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वैश्विक कार्बन बजट

Lokesh Pal November 17, 2025 02:11 17 0

संदर्भ

ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट के ग्लोबल कार्बन बजट के अनुसार, जीवाश्म CO₂ उत्सर्जन वर्ष 2025 में 1.1% बढ़कर रिकॉर्ड 38.1 बिलियन टन तक पहुँच जाएगा।

वैश्विक कार्बन परियोजना रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  • भारत में उत्सर्जन वृद्धि में कमी: वर्ष 2025 में, भारत के कार्बन उत्सर्जन में केवल 1.4% की वृद्धि होने की संभावना है, जो वर्ष 2024 में 4% की वृद्धि की तुलना में काफी धीमी है।
    • मुख्य कारक
      • अनुकूल मानसून: शीतलन (जैसे- एयर कंडीशनिंग) की माँग में कमी।
      • नवीकरणीय ऊर्जा में वृद्धि: स्वच्छ ऊर्जा में वृद्धि ने कोयले की खपत को कम करने में योगदान दिया, जो उत्सर्जन में एक प्रमुख योगदानकर्ता है।
  • वैश्विक एवं अन्य प्रमुख उत्सर्जकों के साथ तुलना
    • ऊर्जा खपत में मध्यम वृद्धि और नवीकरणीय ऊर्जा में तीव्र वृद्धि के कारण चीन के उत्सर्जन में केवल 0.4% की वृद्धि होने का अनुमान है।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ में भी उत्सर्जन में क्रमशः 1.9% और 0.4% की वृद्धि होने की संभावना है।
  • वैश्विक उत्सर्जन में भारत की स्थिति
    • तीसरा सबसे बड़ा उत्सर्जक: भारत वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक है, जिसका वार्षिक उत्सर्जन 3.2 बिलियन टन (वर्ष 2024 तक) है, जो अमेरिका (4.9 बिलियन टन) और चीन (12 बिलियन टन) से पीछे है।
    • प्रति व्यक्ति उत्सर्जन: भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 2.2 टन CO₂  प्रति वर्ष है, जो 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में दूसरा सबसे कम है, जो अन्य प्रमुख उत्सर्जकों की तुलना में देश के कम कार्बन उत्सर्जन को दर्शाता है।
  • वर्ष 2025 में वैश्विक उत्सर्जन वृद्धि को प्रेरित करने वाले कारक
    • ईंधन-प्रकार का योगदान: वर्ष 2025 में वैश्विक जीवाश्म CO₂  उत्सर्जन सभी प्रकार के ईंधनों से प्रेरित होगा: कोयला (+0.8%), तेल (+1%), प्राकृतिक गैस (+1.3%)।
    • भूमि-उपयोग परिवर्तन: स्थायी वनों की कटाई से होने वाला उत्सर्जन प्रति वर्ष लगभग 4 बिलियन टन CO₂  के उच्च स्तर पर बना हुआ है, जबकि पुनर्वनीकरण इन उत्सर्जनों के लगभग आधे हिस्से की भरपाई करता है।
    • दीर्घकालिक रुझान: पिछले दशक में कुल CO₂ उत्सर्जन (जीवाश्म + भूमि-उपयोग परिवर्तन) में 0.3% प्रति वर्ष की वृद्धि हुई, जो पिछले दशक के 1.9% से कम है।
    • 1.5°C लक्ष्य के लिए कार्बन बजट: वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित रखने के लिए शेष कार्बन बजट 170 बिलियन टन CO₂ है, जिसके वर्तमान उत्सर्जन दरों पर वर्ष 2030 तक समाप्त होने का अनुमान है।
  • पृथ्वी प्रणालियों पर उत्सर्जन वृद्धि का प्रभाव: उत्सर्जन में वृद्धि के कारण स्थल और महासागर का संयुक्त कार्बन सिंक कम हो रहा है, जो विनाशकारी जलवायु प्रभावों से बचने के लिए उत्सर्जन में भारी कटौती की तत्काल आवश्यकता का संकेत देता है।

ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट की चेतावनियाँ

  • कार्बन उत्सर्जन में कमी पर्याप्त तेज नहीं: रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि खतरनाक जलवायु प्रभावों को रोकने के लिए वैश्विक प्रयास पर्याप्त मजबूत नहीं हैं।
  • नवीकरणीय ऊर्जा बनाम जीवाश्म ईंधन: नवीकरणीय ऊर्जा ने वैश्विक स्तर पर विद्युत के प्रमुख स्रोत के रूप में कोयले को पीछे छोड़ दिया है, हालाँकि, बढ़ती ऊर्जा माँग जीवाश्म ईंधन के निरंतर उच्च उपयोग को सुनिश्चित करती है।
  • उत्सर्जन में कमी पर्याप्त नहीं: वैश्विक उत्सर्जन वर्ष 2030 के आस-पास स्थिर हो सकता है एवं घटने लग सकता है, लेकिन पेरिस समझौते के तहत 1.5°C की सीमा को पूरा करने के लिए यह अभी भी अपर्याप्त होगा।
  • कार्बन बजट चेतावनी: वर्तमान उत्सर्जन दरों पर, विश्व 1.5°C की सीमा के भीतर रहने के लिए आवश्यक शेष कार्बन बजट को समाप्त करने के खतरनाक स्तर पर पहुँच चुका है।

ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट के बारे में

  • ग्लोबल कार्बन प्रोजेक्ट, फ्यूचर अर्थ कार्यक्रम के अंतर्गत एक अंतरराष्ट्रीय शोध पहल है, जो वैश्विक स्थिरता पर केंद्रित है।
  • यह विश्व जलवायु अनुसंधान कार्यक्रम का एक शोध भागीदार है।
  • इस परियोजना का उद्देश्य वैश्विक कार्बन चक्र की व्यापक समझ प्रदान करना है, जिसमें इसके जैव-भौतिक और मानवीय दोनों आयाम शामिल हैं।
  • यह शोध इन आयामों के बीच अंतःक्रियाओं और प्रतिक्रियाओं का अन्वेषण करता है।
  • ग्लोबल कार्बन बजट वर्ष 2025, वर्ष 2006 में प्रारंभ हुए वार्षिक अद्यतन का 20वाँ संस्करण है।

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