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ग्लोबल कूलिंग वॉच 2025

Lokesh Pal November 14, 2025 01:30 17 0

संदर्भ 

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने ब्राजील के बेलेम में 30वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP-30) में अपनी ‘ग्लोबल कूलिंग वॉच 2025’ (Global Cooling Watch 2025) रिपोर्ट जारी किया।

ग्लोबल कूलिंग वॉच शृंखला के बारे में 

  • UNEP द्वारा ‘कूल कोएलिशन’ (Cool Coalition) के सहयोग से प्रकाशित इस रिपोर्ट का उद्देश्य वैश्विक शीतलन माँग, उत्सर्जन और दक्षता प्रवृत्तियों का आकलन करना तथा सतत् शीतलन के लिए मार्ग प्रस्तावित करना है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष 

  • शीतलन की माँग: यदि मौजूदा रुझान जारी रहते हैं, तो वैश्विक स्थापित शीतलन क्षमता वर्ष 2022 में 22 टेरावाट (TW) से बढ़कर वर्ष 2050 तक 68 टेरावाट (TW) तक पहुँच सकती है।
  • यह वृद्धि जनसंख्या वृद्धि, आय में बढोतरी, शहरीकरण और अत्यधिक गर्मी की बढ़ती घटनाओं से प्रेरित है।
  • शीतलन से संबंधित उत्सर्जन: दक्षता सुधारों के बावजूद, शीतलन से जुड़ा उत्सर्जन वर्ष 2022 में 4.1 गीगाटन CO₂e से बढ़कर वर्ष 2050 में 7.2 गीगाटन CO₂e तक दोगुना हो सकता है।
  • चरम ताप:  हीटवेव अब जलवायु से संबंधित सबसे घातक खतरा बन गई हैं; शहरी गर्म द्वीप 5-10 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ा रहे हैं, जिससे शीतलन की जरूरतें बढ़ रही हैं।
  • समानता की चुनौती: वर्तमान में 1 अरब से अधिक लोग शीतलन तक पहुँच से वंचित हैं, और यदि सतत् उपाय नहीं अपनाए गए, तो यह आँकड़ा वर्ष 2050 तक तीन गुना हो सकता है।
    • सबसे अधिक असुरक्षित समूहों में महिलाएँ, बुजुर्ग आबादी और छोटे किसान शामिल हैं, विशेष रूप से अफ्रीका और दक्षिण एशिया में।

सस्टनेबल कूलिंग पाथवे (Sustainable Cooling Pathway)

  • UNEP एक ‘सस्टनेबल कूलिंग पाथवे’ का प्रस्ताव करता है, जो:-
    • वर्ष 2050 तक उत्सर्जन को 64% तक घटा सकता है।
    • विद्युत और ग्रिड निवेश में 43 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत कर सकता है।
    • यदि इसे विद्युत क्षेत्र के तीव्र डीकार्बोनाइजेशन के साथ जोड़ा जाए, तो इससे शीतलन उत्सर्जन में 97% की कटौती हो सकती है, तथा सदी के मध्य तक नेट-जीरो उत्सर्जन के करीब पहुँचा जा सकता है।

‘सस्टनेबल कूलिंग पाथवे’ के प्रमुख घटक

  • निष्क्रिय शीतलन उपाय: शहरी छायांकन, वेंटिलेशन, परावर्तक निर्माण सामग्री और हरित अवसंरचना (पेड़, पार्क, ग्रीन रूफ)।
    • ये उपाय इनडोर तापमान को 8°C तक घटा सकते हैं और घरेलू ऊर्जा उपयोग में 30% तक की कमी ला सकते हैं।
  • कम ऊर्जा एवं हाइब्रिड प्रणाली: पंखों को ऊर्जा-कुशल एयर कंडीशनर के साथ संयोजित कर शीतलन दक्षता में सुधार।
  • उच्च दक्षता उपकरण: अगली पीढ़ी की शीतलन प्रौद्योगिकियों को अपनाना, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के किगाली संशोधन के तहत HFC रेफ्रिजरेंट्स को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना।

नीतिगत सिफारिशें

  • सार्वजनिक वस्तु के रूप में शीतलन: शीतलन और ताप संरक्षण को जल, ऊर्जा और स्वच्छता के समान आवश्यक अवसंरचना के रूप में समझना।
    • राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC), राष्ट्रीय अनुकूलन योजना (NAP), शहरी नियोजन, भवन संहिता और सार्वजनिक स्वास्थ्य ढाँचे में सतत् शीतलन को एकीकृत करना।
  • शहरी शीतलन रणनीतियाँ: शहर के तापमान को 25°C तक कम करने के लिए स्थानीय प्राधिकारियों को पेड़ों, जल निकायों, परावर्तक सामग्रियों और हवादार भवन डिजाइनों का उपयोग करने के लिए सशक्त बनाना।
  • वित्तीय संरचना सुधार: विकासशील देशों में सतत् शीतलन अवसंरचना का समर्थन करने के लिए जलवायु वित्त और शहरी विकास निधि को पुनर्निर्देशित करना।

वैश्विक पहल: ‘बीट द हीट’ अभियान

  • प्रारंभ: यह अभियान UNEP और ब्राजील की अध्यक्षता द्वारा COP30 में संयुक्त रूप से लॉन्च किया गया।
  • दायरा: यह अभियान 187 शहरों को एक साथ लाता है, जिनमें रियो डी जेनेरियो, जकार्ता, और नैरोबी शामिल हैं।
  • उद्देश्य: ग्लोबल कूलिंग प्लेज को स्थानीय स्तर पर लागू करना और सतत् शीतलन रणनीतियों को अपनाना।
  • प्रगति: 72 देशों ने वर्ष 2050 तक क्षेत्रीय उत्सर्जन में 68% कटौती के लक्ष्य के साथ ग्लोबल कूलिंग प्लेज पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन केवल 54 देशों ने अपनी नीतिगत रूपरेखाएँ इससे संरेखित की हैं।

भारत द्वारा उठाए गए कदम

  • भारत शीतलन कार्य योजना (ICAP, वर्ष 2019): यह विश्व में पहली राष्ट्रीय स्तर की शीतलन रणनीति है; इसका लक्ष्य वर्ष 2037-38 तक शीतलन माँग में 20-25% तथा रेफ्रिजरेंट उपयोग में 25-30% की कटौती करना है।
  • राष्ट्रीय संवर्द्धित ऊर्जा दक्षता मिशन (NMEEE): कुशल औद्योगिक शीतलन और ऊर्जा-बचत प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देता है।
  • इको-निवास संहिता (भवन संहिता), वर्ष 2018 आवासीय भवनों के लिए थर्मल कंफर्ट  स्टैण्डर्ड एंड पैसिव डिजाइन को अनिवार्य करता है।
  • कूल रूफ प्रोग्राम (तेलंगाना, वर्ष 2023): उच्च-परावर्तन वाली ठंडी छतों को व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा देकर शहरी ताप और शीतलन ऊर्जा की माँग को कम करना।

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