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ग्लोबल विंड रिपोर्ट 2024

Lokesh Pal April 18, 2024 07:30 262 0

संदर्भ

नवीनतम ग्लोबल विंड रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया ने वर्ष 2023 में 117 गीगावाट नई पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित की, जो एक वर्ष पहले की तुलना में 50% अधिक है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

  • वर्ष-दर-वर्ष विस्तार: सभी महाद्वीपों के 54 देशों को शामिल किया गया।
  • वैश्विक स्थापित तटवर्ती पवन क्षमता: वर्ष-दर-वर्ष 54% की वृद्धि के साथ, पहली बार पवन ऊर्जा क्षमता 100 गीगावाट के आँकड़े को पार कर गई।
  • वैश्विक अपतटीय पवन ऊर्जा वाले प्रतिष्ठान: इन प्रतिष्ठानों की क्षमता वर्ष 2023 में 10.8GW तक पहुँच गई।
  • संचयी वैश्विक पवन ऊर्जा क्षमता: 1 टेरावाट (TW) मील की सीमा पार कर, 13% वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि के साथ, 1,021GW तक पहुँच गई।

  • वार्षिक वृद्धि दर: वर्ष 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन हासिल करने के लिए वर्ष 2030 तक सालाना 320 गीगावाट नई क्षमता स्थापित करने की आवश्यकता है।

भारत की पवन ऊर्जा क्षमता

  • अप्रैल 2023 तक 42.8 गीगावाट (तटीय पवन) के साथ स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता के मामले में भारत विश्व स्तर पर चीन, अमेरिका एवं जर्मनी के बाद चौथे स्थान पर है।
  • नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ विंड एनर्जी (National Institute of Wind Energy) के आकलन से पता चलता है कि 120 मीटर पर 695.5 गीगावाट एवं जमीनी स्तर से 150 मीटर ऊपर 1,164 गीगावाट की अनुमानित पवन ऊर्जा क्षमता है।

  • पवन ऊर्जा पर क्षेत्रीय प्रगति
    • चीन: रिकॉर्ड 75GW वाले नए प्रतिष्ठान स्थापित किए गए।
    • शीर्ष बाजार: अमेरिका, ब्राजील, जर्मनी, भारत।
    • एशिया-प्रशांत: चीन के नेतृत्व में वर्ष-दर-वर्ष 106% की वृद्धि।
    • लैटिन अमेरिका: ब्राजील के नेतृत्व में 21% की वृद्धि।
    • अफ्रीका और मध्य पूर्व: 182% की वृद्धि।

पवन क्षेत्र में चुनौतियाँ

  • आपूर्ति शृंखला बाधाएँ: वैश्विक आपूर्ति शृंखला व्यवधानों ने पवन टरबाइन घटकों की उपलब्धता एवं लागत को प्रभावित किया है, विशेष रूप से चीन जैसे प्रमुख उत्पादकों से।
  • अनुमति और नियामक बाधाएँ: धीमी एवं जटिल अनुमति प्रक्रियाएँ परियोजना की तैनाती में देरी करती हैं, जिससे पवन क्षेत्र में विकास में अत्यधिक बाधा आती है।
  • तकनीकी सीमाएँ: मौजूदा पवन टरबाइन प्रौद्योगिकियों को दक्षता में सीमाओं का सामना करना पड़ता है, विशेष रूप से मंद वायु वाले क्षेत्रों में।
  •  बाजार एवं वित्तीय चुनौतियाँ: पवन क्षेत्र अक्सर नीतिगत समर्थन, बाजार में अस्थिरता तथा प्रतिस्पर्द्धी मूल्य निर्धारण दबावों के कारण वित्तीय अस्थिरता का अनुभव करता है।
  • पर्यावरण एवं सामाजिक प्रभाव संबंधी चिंताएँ: पवन परियोजनाओं को वन्यजीवों पर उनके पर्यावरणीय प्रभाव एवं शोर संबंधी व्यवधान के बारे में स्थानीय समुदाय की चिंताओं के कारण विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
  • इंटरकनेक्शन एवं ग्रिड एकीकरण मुद्दे: मौजूदा ग्रिड में बड़े पैमाने पर पवन ऊर्जा को एकीकृत करना पवन ऊर्जा की परिवर्तनशीलता तथा स्थान-विशिष्ट प्रकृति के कारण तकनीकी चुनौतियाँ उत्पन्न करता है।

आगे की राह

  • एकीकृत दृष्टिकोण: रिपोर्ट पवन ऊर्जा में पर्याप्त निवेश लाने के लिए सार्वजनिक/निजी भागीदारी को शामिल करते हुए एक व्यापक रणनीति की सिफारिश करती है।
  • नीति और बाजार विकास: यह स्थिर एवं आकर्षक नीति वातावरण की आवश्यकता पर जोर देती है जो उचित निवेश रिटर्न सुनिश्चित करता है तथा पवन ऊर्जा के सामाजिक आर्थिक लाभों को पहचानता है।
  • वैश्विक आपूर्ति शृंखला सुरक्षा: रिपोर्ट प्रबंधित प्रतिस्पर्द्धा के साथ एक मजबूत आपूर्ति शृंखला बनाने का सुझाव देती है एवं संरक्षणवादी व्यापार नीतियों के खिलाफ सलाह देती है, जो उपभोक्ताओं के लिए लागत बढ़ा सकती हैं।
  • तकनीकी और उत्पादन नवाचार: रिपोर्ट उत्पादन को सुव्यवस्थित करने एवं पर्यावरण, सामाजिक तथा शासन (ESG) अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी विकास एवं मानकीकरण में उद्योग सहयोग का आह्वान करती है।
  • AI एवं मशीन लर्निंग: यह कार्यबल संक्रमण एवं साइबर सुरक्षा जोखिमों का प्रबंधन करते हुए आपूर्ति शृंखला तथा साइट अनुकूलन के लिए एआई का उपयोग करने की सिफारिश करता है।
  • ग्रिड अवसंरचना विकास: रिपोर्ट में ग्रिड लचीलेपन एवं सीमापार एकीकरण में निवेश पर जोर देने के साथ ग्रिड विकास को एक क्रॉस-कटिंग नीति प्राथमिकता बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए।
  • न्यायसंगत उद्योग परिवर्तन: रिपोर्ट पवन उद्योग के भीतर सामाजिक-आर्थिक सामंजस्य एवं समावेशिता प्राप्त करने पर जोर देती है।

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