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ग्लोबल हेपेटाइटिस रिपोर्ट 2024

Lokesh Pal April 16, 2024 06:17 158 0

संदर्भ

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ‘ग्लोबल हेपेटाइटिस रिपोर्ट’ (Global Hepatitis Report), 2024 के अनुसार, वर्ष 2022 में दुनिया के हेपेटाइटिस के मामलों में भारत का हिस्सा 11.6 प्रतिशत होगा।

रिपोर्ट से मुख्य निष्कर्ष

  • भारत में हेपेटाइटिस संक्रमण: देश में 35.3 मिलियन से अधिक हेपेटाइटिस संक्रमण हैं, जिनमें 29.8 मिलियन हेपेटाइटिस B एवं 5.5 मिलियन हेपेटाइटिस C के मामले हैं।
  • वैश्विक रैंकिंग: भारत वर्ष 2022 में 83.8 मिलियन मामलों के साथ वैश्विक मामलों में 27.5 प्रतिशत का योगदान देकर चीन के बाद दूसरे स्थान पर है।
    • साथ में, वे वैश्विक भार का लगभग दो-तिहाई हिस्सा थे। तपेदिक के बाद हेपेटाइटिस विश्व स्तर पर मृत्यु का दूसरा प्रमुख संक्रामक कारण है।
  • मृत्यु दर में वृद्धि: रिपोर्ट में अनुमानित मृत्यु दर में वर्ष 2019 में 1.1 मिलियन मौतों से वर्ष 2022 में 1.3 मिलियन मौतों तक वृद्धि दर्ज की गई है।
    • इससे पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर हेपेटाइटिस से संबंधित कैंसर के मामलों एवं मौतों की संख्या बढ़ रही है।
    • इनमें से 83 प्रतिशत मौतों का कारण हेपेटाइटिस B एवं 17 प्रतिशत मौतों का कारण हेपेटाइटिस C था। वहीं, वर्ष 2022 में लगभग 304 मिलियन लोग वायरल हेपेटाइटिस B तथा C के साथ जीवन यापन कर रहे थे।
  • संक्रमण के जनसांख्यिकीय रुझान: हेपेटाइटिस B एवं C संक्रमण का आधा बोझ 30-54 वर्ष के लोगों वहाँ कर रहे है तथा सभी मामलों में 58 प्रतिशत पुरुष हैं।
  • क्रोनिक वायरल हेपेटाइटिस हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (Hepatocellular Carcinoma) का कारण बन सकता है, जो सभी लिवर कैंसर के 80 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है एवं दुनिया भर में कैंसर से होने वाली मौतों का तीसरा सबसे आम कारण है।
  • क्रोनिक हेपेटाइटिस B संक्रमण में निदान एवं उपचार अंतराल: क्रोनिक हेपेटाइटिस B संक्रमण से पीड़ित केवल 13 प्रतिशत लोगों का निदान किया गया था तथा वर्ष 2022 के अंत में लगभग 3 प्रतिशत को एंटीवायरल थेरेपी प्राप्त हुई थी।
  • क्रोनिक हेपेटाइटिस B संक्रमण में निदान एवं उपचार अंतराल: हेपेटाइटिस C से पीड़ित केवल 36 प्रतिशत लोगों का वर्ष 2015 तथा वर्ष 2022 के बीच निदान किया गया था।
    • केवल 20 प्रतिशत ने उपचारात्मक उपचार प्राप्त किया था जो निदान एवं देखभाल के प्रावधान के बीच बेहतर संबंधों के अवसर पर प्रकाश डालता है।
  • हेपेटाइटिस C संचरण के कारण: नशीली दवाओं के उपयोग एवं असुरक्षित चिकित्सा इंजेक्शन से हेपेटाइटिस C संचरण होता है।
    • विश्व स्तर पर अकेले असुरक्षित चिकित्सा इंजेक्शनों से 13.8 प्रतिशत नए हेपेटाइटिस C संक्रमण जुड़े। WHO द्वारा अध्ययन किए गए 60 देशों में से, असुरक्षित चिकित्सा इंजेक्शन के कारण होने वाले सभी नए हेपेटाइटिस C संक्रमणों में से 44 प्रतिशत पाकिस्तान में हैं।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, रूस, भारत, यूक्रेन, इटली, वियतनाम, कजाकिस्तान, जापान एवं पाकिस्तान सहित दस देश, दवाओं के इंजेक्शन के माध्यम से होने वाले 80 प्रतिशत हेपेटाइटिस C संक्रमण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • निदान में कमी: इस बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या वर्ष 2019 में 2.5 मिलियन से घटकर वर्ष 2022 में 2.2 मिलियन हो गई।
    • टीकाकरण एवं सुरक्षित इंजेक्शन के प्रभाव से दुनिया भर में संख्या में कमी आई है।
  • क्षेत्रीय विविधताएँ: क्षेत्रीय विविधताओं के रूप में अफ्रीकी क्षेत्र में 63 प्रतिशत नए हेपेटाइटिस B संक्रमण होते हैं।
    • इसके बावजूद, क्षेत्र में केवल 18 प्रतिशत नवजात शिशुओं को जन्म के समय हेपेटाइटिस B का टीका मिलता है।
    • विश्व स्तर पर, केवल 45 प्रतिशत शिशुओं को जन्म के 24 घंटों के भीतर टीकाकरण प्राप्त हुआ।
    • हेपेटाइटिस B एवं C लाखों लोगों के लिए दीर्घकालिक बीमारी का कारण बनते हैं और साथ में लीवर सिरोसिस, लीवर कैंसर तथा हेपेटाइटिस से संबंधित मौतों का सबसे आम कारण हैं।

  • यद्यपि वे सभी यकृत रोग का कारण बनते हैं, वे महत्त्वपूर्ण तरीकों से भिन्न होते हैं, जिनमें संचरण के तरीके, बीमारी की गंभीरता, भौगोलिक वितरण एवं रोकथाम के तरीके शामिल हैं।

हेपेटाइटिस के बारे में

  • परिचय: हेपेटाइटिस का अर्थ है लीवर की सूजन। यह तीव्र एवं दीर्घकालिक संक्रमण, यकृत विफलता, सिरोसिस तथा हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा सहित यकृत रोगों का कारण बनता है।
  • संचरण का तरीका: संक्रामक स्रोत (वायरस, भोजन एवं जल संदूषण तथा यौन संचरण) और गैर-संक्रामक स्रोत (अधिक शराब का उपयोग, विषाक्त पदार्थ, कुछ दवाएँ एवं कुछ चिकित्सीय स्थितियाँ)।
  • हेपेटाइटिस के मुख्य प्रकार: WHO के अनुसार, हेपेटाइटिस वायरस के पाँच मुख्य प्रकार हैं, जिन्हें प्रकार A,B,C,D एवं E कहा जाता है।
    • हेपेटाइटिस A: हेपेटाइटिस A वायरस एक संक्रामक यकृत रोग का कारण बनता है। यह तीव्र है, एवं अधिकांश लक्षण पहचाने नहीं जाते, विशेषकर युवा लोगों में। इसके लक्षण हैं उल्टी, मतली, बुखार, गंभीर पेट दर्द, पीलिया तथा कमजोरी।
    • हेपेटाइटिस B एक संक्रामक रोग है जो हेपेटाइटिस B वायरस के कारण होता है। यह सपाट, घावों एवं संक्रामक शरीर के रक्त, लार या स्राव के संपर्क से फैलता है। इसके लक्षण पेट दर्द, थकान तथा पीलिया हैं।
    • हेपेटाइटिस C: हेपेटाइटिस C वायरस लीवर में संक्रमण का कारण बनता है। यह संक्रमित सुइयों के माध्यम से, जन्म के समय, किसी संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ के माध्यम से, या कई भागीदारों, विशेष रूप से HIV संक्रमित लोगों के साथ यौन संबंध बनाने से फैल सकता है।
    • हेपेटाइटिस D, हेपेटाइटिस C वायरस के कारण होने वाली कई गंभीर यकृत बीमारियों में से एक है। यह संक्रमित रक्त या घावों से फैलता है और हेपेटाइटिस B के साथ मिलकर हो सकता है।
    • हेपेटाइटिस E: यह एक जलजनित रोग है जो वायरस के कारण होता है। यह भोजन, पानी या दूषित रक्त के माध्यम से फैल सकता है। 
  • निदान एवं उपचार: हेपेटाइटिस B को टीकाकरण के माध्यम से रोका जा सकता है। यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि सभी नवजात शिशुओं को पूर्ण टीकाकरण मिले तथा उन सभी वयस्कों को भी यह टीका लगाया जाए, जिनका जन्म राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल किए जाने से पहले हुआ था।
    • हेपेटाइटिस C का इलाज दवाओं से संभव है।
  • टीकाकरण: भारत में यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बच्चों को हेपेटाइटिस B का टीका दिया जाता है, हालाँकि सरकार का राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों जैसे उच्च जोखिम वाले वयस्कों को भी टीका प्रदान करता है।
    • कार्यक्रम के तहत हेपेटाइटिस B एवं C दोनों का उपचार उपलब्ध है, लेकिन इसकी पहुँच सीमित है।

सरकारी हस्तक्षेप

  • राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम (NVHCP): NVHCP को वर्ष 2030 तक हेपेटाइटिस C को खत्म करने के लक्ष्य के साथ वर्ष 2018 में शुरू किया गया था।
  • हेपेटाइटिस B वैक्सीन: हैदराबाद में स्थित शांता बायोटेक ने हेपेटाइटिस B संक्रमण के खिलाफ पहला पुनः संयोजक DNA-आधारित टीकाकरण तैयार किया है।
    • COBAS 6800 एक आटोमेटेड कोरोना वायरस परीक्षण उपकरण है जो अन्य चीजों के अलावा वायरल हेपेटाइटिस B एवं C की भी पहचान कर सकता है।
  • हैविश्योर (Havisure): यह भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित हेपेटाइटिस A वैक्सीन है।
  • सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम: हेपेटाइटिस B को भारत के UIP में शामिल किया गया है, जो 11 वैक्सीन रोकथाम योग्य बीमारियों के खिलाफ मुफ्त टीकाकरण प्रदान करता है।

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