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ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड

Lokesh Pal November 21, 2024 12:56 5 0

संदर्भ 

दो समुदाय आधारित हिमालयी संगठनों ने अक्टूबर 2023 में घटित हुई विनाशकारी ‘ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड’ (Glacial Lake Outburst Flood- GLOF) की घटना के बाद तीस्ता घाटी में आपदा जोखिमों को कम करने के लिए तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया है।

वर्ष 2023 में ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्ल  (GLOF) का प्रभाव

  • जनहानि और विनाश: वर्ष 2023 में ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्ल (GLOF) और उसके बाद NHPC लिमिटेड विद्युत परियोजना बाँध टूटने से 100 से अधिक लोगों की जान चली गई, आजीविका बाधित हुई और संपत्ति एवं महत्त्वपूर्ण सैन्य प्रतिष्ठान नष्ट हो गए, इसके अलावा सिक्किम और पश्चिम बंगाल में इसके कारण पारिस्थितिकीय विनाश हुआ।

 ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड  (GLOF) के बारे में

  •  ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) से तात्पर्य हिमनद झीलों से जल एवं अवसाद का अचानक बाहर प्रस्फुटन होना है, जो प्राकृतिक रूप से हिमोढ़ (बर्फ, रेत और कंकड़ का मलबा) या ग्लेशियर बर्फ जैसी बाधाओं से अवरुद्ध हो जाते हैं।

गठन और ट्रिगरिंग तंत्र

  • हिमनद झील निर्माण: जैसे-जैसे ग्लेशियर पिघलते हैं, पानी बर्फ, रेत और अन्य मलबे (मोराइन बाँध) से बने ढीले, प्राकृतिक रूप से निर्मित बाँधों के पीछे जमा हो जाता है।
    • ये बाँध स्वाभाविक रूप से कमजोर होते हैं और इनके टूटने की संभावना अधिक होती है।

  • बाँध का टूटना: ढीले मलबे से बने मोराइन बाँध अस्थिर होते हैं और अचानक टूटने की संभावना होती है, जिससे ग्लेशियल झील से अचानक और बड़े पैमाने पर जल निकलता है।
  • ट्रिगरिंग इवेंट: बाहरी घटनाओं जैसे बर्फ या चट्टान गिरने, भूकंप या भारी वर्षा से शुरू होते हैं, जो प्राकृतिक बाँधों को कमजोर या तोड़ देते हैं।
  • वैश्विक तापमान में वृद्धि: गर्म तापमान ग्लेशियर पिघलने की दर में तेजी लाता है और तलछट एवं बर्फ की संरचनात्मक बाधाओं को कमजोर करते हैं, जिससे बाँध के टूटने की संभावना बढ़ जाती है।
  • बाँध का कटाव एवं दबाव: प्राकृतिक बाँध बढ़ते जल स्तर, जल के दबाव के निर्माण या झील में भूस्खलन के कारण होने वाले कटाव के कारण विफल हो जाते हैं।

मुख्य विशेषताएँ

  • बाढ़ का प्रकार: अचानक, उच्च ऊर्जा वाली बाढ़, जिसमें बड़ी मात्रा में जल और तलछट शामिल है।
  • प्रभाव: विनाशकारी डाउनस्ट्रीम प्रभाव, जिसमें जान-माल की हानि, बुनियादी ढाँचे को नुकसान और पर्यावरण विनाश शामिल है।

क्षेत्र में आपदा न्यूनीकरण के लिए प्रस्तावित समाधान

वर्ग

उपाय

विवरण

संरचनात्मक उपाय

इंजीनियरिंग समाधान
  • तीस्ता नदी को पुनः चैनलाइज करना।
  • NHPC की विशेषज्ञता का उपयोग करना।
  • अतिप्रवाह के जोखिम को कम करना और शहरी एवं बुनियादी ढाँचे को होने वाले नुकसान को रोकना।
  • नदी को गहरा करना और सुरक्षित चैनलों की ओर पुनर्निर्देशित करना।
बुनियादी ढाँचे की मरम्मत
  • क्षतिग्रस्त सड़कों और पुलों को मजबूत बनाना।
  • आर्थिक गतिविधियों एवं आपदा राहत के लिए संपर्क सुनिश्चित करना।
  • कालिम्पोंग और सिक्किम को जोड़ने वाले महत्त्वपूर्ण सड़क मार्ग की सुरक्षा करना।
राहत शिविर उन्नयन
  • निकासी केंद्रों को सौर ऊर्जा चालित बैकअप से सुसज्जित करना।
  • आपात स्थिति के दौरान परिचालन तत्परता बनाए रखना।

गैर-संरचनात्मक उपाय

पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ (Early Warning Systems)
  • स्वचालित बाढ़ चेतावनी प्रणाली स्थापित करना।
  • बैकअप संचार चैनल विकसित करना।
  • सायरन और मोबाइल नेटवर्क के माध्यम से वास्तविक समय पर अलर्ट प्रदान करना। 
  • आपातकालीन संचार के लिए हैम रेडियो और वॉकी-टॉकी लागू करना।
संयुक्त कार्रवाई और टास्क फोर्स गठन (Joint Action and Task Force Formation)
  • समन्वित आपदा प्रबंधन के लिए सिक्किम-पश्चिम बंगाल संयुक्त समिति की स्थापना की जाएगी।
  • एक व्यापक कार्य योजना विकसित करने के लिए भू-जल विज्ञान, इंजीनियरिंग, समाजशास्त्र और पर्यावरण विज्ञान के विशेषज्ञों का एक टास्क फोर्स गठित करना।
सामुदायिक जागरूकता 
  • जोखिम और आपदा प्रबंधन संबंधी अभियान चलाना।
  • आपदाओं के दौरान लचीलापन विकसित करना और सामुदायिक प्रतिक्रिया में सुधार करना।

दीर्घकालिक रणनीतियाँ

  • भूमि उपयोग और जोनिंग: संभावित निकासी और पुनर्वास के लिए उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान और निर्धारण।
    • स्थानांतरित समुदायों के लिए पर्याप्त मुआवजा और सहायता प्रदान करना।
  • पारिस्थितिकी तंत्र का पुनर्स्थापन: मिट्टी के कटाव को नियंत्रित करने और नदी के प्रवाह को विनियमित करने के लिए वनीकरण कार्यक्रम शुरू करना।
  • पर्यटन पुनरुद्धार: सिक्किम-दार्जिलिंग हिमालय में पर्यटकों की आवाजाही को बढ़ावा देने के लिए स्थिर बुनियादी ढाँचा सुनिश्चित करना।

तीस्ता नदी के बारे में

  • उद्गम: सिक्किम के चुंगथांग के पास हिमालय से इस नदी का उद्गम होता  है।
  • भारत में मार्ग: दक्षिण की ओर बहती है, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग के पूर्व में शिवालिक पहाड़ियों के बीच से एक गहरी खाई बनाती है।
    • यह नदी सिवोक खोला (Sivok Khola) दर्रे से होकर पश्चिम बंगाल के मैदानों में प्रवेश करती है।

  • बांग्लादेश में नदी मार्ग
    • बांग्लादेश में प्रवेश करने के बाद दक्षिण-पूर्व की ओर बहती है।
    • जमुना नदी (बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र का नाम) से मिलती है।
  • मूल मार्ग: पहले यह सीधे दक्षिण में पद्मा नदी (बांग्लादेश में गंगा की मुख्य धारा) में मिलती थी।
  • मार्ग परिवर्तन: वर्ष 1787 के आसपास, तीस्ता ने अपना मार्ग बदल दिया और पूर्व की ओर बहकर जमुना में मिल गई।
  • नदी बेसिन वितरण
    • भारत: जलग्रहण क्षेत्र का 83% हिस्सा भारत में है।
    • बांग्लादेश: जलग्रहण क्षेत्र का 17% हिस्सा बांग्लादेश में है।
  • प्रमुख बैराज
    • गजोल्डोबा बैराज (Gajoldoba Barrage): भारत के पश्चिम बंगाल में स्थित है।
    • दुअनी बैराज (Duani Barrage): बांग्लादेश में स्थित है।
  • क्षेत्रीय महत्त्व: तीस्ता नदी सिंचाई, जलविद्युत उत्पादन और भारत तथा बांग्लादेश दोनों देशों में समुदायों की आजीविका को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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