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वैश्विक क्षय रोग रिपोर्ट, 2025

Lokesh Pal November 18, 2025 02:12 11 0

संदर्भ

WHO की वैश्विक क्षय रोग रिपोर्ट, 2025 के अनुसार, भारत ने वर्ष 2015 और वर्ष 2024 के मध्य तपेदिक (क्षय रोग) की घटनाओं में 21% की गिरावट हासिल की है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

वैश्विक रुझान

  • वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती: वर्ष 2024 में, 1.07 करोड़ लोग टीबी से बीमार हुए और 1.23 करोड़ लोगों की मृत्यु हुई। टीबी विश्व भर में शीर्ष 10 जानलेवा बीमारियों में से एक बना हुआ है और मृत्यु का प्रमुख संक्रामक रोग बना हुआ है।
  • उच्च-भार सांद्रता: 30 देशों में 87% मामले हैं। भारत, इंडोनेशिया, फिलीपींस, चीन, पाकिस्तान, नाइजीरिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक कांगो और बांग्लादेश मिलकर 67% योगदान देते हैं।
  • सफलता: अफ्रीकी और यूरोपीय क्षेत्रों (क्रमशः 46% और 49%) में मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी आई। 100 से अधिक देशों में ≥20% की कमी देखी गई।
  • प्रगति के लिए खतरा: सुधारों के बावजूद, वित्त पोषण की कमी और निदान एवं उपचार तक असमान पहुँच वैश्विक टीबी नियंत्रण प्रयासों के लिए खतरा है।
  • वित्तीय अंतराल: वर्ष 2024 में, वैश्विक टीबी रोकथाम और उपचार के लिए केवल 5.9 बिलियन डॉलर उपलब्ध थे जो वर्ष 2027 के 22 बिलियन डॉलर के लक्ष्य से काफी कम है।
  • अनुसंधान एवं विकास में विलंब: TB अनुसंधान के लिए वित्त पोषण वर्ष 2023 में 1.2 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया, जो आवश्यक राशि का केवल 24% है।

भारत विशिष्ट रुझान

  • घटना दर: भारत में TB के मामलों में 21% की गिरावट दर्ज की गई है, जो 237 प्रति लाख (वर्ष 2015) से घटकर 187 प्रति लाख (वर्ष 2024) हो गई है, जो वैश्विक गिरावट दर से लगभग दोगुनी है।
    • वैश्विक तुलना: इसी अवधि के दौरान भारत में TB के मामलों में गिरावट की दर 12% की वैश्विक गिरावट से बेहतर रही।
    • सबसे बड़ा वैश्विक बोझ: इस सफलता के बावजूद, भारत में अभी भी विश्व के TB मामलों का 25% हिस्सा है, जो कुल संख्या के हिसाब से सबसे अधिक है।
  • मृत्यु दर: TB मृत्यु दर 28 प्रति लाख जनसंख्या (वर्ष 2015) से घटकर 21 प्रति लाख (वर्ष 2024) हो गई, जो TB से संबंधित मौतों में कमी लाने में उल्लेखनीय सुधार दर्शाता है।
  • उपचार का दायरा: विकेंद्रीकृत सेवाओं, सामुदायिक समूहन और नई तकनीकों के कारण कवरेज वर्ष 2015 में 53% से बढ़कर वर्ष 2024 में 92% से अधिक हो गया।
  • लापता मामले: रिपोर्ट न किए गए या पता न लगाए गए TB मामलों की संख्या 15 लाख (वर्ष 2015) से घटकर एक लाख से भी कम (वर्ष 2024) हो गई।
  • राज्यवार वितरण: उत्तर प्रदेश में TB के सबसे अधिक मामले हैं, उसके बाद महाराष्ट्र, बिहार और मध्य प्रदेश का स्थान है। दिल्ली में संक्रमण प्रसार दर सबसे अधिक दर्ज की गई है।

TB को कम करने की पहल

वैश्विक स्तर पर 

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा TB उन्मूलन रणनीति (वर्ष 2015-2035): इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक TB से होने वाली मौतों में 90% और इसके प्रकोप में 80% की कमी लाना है, साथ ही प्रभावित परिवारों पर कोई भी विनाशकारी लागत नहीं डालना है।
  • ‘ग्लोबल फंड’ और ‘स्टॉप TB पार्टनरशिप’: ‘ग्लोबल फंड’ और ‘स्टॉप TB पार्टनरशिप’ वित्तीय सहायता, निजी क्षेत्र के सहयोग और सीमा पार टीबी निगरानी, ​​विशेष रूप से निम्न-आय वाले क्षेत्रों में, का समर्थन करते हैं।
  • WHO के नए दिशानिर्देश (वर्ष 2024-25): WHO ने उपचार के परिणामों को बेहतर बनाने के लिए त्वरित निदान, MDR-TB की कम अवधि की दवा व्यवस्था और TB-मधुमेह सह-रुग्णता के एकीकृत प्रबंधन के लिए अद्यतन प्रोटोकॉल प्रस्तुत किए हैं।

भारत के स्तर पर 

  • राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP): भारत NTEP को लागू कर रहा है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2025 तक TB का उन्मूलन करना है। यह वर्ष 2025 की अपनी पूर्व राष्ट्रीय समय-सीमा को संशोधित करने के बाद वैश्विक TB उन्मूलन रणनीति के अनुरूप है।
  • सबसे बड़ा TB डायग्नोस्टिक नेटवर्क: भारत ने 9,391 त्वरित आणविक परीक्षण सुविधाएँ और 107 कल्चर एवं औषधि संवेदनशीलता परीक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित की हैं।
  • AI-सक्षम स्क्रीनिंग: वर्तमान में 500 से अधिक AI-सक्षम हैंड-हेल्ड चेस्ट X-ray इकाइयाँ स्थापित की जा रही हैं, और 1,500 और इकाइयाँ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को प्रदान की जा रही हैं।
  • विकेंद्रीकृत TB देखभाल: 1.78 लाख आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के माध्यम से, TB सेवाओं को समुदायों के और करीब पहुँचाया गया है।
  • पोषण सहायता विस्तार: निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत, संपूर्ण उपचार अवधि के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) सहायता को ₹500 से बढ़ाकर ₹1,000 प्रति माह कर दिया गया है।
  • TB मुक्त भारत अभियान
    • लॉन्च और पहुँच: दिसंबर 2024 में प्रारम्भ किए गए इस मिशन ने 19 करोड़ से अधिक संवेदनशील व्यक्तियों की जाँच की है।
    • मामलों का पता लगाना: इस पहल के तहत 24.5 लाख TB रोगियों की पहचान की गई है, जिनमें 8.61 लाख बिना लक्षण वाले मामले शामिल हैं।
  • आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका: आशा कार्यकर्ताओं को प्रारंभिक चेतावनी के संकेतों की पहचान करने और निदान एवं देखभाल के लिए शीघ्र रेफरल सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

TB न्यूनीकरण में चुनौतियाँ

  • वित्त पोषण में कमी: वर्ष 2024 में, वैश्विक TB वित्त पोषण 5.9 बिलियन डॉलर था, जो वर्ष 2027 के लिए निर्धारित 22 बिलियन डॉलर के वार्षिक लक्ष्य का केवल एक-चौथाई था।
    • अनुसंधान के लिए अपर्याप्त वित्त पोषण: वर्ष 2023 में TB अनुसंधान के लिए वित्त पोषण 1.2 बिलियन डॉलर था, जो लक्ष्य का केवल 24% था।
  • भारत ने वर्ष 2030 के वैश्विक लक्ष्य से पहले, वर्ष 2025 तक TB उन्मूलन का लक्ष्य रखा था, लेकिन वह इस लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया।
  • उच्चतम MDR/RR-TB संख्या: भारत में वैश्विक स्तर पर ड्रग-रेजिस्टेंस TB के सबसे अधिक मामले सामने आए, जो वर्ष 2024 में वैश्विक MDR-TB और RR-TB मामलों का 32% था।
  • बुनियादी ढाँचे में कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा का बुनियादी ढाँचा कमजोर है, जिससे निदान और देखभाल की निरंतरता प्रभावित होती है।
  • सामाजिक-आर्थिक बाधाएँ: गरीबी एवं कुपोषण समय पर जाँच और उपचार के पालन में बाधा उत्पन्न करते हैं।
  • आपूर्ति शृंखला की समस्याएँ: रिपोर्टों में कई राज्यों में TB-रोधी दवाओं के स्टॉक की कमी की बात कही गई है, जिससे मरीजो को खुराक लेने में समस्या का करना पड़ रहा है, हालाँकि केंद्रीय अधिकारी देश भर में किसी भी तरह की कमी से इनकार करते हैं।
  • मानव संसाधन की कमी: TB निगरानी और देखभाल में पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित कर्मियों की कमी के कारण अंतिम स्तर तक दवा पहुँचाने में विलम्ब हो रहा है।

भारत वर्ष 2025 के उन्मूलन लक्ष्य से क्यों चूक गया?

  • धीमी प्रगति बनाम TB उन्मूलन के लक्ष्य: भारत ने प्रगति की है, लेकिन वर्ष 2025 तक TB उन्मूलन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक पैमाने पर नहीं।
    • यद्यपि TB उन्मूलन रणनीति में वर्ष 2025 तक TB के मामलों में 50% की कमी और मृत्यु दर में 75% की कमी की माँग की गई थी, किंतु भारत वर्ष 2015 और वर्ष 2024 के बीच TB के मामलों में केवल 21% की कमी और मृत्यु दर में 28% की कमी ही हासिल कर पाया।
  • विशाल रोग भार: भारत की विशाल जनसंख्या और निरंतर संवेदनशीलता का अर्थ है कि 92% उपचार कवरेज के बावजूद, मामलों की पूर्ण संख्या बहुत अधिक बनी हुई है। वर्ष 2024 में 26.18 लाख TB मामलों का निदान किया जाएगा, जो अब तक का सबसे अधिक है, जिससे भारत TB में वैश्विक योगदानकर्ता के रूप में शीर्ष पर है।
  • वैश्विक निदान अंतराल में योगदान: TB निदान में वैश्विक अंतराल में भारत का योगदान 8.8% है, जो इंडोनेशिया के बाद दूसरे स्थान पर है, यह दर्शाता है कि उच्च-भार वाले क्षेत्रों में मामलों का अंतिम-स्तरीय पता लगाना अभी भी व्यापक नहीं है।
  • उच्च MDR/RR-TB भार: भारत में विश्व के एक-तिहाई ड्रग रेजिस्टेंस टीबी के मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें वर्ष 2024 में 1.27 लाख MDR-TB और रिफैम्पिसिन-प्रतिरोधी (MDR/RR-TB) मामले अधिसूचित हैं, जो निरंतर प्रतिरोध संचरण और उप-इष्टतम उपचार परिणामों को दर्शाता है।
  • कोविड-19 व्यवधान प्रभाव: कोविड-19 महामारी ने TB कार्यक्रम के संसाधनों को आपातकालीन देखभाल की ओर मोड़ दिया, जिससे वर्ष 2020 और वर्ष 2022 के बीच निदान, दवा पालन और अनुवर्ती कार्रवाई में व्यवधान उत्पन्न हुआ, जिससे भारत उन्मूलन के पथ से पीछे हट गया।
  • आपूर्ति शृंखला और दवा की कमी: वर्ष 2024 के दौरान कई राज्यों में प्रमुख TB दवाओं की लगातार कमी की सूचना मिली, और उपचार में रुकावटों ने रोग संचरण को बढ़ा दिया है और दवा प्रतिरोध पैटर्न को मजबूत किया है।

सिफारिशों

  • प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा और निगरानी को मजबूत करना: भारत को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के नेटवर्क में निवेश बढ़ाना होगा, प्रयोगशाला क्षमता को उन्नत करना होगा, और उच्च बोझ वाले क्षेत्रों में रियल टाइम निगरानी और संपर्क अनुरेखण सुनिश्चित करना होगा।
  • आधुनिक उपचार से MDR-TB का मुकाबला करना: प्रतिरोध के प्रसार को रोकने के लिए, सार्वभौमिक दवा-संवेदनशीलता परीक्षण सुनिश्चित करते हुए, नई और छोटी MDR-TB दवा व्यवस्थाओं का विस्तार करना महत्त्वपूर्ण है।
  • सामाजिक निर्धारकों का समाधान: पोषण, स्वच्छता, आवास और गरीबी उन्मूलन पर केंद्रित समग्र हस्तक्षेपों को जैव चिकित्सा प्रयासों का पूरक होना चाहिए।
  • सतत् वित्तपोषण सुनिश्चित करना: सरकार और विकास भागीदारों को वित्तपोषण घाटे को कम करना चाहिए और टीकों सहित अनुसंधान-संचालित नवाचारों के लिए वित्तपोषण में तेजी लानी चाहिए।

क्षय रोग (TB) के बारे में

  • अवलोकन
    • TB एक संक्रामक रोग है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण होता है।
    • यह मुख्य रूप से फेफड़ों (पल्मोनरी TB) को प्रभावित करता है, लेकिन किसी भी अंग (एक्स्ट्रापल्मोनरी TB) को प्रभावित कर सकता है।
  • संचरण: यह संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर निकलने वाले वायुजनित कणों के माध्यम से फेफड़ों में पहुँचकर फैलता है।
  • प्रकार
    • पल्मोनरी TB: यह फेफड़ों को प्रभावित करता है जो सबसे संक्रामक है।
    • एक्स्ट्रापल्मोनरी TB: यह लिम्फ नोड्स, हड्डियों, पेट आदि को प्रभावित करता है।
  • लक्षण: लगातार खांसी, बुखार, रात में पसीना आना, वजन कम होना और थकान, गंभीर मामलों में थूक के साथ  खून आना।

वैश्विक क्षय रोग रिपोर्ट के बारे में

  • अवलोकन: यह वैश्विक तपेदिक के बोझ, प्रवृत्तियों और प्रतिक्रियाओं का एक प्रमुख मूल्यांकन है।
  • प्रकाशक: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा।
  • आवृत्ति: वार्षिक रिपोर्ट प्रत्येक वर्ष प्रकाशित होती है।
  • उद्देश्य
    • वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय TB के अद्यतन आँकड़े प्रस्तुत करना।
    • TB उन्मूलन लक्ष्यों की दिशा में प्रगति की निगरानी करना और निगरानी एवं स्वास्थ्य प्रणालियों में कमियों की पहचान करना।

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