हाल ही में नई दिल्ली में वैश्विक दलहन सम्मेलन 2024 का आयोजन किया गया।
वैश्विक दलहन सम्मेलन 2024
वैश्विक दलहन सम्मेलन 2024 का आयोजन नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NAFED) और ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन (GPC) के द्वारा किया गया।
संबंधित तथ्य
वर्ष 2027 तक आत्मनिर्भरता: भारत चना और कई अन्य दलहन फसलों में आत्मनिर्भर हो गया है। हालाँकि अरहर और उड़द की आपूर्ति में अभी भी कमी बनी हुई है।
दशकीय वृद्धि: दालों का उत्पादन वर्ष 2014 में 171 लाख टन से 60% बढ़कर वर्ष 2024 में 270 लाख टन हो गया।
न्यूनतम समर्थन मूल्य: केंद्र सरकार ने किसानों को उत्पादन की वास्तविक लागत से 50% अधिक मूल्य देने का आश्वासन दिया था जिससे निवेश पर आकर्षक रिटर्न प्राप्त हुआ।
एक दशक पहले प्रदान किए गए एमएसपी (MSP) की तुलना में मसूर में 117%, मूंग में 90%, चना दाल में 75% अधिक, तुअर और उड़द में 60% अधिक वृद्धि के साथ एमएसपी (MSP) में व्यापक सुधार हुआ है।
प्रयास: सरकार ने नई किस्मों के बीजों की आपूर्ति बढ़ा दी है। साथ ही अरहर और उड़द की पैदावार बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित किया है।
दलहनी फसलों का महत्त्व: यह मिट्टी को लाभ पहुँचाती है। साथ ही यह पौष्टिक तत्त्वों की कमी को पूरा करता है। दलहनी फसलें छोटी जोत वाले किसानों को लाभ पहुँचाती हैं।
विश्व दलहन दिवस
प्रत्येक वर्ष 10 फरवरी को विश्व दलहन दिवस मनाया जाता है ।
इसकी शुरुआत वर्ष 2016 में संयुक्त राष्ट्र के ‘अंतरराष्ट्रीय दलहन वर्ष’ ( International Year of Pulses) के साथ हुई थी।
वर्ष 2024 विश्व दलहन दिवस का विषय: मृदा और लोगों का पोषण।
यह विषय पर्यावरणीय स्थिरता और पोषण में दलहनी फसलों की भूमिका पर प्रकाश डालता है।
दालों के बारे में और भारत की वर्तमान स्थिति
दालें वार्षिक रूप से उपजाई जाने वाली फलीदार फसलें या विभिन्न आकार, आकृति और रंग के बीज हैं, जिनका उपयोग भोजन और चारे दोनों के लिए किया जाता है।
भारत की रैंकिंग: भारत विश्व में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक (वैश्विक उत्पादन का 25%), उपभोक्ता (विश्व खपत का 27%) और आयातक (14%) है।
कृषि और किसान कल्याण विभाग के अनुसार, वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान कुल दलहन उत्पादन 260.58 लाख टन होने का अनुमान है, जो पिछले पाँच वर्षों के औसत दाल उत्पादन 246.56 लाख टन से 14.02 लाख टन अधिक है।
Latest Comments