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वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट 2024: IMF

Lokesh Pal April 16, 2024 05:51 226 0

संदर्भ 

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा जारी रिपोर्ट ‘साइबर जोखिम: समष्टि-वित्तीय स्थिरता के लिए बढ़ती चिंता’ (Cyber Risk: A Growing Concern for Macrofinancial Stability) में वित्तीय क्षेत्र से संबंधित साइबर घटनाओं से बढ़ते खतरों की स्थिति चिंताजनक है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • साइबर हमलों में वृद्धि: डिजिटलीकरण, विकसित प्रौद्योगिकियाँ और बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के कारण साइबर हमलों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जो संभावित रूप से वैश्विक वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा है।
  • साइबर अपराधियों के लिए हमले हेतु क्षेत्र-विस्तार (Increased Attack Surface for Cybercriminals): दिल्ली में स्थित साइबर सुरक्षा हेतु निर्मित विशेषज्ञ समूह साइबरपीस (CyberPeace) के अनुसार, वित्तीय प्रौद्योगिकी (Fintech) और डिजिटल बैंकिंग सेवाओं के उदय ने साइबर अपराधियों के लिए हमले हेतु क्षेत्र में विस्तार किया है।
  • कार्ड और इंटरनेट से संबंधित धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में कार्ड और इंटरनेट धोखाधड़ी के मामलों में वृद्धि हुई है, जिसमें कुल 630 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। 
  • डिजिटल खामियों का दुरुपयोग: साइबर अपराधियों द्वारा संवेदनशील वित्तीय जानकारी चुराने के लिए डिजिटल खामियों का लाभ लिया जाता है, जिससे काफी वित्तीय नुकसान हो रहा है।
    • तीसरे पक्ष के सूचना प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाताओं पर वित्तीय संस्थानों की निर्भरता बढ़ रही है।
    • इन निर्भरताओं के कारण खतरा बढ़ता है क्योंकि किसी भी सेवा प्रदाता पर साइबर हमला संभावित रूप से कई वित्तीय संस्थानों को प्रभावित कर सकता है।
  • साइबर हमलों और डेटा उल्लंघन का खतरा: वित्तीय सेवा कंपनी एओन (Aon) द्वारा प्रकाशित भारत पर केंद्रित वैश्विक जोखिम प्रबंधन सर्वेक्षण के अनुसार, वैश्विक वित्तीय बाजार के साथ-साथ भारत में भी साइबर हमलों और डेटा उल्लंघन का खतरा सबसे ज्यादा है। 
  • प्रणालीगत खतरा का जोखिम: रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि प्रमुख वित्तीय संस्थानों में ऐसी घटनाएँ प्रणालीगत खतरे पैदा कर सकती हैं जिससे आत्मविश्वास में कमी, महत्त्वपूर्ण सेवाओं में व्यवधान तथा अंतरसंबंध के कारण अन्य संस्थानों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।
    • हालाँकि साइबर घटनाएँ अभी तक प्रणालीगत नहीं हुई हैं, किंतु कंपनियों का नुकसान अनुमानित रूप से 2.5 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है।
    • इसके अलावा, रिपोर्ट में प्राप्त प्रत्यक्ष नुकसान की तुलना में अप्रत्यक्ष नुकसान काफी बड़ा होता है, जिससे वित्तीय प्रभाव बढ़ जाता है।
  • जोखिमों को कम करना: विकसित साइबर कानून और कंपनियों में बेहतर साइबर प्रशासन के माध्यम से ऐसे जोखिमों को कम किया जा सकता है।

वित्तीय स्थिरता बोर्ड (Financial Stability Board- FSB)

यह एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जो वैश्विक वित्तीय प्रणाली की निगरानी करती है तथा संबंधित मुद्दों पर सिफारिशें देती है।

  • अधिदेश: वित्तीय स्थिरता के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के बीच समन्वय तथा सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
  • इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के बेसल में स्थित है।
  • इस संस्था का निर्णय सदस्यों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है।
  • भारत FSB का सदस्य है।

एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग (Asia Pacific Economic Cooperation- APEC)

  • परिचय: यह एक क्षेत्रीय आर्थिक मंच है, जिसकी स्थापना वर्ष 1989 में हुई थी।
  • उद्देश्य: एशिया-प्रशांत की बढ़ती परस्पर निर्भरता का लाभ उठाना और क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण के माध्यम से क्षेत्र के लोगों के लिए आर्थिक विकास।
  • कार्य: यह मंच सर्वसम्मति से पारित निर्णयों और स्वेच्छापूर्वक निर्धारित प्रतिबद्धताओं के साथ गैर-बाध्यकारी प्रतिबद्धताओं के आधार पर संचालित होता है।
  • सदस्य देश: ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, हांगकांग (चीन के हिस्से के रूप में), फिलीपींस, इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम, सिंगापुर, थाईलैंड, चीनी ताइपे (ताइवान), चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको, पेरू और चिली।
  • भारत इसका सदस्य देश नहीं है।

  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भूमिका: यह सहयोग कई देशों से जुड़ी साइबर घटनाओं पर प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया कर सकता है।
    • सहयोगात्मक प्रयास से रणनीतियों को बेहतर तरीके से लागू किया जा सकता है तथा  साइबर सुरक्षा को नियंत्रित करने वाले अंतरराष्ट्रीय मानदंडों एवं विनियमों को विकसित करने में मददगार हो सकता है।
    • साइबर हमले जैसे वित्तीय अपराध आमतौर पर राष्ट्रीय सीमाओं के बंधन से परे होते हैं, फलस्वरूप समन्वित प्रयास की आवश्यकता होती है।
  • वैश्विक साइबर सुरक्षा को मजबूत करना: वैश्विक साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सूचना का साझाकरण, सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं एवं संसाधन सहयोग की आवश्यकता है।
    • Ex-India इस तरह के सहयोग को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय स्थिरता बोर्ड (Financial Stability Board – FSB) और एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (Asia-Pacific Economic Cooperation- APEC) जैसे मंचों में भाग लेता है।
    • भारत जैसे विकासशील देश को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में वर्तमान की तुलना में अधिक प्रभावी तंत्र स्थापित करने की आवश्यकता है।
  • वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता: यह रिपोर्ट वित्तीय क्षेत्र पर साइबर हमलों के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई का सुझाव देती है।

वैश्विक स्तर पर साइबर सुरक्षा की स्थिति 

  • अपर्याप्त तैयारी: IMF सर्वेक्षण से पता चलता है कि 51 देशों में कई वित्तीय पर्यवेक्षकों के पास अभी भी प्रवर्तन के लिए मजबूत साइबर सुरक्षा नियमों और संसाधनों की कमी है।
    • 56% हितधारकों के पास वित्तीय क्षेत्र के लिए कोई राष्ट्रीय साइबर रणनीति नहीं है।
    • 42% देशों में समर्पित साइबर सुरक्षा और प्रौद्योगिकी जोखिम प्रबंधन संबंधी अधिनियम नहीं हैं।
    • 68% हितधारकों के पास पर्यवेक्षण विभाग के रूप में एक विशेष इकाई का अभाव है।
    • 64% हितधारक साइबर सुरक्षा उपायों के परीक्षण और प्रयोग को अनिवार्य नहीं मानते हैं।
    • 54% देशों में साइबर घटनाओं की समर्पित रिपोर्टिंग व्यवस्था का अभाव है।
    • 48% हितधारकों के पास साइबर अपराध से संबंधित अधिनियम का अभाव है।

रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें

  • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा ढाँचे को मजबूत करना: देशों को वित्तीय क्षेत्रों को मजबूत राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीतियों का निर्माण करना चाहिए।
    • इन रणनीतियों में सरकारी संस्थाओं, वित्तीय संस्थानों और अन्य हितधारकों के लिए स्पष्ट भूमिकाएँ और जिम्मेदारियाँ तय होनी चाहिए।
  • नियामक ढाँचा का विस्तार: वित्तीय क्षेत्र में साइबर सुरक्षा के लिए नियामक ढाँचे को मजबूत करने एवं लागू करने की आवश्यकता है।
    • इसके अंतर्गत वित्तीय संस्थानों और सेवा प्रदाताओं के लिए न्यूनतम साइबर सुरक्षा मानकों को अनिवार्य करना शामिल है।
  • सक्षम कार्यबल: उचित साइबर सुरक्षा के मद्देनजर मानव संसाधन के कौशल-निर्माण में निवेश करने की आवश्यकता है।
    • इसके अंतर्गत, साइबर खतरों की पहचान करने, रोकने और प्रतिक्रिया देने के लिए आवश्यक विशेषज्ञता से लैस करने के लिए प्रशिक्षण देना और समुचित शिक्षा कार्यक्रम शामिल है।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना: साइबर आपराधिक गतिविधियों से निपटने के लिए हितधारक देशों को सूचना साझा, सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं और संयुक्त जाँच में एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए।
  • साइबर सुरक्षा संबंधी जागरूकता की संस्कृति को बढ़ावा देना: वित्तीय संस्थानों के अंदर साइबर सुरक्षा संस्कृति की आवश्यकता है।
    • इसमें साइबर खतरों और संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा के लिए बेहतर प्रक्रियाओं के बारे में कर्मचारियों के बीच जागरूकता बढ़ाना शामिल है।
  • तीसरे पक्ष के IT सेवा प्रदाताओं द्वारा साइबर सुरक्षा उपायों को प्राथमिकता देना: इसमें मजबूत प्रोटोकॉल को लागू करना, नियमित रूप से सुरक्षा व्यवस्था की जाँच और डेटा सुरक्षा के लिए उचित प्रक्रियाओं का पालन करना शामिल है।
    • वित्तीय संस्थानों को तीसरे पक्ष के विक्रेताओं का चयन करते समय पूरी तरह से सावधान रहना चाहिए तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि साइबर सुरक्षा के संबंध में संविदात्मक दायित्व स्पष्ट रूप से परिभाषित और लागू किया जाए।

भारत के वित्तीय क्षेत्र की स्थिति

  • साइबर खतरों से निपटने में चुनौतियाँ: भारत के वित्तीय क्षेत्र में तीव्र विकास हो रहा है, साथ ही साइबर खतरा बढ़ रहा है, जिससे निपटने में महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
    • छोटी वित्तीय संस्थाओं के पास साइबर हमलों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए संसाधनों और विशेषज्ञता का अभाव है।
  • साइबर हमला: RBI की दिसंबर 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी और अक्टूबर 2023 के बीच भारतीय वित्तीय क्षेत्र को 13 लाख से अधिक साइबर हमलों का सामना करना पड़ा है।

साइबर खतरों से निपटने के लिए सरकारी हस्तक्षेप

  • नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली (Citizen Financial Cyber Fraud Reporting and Management System- CFCFRMS): इसे डिजिटल बैंकिंग (क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, भुगतान मध्यस्थों, UPI आदि के उपयोग से संबंधित हमले) में होने वाली वित्तीय साइबर धोखाधड़ी और मौद्रिक नुकसान की त्वरित रिपोर्टिंग के लिए निर्मित किया गया है।
  • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023: इसका उद्देश्य व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षा और गोपनीयता प्रदान करना है।
  • RBI का साइबर सुरक्षा ढाँचा: यह बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के लिए आवश्यक साइबर सुरक्षा प्रक्रियाओं की रूपरेखा तैयार करता है।
    • इन प्रक्रियाओं में जोखिम मूल्यांकन, घटना प्रतिक्रिया और सूचना-साझाकरण तंत्र शामिल हैं।
  • साइबर सुरक्षा संचालन केंद्र (Cyber Security Operations Center- C-SOC): यह साइबर घटनाओं की निगरानी और प्रतिक्रिया के लिए केंद्रीकृत इकाई के रूप में कार्य करता है।
  • साइबर संकट प्रबंधन योजना (Cyber Crisis Management Plan- CCMP): इसका उद्देश्य साइबर खतरों के निपटने हेतु वित्तीय क्षेत्र के प्रावधानों में उचित परिवर्तन करना है।
    • CCMP साइबर सुरक्षा संकट के प्रबंधन और हितधारकों के बीच प्रतिक्रिया प्रयासों को समन्वित करने के लिए दृष्टिकोण प्रदान करता है।

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