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वैश्विक महामारी संधि

Lokesh Pal April 18, 2025 03:00 14 0

संदर्भ

WHO के सदस्य देशों ने एक महामारी समझौते के मसौदे को अंतिम रूप दिया है, जिसका उद्देश्य COVID-19 महामारी के मद्देनजर वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करना है।

अंतर-सरकारी वार्ता निकाय (Intergovernmental Negotiating Body-INB)

  • INB की स्थापना विश्व स्वास्थ्य सभा के दूसरे विशेष सत्र में की गई थी।
  • सदस्य: भारत सहित WHO के 194 सदस्य देशों से मिलकर बना INB सदस्य देशों के नेतृत्व में कार्य करता है, जिसमें व्यापक अंतरराष्ट्रीय भागीदारी शामिल है।
    • राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा WHO से अमेरिका के हटने की घोषणा के बाद अमेरिका INB से बाहर हो गया।
  • उद्देश्य: रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया को बढ़ाने के लिए एक वैश्विक महामारी समझौते का मसौदा तैयार करना।
  • मार्गदर्शक सिद्धांत: मसौदा प्रक्रिया समावेशिता, पारदर्शिता, दक्षता और आम सहमति के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित थी।

वैश्विक महामारी संधि के बारे में

  • यह एक कानूनी रूप से बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय उपकरण है, जिसका उद्देश्य भविष्य की महामारियों के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया को मजबूत करना है।
  • संधि की उत्पत्ति: दिसंबर 2021 में, COVID-19 संकट के दौरान, WHO के सदस्य देशों ने वैश्विक महामारी संधि का मसौदा तैयार करने के लिए अंतर-सरकारी वार्ता निकाय (INB) की स्थापना की।
  • उद्देश्य: एकीकृत अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण के माध्यम से महामारी की रोकथाम, तैयारी और प्रतिक्रिया को मजबूत करना।

समझौते के प्रमुख घटक

  • रोगजनक पहुँच और लाभ साझाकरण (PABS) तंत्र: संधि रोगजनकों और लाभों, जैसे कि टीके और उपचारों तक उचित तथा समय पर पहुँच सुनिश्चित करने के लिए एक रूपरेखा का प्रस्ताव करती है।
  • एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण: यह मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के बीच अंतर्संबंध को संबोधित करके महामारी की रोकथाम पर जोर देता है।
  • वैश्विक अनुसंधान और विकास क्षमता: योजनाओं में त्वरित, स्थानीयकृत प्रतिक्रियाओं के लिए विविध और भौगोलिक रूप से वितरित अनुसंधान सुविधाओं का निर्माण करना शामिल है।
  • प्रौद्योगिकी और ज्ञान हस्तांतरण: यह समझौता टीकों और चिकित्सा आपूर्ति के उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता को साझा करने की सुविधा प्रदान करता है।
    • वार्ता के दौरान एक विवादास्पद बिंदु अनुच्छेद-11 था, जो विकासशील देशों को चिकित्सा प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण से संबंधित है।
  • कार्यबल और आपातकालीन तैयारी: इसमें राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर एक बहु-विषयक स्वास्थ्य आपातकालीन कार्यबल को प्रशिक्षित करने और जुटाने के प्रावधान शामिल हैं।
  • आपूर्ति शृंखला और वित्तीय तंत्र: प्रकोप के दौरान त्वरित प्रतिक्रियाओं का समर्थन करने के लिए एक समन्वित वैश्विक लाजिस्टिक नेटवर्क और एक वित्तीय तंत्र का प्रस्ताव करता है।
  • स्वास्थ्य प्रणाली लचीलापन: देशों को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों का सामना करने के लिए अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को मजबूत करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

महामारी से निपटने के लिए भारत का संस्थागत तंत्र

  • राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC): यह सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरों की निगरानी करता है, प्रतिक्रियाओं का समन्वय करता है और महामारी तथा सर्वव्यापी महामारी के दौरान सरकार को सलाह देता है।
  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW): यह महामारी के दौरान नीतियाँ बनाकर, दिशा-निर्देश जारी करके, राज्यों के साथ समन्वय करके और वैक्सीन वितरण तथा स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढाँचे जैसे लॉजिस्टिक्स का प्रबंधन करके राष्ट्रीय प्रतिक्रिया का नेतृत्व करता है।
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA): आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत NDMA, COVID-19 जैसी स्वास्थ्य आपात स्थितियों के दौरान बहु-क्षेत्रीय आपातकालीन प्रतिक्रियाओं की योजना बनाने और समन्वय करने, तैयारी, शमन तथा पुनर्प्राप्ति प्रयासों को सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

WHO की भूमिका और संप्रभुता के प्रति सम्मान

  • यह समझौता सार्वजनिक स्वास्थ्य मामलों में राष्ट्रीय संप्रभुता की पुष्टि करता है, जिसमें कहा गया है कि WHO के पास राष्ट्रीय कानूनों या कार्यों को अनिवार्य करने का अधिकार नहीं होगा।
  • यह स्पष्ट करता है कि संधि WHO को सदस्य राज्यों पर लॉकडाउन, वैक्सीन अनिवार्यता या यात्रा प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं देती है।

संधि का महत्त्व

  • वैश्विक स्वास्थ्य समानता को बढ़ावा देना: यह संधि पैथोजन एक्सेस एंड बेनिफिट शेयरिंग (PABS) तंत्र जैसी प्रणालियों का निर्माण करके अतीत की असमानताओं को संबोधित करती है, जिससे भविष्य की महामारियों के दौरान टीकों, दवाओं और निदान का उचित वितरण सुनिश्चित होता है।
  • बहुपक्षवाद को मजबूत करना: अमेरिका के हटने के बावजूद, 193 देशों ने समझौते को अंतिम रूप देने के लिए एकजुट होकर काम किया, जिससे यह प्रदर्शित हुआ कि सार्वजनिक स्वास्थ्य में वैश्विक सहयोग संभव और प्रभावी बना हुआ है।
  • महामारी की तैयारी: स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा, रोगजनक डेटा साझा करने और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए प्रतिबद्धता जताकर, यह संधि उभरते स्वास्थ्य खतरों के खिलाफ दीर्घकालिक लचीलापन बनाती है।
  • भविष्य के संकटों के लिए कानूनी ढाँचा: यह संधि एक सतत् अंतरराष्ट्रीय कानूनी साधन का निर्माण करती है, जो भविष्य की महामारियों में सहयोग और प्रतिक्रिया के लिए स्पष्ट अपेक्षाएँ निर्धारित करती है, जिससे जवाबदेही और स्थिरता सुनिश्चित होती है।

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