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वैश्विक इंटरनेट शटडाउन

Lokesh Pal February 26, 2025 02:26 22 0

संदर्भ

वर्ष 2024 में वैश्विक स्तर पर कुल 296 इंटरनेट शटडाउन की घटनाएँ दर्ज हुईं, जो अब तक किसी भी वर्ष में दर्ज की गईं सर्वाधिक घटनाएँ हैं।

इंटरनेट शटडाउन पर मुख्य निष्कर्ष

  • म्यांमार में सर्वाधिक शटडाउन (85) की घटनाएँ दर्ज हुईं, जबकि भारत में 84 मामलों के साथ वैश्विक शटडाउन की 28% की घटनाएँ दर्ज हुईं, जो दूसरे स्थान पर है।
  • शटडाउन की संख्या में म्यांमार के सबसे आगे होने के बावजूद, भारत में सरकार द्वारा लगाए गए इंटरनेट प्रतिबंधों की संख्या सर्वाधिक थी, जिसे केंद्र एवं राज्य सरकारों दोनों ने लागू किया।
  • भारत में वर्ष 2024 में पिछले वर्ष की तुलना में कम शटडाउन देखे गए।
  • भारत में शटडाउन की घटनाएँ 16 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में दर्ज की गईं, जिनमें सबसे अधिक घटनाएँ निम्नलिखित स्थानों पर हुईं:
    • मणिपुर: 21 शटडाउन
    • हरियाणा: 12 शटडाउन
    • जम्मू और कश्मीर: 12 शटडाउन

भारत में इंटरनेट शटडाउन होने के कारण

  • विरोध प्रदर्शनों के कारण 41 शटडाउन लगाए गए।
  • सांप्रदायिक हिंसा के जवाब में 23 शटडाउन लागू किए गए।
  • वर्ष 2024 में होने वाली प्रमुख परीक्षाओं से पहले 5 शटडाउन लगाए गए।

इंटरनेट शटडाउन के बारे में

  • इंटरनेट शटडाउन, इंटरनेट या इलेक्ट्रॉनिक संचार में जानबूझकर उत्पन्न किया गया अवरोध है, जिससे वे किसी विशिष्ट जनसंख्या के लिए या किसी स्थान के भीतर पहुँच से बाहर या प्रभावी रूप से अनुपयोगी हो जाते हैं, ऐसा प्रायः सूचना के प्रवाह पर नियंत्रण रखने के लिए किया जाता है।

इंटरनेट शटडाउन के लाभ एवं हानि

लाभ

हानि

गलत सूचना को रोकता है: संकट के दौरान फर्जी खबरों एवं अफवाहों के प्रसार को रोकता है। संचार में बाधा: आवश्यक सेवाओं, व्यवसायों और आपातकालीन प्रतिक्रियाओं को प्रभावित करता है।
सुरक्षा बढ़ाता है: दंगों, सांप्रदायिक हिंसा और आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों को नियंत्रित करने में मदद करता है। अर्थव्यवस्था को नुकसान: व्यवसायों, विशेषकर डिजिटल प्लेटफार्मों के लिए वित्तीय नुकसान होता है।
परीक्षा की शुचिता की सुरक्षा: प्रतियोगी परीक्षाओं में धोखाधड़ी को रोकता है। शिक्षा पर प्रभाव: ऑनलाइन शिक्षण और अनुसंधान प्रभावित होते हैं।
कानून और व्यवस्था बनाए रखना: विरोध प्रदर्शन और नागरिक अशांति के प्रबंधन में सहायता करता है। अधिकारों का उल्लंघन: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचना तक पहुँच को प्रतिबंधित करता है।

  • साबू मैथ्यू जॉर्ज बनाम भारत संघ मामले (2018) में, उच्चतम न्यायालय ने माना कि इंटरनेट तक पहुँच का अधिकार अनुच्छेद 19 के तहत एक बुनियादी मौलिक अधिकार है।
राष्ट्रीय हितों की रक्षा: इसका उपयोग साइबर हमलों या बाहरी खतरों के दौरान किया जा सकता है। वैश्विक प्रतिष्ठा को नुकसान: बार-बार शटडाउन होने से देश की लोकतांत्रिक छवि को नुकसान पहुँचता है।

भारत में इंटरनेट बंद करने का प्रावधान

दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन नियम, 2024

  • दूरसंचार अधिनियम, 2023 (दूरसंचार अधिनियम) के तहत दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन नियम, 2024 जारी किए गए।
  • दूरसंचार अधिनियम पुराने कानूनों का स्थान लेता है, जिनमें शामिल हैं:-
    • भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885
    • भारतीय वायरलेस टेलीग्राफ अधिनियम, 1933
    • टेलीग्राफ तार (गैरकानूनी अधिकार) अधिनियम, 1950
  • वर्ष 2024 के नियम, वर्ष 2017 के नियमों का स्थान लेंगे, जिन्हें भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत तैयार किया गया था।

इंटरनेट शटडाउन का आदेश कौन दे सकता है?

  • राष्ट्रीय स्तर पर: केंद्रीय गृह मंत्रालय के गृह सचिव को इंटरनेट शटडाउन लागू करने का अधिकार है।
  • राज्य स्तर पर: राज्य गृह विभाग के प्रभारी सचिव को शटडाउन आदेश जारी करने का अधिकार है।
  • अपरिहार्य मामलों में: यदि उपरोक्त में से कोई भी अधिकारी उपलब्ध नहीं है, तो केंद्र में एक संयुक्त सचिव शटडाउन आदेश जारी कर सकता है।

शटडाउन आदेश की शर्तें

  • शटडाउन आदेश प्रकाशित किया जाना चाहिए और उसमें इंटरनेट निलंबन के कारणों को स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए।
  • शटडाउन का भौगोलिक क्षेत्र आदेश में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना चाहिए।
  • शटडाउन की अवधि 15 दिनों से अधिक नहीं हो सकती है।
  • शटडाउन आदेश की एक प्रति मूल्यांकन के लिए 24 घंटे के भीतर समीक्षा समिति को प्रस्तुत की जानी चाहिए।
  • समीक्षा समिति को 5 दिनों के भीतर शटडाउन की वैधता का मूल्यांकन करना चाहिए।
  • यदि शटडाउन आदेश गैरकानूनी पाया जाता है, तो समिति को इसे रद्द करने का अधिकार है।

समीक्षा समिति की संरचना

  • केंद्रीय स्तर पर: कैबिनेट सचिव, कानूनी मामलों के सचिव और दूरसंचार विभाग (DoT) के सचिव
  • राज्य स्तर पर: राज्य सचिव, विधि सचिव और अन्य सचिव (गृह सचिव को छोड़कर)

कार्यान्वयन तंत्र 

  • कानून प्रवर्तन एजेंसियों को इंटरनेट बंद करने के आदेशों के प्रवर्तन की निगरानी के लिए प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा।

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