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ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) स्पूफिंग

Lokesh Pal November 19, 2025 02:25 9 0

संदर्भ

हाल ही में दिल्ली के ऊपर से उड़ान भर रहे विमानों में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) स्पूफिंग देखी गई, जिसके कारण कॉकपिट संबंधी चेतावनियाँ गलत हो गईं।

GNSS स्पूफिंग क्या है?

  • परिभाषा: GNSS स्पूफिंग में रिसीवरों को गुमराह करने के लिए गलत स्थान, गति या समय की गणना करने हेतु नकली उपग्रह संकेतों का प्रसारण शामिल है।
  • विमानन प्रभाव: आधुनिक विमान भू-भाग की जानकारी, टकराव से बचाव, ऑटोपायलट और संचार समन्वयन के लिए GNSS पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं, जिससे स्पूफिंग सबसे गंभीर विमानन खतरों में से एक बन जाती है।
    • हालाँकि, आधुनिक विमानों में कई बैकअप होते हैं, विशेष रूप से जड़त्वीय संदर्भ प्रणाली (IRS), जो GNSS से स्वतंत्र रूप से पाँच घंटे तक कार्य कर सकती है।

स्पूफिंग (Spoofing) के बारे में

  • परिभाषा: स्पूफिंग, डिजिटल डेटा या सिग्नल को जानबूझकर गलत साबित करने, जालसाजी करने या उसमें हेर-फेर करने के प्रयास को संदर्भित करता है ताकि सिस्टम अथवा उपयोगकर्ता को लगे कि यह किसी विश्वसनीय या वैध स्रोत से आ रहा है।
  • साइबर सुरक्षा: स्पूफिंग तब होती है, जब हमलावर उपयोगकर्ताओं को धोखा देने और अनधिकृत पहुँच या जानकारी प्राप्त करने के लिए किसी ईमेल पते, IP एड्रेस, वेबसाइट, फोन नंबर अथवा डिवाइस पहचान का प्रतिरूपण करते हैं।
  • उद्देश्य: स्पूफिंग का उपयोग संवेदनशील जानकारी पर अधिकार स्थापित करने, नेविगेशन को पुनर्निर्देशित करने, वित्तीय धोखाधड़ी करने, संचार को हाईजैक करने या प्रमाणीकरण तंत्र को बायपास करने के लिए किया जाता है।

स्पूफिंग के प्रकार

  • ईमेल स्पूफिंग: हमलावर प्रेषक के एड्रेस में हेरा-फेरी करके ईमेल को विश्वसनीय व्यक्तियों या संस्थानों से आने वाला दिखाते हैं ताकि प्राप्तकर्ता को धोखा दिया जा सके।
  • IP स्पूफिंग: हमलावर फायरवॉल को बायपास करने, पहचान छिपाने या डिनायल ऑफ सर्विस  (DoS) के लिए स्रोत IP एड्रेस में हेरा-फेरी करते हैं।
  • कॉलर आईडी स्पूफिंग: टेलीफोन नंबरों में हेरा-फेरी की जाती है, ताकि कॉल वैध एजेंसियों, बैंकों या ज्ञात संपर्कों से आती हुई प्रतीत हों।

GNSS स्पूफिंग कैसे कार्य करता है

  • सिग्नल जनरेशन: AA स्पूफर, प्रामाणिक GNSS प्रसारणों के समान आवृत्ति और प्रारूप का उपयोग करके नकली उपग्रह सिग्नल उत्पन्न करता है।
  • सिग्नल की प्रबलता: नकली सिग्नल वास्तविक उपग्रह सिग्नलों की तुलना में अधिक शक्ति पर प्रसारित होते हैं, विमान/डिवाइस स्वचालित रूप से अधिक शक्तिशाली सिग्नल पर लॉक हो जाता है।
  • क्रमिक विसंगति: स्पूफर नेविगेशन डेटा, स्थिति, ऊँचाई या समय को धीरे-धीरे बदलता है।
    • चूँकि यह परिवर्तन सूक्ष्म होता है, इसलिए विमान प्रणालियाँ अचानक होने वाली विसंगति का पता नहीं लगा पाती हैं।
  • रिसीवर नकली डेटा स्वीकार करता है: कॉकपिट उपकरण विमान की गलत स्थिति या ऊँचाई को ऐसे प्रदर्शित करते हैं, जैसे वे वास्तविक हों।

जैमिंग और स्पूफिंग के बीच अंतर को समझना

  • हमले की प्रकृति: जैमिंग सिग्नल को ब्लॉक या बाधित करती है, जिससे रिसीवर वैध डेटा प्राप्त नहीं कर पाता, जबकि स्पूफिंग सिग्नल को प्रतिस्थापित या नकल करके रिसीवर को गलत जानकारी देता है।
  • उद्देश्य: जैमिंग का उद्देश्य सिग्नल को बाधित करके सेवा से वंचित करना है, जबकि स्पूफिंग का उद्देश्य रिसीवर को नकली सिग्नल को असली मानकर धोखा देना है।
  • डिवाइस पर प्रभाव: जैमिंग के कारण डिवाइस की कनेक्टिविटी टूट जाती है या वे कार्य करना बंद कर देते हैं, जबकि स्पूफिंग के कारण डिवाइस गलत जानकारी के आधार पर गलत तरीके से कार्य करती हैं।
  • पता लगाने में कठिनाई: जैमिंग का पता लगाना आसान होता है क्योंकि सिग्नल का नुकसान तुरंत और स्पष्ट होता है, जबकि स्पूफिंग का पता लगाना कठिन होता है क्योंकि रिसीवर को अभी भी सामान्य प्रतीत होने वाले सिग्नल प्राप्त होते हैं।
  • सुरक्षा संबंधी निहितार्थ: जैमिंग मुख्य रूप से परिचालन संबंधी व्यवधान का जोखिम उत्पन्न करता है, लेकिन स्पूफिंग रणनीतिक जोखिम उत्पन्न कर सकता है, जैसे- जहाज का विचलन, ड्रोन अपहरण, विमान को गलत दिशा में ले जाना या सैन्य गणनाएँ।

GNSS स्पूफिंग से खतरे और सुरक्षा जोखिम

  • गलत स्थान डेटा: स्पूफिंग विमान की गलत स्थिति प्रदर्शित कर सकती है, जिससे ऊँचाई और भू-भाग की सही जानकारी मिलने में खतरा उत्पन्न हो सकता है।
  • भू-भाग और बाधा चेतावनियाँ: गलत चेतावनियाँ पायलटों का ध्यान भटका सकती हैं या उड़ान भरने अथवा उतरने के दौरान गलत प्रतिक्रियाएँ दे सकती हैं।
  • संचार व्यवधान: हस्तक्षेप निगरानी प्रणालियों और ATC संचार लिंक को प्रभावित करता है, जिससे सुरक्षित पृथक्करण कमजोर होता है।
  • पायलट का कार्यभार: गलत चेतावनियाँ तनाव और कार्यभार बढ़ाती हैं, खासकर भीड़भाड़ वाले हवाई क्षेत्र में।
  • प्रणालीगत दृढ़ता: दोषपूर्ण रीडिंग स्वचालित रूप से सही नहीं हो सकती, जिसके कारण स्पूफ किए गए क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद भी नेविगेशन संबंधी त्रुटियाँ जारी रहती हैं।
  • सामरिक भेद्यता: स्पूफिंग का उपयोग शत्रुतापूर्ण कार्यों के लिए किया जा सकता है, जिसमें संघर्ष क्षेत्रों में विमानों को गुमराह करना शामिल है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिक उड्डयन सुरक्षा प्रभावित होती है।

वैश्विक रुझान

  • तेजी से वैश्विक वृद्धि: OPS ग्रुप (लगभग 8,000 पायलटों, डिस्पैचरों और ATC कर्मियों का एक सुरक्षा समुदाय) के अनुसार, GPS स्पूफिंग ने सितंबर 2023 से नागरिक उड्डयन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
  • घटनाओं का बढ़ना
    • जनवरी 2024 तक प्रतिदिन औसतन 300 उड़ानों में स्पूफिंग की घटना देखी गई।
    • अगस्त 2024 तक प्रतिदिन लगभग 1,500 उड़ानों में स्पूफिंग की घटना देखी गई।
    • 15 जुलाई से 15 अगस्त, 2024 के बीच वैश्विक स्तर पर 41,000 उड़ानों में स्पूफिंग की घटना देखी गई।
  • शीर्ष हॉटस्पॉट: साइप्रस, इजरायल, मिस्र, तुर्किए, रूस, पाकिस्तान, बेलारूस और लेबनान के बाद, दिल्ली विश्व भर में शीर्ष 10 स्पूफिंग हॉटस्पॉट में से एक था।
  • प्राथमिक अभिकर्ता: मुख्य स्पूफिंग गतिविधियाँ सैन्य इकाइयों द्वारा शत्रु ड्रोन या मिसाइल प्रणालियों को निशाना बनाकर की जाती हैं; कुछ आरोप नागरिक विमानों को दुर्भावनापूर्ण तरीके से निशाना बनाने की ओर भी इशारा करते हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय उदाहरण
    • यूरोपीय संघ के अध्यक्ष की घटना: सितंबर 2024 में, यूरोपीय आयोग ने बताया कि उर्सुला वॉन डेर लेयेन के विमान को दक्षिणी बुल्गारिया के ऊपर GNSS व्यवधान का सामना करना पड़ा, कथित तौर पर रूसी हस्तक्षेप के कारण, जिससे लैंडिंग के लिए पारंपरिक मानचित्र पर निर्भरता बढ़ गई।
    • अजरबैजान एयरलाइंस दुर्घटना: 25 दिसंबर, 2024 को, अजरबैजान एयरलाइंस का एक विमान कजाखस्तान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसका कथित तौर पर संदिग्ध स्पूफिंग से संबंध था।
    • सीमावर्ती क्षेत्र प्रभाव: सरकारी आँकड़ों के अनुसार, नवंबर 2023 और फरवरी 2025 के बीच अमृतसर और जम्मू में स्पूफिंग तथा हस्तक्षेप की 465 घटनाएँ हुईं, यानी औसतन प्रतिदिन एक घटना।

विमानन निकायों द्वारा प्रस्तावित समाधान

  • वैश्विक सुरक्षा अपील: IATA ने सभी पक्षों से नागरिक उड़ानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया और इस बात पर जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय कानून, नागरिक विमानों को निशाना बनाने पर रोक लगाता है।
  • ICAO की सिफारिशें: अपनी 42वीं सभा में, IATA ने प्रस्ताव रखा:
    • मानकीकृत रिपोर्टिंग तंत्र
    • मजबूत सीमा-पार सहयोग और सूचना-साझाकरण
    • जैमिंग/स्पूफिंग उपकरणों की बिक्री और उपयोग पर राष्ट्रीय विनियमन
    • बेहतर स्पेक्ट्रम प्रबंधन
    • उन्नत पहचान प्रणालियों की तैनाती
    • लचीले एंटी-जैमिंग और एंटी-स्पूफिंग GNSS रिसीवरों का विकास।
  • उद्योग जगत का प्रयास: विमानन क्षेत्र सक्रिय एवियोनिक्स अपग्रेडस, रिपोर्टिंग में अधिक पारदर्शिता और रियल टाइम में खतरे की पहचान चाहता है।

ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम क्या है?

  • परिभाषा: GNSS उपग्रहों के एक समूह को संदर्भित करता है, जो वैश्विक स्तर पर स्थिति निर्धारण, नेविगेशन और समय निर्धारण (PNT) सेवाएँ प्रदान करता है।
  • कार्य: यह पृथ्वी पर कहीं भी उपयोगकर्ता के सटीक स्थान, वेग और समय का निर्धारण करने के लिए कई उपग्रहों से प्राप्त संकेतों का उपयोग करता है।
  • अनुप्रयोग: इसका उपयोग परिवहन, सैन्य, आपदा प्रबंधन, कृषि, रसद, नागरिक नेविगेशन प्रणालियों (ऐप्स), दूरसंचार समय निर्धारण और अंतरिक्ष अभियानों में किया जाता है।
  • प्रमुख GNSS प्रणालियाँ: इसमें GPS (अमेरिका), ग्लानोस (रूस), गैलीलियो (यूरोपीय संघ), बायडू (चीन) और कुछ क्षेत्रीय प्रणालियाँ जैसे नाविक (भारत) और QZSS (जापान) शामिल हैं।
  • महत्त्व: रियल टाइम नेविगेशन को सक्षम बनाता है, महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे का समर्थन करता है, और राष्ट्रीय सुरक्षा एवं आर्थिक दक्षता को मजबूत करता है।

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