंध से बाहर कार्य करते हैं, जैसे कि निर्माण, घरेलू कार्य, कृषि आदि जैसे क्षेत्रों में आकस्मिक वेतन वाले कर्मचारी।

गिग इकॉनमी के लाभ

  • श्रमिकों के लिए: गिग इकॉनमी अधिक लचीलापन, स्वायत्तता, आय के अवसर, कौशल विकास एवं समावेशन प्रदान कर सकती है। 
  • नियोक्ताओं के लिए: यह प्रतिभा के एक बड़े और विविध पूल तक पहुँच, कम निश्चित लागत, उच्च मापनीयता और बेहतर ग्राहक संतुष्टि को सक्षम कर सकती है। 
  • ग्राहकों के लिए: यह अधिक विकल्प, सुविधा, गुणवत्ता और सामर्थ्य प्रदान कर सकती है।

गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था संबंधी अनुमान 

  • गिग कार्यबल
    • नीति आयोग के अध्ययन का अनुमान है कि वर्ष 2020-21 में 77 लाख (7.7 मिलियन) कर्मचारी गिग इकॉनमी में संलग्न थे।
    • वर्ष 2020 में लगभग 11 प्लेटफॉर्म कंपनियों द्वारा 3 मिलियन से अधिक कर्मचारी नियोजित थे।
    • वर्तमान में लगभग 47% गिग कार्य मध्यम कौशल युक्त नौकरियों में, लगभग 22% उच्च कौशल युक्त और लगभग 31% कम कौशल युक्त नौकरियों में है।
  • गिग कार्यबल वृद्धि (केंद्रीय श्रम मंत्रालय द्वारा किया गया अध्ययन)
    • वर्ष 2029-30 तक गिग कार्यबल का विस्तार 2.35 करोड़ (23.5 मिलियन) श्रमिकों तक होने की उम्मीद है।
    • वर्ष 2047 तक गिग कार्यबल के 61.6 मिलियन तक पहुँचने का अनुमान है, जो गैर-कृषि कार्यबल का 14.89% होगा (वर्ष 2020-21 में 2.6% से ऊपर)।
    • वैकल्पिक परिदृश्य
      • रूढ़िवादी अनुमान: बाहरी बाधाओं (जैसे- तकनीकी व्यवधान, विनियामक परिवर्तन, आर्थिक तनाव) के तहत वर्ष 2047 तक 32.5 मिलियन।
      • आकांक्षी अनुमान: अनुकूल परिस्थितियों के साथ वर्ष 2047 तक 90.8 मिलियन ‘गिग जॉब्स’ उत्पन्न करने की क्षमता।
  • आर्थिक प्रभाव
    • वर्ष 2030 तक गिग इकॉनमी का लेन-देन 250 बिलियन डॉलर तक पहुँच सकता है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 1.25% का योगदान देगा।
    • वर्ष 2047 तक, क्षेत्रीय विविधीकरण और तकनीकी प्रगति के कारण सकल घरेलू उत्पाद में 4% तक योगदान देने की उम्मीद है।
    • चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR): एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (ASSOCHAM) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की गिग इकॉनमी वार्षिक रूप से 17 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ रही है।

गिग इकॉनमी के विकास के प्रमुख कारक

  • प्रौद्योगिकी और डिजिटल अवसंरचना
    • 4G/5G और स्मार्टफोन: किफायती इंटरनेट और डिवाइस कर्मचारियों को ओला, उबर, जोमैटो जैसे प्लेटफॉर्म से जोड़ते हैं।
      • एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025 तक भारत में 900 मिलियन से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता होंगे।
    • AI और मशीन लर्निंग: AI कार्य आवंटन और सेवा वितरण को अनुकूलित करता है, राइड-शेयरिंग, डिलीवरी और फ्रीलांसिंग को बढ़ाता है।
    • प्लेटफॉर्म वृद्धि: वेब-आधारित (जैसे- अपवर्क) और स्थान-आधारित (जैसे- स्विगी) प्लेटफॉर्म वैश्विक स्तर पर 142 (वर्ष 2010) से बढ़कर 777 (वर्ष 2020) हो गए, जिससे भारत में रोजागर के विकल्पों में वृद्धि हुई।
  • वैकल्पिक कार्य की माँग
    • स्वायत्तता: कर्मचारी घंटों और कार्यों का चयन करते हैं, जो लचीलेपन की आवश्यकता वाले लोगों को आकर्षित करते हैं।
    • गैर-पारंपरिक नौकरियाँ: कई ऐप-आधारित कार्य ऐसे होते हैं जो एक साथ कई ऐप्स पर किए जा सकते हैं, जिससे आय में जोखिम कम हो जाता है।
    • आर्थिक लचीलापन: गिग जॉब्स ने वर्ष 2008 के संकट और COVID-19 के दौरान आय प्रदान की।
      • डिलीवरी जैसी भूमिकाओं के लिए न्यूनतम कौशल की आवश्यकता होती है, जिससे विविध श्रमिकों को आकर्षित किया जा सकता है।
  • जनसांख्यिकीय लाभ
    • युवा कार्यबल: भारत की 65% आबादी 15-64 वर्ष की है, औसत आयु 29 है; युवा (51% 30 वर्ष से कम) गिग कार्य को अपनाते हैं।
    • महिलाओं की भागीदारी: देखभाल, सौंदर्य और शिक्षा में लचीली भूमिकाएँ महिलाओं को सशक्त बनाती हैं, विकासशील देशों में 81% शिक्षित महिला फ्रीलांसर हैं।
    • शिक्षित कर्मचारी: विकासशील देशों में 73% उच्च शिक्षित व्यक्ति औपचारिक नौकरियों की कमी के कारण वेब प्लेटफॉर्म पर कार्य करते हैं।
    • समावेशन: गिग कार्य शारीरिक रूप से सक्षम और ग्रामीण युवाओं सहित हाशिए पर स्थित समूहों के लिए उपयुक्त है।
  • नीतिगत समर्थन
    • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020: गिग श्रमिकों को मान्यता देता है, ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से लाभ प्रदान करता है।
    • राज्य कानून: राजस्थान (2023) और कर्नाटक (2025) विधेयक श्रमिक कल्याण को बढ़ावा देते हैं।
    • विजन 2047: सरकार का लक्ष्य युवाओं और महिलाओं के जीवन में सुधार लाने के लिए गिग इकॉनमी का लाभ उठाना है।
    • कौशल: प्रशिक्षण कार्यक्रम उच्च कौशल युक्त गिग इकॉनमी के लिए डिजिटल और तकनीकी कौशल को बढ़ावा देते हैं।
  • शहरीकरण और उपभोक्ता माँग
    • शहरी विकास: मध्यम वर्ग की बढ़ती जनसंख्या डिलीवरी, राइड-हेलिंग, ई-कॉमर्स की माँग को बढ़ाती है।
    • टियर-2/3 शहर: गिग कार्य अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों तक प्रसारित हो रहा है, जिससे उन जगहों पर नौकरियाँ उत्पन्न हो रही हैं जहाँ औपचारिक कार्य दुर्लभ है।
    • क्षेत्र विस्तार: स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, रचनात्मक सेवाओं और परामर्श में वृद्धि विविध आवश्यकताओं को पूरा करती है।
  • वैश्विक बाजार तक पहुँच
    • वैश्विक हिस्सेदारी: भारत वैश्विक गिग/फ्रीलांसरों (2024) की 27% आपूर्ति करता है, जो अंग्रेजी बोलने वाले, प्रौद्योगिकी आधारित श्रमिकों द्वारा संचालित है।
    • विकसित देशों से माँग: अमेरिका, ब्रिटेन भारत के सॉफ्टवेयर, लेखन, मल्टीमीडिया कौशल की तलाश कर रहे हैं।
    • माइक्रो-उद्यमिता: उबर, Airbnb जैसे प्लेटफॉर्म श्रमिकों को कम लागत के साथ कौशल का मुद्रीकरण करने में सक्षम बनाते हैं।

भारत में गिग इकॉनमी के लाभ

  • बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन: अनुमान है कि भारत की गिग इकॉनमी वर्ष 2047 तक 62 मिलियन श्रमिकों को रोजगार देगी, जो गैर-कृषि कार्यबल का 15% है।
  • प्रवेश में कम बाधाएँ और कार्य का लोकतंत्रीकरण: गिग कार्य विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के लोगों, विशेष रूप से युवाओं, महिलाओं और दिव्यांग व्यक्तियों को न्यूनतम योग्यता एवं डिजिटल पहुँच आवश्यकताओं के कारण भाग लेने की अनुमति देता है।
  • महिला श्रम शक्ति: महिला गिग श्रमिकों को गिग इकॉनमी की आय-सृजन क्षमता, विकल्प और लचीले कार्य के तौर-तरीकों से लाभ होता है।
    • गिग इकॉनमी में महिलाओं की भागीदारी 18% से बढ़कर 36% हो गई है।
  • क्षेत्रीय विविधीकरण: गिग कार्य परिवहन और वितरण से आगे बढ़कर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, वित्त, बीमा, रचनात्मक सेवाएँ और IT परामर्श को भी शामिल कर रहा है।
    • वर्ष 2019-20 तक, 2.7 मिलियन गिग कर्मचारी खुदरा और बिक्री में, 1.3 मिलियन परिवहन में और 0.6 मिलियन से अधिक वित्त, बीमा और विनिर्माण में थे।
  • कौशल उन्नयन और तकनीकी एकीकरण की संभावना: हालाँकि वर्तमान प्रवृत्ति सीमित कौशल विकास प्रदर्शित करते हैं, लेकिन उत्पादकता बढ़ाने और भारत की 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से सामंजस्य स्थापित करने के लिए प्लेटफॉर्म-आधारित कौशल की उच्च संभावना है।

भारत में गिग इकोनॉमी नियामक ढाँचा

  • केंद्रीय विधान
    • वेतन संहिता, 2019: गिग वर्कर्स सहित सभी संगठित और असंगठित क्षेत्रों को एक सार्वभौमिक न्यूनतम वेतन और न्यूनतम वेतन प्रदान किया जाना चाहिए।
    • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020: इसके तहत गिग वर्कर्स को एक नई व्यावसायिक श्रेणी के रूप में मान्यता प्रदान की जाती है।
      • इसे लागू नहीं किया गया है क्योंकि सरकार ने अभी तक नियम नहीं बनाए हैं।
    • मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशा-निर्देश, 2020: इसके तहत, गिग वर्कर्स को 15 लाख रुपये का टर्म इंश्योरेंस और 10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा मिलता है, जिसका आधार वर्ष 2020-21 है और प्रत्येक वर्ष 5% की वृद्धि होती है।
      • गिग वर्कर्स के अत्यधिक कार्य के घंटों पर अंकुश लगाने के लिए, दिशा-निर्देशों में सिफारिश की गई है कि प्रत्येक ड्राइवर को कैलेंडर दिवस में 12 घंटे से अधिक लॉग इन नहीं करना चाहिए, जिसमें वे सभी एग्रीगेटर ऐप शामिल हैं, जिनसे वे जुड़े हुए हैं।
      • यदि कर्मचारी 12 घंटे लॉग इन करते हैं तो 10 घंटे का ब्रेक अनिवार्य था।
    • पीएम जन आरोग्य योजना (PM-JAY): केंद्रीय बजट 2025-26 में PM जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के तहत स्वास्थ्य कवरेज की घोषणा की गई।
      • गिग वर्कर्स के लिए प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपये।
    • ई-श्रम पोर्टल (2021): गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स सहित असंगठित श्रमिकों का एक राष्ट्रीय डेटाबेस है।
      • वर्ष 2025 की शुरुआत तक, 30.58 करोड़ से अधिक श्रमिक पंजीकृत थे।
  • राजस्थान: पहला राज्य गिग वर्कर्स कानून
    • राजस्थान प्लेटफॉर्म-आधारित गिग वर्कर्स (पंजीकरण एवं कल्याण) अधिनियम, 2023
    • मुख्य विशेषताएँ
      • राज्य पोर्टल पर गिग वर्कर्स और एग्रीगेटर्स का अनिवार्य पंजीकरण।
      • कल्याण बोर्ड और कल्याण कोष का निर्माण (प्रति लेनदेन 1-2% उपकर द्वारा वित्तपोषित)।
      • शिकायत निवारण, भुगतान में पारदर्शिता और अधिकारों के प्रति जागरूकता के प्रावधान।
      • राज्य सरकार के अनुदान और गिग वर्कर्स द्वारा दिए जाने वाले अंशदान को भी कोष में जमा किया जाएगा।
  • कर्नाटक गिग वर्कर्स (सेवा की शर्तें और कल्याण) विधेयक, 2024: यह मसौदा राजस्थान के कानून पर आधारित है, लेकिन इसमें श्रमिकों की सुरक्षा और कल्याण के लिए अधिक प्रावधान हैं।
    • इसमें एग्रीगेटर्स गिग वर्कर्स के कल्याण शुल्क को वसूलने का प्रावधान करने की योजना बनाई जा रही है, जो प्रति लेनदेन गिग वर्कर के वेतन का एक प्रतिशत होगा।

भारत में गिग वर्कर से जुड़ी प्रमुख चिंताएँ

  • सामाजिक सुरक्षा कवरेज का अभाव: अधिकतर गिग वर्कर्स के पास स्वास्थ्य बीमा, भविष्य निधि या पेंशन लाभ जैसी बुनियादी सुरक्षा का अभाव है।
    • वर्ष 2024 तक, भारत में लगभग 90% गिग वर्कर्स के पास आपात स्थिति के समय सहायता के लिए कोई बचत नहीं थी। वेतनभोगी कर्मचारियों के विपरीत, जो कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में योगदान करते हैं और रिटायरमेंट तक ₹50-60 लाख तक जुटा सकते हैं, गिग वर्कर्स को न तो ऐसी कोई सुविधा मिलती है और न ही वे रिटायरमेंट के लिए सुरक्षित होते हैं। उन्हें पूरी तरह से असुरक्षित भविष्य का जोखिम उठाना पड़ता है।
  • अनिश्चित आय और लंबे कार्य घंटे: गिग वर्कर प्रायः अपेक्षाकृत कम और अस्थिर वेतन पर लंबे समय तक कार्य करते हैं।
    • वर्ष 2023 के फेयरवर्क इंडिया अध्ययन में पाया गया कि डिलीवरी और राइड-हेलिंग वर्कर लगभग ₹15,000-20,000/माह कमाते हैं, वे प्रायः दिन में कार्य किए गए समय के हिसाब से समायोजित किए जाने पर न्यूनतम वेतन से कम 10-12 घंटे कार्य करते हैं।
  • औपचारिक रोजगार की स्थिति का अभाव: गिग वर्कर को कानूनी तौर पर स्वतंत्र ठेकेदारों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जो उन्हें श्रम कानून सुरक्षा से बाहर रखता है।
    • इस वर्गीकरण का अर्थ है कि गिग वर्कर्स को न तो न्यूनतम वेतन की गारंटी मिलती है, न ही ओवरटाइम वेतन का अधिकार। इसके अलावा, उन्हें अनुचित बर्खास्तगी से कोई सुरक्षा प्राप्त नहीं होती और मौजूदा श्रम कानूनों के तहत उनके पास शिकायत निवारण की कोई प्रभावी व्यवस्था भी उपलब्ध नहीं होती।
  • एल्गोरिदम प्रबंधन और पारदर्शिता की कमी: श्रमिकों को अपारदर्शी एल्गोरिदम द्वारा प्रबंधित किया जाता है जो मानवीय निगरानी के बिना कार्य आवंटित करते हैं और वेतन निर्धारित करते हैं।
    • गिग प्लेटफॉर्म पर कार्यरत श्रमिकों को प्रायः ग्राहकों की रेटिंग या ऑर्डर रद्द करने के आधार पर अपने खातों के निष्क्रिय होने का सामना करना पड़ता है, जिसमें न तो उन्हें कोई पूर्व सूचना दी जाती है और न ही अपील करने या कारण जानने का उचित अवसर दिया जाता है।
  • लैंगिक जोखिम और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: महिलाओं को गिग भूमिकाओं में सुरक्षा संबंधी जोखिम और भेदभाव का सामना करना पड़ता है, विशेषतः उन भूमिकाओं में जिनमें निजी घरों में प्रवेश करना या देर रात तक कार्य करना शामिल होता है।
    • अधिकांश प्लेटफॉर्म में मातृत्व लाभ या लैंगिक हिंसा को संबोधित करने के लिए मजबूत तंत्र का अभाव है।
  • कौशल विकास या आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं: गिग इकॉनमी में उपलब्ध अधिकांश कार्य, जैसे कि ड्राइविंग और डिलीवरी, स्वाभाविक रूप से दोहराव वाले होते हैं। इन कार्यों में न तो श्रमिकों को कोई औपचारिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है और न ही उनके कौशल उन्नयन या करियर प्रगति के अवसर उपलब्ध होते हैं।
    • विश्व बैंक की वर्ष 2023 की रिपोर्ट में पाया गया कि भारत में केवल 5% गिग वर्कर ही हस्तांतरणीय कौशल हासिल करते हैं, जबकि आईटी या विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में यह 40% है।
  • मौजूदा कानूनों और लाभों का कमजोर प्रवर्तन: हालाँकि सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 जैसे कानून प्लेटफॉर्म योगदान को अनिवार्य बनाते हैं, लेकिन प्रवर्तन खराब है।
    • ई-श्रम या PM जन आरोग्य योजना के तहत लाभ सैद्धांतिक रूप से मौजूद हैं, लेकिन जागरूकता, डिजिटल साक्षरता या प्लेटफॉर्म सहयोग की कमी के कारण पूरी तरह से सुलभ नहीं हैं।

गिग श्रमिकों की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यास

स्पेन: कर्मचारियों के रूप में कानूनी पुनर्वर्गीकरण

  • वर्ष 2021 में, स्पेन ने राइडर कानून पारित किया, जिसके तहत गिग डिलीवरी श्रमिकों को स्वतंत्र ठेकेदारों के बजाय कर्मचारियों के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया।

फ्राँस: अनिवार्य सामाजिक सुरक्षा अंशदान

  • गिग प्लेटफार्मों को प्राधिकारियों के पास पंजीकरण कराना होगा तथा अपने कर्मचारियों की ओर से सामाजिक सुरक्षा कोष में योगदान देना होगा।

कनाडा: पोर्टेबल लाभ पायलट परियोजनाएँ

  • ब्रिटिश कोलंबिया और ओंटारियो जैसे प्रांत पोर्टेबल लाभ योजनाओं के साथ प्रयोग कर रहे हैं:-
    • गिग वर्कर्स को स्वास्थ्य बीमा और सेवानिवृत्ति बचत जैसे लाभ सभी प्लेटफॉर्म पर मिलते रहते हैं।

कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमेरिका: AB5 और प्रस्ताव 22

  • कैलिफोर्निया ने शुरू में कई गिग वर्कर्स को कर्मचारियों के रूप में वर्गीकृत करने के लिए AB5 पारित किया।
  • प्रस्ताव 22 (2020): Uber और Lyft जैसी कंपनियों द्वारा समर्थित एक काउंटर-बैलट ने एक हाइब्रिड स्थिति का निर्माण किया:-
    • कर्मचारियों को न्यूनतम आय की गारंटी मिलती है।
    • सब्सिडी युक्त स्वास्थ्य बीमा।
    • घटना की क्षतिपूर्ति।

प्लेटफॉर्म कार्य पर यूरोपीय संघ के निर्देश

  • इसका उद्देश्य डिजिटल श्रम प्लेटफॉर्म के जरिए कार्य करने वाले लोगों की कार्य स्थितियों में सुधार करना है, जिन्हें प्रायः ‘गिग वर्कर’ कहा जाता है।
    • कंपनियों पर साक्ष्य का बोझ डालना (उन्हें सिद्ध करना होगा कि कर्मचारी स्व-नियोजित है)।

भारत की गिग और प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था के लिए आगे की राह

  • व्यापक राष्ट्रीय कानून: गिग वर्कर्स के अधिकारों को परिभाषित करने, न्यूनतम वेतन, अधिकतम कार्य घंटे और अनुचित बर्खास्तगी के विरुद्ध सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक समर्पित कानून बनाना।
  • सामाजिक सुरक्षा कार्यान्वयन को मजबूत करना: सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 के तहत स्वास्थ्य बीमा, पेंशन और मातृत्व कवरेज जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभों तक सार्वभौमिक पहुँच सुनिश्चित करना।
  • एल्गोरिदम प्रबंधन को विनियमित करना: कार्य आवंटन या निष्क्रियता में शोषण और भेदभाव को रोकने के लिए प्लेटफॉर्म एल्गोरिदम में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देना।
    • EU के प्लेटफॉर्म वर्क डायरेक्टिव से आकर्षित होकर, एल्गोरिदमिक मानदंड का खुलासा करने और अपील तंत्र प्रदान करने के लिए प्लेटफॉर्म को अनिवार्य करना।
  • सुरक्षा और लैंगिक-समावेशी नीतियों को बढ़ाना: भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए, विशेष रूप से महिलाओं के लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य जोखिमों को संबोधित करके कार्यकर्ता सुरक्षा में सुधार करना (वर्तमान में 36% महिला गिग कार्यकर्ता हैं)।
  • कौशल विकास और कैरियर गतिशीलता को बढ़ावा देना: प्लेटफॉर्म-आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पेशकश करके गिग कार्य को औपचारिक रोजगार के लिए एक कदम में बदलना।
    • विजन इंडिया@2047 के अंतर्गत कौशल विकास पहलों का विस्तार करके उच्च कौशल वाले कार्यों (नौकरियों का 22%) पर ध्यान केंद्रित करना, तथा अर्बन कंपनी जैसे प्लेटफार्मों के साथ साझेदारी करना।
  • सामूहिक सौदेबाजी के अधिकार को सक्षम करना: गिग वर्कर्स को बेहतर वेतन और शर्तों के लिए वार्ता करने के लिए यूनियन का निर्माण करना और प्रभावी शिकायत निवारण तक पहुँच का अधिकार देना।
    • डेनमार्क के सामूहिक सौदेबाजी मॉडल से प्रेरित होकर श्रमिकों, प्लेटफार्मों और सरकार के साथ त्रिपक्षीय बोर्ड स्थापित करना।
  • राज्य और केंद्रीय नीतियों में सामंजस्य स्थापित करना: राज्य-स्तरीय पहलों (जैसे- कर्नाटक का वर्ष 2025 का विधेयक) को राष्ट्रीय नीतियों के साथ जोड़कर एक सुसंगत नियामक ढाँचा का निर्माण करना।
    • क्षेत्रों में समान योजनाएँ, नवीन वित्तपोषण और पहुँच सुनिश्चित करने के लिए नीति आयोग के RAISE ढाँचे को अपनाना।

निष्कर्ष 

भारत की गिग इकॉनमी, जिसके वर्ष 2047 तक 61.9 मिलियन लोगों को रोजगार देने का अनुमान है, में परिवर्तनकारी क्षमता है, लेकिन श्रमिकों की सुरक्षा एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए मजबूत विनियमन की आवश्यकता है। राष्ट्रीय कानून, सामाजिक सुरक्षा और कौशल विकास को एकीकृत करने वाला एक संतुलित दृष्टिकोण भारत को निष्पक्ष गिग कार्य में वैश्विक नेतृत्त्वकर्त्ता के रूप में स्थापित कर सकता है।

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