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ग्लोबल एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस सर्विलांस रिपोर्ट, 2025

Lokesh Pal November 15, 2025 05:19 14 0

संदर्भ

WHO ग्लोबल एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस सर्विलांस सिस्टम (GLASS) रिपोर्ट, 2025 इस बात पर प्रकाश डालती है कि भारत में एएमआर एक “गंभीर और बढ़ता हुआ खतरा” है।

  • रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) सूक्ष्मजीवों (बैक्टीरिया, वायरस, कवक, परजीवी) की उन दवाओं का प्रतिरोध करने की क्षमता है, जो कभी उन्हें नुकसान पहुँचाती थीं। इससे संक्रमणों का उपचार मुश्किल हो जाता है और वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य जोखिम बढ़ जाते हैं।
  • AMR को अब विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा शीर्ष 10 वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों में से एक माना गया है।

वैश्विक रोगाणुरोधी प्रतिरोध निगरानी प्रणाली (GLASS) के बारे में

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा वर्ष 2015 में ग्लोबल एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस सर्विलांस सिस्टम (GLASS) प्रारंभ की गई थी।
  • इसका उद्देश्य एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) डेटा संग्रह को मानकीकृत करना, निगरानी क्षमता में देशों की सहायता करना और तुलनीय वैश्विक डेटाबेस तैयार करना है।

ग्लास रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • उच्च प्रतिरोध दर: वर्ष 2023 में, भारत में लगभग एक-तिहाई जीवाणु संक्रमण सामान्य एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी थे, जो वैश्विक औसत (छह में से एक) से काफी अधिक है।
  • योगदान कारक: एंटीबायोटिक दवाओं का अति प्रयोग, दुरुपयोग और कमजोर निगरानी भारत के AMR संकट के प्रमुख कारण हैं।
    • एंटीबायोटिक दवाओं की व्यापक ओवर-द-काउंटर उपलब्धता, स्व-चिकित्सा और अस्पताल में संक्रमण इस स्थिति को और बिगाड़ रहे हैं।
  • स्वास्थ्य बोझ: भारत में संक्रामक रोगों का उच्च बोझ और अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढाँचा, इसे AMR  के प्रति असमान रूप से संवेदनशील बनाता है।
  • संक्रमण हॉटस्पॉट: ई.कोलाई, क्लेबसिएला न्यूमोनिया और स्टैफिलोकोकस ऑरियस जैसे गंभीर संक्रमणों में प्रतिरोध क्षमता विशेष रूप से उच्च थी, खासकर ICU में।

भारत की निगरानी और डेटा सीमाएँ

  • असंगत डेटा प्रतिनिधित्व
    • अधिकांश AMR निगरानी तृतीयक अस्पतालों से होती है, जिससे राष्ट्रीय प्रतिरोध दर में असंतुलन उत्पन्न होता है क्योंकि ये केंद्र गंभीर, जटिल संक्रमणों का उपचार करते हैं।
    • एक अधिक व्यापक राष्ट्रीय निगरानी नेटवर्क की आवश्यकता है, जिसमें द्वितीयक और प्राथमिक देखभाल सुविधाएँ शामिल हों।
  • अपूर्ण राष्ट्रीय अनुमान 
    • भारत में AMR स्तर, विशेष रूप से ग्राम-नेगेटिव रोगाणुओं के लिए, विश्व स्तर पर सबसे अधिक हैं।
    • ICMR’s  का रोगाणुरोधी प्रतिरोध निगरानी एवं अनुसंधान नेटवर्क (AMRSN) और NCDC का राष्ट्रीय रोगाणुरोधी प्रतिरोध निगरानी नेटवर्क (NARS-Net) प्रमुख डेटा स्रोत हैं, लेकिन उनका दायरा प्रमुख अस्पतालों तक ही सीमित है, जिससे राष्ट्रीय प्रतिरोध स्तरों का संभावित रूप से अधिक आकलन हो सकता है।

AMR से निपटने में चुनौतियाँ और सीमाएँ

  • कार्यान्वयन में धीमी प्रगति: AMR पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAP-AMR) के बावजूद, केवल कुछ ही राज्यों ने औपचारिक रूप से राज्य-विशिष्ट कार्य योजनाएँ प्रारंभ की हैं।
  • सीमित नियामक प्रवर्तन: भारत में एंटीबायोटिक प्रबंधन अपर्याप्त बना हुआ है और केरल की AMR योजना अन्य राज्यों के लिए अनुकरणीय आदर्श बन गई है।

वैश्विक और राष्ट्रीय पहल

  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) वैश्विक स्तर पर निगरानी में तत्काल सुधार और एंटीबायोटिक दवाओं के तर्कसंगत उपयोग पर जोर देता है।
    • GLASS में भारत की सक्रिय भागीदारी महत्त्वपूर्ण है, लेकिन इसके लिए ग्रामीण और सामुदायिक स्वास्थ्य क्षेत्रों से प्राप्त आँकड़ों का बेहतर प्रतिनिधित्व आवश्यक है।
  • वैश्विक AMR खतरा: विकासशील देशों में उच्च प्रतिरोध दर के कारण AMR से वैश्विक अर्थव्यवस्था को वार्षिक रूप से अरबों डॉलर का नुकसान होता है, जिससे मृत्यु दर और स्वास्थ्य देखभाल की लागत में वृद्धि होती है।
  • केरल की सफलता: केरल के स्वास्थ्य के लिए रोगाणुरोधी प्रतिरोध हस्तक्षेप (Antimicrobial Resistance Intervention for Health- AMRITH) कार्यक्रम का उद्देश्य एंटीबायोटिक दवाओं की ओवर-द-काउंटर बिक्री को रोकना है और इसके कारण AMR के स्तर में मामूली कमी देखी गई है।
    • राज्य गैर-अनुपालन के लिए दंड लागू करता है और जनता को जिम्मेदारी से एंटीबायोटिक उपयोग के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाता है।
  • जागरूकता और साक्षरता: केरल का एंटीबायोटिक साक्षरता कार्यक्रम, जो दिसंबर 2025 तक पूरा होने वाला है, का उद्देश्य एंटीबायोटिक दवाओं के तर्कसंगत उपयोग के बारे में जन जागरूकता और शिक्षा को बढ़ावा देना है, जो AMR से निपटने के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • नीतिगत हस्तक्षेप: कोलिस्टिन (जिसे पहले पशुधन में वृद्धिवर्द्धक के रूप में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था) पर वर्ष 2019 का प्रतिबंध एक बड़ा सकारात्मक कदम माना जा रहा है।

नीतिगत अनुशंसा

  • निगरानी नेटवर्क को मजबूत करना: भारत को अपने निगरानी नेटवर्क का विस्तार माध्यमिक और प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा अस्पतालों को शामिल करने के लिए करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आँकड़े राष्ट्रीय प्रतिरोध स्तरों को अधिक सटीकता से दर्शाएँ।
  • राष्ट्रीय समन्वय: विनियमन, आँकड़े साझाकरण और एंटीबायोटिक उपयोग में सुधार के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समन्वित AMR कार्य योजनाएँ लागू करना।
  • जन जागरूकता: AMR पर सार्वजनिक शिक्षा का विस्तार करना, यह सुनिश्चित करते हुए कि समुदायों के अंतर्गत तर्कसंगत एंटीबायोटिक उपयोग और दुरुपयोग के दीर्घकालिक प्रभाव की समझ उत्पन्न हो।
  • वैश्विक सहयोग: भारत को AMR में वृद्धि को रोकने वाली नई एंटीबायोटिक्स और वैश्विक नीतियाँ विकसित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय रहना चाहिए।

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