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गिग अर्थव्यवस्था (Gig Economy)

Lokesh Pal March 11, 2024 06:48 128 0

संदर्भ

पीपुल्स एसोसिएशन इन ग्रासरूट्स एक्शन एंड मूवमेंट्स’ (People’s Association in Grassroots Action and Movements) और ‘इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स’ (Indian Federation of App-based Transport Workers) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, गिग श्रमिक सामाजिक सुरक्षा नियमों की कमी से प्रभावित हैं।

अध्ययन के प्रमुख  निष्कर्ष

  • आय में असमानताएँ: अध्ययन में भाग लेने वाले 43% से अधिक प्रतिभागी अपनी सभी लागतों को काटने के बाद प्रतिदिन ₹500 या प्रतिमाह ₹15,000 से कम कमाते हैं।
    • अध्ययन में पाया गया कि 34% ऐप आधारित डिलीवरी में व्यक्ति प्रतिमाह ₹10,000 से कम कमाते हैं, जबकि उनमें से 78% कार्य पर 10 घंटे से अधिक समय बिता रहे हैं।
  • सड़क दुर्घटनाओं का खतरा: ड्राइवर शारीरिक रूप से थक जाते हैं और सड़क यातायात दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है-विशेष रूप से कुछ ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों की ’10 मिनट डिलीवरी एट द डोर स्टेप’ नीति के कारण।
  • आय से अधिक खर्च: जहाँ 72% कैब ड्राइवरों ने कहा कि उन्हें खर्चों का प्रबंधन करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है, वहीं 76% डिलीवरी, व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
    • 68% कैब ड्राइवरों की प्रतिक्रियाएँ यह भी दर्शाती हैं कि उनका कुल खर्च उनकी आय  से अधिक है।
  • प्रस्तावित दरों पर असहमति: 80% से अधिक ऐप आधारित कैब ड्राइवर कंपनियों द्वारा प्रस्तावित किराए से संतुष्ट नहीं थे, जबकि 73% से अधिक ऐप आधारित डिलीवरी करने वाले व्यक्तियों ने प्राप्त दरों पर असंतोष व्यक्त किया।
  • आईडी निष्क्रिय करना: कर्मचारियों की एक और बड़ी शिकायत आईडी निष्क्रिय करना और ग्राहकों द्वारा दुर्व्यवहार का मुद्दा है।
    • 83% ड्राइवरों ने बताया कि आईडी ब्लॉकिंग का मुद्दा उन पर नकारात्मक प्रभाव डालता है, 47% ने कहा कि यह मुद्दा उन्हें बेहद प्रभावित करता है।
  • ग्राहक दुर्व्यवहार: ग्राहक व्यवहार ड्राइवरों के एक महत्त्वपूर्ण बहुमत (72%) को नकारात्मक तरीके से प्रभावित करता है, जबकि डिलीवरी करने वाले 68%  व्यक्ति कथित तौर पर इससे नकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं।

गिग अर्थव्यवस्था

  • गिग अर्थव्यवस्था एक श्रम बाजार है, जो पूर्णकालिक स्थायी कर्मचारियों के बजाय स्वतंत्र ठेकेदारों और फ्रीलांसरों पर निर्भर करता है।

गिग अर्थव्यवस्था नियामक ढाँचा और पहल

  • वेतन संहिता, 2019 गिग श्रमिकों सहित संगठित और असंगठित क्षेत्रों में सार्वभौमिक न्यूनतम वेतन और न्यूनतम वेतन प्रदान करता है।
  • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 गिग श्रमिकों को एक नई व्यावसायिक श्रेणी के रूप में मान्यता देती है और उन्हें जीवन तथा विकलांगता कवर, दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ, वृद्धावस्था सुरक्षा एवं अन्य सुविधाएँ प्रदान करती है।

नीति आयोग भारत की सिफारिशें

  • गिग श्रमिकों का उचित अनुमान: गिग अर्थव्यवस्था के आकार और गिग श्रमिकों की विशिष्ट विशेषताओं का अनुमान लगाने के लिए अलग-अलग गणना अभ्यास किया जाएँ।
    • यह आधिकारिक गणना (PLFS, NSS या अन्य) के दौरान जानकारी एकत्र करके किया जा सकता है।
  • कैटालाइज प्लेटफॉर्माइजेशन: प्लेटफॉर्म इंडिया पहल (स्टार्टअप इंडिया के समान) का परिचय देना, जो सरलीकरण और हैंडहोल्डिंग, वित्तीय समर्थन और प्रोत्साहन, कौशल विकास और सामाजिक वित्तीय समावेशन द्वारा त्वरित प्लेटफॉर्माइजेशन के स्तंभों पर निर्मित है।
    • यह मंच स्व-रोजगार व्यक्तियों को कस्बों और शहरों के व्यापक बाजारों में अपनी उपज बेचने में मदद कर सकता है; जैसे-भाड़े आदि के लिए यात्रियों को ले जाना।
  • वित्तीय समावेशन में तेजी लाना: विशेष रूप से प्लेटफॉर्म श्रमिकों और अपने स्वयं के प्लेटफॉर्म स्थापित करने में रुचि रखने वालों के लिए डिजाइन किए गए वित्तीय उत्पादों के माध्यम से संस्थागत ऋण तक पहुँच बढ़ाना।
    • इसके लिए, फिनटेक और प्लेटफॉर्म व्यवसायों का लाभ उठाना,
    • प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था पर पहली बार उधार लेने वालों को असुरक्षित ऋण को प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के रूप में वर्गीकृत करना,
  • महिलाओं, विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) या भारत के छोटे शहरों, कस्बों और गाँवों में शुरू किए गए प्लेटफॉर्म व्यवसायों के संबंध में औपचारिक ऋण तक पहुँच पर विशेष जोर दिया गया।

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