हाल ही में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका के संदर्भ में केंद्र सरकार का रुख मांगा, जिसमें विमान पर ‘केवल-रिसीव ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) उपकरणों’ को ले जाने पर रोक लगा दी गई थी।
संबंधित तथ्य
गैरकानूनी जब्ती के आरोप: एक खंडपीठ ने 2 जून, 2022 को दिल्ली हवाई अड्डे पर अपने जीपीएस डिवाइस की “गैरकानूनी जब्ती” के लिए उचित क्षतिपूर्ति की मांग करने वाले एक पर्यावरण वैज्ञानिक द्वारा दायर याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया।
ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS):
यह एक उपग्रह-आधारित रेडियो-नेविगेशन प्रणाली है जिसका उपयोग निगरानी और नियंत्रण के लिए किया जाता है।
उत्पत्ति: अमेरिकी रक्षा विभाग ने वर्ष 1973 में जीपीएस कार्यक्रम शुरू किया और वर्ष 1978 में पहला उपग्रह लॉन्च किया।
GPS एक अमेरिकी स्वामित्व वाली तकनीक है जो उपयोगकर्ताओं को पोजिशनिंग, नेविगेशन और टाइमिंग (PNT) सेवाएँ प्रदान करती है।
इस प्रणाली में तीन खंड शामिल हैं:
अंतरिक्ष (उपग्रह): उपग्रह पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए, उपयोगकर्ताओं को भौगोलिक स्थिति और दिन के समय के बारे में संकेत प्रेषित करते हैं।
ग्राउंड कंट्रोल: कंट्रोल सेगमेंट में पृथ्वी-आधारित मॉनिटर स्टेशन, मास्टर कंट्रोल स्टेशन और ग्राउंड एंटीना शामिल हैं। नियंत्रण गतिविधियों में अंतरिक्ष में उपग्रहों को ट्रैक करना और संचालित करना एवं ट्रांसमिशन की निगरानी करना शामिल है।
उपयोगकर्ता उपकरण: जीपीएस रिसीवर और ट्रांसमीटर जिसमें घड़ियाँ, स्मार्टफोन और टेलीमैटिक डिवाइस जैसी वस्तुएं शामिल हैं।
जीपीएस उपग्रह तारामंडल: आधुनिक जीपीएस में छह कक्षाओं में पृथ्वी के चारों ओर घूमने वाले 24 उपग्रह शामिल हैं।
स्टैंडर्ड पोज़ीशनिंग सर्विस (SPS): जीपीएस सिस्टम द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएँ SPS प्रदर्शन मानक को पूरा करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं, जिसका नवीनतम संस्करण अप्रैल 2020 में प्रकाशित हुआ था।
संक्षेप में, SPS मानक दुनिया भर में कहीं भी एप्लिकेशन डेवलपर्स और उपयोगकर्ताओं को बताता है कि वे जीपीएस सिस्टम से क्या उम्मीद कर सकते हैं।
जीपीएस की कार्यप्रणाली:
जीपीएस सैटेलाइट प्रसारण: प्रत्येक जीपीएस उपग्रह लगातार एक रेडियो सिग्नल प्रसारित करता है जिसमें कक्षा में उसके स्थान, परिचालन स्थिति और सिग्नल उत्सर्जित होने के समय के बारे में जानकारी होती है।
एन्कोडिंग तकनीक: सिग्नल को कोड-डिवीजन मल्टीपल एक्सेस के साथ एन्कोड किया जाता है। यह एक ही चैनल में कई सिग्नल प्रसारित करने की अनुमति देता है और एक रिसीवर उन्हें अलग करने में सक्षम होता है।
एन्कोडिंग के प्रकार: अपरिष्कृत/अधिग्रहण मोड, जिसका उपयोग नागरिक अपरिष्कृत जीपीएस डेटा तक पहुंच त्प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं, और अन्य यथार्थ समय आधारित मोड है, जो एन्क्रिप्टेड होता है एवं सैन्य उपयोग के लिए होता है।
स्मार्टफोन पर, एक जीपीएस रिसीवर एक सिग्नल ग्रहण करता है और उपग्रह से इसकी सटीक दूरी की गणना करने के लिए इसका उपयोग करता है।
जीपीएस के अनुप्रयोग
विमानन: आधुनिक विमानों में कई जीपीएस रिसीवर लगे होते हैं जो पायलटों (और कभी-कभी यात्रियों) को वास्तविक समय में विमान की स्थिति और प्रत्येक उड़ान की प्रगति का मैप प्रदान करते हैं।
समुद्रीय उपयोग: जीपीएस का उपयोग नदियों, घाटों और रेतीले मैदानों में ड्रेजिंग संचालन की स्थिति और मानचित्रण के लिए भी किया जाता है, ताकि अन्य नौकाओं को सटीक रूप से पता चल सके कि उनके संचालन के लिए कितनी गहराई है।
कृषि: उच्च सटीकता वाला जीपीएस मृदा के नमूने वाले स्थानों का मानचित्रण करता है, जिससे किसानों को यह देखने में मदद मिलती है कि उनके निजी खेतों या पूरे खेतों में मृदा सबसे उपजाऊ कहाँ है।
सर्वेक्षण: सर्वेक्षक पृथ्वी की सतह और जल के नीचे की विशेषताओं का सटीक मानचित्रण और सटीक माप करने के लिए जीपीएस का उपयोग करते हैं।
खेल और फिटनेस ट्रैकिंग: जीपीएस-सक्षम स्पोर्ट्स घड़ियाँ और फिटनेस ट्रैकर दूरी, गति, ऊंचाई और हृदय गति पर वास्तविक समय डेटा प्रदान करते हैं, जिससे उपयोगकर्ता लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं, अपने वर्कआउट को ट्रैक कर सकते हैं और समय के साथ अपने प्रदर्शन का विश्लेषण कर सकते हैं।
मानव रहित हवाई वाहन: मानव रहित हवाई वाहन (UAV, जिन्हें आमतौर पर ड्रोन के रूप में जाना जाता है, नेविगेशन, स्थिरीकरण और जियोफेंसिंग के लिए जीपीएस तकनीक पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं।
सीमाएँ
समय-पालन: यह सुनिश्चित करने के लिए कि जीपीएस प्रणाली यथासंभव अच्छी तरह से कार्य कर सके, अच्छा समय-पालन आवश्यक है।
उदाहरण के लिए, उपग्रहों की घड़ियों और जमीन के बीच 38-माइक्रोसेकंड ऑफसेट को समायोजित नहीं करने से एक ही दिन के भीतर 10 किमी. की त्रुटि हो सकती है।
जीपीएस की आंतरिक सीमाएँ: जीपीएस आमतौर पर घर के अंदर अनुपयुक्त होता है क्योंकि रेडियो तरंगें भौतिक बाधाओं, जैसे दीवारों और अन्य वस्तुओं द्वारा अवरुद्ध हो जाएंगी।
सटीकता की बाधाएँ: नियमित जीपीएस 3-मीटर से अधिक सटीकता वाले स्थानों को इंगित नहीं कर सकता है।
इन सीमाओं के कारण किसी स्टोर में खुदरा ग्राहकों की आवाजाही के पैटर्न को ट्रैक करने और उनकी खरीदारी की आदतों का विश्लेषण करने के जैसे कार्यों में जीपीएस का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
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