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वैश्विक न्यूनतम कर: भारतीय बजट में इसके रोडमैप की उम्मीद

Lokesh Pal July 22, 2024 04:16 102 0

संदर्भ

बहुराष्ट्रीय उद्यमों (MultiNational Enterprises- MNEs) एवं कर पेशेवरों के बीच आगामी बजट में वैश्विक न्यूनतम कर, जिसे ‘‘पिलर 2’’ वैश्विक कर के रूप में भी जाना जाता है, को अपनाने के लिए भारत के दृष्टिकोण के रोडमैप की उच्च प्रत्याशा है।

वैश्विक न्यूनतम कर (Global Minimum Tax- GMT)

  • परिचय: वैश्विक न्यूनतम कर (GMT) भारत सहित 136 देशों द्वारा किया गया एक समझौता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बड़े बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ 15% की न्यूनतम कर दर का भुगतान करें। 
    • यह एक सदी में अंतरराष्ट्रीय कर नियमों के सबसे महत्त्वपूर्ण सुधारों में से एक है।
  • यह ग्लोबल एंटी-बेस इरोजन (Global Anti-Base Erosion- GloBE) मॉडल नियमों पर आधारित एक समझौता है।
  • OECD का समावेशी ढाँचा: यह आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (Organisation for Economic Co-operation and Development- OECD) के समावेशी ढाँचे के तहत तैयार किया गया है।
    •  इसमें 140 से अधिक देश शामिल हैं।
  • ‘टू पिलर’ योजना (Two Pillar Plan)
    • पिलर 1: मुख्य रूप से बाजार क्षेत्राधिकारों में आय के पुनः आवंटन से संबंधित है।
      • पिलर 1 अस्पष्ट पहचान एवं समय सारिणी के साथ डिजिटल सेवा करों तथा इसी तरह के उपायों को निरस्त करता है।
    • पिलर 2 वैश्विक न्यूनतम कराधान ढाँचे की स्थापना एवं कर चोरी को रोकने पर केंद्रित है।
      • पिलर 2 का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आय पर उचित दर से कर लगाया जाए एवं €750 मिलियन टर्नओवर वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए 15% का GMT स्थापित किया जाए।  

  • GMT की आवश्यकता: GMT की आवश्यकता वित्तीय मोड़ से टैक्स हेवेन एवं वित्तीय संसाधन जुटाने की इच्छा से उत्पन्न होती है।
  • उद्देश्य: GMT का लक्ष्य ऐप्पल, अल्फाबेट एवं फेसबुक जैसे तकनीकी दिग्गजों सहित प्रमुख निगमों द्वारा भुगतान की जाने वाली कम प्रभावी कर दरों को संबोधित करना है। 
    • ये कंपनियाँ अक्सर कम कर वाले देशों या बहामास, पनामा, ब्रिटिश वर्जिन द्वीपसमूह आदि जैसे टैक्स हेवेन में लाभ स्थानांतरित करने के लिए जटिल सहायक संरचनाओं का उपयोग करती हैं।
    • GMT यह सुनिश्चित करता है कि बड़े बहुराष्ट्रीय उद्यम प्रत्येक क्षेत्राधिकार में, जहाँ वे परिचालन करते हैं, अपनी आय पर न्यूनतम स्तर का कर अदा करें।
  • मुख्य लाभ
    • लाभ स्थानांतरण के लिए प्रोत्साहन कम कर देता है।
    • कर प्रतिस्पर्द्धा के अंतर्गत एक मानक स्थापित होगा।
    • कॉरपोरेट कर दरों पर निचले स्तर की प्रतिस्पर्द्धा समाप्त होगी।
    • अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि यह सौदा बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अपने घरेलू देशों में पूँजी वापस भेजने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जिससे उन अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा।
    • इसका उद्देश्य दशकों से चली आ रही कर प्रतिस्पर्द्धा को समाप्त करना भी है।

वैश्विक न्यूनतम कर का तंत्र (Mechanism of Global Minimum Tax)

  • इन पर लागू होता है: न्यूनतम कर दर सालाना €750 मिलियन से अधिक वैश्विक राजस्व वाले बहुराष्ट्रीय उद्यमों (MNEs) पर लागू होती है।
    • MNEs को देश-दर-देश के आधार पर 15% की न्यूनतम प्रभावी कर दर (Effective Tax Rate- ETR) का भुगतान करना होगा।
  • टॉप-अप टैक्स का प्रावधान 
    • यदि किसी देश में MNEs की प्रभावी कर दर (ETR) 15% से कम हो जाती है, तो टॉप-अप कर लगाया जाता है।
    • यह कर उस देश को देय है, जहाँ MNEs की मूल कंपनी स्थित है।

वैश्विक न्यूनतम कर को समझने के लिए उदाहरण

  • एक भारतीय बहुराष्ट्रीय कंपनी की संयुक्त अरब अमीरात एवं जर्मनी में सहायक कंपनियाँ हैं। 
    • कर दरों के साथ: संयुक्त अरब अमीरात: 9% तथा जर्मनी: 30%
  • टॉप-अप टैक्स (Top-Up Tax)
    • भारत: यदि संयुक्त अरब अमीरात न्यूनतम कर दर को पूरा नहीं करता है तो भारत संयुक्त अरब अमीरात की कमी के लिए 6% टॉप-अप कर लगाएगा।
    • संयुक्त अरब अमीरात का संग्रह करने का अधिकार: यदि संयुक्त अरब अमीरात एक संगत घरेलू न्यूनतम कर लागू करता है तो उसे कर एकत्र करने का पहला अधिकार है।
  • बैकस्टॉप नियम (Backstop Rule) 
    • अंडर-टैक्स्ड प्रॉफिट नियम (Under-Taxed Profit Rule- UTPR): यदि न तो भारत एवं न ही UAE ‘‘पिलर 2’’ लागू करता है, तो जर्मनी UTPR के माध्यम से UAE की कमी को पूरा कर सकता है।
    • UTPR, वर्ष 2025 से कई देशों में प्रभावी होने के लिए तैयार है।
  • कार्यान्वयन के लिए प्रोत्साहन
    • ‘पिलर 2’ को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यदि कोई देश इस पर कानून बनाता है, तो वह देश संपूर्ण टॉप-अप कर एकत्र कर सकता है।
    • इसलिए, भारत सहित कोई भी देश कार्यान्वयन प्रक्रिया में पीछे नहीं रहना चाहेगा।

कार्यान्वयन की प्रगति

  • वर्तमान स्थिति: 50 से अधिक देश ‘पिलर टू’ को लागू करने के विभिन्न चरणों में हैं।
  •  देश जो पहले से ही कार्यान्वयन कर रहे हैं
    • यूरोपीय राष्ट्र: यू.के., स्विट्जरलैंड, बेल्जियम, नीदरलैंड, फ्राँस, जर्मनी, आयरलैंड।
    • अन्य देश: ऑस्ट्रेलिया, कोरिया, जापान, कनाडा।
  • आगामी अंगीकरण
    • सिंगापुर एवं हांगकांग ने वर्ष 2025 में ‘पिलर टू’ को शुरू करने की योजना बनाई है।
    • UAE इसके कार्यान्वयन के लिए परामर्श कर रहा है।

बहुराष्ट्रीय उद्यमों (MNEs) पर प्रभाव

  • मूल्यांकन आवश्यक: व्यवसायों को यह मूल्यांकन करने की आवश्यकता है कि ‘पिलर 2’ उनके वर्तमान एवं भविष्य के लेन-देन को कैसे प्रभावित करता है।
    • MNEs को नई कर व्यवस्था की विश्लेषणात्मक, अनुपालन एवं रिपोर्टिंग आवश्यकताओं के लिए अपने सिस्टम का मूल्यांकन करना चाहिए।
  • डेटा एवं अनुपालन चुनौतियाँ: अनुपालन के लिए व्यापक लेखांकन एवं कर डेटा की आवश्यकता होती है, जो आसानी से उपलब्ध नहीं हो सकता है।
    • विभिन्न न्यायक्षेत्रों में चरणबद्ध कार्यान्वयन के कारण MNEs को अलग-अलग स्थानीय नियमों का प्रबंधन करने की आवश्यकता है।
  • ‘पिलर टू’ प्रतिस्पर्द्धी बने रहने के लिए कॉरपोरेट प्रतिस्पर्द्धा को प्रभावित करता है: नई वैश्विक कर व्यवस्था दुनिया भर में मौजूदा कर प्रोत्साहन एवं कर-अवकाश योजनाओं को प्रभावित करेगी, क्योंकि इस तरह के प्रोत्साहन के कारण कम ETR के परिणामस्वरूप टॉप-अप कर देयता होगी। 
    • इसलिए, कई देश पिलर टू के बाद की दुनिया में प्रतिस्पर्द्धी बने रहने के लिए अपने व्यवसायों के लिए अपने कर प्रोत्साहन कार्यक्रमों को पुनः डिजाइन कर रहे हैं।
    • इसलिए, MNEs को अब अपने चल रहे एवं प्रस्तावित निवेशों का पुनर्मूल्यांकन करते समय कर-प्रोत्साहन संरचनाओं में बदलावों को ध्यान में रखना होगा।

भारतीय MNEs की स्थिति

  • प्रारंभिक आकलन: अधिकांश भारतीय MNEs ने प्रारंभिक प्रभाव आकलन शुरू या पूरा कर लिया है।
  • अनुपालन के लिए तैयारी: वे अब कम कर वाले देशों में संभावित ETR की कमी के लिए चल रहे अनुपालन एवं कर प्रावधान पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

वैश्विक न्यूनतम कर के कार्यान्वयन से जुड़ी चुनौतियाँ

  • विविध क्षेत्राधिकार दृष्टिकोण: विभिन्न देश ‘पिलर टू’ की अलग-अलग व्याख्या एवं कार्यान्वयन कर सकते हैं, जिससे वैश्विक कर प्रवर्तन में विसंगतियाँ तथा संभावित विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
  • कर प्रोत्साहनों पर प्रभाव: देशों को मौजूदा कर प्रोत्साहनों एवं अवकाश योजनाओं में आमूल-चूल परिवर्तन करने या उन्हें समाप्त करने की आवश्यकता हो सकती है, जो संभावित रूप से स्थानीय व्यवसायों तथा आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकते हैं।
  • कार्यान्वयन की जटिलता: ‘पिलर 2’ के जटिल नियम एवं आवश्यकताएँ सरकारों तथा बहुराष्ट्रीय उद्यमों दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक एवं अनुपालन बोझ उत्पन्न कर सकती हैं।
    • यह कुछ न्यायक्षेत्रों में विदेशी निवेश को हतोत्साहित कर सकता है, जिससे आर्थिक विकास प्रभावित हो सकता है।
  • संप्रभुता को प्रभावित करता है: वैश्विक न्यूनतम कर किसी देश की अपनी कर नीतियों को निर्धारित करने की क्षमता को सीमित कर सकता है, जिससे राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपकरण समाप्त हो सकता है।
  • प्रभावशीलता संबंधी चिंताएँ: ऑक्सफैम जैसे समूहों सहित आलोचकों का तर्क है कि यह समझौता टैक्स हेवेन को प्रभावी ढंग से समाप्त नहीं कर सकता है या सभी कर बचाव मुद्दों का समाधान नहीं कर सकता है।

भारत में ‘पिलर 2’ की शुरूआत के लिए सुझाव 

  • हितधारक परामर्श
    • भारत को ‘पिलर 2’ प्रस्तुत करने से पहले विभिन्न हितधारकों से परामर्श करना चाहिए।
    • इस बात पर ध्यान केंद्रित करना कि ‘पिलर टू’ भारत की मौजूदा कर प्रणाली के साथ कैसे संपर्क करता है एवं GIFT सिटी, गुजरात में कर प्रोत्साहन के लिए इसके निहितार्थ क्या हैं।
  • MNEs की मानसिकता: ‘पिलर टू’ वैश्विक कर निष्पक्षता की दिशा में एक सामूहिक कदम का प्रतिनिधित्व करता है। बढ़ते व्यापार वैश्वीकरण की दुनिया में यह पहली वास्तविक वैश्विक कर प्रणाली है। MNEs को ‘पिलर टू’ को लागू करते समय नई प्रौद्योगिकियों एवं विचारों को अपनाने की आवश्यकता होगी।

आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD), बेस इरोजन एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग (BEPS) एवं OECD G20 परियोजना

आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD)

  • परिचय: OECD एक अंतरसरकारी आर्थिक संगठन है, जिसकी स्थापना आर्थिक प्रगति एवं विश्व व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए की गई है।
    • आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन एक आधिकारिक संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षक है।
  • सदस्य: अधिकांश OECD सदस्य बहुत उच्च मानव विकास सूचकांक (Human Development Index- HDI) के साथ उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाएँ हैं एवं उन्हें विकसित देश माना जाता है।
  • स्थापना: OECD की स्थापना 14 दिसंबर, 1960 को हुई थी। 
  • मुख्यालय: पेरिस, फ्राँस
  • कुल सदस्य: 36
  • भारत एवं OECD: भारत एक सदस्य नहीं है, बल्कि एक प्रमुख आर्थिक भागीदार है।
  • OECD द्वारा रिपोर्ट एवं सूचकांक
    • गवर्नमेंट एट ए ग्लांस (Government at a Glance) 2017 रिपोर्ट।
    • अंतरराष्ट्रीय प्रवासन परिदृश्य (International Migration Outlook)।
    • OECD बेटर लाइफ इंडेक्स (OECD Better Life Index)।
  • OECD की ब्लैक लिस्ट: OECD उन देशों की एक तथाकथित ‘ब्लैक लिस्ट’ रखता है, जिन्हें असहयोगी ‘टैक्स हैवन’ माना जाता है।

बेस इरोजन एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग (Base Erosion and Profit Shifting- BEPS) तथा OECD G20 परियोजना

  • बेस इरोजन एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग (BEPS) बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा उच्च कर क्षेत्राधिकारों से मुनाफे को कम कर क्षेत्राधिकारों या कर-मुक्त स्थानों पर स्थानांतरित करने के लिए उपयोग की जाने वाली कॉरपोरेट कर नियोजन रणनीतियों को संदर्भित करता है, जहाँ बहुत कम या कोई आर्थिक गतिविधियाँ नहीं होती है, इस प्रकार ब्याज या रॉयल्टी जैसे कटौती योग्य भुगतानों का उपयोग करके उच्च कर क्षेत्राधिकारों के ‘कर-आधार’ को ‘कम’ किया जाता है।
  • उद्देश्य
    • यह रणनीति या तो लाभ को छुपाकर अथवा उन्हें न्यूनतम आर्थिक गतिविधियों वाले कम कर वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित करके, अंतरराष्ट्रीय कर विनियमों में अंतराल का लाभ उठाकर कॉरपोरेट कर देयता को कम करती है।
  • OECD G20 बेस इरोजन एवं प्रॉफिट शिफ्टिंग प्रोजेक्ट (या BEPS प्रोजेक्ट): यह एक OECD/G20 परियोजना है, जिसका उद्देश्य बेस इरोजन एवं प्रॉफिट शिफ्टिंग उपकरणों का उपयोग करके बहुराष्ट्रीय उद्यमों (‘MNEs’) द्वारा कर से बचने की प्रवृत्ति से निपटने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय ढाँचा स्थापित करना है।
  • भारत और BEPS: भारत ने अंतरराष्ट्रीय कर नियमों को अद्यतन करने और बहुराष्ट्रीय उद्यमों द्वारा कर से बचने के अवसरों को कम करने के लिए कर संधि संबंधी उपायों की एक शृंखला को तेजी से लागू करने के लिए ‘बेस इरोजन एंड प्रॉफिट शिफ्टिंग’ (‘बहुपक्षीय साधन’ या ‘MLI’) को रोकने के लिए कर संधि संबंधी उपायों को लागू करने के लिए बहुपक्षीय सम्मेलन पर हस्ताक्षर किए हैं। 

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