हाल ही में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम और खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा वैश्विक नाइट्रस ऑक्साइड आकलन संबंधी रिपोर्ट प्रकाशित की गई है।
यह एक दशक से अधिक समय में केवल N2O पर केंद्रित पहली अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट है।
गोथेनबर्ग प्रोटोकॉल (Gothenburg Protocol)
गोथेनबर्ग प्रोटोकॉल (जिसे वर्ष 1999 में अपनाया गया था) की स्थापना उन प्रदूषकों को संबोधित करने के लिए की गई थी जो अम्लीकरण और ग्राउंड-लेवल ओजोन का कारण बनते हैं।
यह सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, अमोनिया और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों सहित वायु प्रदूषकों पर सीमाएँ निर्धारित करता है जो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरनाक हैं।
वैश्विक नाइट्रस ऑक्साइड (N₂O) मूल्यांकन रिपोर्ट पर महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि
मुख्य निष्कर्ष
ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव
N₂O वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग में 0.1°C का योगदान देता है।
उत्सर्जन में इसकी निरंतर वृद्धि के कारण वार्मिंग को 1.5°C तक सीमित करना असंभव है।
मानवजनित उत्सर्जन
वर्ष 1980 से 40% की वृद्धि हुई है, जिसमें 75% कृषि (सिंथेटिक उर्वरक एवं गोबर) से उत्पन्न हुआ है।
ओजोन क्षरण और स्वास्थ्य जोखिम
N₂O ओजोन को प्रभावित करने वाला प्रमुख पदार्थ है, जो हानिकारक पराबैंगनी विकिरण में वृद्धि करता है।
मोतियाबिंद (0.2–0.8%) और त्वचा कैंसर (2–10%) का जोखिम बढ़ाता है।
उत्सर्जन में कमी के उपाय: रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि वर्तमान उत्सर्जन में कमी के उपाय N2O उत्सर्जन को वर्तमान स्तर से 40 प्रतिशत से अधिक कम कर सकते हैं।
उत्सर्जन स्रोत
कृषि: यह वर्तमान में उन उत्सर्जनों का 75% स्रोत है, जिनमें से लगभग 90% कृषि संबंधी मृदा पर सिंथेटिक उर्वरकों और खाद के उपयोग से और 10% खाद प्रबंधन से आता है।
उद्योग: औद्योगिक स्रोतों से लगभग 5% उत्सर्जन होता है, और शेष 20% जीवाश्म ईंधन दहन, अपशिष्ट जल उपचार, जलीय कृषि, बायोमास जलने और अन्य स्रोतों से होता है।
उत्सर्जन में वृद्धि: पूर्व-औद्योगिक युग से गैस की वायुमंडलीय प्रचुरता में 20% से अधिक की वृद्धि हुई है; पिछले पाँच वर्षों (2017-2021) में इसकी औसत वार्षिक वृद्धि दर 1.2 भाग प्रति बिलियन प्रति वर्ष थी और यह 2000 के दशक की शुरुआत (वर्ष 2000-2004) की तुलना में लगभग दोगुनी थी।
सुझाए गए उपाय
कृषि: संवर्द्धित दक्षता वाले उर्वरकों, नाइट्रीकरण अवरोधकों और धीमी गति से निकलने वाले फॉर्मूलेशन का उपयोग उत्सर्जन को कम कर सकता है।
उद्योग: उद्योग मौजूदा और अपेक्षाकृत कम लागत वाले उन्मूलन उपायों को अपनाकर N2O उत्सर्जन को समाप्त कर सकते हैं, जिसकी लागत प्रति टन नाइट्रस ऑक्साइड के लिए $1,600-6,000 हो सकती है।
जीवाश्म ईंधन में कमी: परिवहन और ऊर्जा उत्पादन में नवीकरणीय संसाधनों में बदलाव।
खाद प्रबंधन: पशु आहार में पोषक तत्वों के इनपुट को संतुलित करना, चराई की तीव्रता को कम करना और खाद के अवायवीय पाचन को लागू करना।
बहुपक्षीय विकल्प: ‘लॉन्ग रेंज ट्रांसबाउंड्री एयर पॉल्यूशन पर कन्वेंशन’ के तहत अमोनिया और नाइट्रोजन ऑक्साइड पर गोथेनबर्ग प्रोटोकॉल जैसे लक्ष्यों को अपनाना।
खाद्य उत्पादन में परिवर्तन: खाद्य उत्पादन और सामाजिक प्रणालियों में परिवर्तन से नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन में और भी अधिक कमी आ सकती है।
नाइट्रस ऑक्साइड और इसका अवशोषक ‘सिंक’ (Absorbent Sinks)
नाइट्रस ऑक्साइड (N2O)
यह एक ग्रीनहाउस गैस (GHG) है जो कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) से 300 गुना ज़्यादा शक्तिशाली है।
पृथ्वी के वायुमंडल में ग्लोबल वार्मिंग के लिए उत्तरदायी ग्रीनहाउस गैसों में CO2 और मीथेन (CH4) के बाद इसकी सांद्रता तीसरी सबसे अधिक है।
यह वायुमंडल में 120-125 वर्ष तक मौजूद रह सकता है और पृथ्वी को गर्म करने में प्रति टन उत्सर्जन कार्बन डाइऑक्साइड से लगभग 270 गुना अधिक शक्तिशाली है।
नाइट्रस ऑक्साइड के अवशोषक ‘सिंक’ (Absorbent ‘Sinks’ of Nitrous Oxide)
मृदा: मृदा में सूक्ष्मजीवी प्रक्रियाएँ N₂O उत्सर्जन को कम कर सकती हैं।
‘डिनाइट्रीफाइंग बैक्टीरिया’ अवायवीय परिस्थितियों में N₂O को नाइट्रोजन गैस (N₂) में परिवर्तित कर देते हैं।
महासागर: गहरे और भूमिगत महासागर वायु-समुद्र इंटरफेस पर विघटन के माध्यम से वायुमंडल से N₂O को अवशोषित करते हैं।
समुद्री फाइटोप्लांकटन घुलनशील N₂O को अवशोषित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
समताप मंडल: N₂O ओजोन (O₃) के साथ प्रतिक्रिया करता है जिससे नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और अंततः नाइट्रोजन गैस (N₂) का निर्माण होता है।
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