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वैश्विक खाद्य संकट

Lokesh Pal April 27, 2024 05:33 286 0

संदर्भ

हाल ही में ‘ग्लोबल नेटवर्क अगेंस्ट फूड क्राइसिस’ द्वारा वर्ष 2024 की ‘खाद्य संकट पर वैश्विक रिपोर्ट’ (Global Report on Food Crisis-GRFC) जारी की गई है।

संबंधित तथ्य 

  • हाल ही में विश्व बैंक ने मलावी को खाद्य संकट से निपटने हेतु अनुदान वित्तपोषण के रूप में 57.6 मिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की

खाद्य सुरक्षा सूचना नेटवर्क (Food Security Information Network)

  • यह खाद्य और कृषि संगठन (FAO), विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) द्वारा सह-प्रायोजित एक वैश्विक पहल है।
  • उद्देश्य: विश्लेषण और निर्णयन मार्गदर्शन हेतु विश्वसनीय और सटीक डेटा तैयार करने के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा सूचना प्रणाली को मजबूत करना

 खाद्य संकट पर वैश्विक रिपोर्ट (GRFC) 

  • इसे खाद्य सुरक्षा सूचना नेटवर्क द्वारा प्रतिवर्ष तैयार किया जाता है और ‘ग्लोबल नेटवर्क अगेंस्ट फूड क्राइसिस’ द्वारा जारी किया जाता है। 
    • ‘ग्लोबल नेटवर्क अगेंस्ट फूड क्राइसिस’ एक बहु हितधारक पहल है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ, यूरोपीय संघ, अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र एजेंसी और खाद्य संकट से निपटने के लिए कार्य करने वाली गैर-सरकारी एजेंसियाँ ​​शामिल हैं।

एकीकृत खाद्य सुरक्षा चरण वर्गीकरण (Integrated Food Security Phase Classification-IPC) 

  • मार्च 2024 में प्रकाशित एक IPC विश्लेषण ने  मार्च और मई 2024 के बीच उत्तरी गाजा और गाजा पट्टी के बाकी हिस्सों में अकाल के संकट को लेकर विनाशकारी स्थिति की चेतावनी दी।
    • अनुमान लगाया गया है कि आधी आबादी (लगभग 1.1 मिलियन लोग) गंभीर खाद्य असुरक्षा (IPC चरण 5) का सामना कर रही है।

खाद्य संकट पर वैश्विक रिपोर्ट के बारे में

  • संबंधित दस्तावेज: GRFC वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्र-स्तरीय तीव्र खाद्य असुरक्षा के व्यापक विश्लेषण से संबंधित दस्तावेज है।
  • उद्देश्य: स्वतंत्र और सर्वसम्मति-आधारित साक्ष्य और विश्लेषण प्रदान करके मानवीय और विकासात्मक कार्रवाई की जानकारी देना।
  • माप: GRFC खाद्य संकट का सामना कर रहे देशों में गंभीर खाद्य असुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • रिपोर्ट में वर्ष 2023 के दौरान 59 देशों में 1.3 बिलियन की आबादी का विश्लेषण किया गया।
  • खाद्य संकट: GRFC, खाद्य संकट को एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित करता है, जहाँ गंभीर खाद्य असुरक्षा के लिए स्थानीय या राष्ट्रीय स्तर पर आजीविका की रक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता होती है।
  • गंभीर खाद्य असुरक्षा: यह एक ऐसी स्थिति को संदर्भित करता है जिसमें आबादी को भोजन की कमी का सामना करना पड़ता है जो कारण संदर्भ या अवधि की चिंता किए बिना उनके जीवन या आजीविका को खतरे में डालता है।
    • एक खाद्य संकट को निम्न ‘प्रमुख‘ रूपों में परिभाषित किया गया है- 
      • यदि अनुमान है कि 10 लाख से अधिक लोग या इसकी कुल गणना की गई आबादी का 20% से अधिक लोग चरण 3 या उससे ऊपर के संकट का सामना कर रहे हैं।
      • या यदि कम-से-कम एक क्षेत्र को चरण 4 आपातकाल या उससे ऊपर में वर्गीकृत किया गया है।
      • जब स्थिति विशेष रूप से गंभीर हो तो जीवन या मृत्यु का संकट उत्पन्न हो जाता है, जैसे– IPC/CH चरण 3, 4 या 5 में।
  • एकीकृत खाद्य सुरक्षा चरण वर्गीकरण (Integrated Food Security Phase Classification-IPC): IPC खाद्य सुरक्षा विश्लेषण और निर्णय लेने में सुधार के लिए संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन द्वारा विकसित एक मानकीकृत पैमाना है।
    • IPC एकीकृत खाद्य सुरक्षा चरण वर्गीकरण प्रणाली तीव्र खाद्य असुरक्षा के पाँच चरणों को इंगित करती है:- न्यूनतम (Minimal), तनावग्रस्त (Stressed), संकट (Crisis), आपातकाल (Emergency) और विपदा (Catastrophe) अर्थात जब अकाल घोषित किया जाता है।

वर्ष 2024 के खाद्य संकट पर वैश्विक रिपोर्ट:

  • गंभीर खाद्य असुरक्षा में वृद्धि: कुल मिलाकर, मूल्यांकन किए गए 5 में से 1 व्यक्ति को गंभीर रूप से तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता थी।
    • विश्लेषण में उच्च स्तर की गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करने वाली आबादी का समग्र हिस्सा वर्ष 2022 की तुलना में थोड़ा कम था, लेकिन फिर भी कोविड-19 की अवधि से अधिक था।
      • वर्ष 2016 को कवर करने वाली ‘ग्लोबल फूड क्राइसिस नेटवर्क’ की पहली रिपोर्ट के बाद से, खाद्य-असुरक्षित लोगों की संख्या 108 मिलियन से बढ़कर 282 मिलियन हो गई है।
      • इस बीच, संबंधित क्षेत्रों में प्रभावित आबादी का हिस्सा 11 प्रतिशत से दोगुना होकर 22 प्रतिशत हो गया है।
      • वर्ष 2016 के बाद से 36 देशों को GRFC विश्लेषणों में लगातार शामिल किया गया है, जो वर्षों से जारी गंभीर भूख को दर्शाता है, और वर्तमान में दुनिया के 80% सर्वाधिक भुखमरी से ग्रस्त लोगों का प्रतिनिधित्व करता है।

    • सूडान में सबसे बड़ी वृद्धि के साथ, 39 देशों और क्षेत्रों में गंभीर खाद्य असुरक्षा के आपातकालीन (IPC/CH चरण 4) स्तर का सामना करने वाले लोगों की संख्या में 1 मिलियन की वृद्धि हुई है।
  • वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि: यह मुख्य रूप से बढ़े हुए विश्लेषण कवरेज के साथ-साथ कुछ देशों/क्षेत्रों में अन्य देशों में सुधार की तुलना में गिरावट के कारण समझाया गया था।
    • सूडान और गाजा पट्टी जैसे प्रमुख खाद्य संकट संदर्भों में उल्लेखनीय गिरावट आई है।
    • वर्ष 2022 और वर्ष 2023 के बीच तुलनीय डेटा के साथ 12 देशों में तीव्र खाद्य असुरक्षा की स्थिति बिगड़ गई, जहाँ 13.5 मिलियन से अधिक लोगों को तत्काल सहायता की आवश्यकता थी, जिनमे ज्यादातर लोग सूडान के थे।
  • क्षेत्रीय प्रभाव: वर्ष 2023 में दुनिया भर में खाद्य असुरक्षा बदतर हो गई, विशेषकर गाजा और सूडान में संघर्षों के कारण लगभग 282 मिलियन लोग तीव्र भूख से पीड़ित हुए।
    • गाजा पट्टी पिछले आठ वर्षों में सबसे गंभीर खाद्य संकट वाला क्षेत्र बन गया है।
    • सूडान दुनिया में सबसे खराब खाद्य संकटों में से एक का सामना कर रहा है, जहाँ लगभग एक तिहाई आबादी को आपातकालीन खाद्य सहायता की आवश्यकता है।
    • अफगानिस्तान, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया, नाइजीरिया, सीरिया और यमन में दीर्घावधि से खाद्य संकट जारी है।
    • हैती में बिगड़ते हालात राजनीतिक अस्थिरता और कृषि उत्पादन में कमी के कारण थे।

  • विस्थापन और गंभीर खाद्य असुरक्षा के बीच अंतर्संबंध: सूडान और गाजा दोनों में, 59 देशों में जबरन विस्थापित लोगों की संख्या 90 मिलियन तक पहुँच गई, जो GRFC रिपोर्टिंग की  आठ वर्षों की अवधि के दौरान सर्वाधिक है, जो विस्थापन और गंभीर खाद्य असुरक्षा के बीच उच्च सह-संबंध को प्रदर्शित करता है।
    • सूडान संकट, दुनिया का सबसे बड़ा आंतरिक विस्थापन संकट बन गया।
    • वर्ष 2023 के अंत तक, गाजा पट्टी की लगभग 80% आबादी आंतरिक रूप से विस्थापित हो गई थी।
  • भुखमरी: वर्ष 2023 में 705,000 से अधिक लोग खाद्य असुरक्षा के आपदा (IPC/CH चरण 5) और भुखमरी स्तर पर थे, जो GRFC के रिपो
  • र्टिंग इतिहास में सबसे अधिक संख्या थी।
  • अकाल: गाजा पट्टी की वर्तमान स्थिति में दक्षिण सूडान, बुर्किना फासो, सोमालिया और माली के साथ-साथ 80% लोग आसन्न अकाल का सामना कर रहे हैं।
  • फंडिंग: यह आवश्यकता के अनुरूप नहीं है। साथ ही, सहायता वितरण की लागत भी बढ़ गई है।
  • सुधार: वर्ष 2023 में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और यूक्रेन सहित 17 देशों में खाद्य संकट संबंधी स्थिति में सुधार हुआ, जिसके परिणामस्वरूप 7.2 मिलियन से कम लोगों को उच्च स्तर की गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा।

खाद्य सुरक्षा

  • वर्ष 1996 का विश्व खाद्य शिखर सम्मेलन: इसने खाद्य सुरक्षा को इस प्रकार परिभाषित किया- ‘जब सभी लोगों को, हर समय, पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन तक शारीरिक और आर्थिक पहुँच प्राप्त होती है जो सक्रिय और स्वस्थ जीवन के लिए उनकी आहार संबंधी आवश्यकताओं एवं खाद्य प्राथमिकताओं को पूरा करता है”।
  • आयाम
    • उपलब्धता: यह किसी देश के भीतर खाद्यान्न की उपस्थिति को संदर्भित करता है, जिसमें घरेलू स्तर पर उत्पादित खाद्य, आयात और सरकारी अन्न भंडार में संग्रहीत स्टॉक शामिल है।
    • अभिगम्यता: यह सुनिश्चित करता है कि खाद्य बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक व्यक्ति की पहुँच में हो और हर किसी को अपनी आवश्यकता का भोजन प्राप्त करने का अवसर मिले।
    • सामर्थ्य: इसका अर्थ है किसी की आहार संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन खरीदने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन होना।
  • आवश्यकता एवं महत्त्व
    • सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए: खाद्य सुरक्षा अपने मुख्य लक्ष्यों में से एक (लक्ष्य 2- जीरो हंगर) को प्राप्त करके और गरीबी में कमी, अच्छे स्वास्थ्य, लैंगिक समानता और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे अन्य संबंधित लक्ष्यों का समर्थन करके सतत विकास को आगे बढ़ाती है।
    • अन्य: अच्छा स्वास्थ्य और पोषण, आर्थिक और सामाजिक स्थिरता, पर्यावरणीय स्थिरता, राष्ट्रीय सुरक्षा, मानव गरिमा और समानता एवं अन्य कारकों के लिए खाद्य सुरक्षा आवश्यक है।
  • भारत की पहल
    • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना
    • ईट राइट इंडिया मूवमेंट
    • पोषण अभियान
    • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
    • फूड फोर्टीफिकेशन 
    • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013
    • वन नेशन वन राशन कार्ड
    • आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना
    • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि
    • सघन मिशन इंद्रधनुष 3.0 योजना

खाद्य संकट के प्रमुख चालक

  • बढ़ते संघर्ष और असुरक्षा, आर्थिक संकटों के प्रभाव और चरम मौसमी घटनाओं के प्रभाव गंभीर खाद्य असुरक्षा को बढ़ा रहे हैं।

खाद्य संकट के प्रमुख चालक

प्रभाव

संघर्ष एवं असुरक्षा
  • यह 20 देशों को प्रभावित करने वाला प्राथमिक कारक था, जहाँ लगभग 135 मिलियन लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा से प्रभावित थे, जो वैश्विक संख्या का लगभग आधा है। 
    • सूडान को संघर्ष के कारण कृषि उत्पादन में गिरावट का सामना करना पड़ा, वर्ष 2022 की तुलना में 8.6 मिलियन अधिक लोगों को उच्च स्तर की गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा था।

चरम मौसमी घटनाएँ

  • ये 18 देशों में प्राथमिक चालक (दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण कारक) था, जहाँ 77 मिलियन से अधिक लोगों को गंभीर खाद्य असुरक्षा के उच्च स्तर का सामना करना पड़ा, हालाँकि वर्ष 2022 में 12 देशों में 57 मिलियन लोगों को उच्च स्तर की खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा।
    • वर्ष 2023 में, दुनिया ने रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष का अनुभव किया और जलवायु संबंधी संकटों ने आबादी को प्रभावित किया।
      • अलनीनो घटना और जलवायु परिवर्तन से संबंधित मौसम की घटनाओं ने वर्ष 2023 को रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष बना दिया।
      • वर्तमान में भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में प्रचलित अल नीनो स्थितियाँ, भारत सहित दुनिया भर के कई स्थानों में गर्म तापमान के लिए आमतौर पर जिम्मेदार हैं।
आर्थिक संकट
  • इससे मुख्य रूप से 21 देश प्रभावित हुए, जहाँ लगभग 75 मिलियन लोग उच्च स्तर की गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे थे।
    • यह आयातित खाद्य और कृषि इनपुट पर उनकी उच्च निर्भरता, मुद्रा मूल्यह्रास, उच्च कीमतों और उच्च ऋण स्तर सहित व्यापक आर्थिक चुनौतियों के कारण है।

वैश्विक खाद्य संकट पर भारत की प्रतिक्रिया

  • भारत द्वारा अन्य देशों को सहायता: संयुक्त राष्ट्र खाद्य कार्यक्रम के माध्यम से अफगानिस्तान को भारत की मानवीय खाद्य सहायता, मानवीय संकटों के प्रति इसकी प्रतिबद्धता और सराहनीय कदमों का एक उदाहरण है।
  • भारत में ‘मोटे अनाजों’ को बढ़ावा: भारत ने ‘मोटे अनाजों’ और अन्य प्राचीन अनाजों पर अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान पहल’ (Millets and Other Ancient Grain International Research Initiative-MAHARISHI) शुरू की गई।
    • इसने जीरो हंगर (SDG2) हासिल करने के लिए राष्ट्रों, अनुसंधान संस्थानों और नागरिक समाज संगठनों के बीच तालमेल और सहयोग की सुविधा प्रदान की गई।
    • संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित करने में भारत की भूमिका से इन पोषक तत्वों से भरपूर फसलों के अंतरराष्ट्रीय पहचान बनने की उम्मीद है।
  • WTO में खाद्यान्न की सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग: WTO के 13वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC13) के दौरान, भारत ने खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग पर एक स्थायी समाधान की आवश्यकता के बारे में अपना मत व्यक्त किया है, जिससे विकासशील देशों को व्यापार प्रतिबंधों का सामना किए बिना कृषि उत्पादन पर सब्सिडी देने की अनुमति मिल सके।
    • भारत अपने किसानों की आजीविका और खाद्य सुरक्षा पर विकसित देशों द्वारा अपनाई गई कृषि सब्सिडी और घरेलू सहायता उपायों के प्रभाव को लेकर बहुत चिंतित है।

आगे की राह

  • तत्काल प्रतिक्रिया: यह खाद्य संकट पर तत्काल प्रतिक्रिया की माँग करता है। खाद्य प्रणालियों को बदलने और खाद्य असुरक्षा एवं कुपोषण के अंतर्निहित कारणों का समाधान करने के लिए इस रिपोर्ट में डेटा का उपयोग करना महत्त्वपूर्ण होगा।
  • एकीकृत दृष्टिकोण: खाद्य संकट के विरुद्ध वैश्विक नेटवर्क तत्काल एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण की माँग करता है जो तीव्र भूखमरी चक्र को तोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर आपातकालीन प्रयासों के साथ-साथ शांति, रोकथाम और विकास कार्रवाई को एकीकृत करता है।
  • दीर्घकालिक निवेश: निरंतर खाद्य संकट से निपटने के लिए खाद्य प्रणालियों को बदलने और अधिक संकट के समय से निपटने की तैयारी और महत्त्वपूर्ण जीवन रक्षक सहायता के साथ-साथ कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए तत्काल दीर्घकालिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निवेश की आवश्यकता है।
  • मानवीय दृष्टिकोण: अधिक न्यायसंगत और प्रभावी वैश्विक आर्थिक शासन अनिवार्य है और इसे सरकार के नेतृत्व वाली योजनाओं के साथ मेल खाना चाहिए जो भूख को कम करने और समाप्त करने का प्रयास करती हैं।
  • एक वैश्विक प्रतिबद्धता एवं कार्रवाई: ‘ग्लोबल नेटवर्क अगेंस्ट फूड क्राइसिस’, खाद्य संकट से प्रभावित लोगों के लिए अभिनव एवं ठोस प्रभाव सुनिश्चित करने के लिए इन विभिन्न वैश्विक पहलों के बीच संबंधों को मजबूत करने और जहाँ संभव हो, वहाँ सामंजस्य बनाने के लिए सबसे संवेदनशील देशों में भुखमरी के अपने अद्वितीय ज्ञान का लाभ उठाने की पेशकश करता है।
    • अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने बढ़ती गंभीर खाद्य असुरक्षा से निपटने के लिए हालिया G7 और G20 पहल सहित कई प्रतिबद्धताएँ की हैं।
      • उदाहरण: G20 में खाद्य सुरक्षा और पोषण पर दक्कन उच्च स्तरीय सिद्धांत 2023 (Deccan High Level Principles on Food Security and Nutrition 2023)।
      • वर्ष 2022 में, G7 नेतृत्त्वकर्त्ताओं ने दुनिया के सबसे कमजोर लोगों को भूख और कुपोषण से बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) को अतिरिक्त 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर देने की घोषणा की।
    • संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संगठन है, जो आपात स्थिति में लोगों के जीवन को बचाने और संघर्ष, आपदाओं एवं जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से उबरने वाले लोगों के लिए शांति, स्थिरता और समृद्धि का मार्ग निर्मित करने के लिए खाद्य सहायता का उपयोग करता है।

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