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गोल्डन जैकाल

Lokesh Pal July 30, 2025 03:58 29 0

संदर्भ 

एक बड़े पैमाने पर ‘सिटीजन साइंस’ अध्ययन से पता चलता है कि केरल में गोल्डन जैकाल (Golden Jackal) मुख्य रूप से वनों में नहीं, बल्कि खुले एवं मानव-प्रधान परिदृश्यों में रहते हैं।

संबंधित तथ्य

  • अध्ययन का शीर्षक:द अनसेलिब्रेटेड वांडरर्स: अनरेवालिंग द मिस्ट्रीज ऑफ केरलाज गोल्डन जैकाल्स’ (The Uncelebrated Wanderers: Unravelling the Mysteries of Kerala’s Golden Jackals)।
  • अरण्यकम नेचर फाउंडेशन (Aranyakam Nature Foundation) द्वारा संचालित किया गया।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष

  • अनुमानित आबादी: केरल में 20,000-30,000 गोल्डन जैकाल पाए जाते हैं।
  • पसंदीदा आवास: नारियल के बाग, धान के खेत, रबर के बागान, ग्रामीण बस्तियाँ, शहरी क्षेत्र।
  • आवास संबंधी प्राथमिकताएँ
    • निम्न वन आवरण: केवल 2% संरक्षित वन क्षेत्रों में देखे जाते हैं।
    • ऊँचाई सीमा: जैकाल मुख्यतः 200 मीटर से नीचे खुले निचले इलाकों में पाए जाते हैं।

  • केरल में भौगोलिक वितरण
    • अनुपयुक्त आवासों या प्रतिस्पर्द्धा के कारण पश्चिमी घाट, अलपुझा तट एवं अट्टापडी में विरल उपस्थिति पाई जाती है।
    • मुन्नार एवं एराविकुलम में अत्यंत कम उपस्थिति, जो ऊँचाई पर अनुकूलनशीलता का संकेत देती है।
    • शहरी जिलों में बार-बार देखे गए: कन्नूर, कोझीकोड, त्रिशूर, एर्नाकुलम, तिरुवनंतपुरम्।
  • सार्वजनिक धारणा
    • इस सर्वेक्षण के 74.7% लोगों ने गोल्डन जैकाल को किसी भी प्रकार से खतरनाक नहीं माना है।
    • कीट नियंत्रण (जैसे- कृंतक, जंगली सूअर) के लिए गोल्डन जैकाल का प्रयोग किया गया है।

चुनौतियाँ एवं चिंताएँ

  • मानव-वन्यजीव संघर्ष
    • मुर्गियों के शिकार एवं कई रेबीज के मामले सामने आए हैं।
    • जैविक अपशिष्ट पर बढ़ती निर्भरता, विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में, जन स्वास्थ्य जोखिम एवं पारिस्थितिकी चिंताएँ बढ़ा रही है।
  • संकरण का खतरा: आवारा कुत्तों के साथ अंतःप्रजनन के कारण आनुवंशिक क्षीणन (Genetic Dilution) का जोखिम उत्पन्न हो रहा है।

सुझाव

  • संरक्षण नीति में बदलाव: गैर-वनीय आवासों, विशेष रूप से खुले एवं अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों को पहचानना तथा उनकी रक्षा करना।
  • अपशिष्ट प्रबंधन: मानवजनित अपशिष्ट पर गोल्डन जैकाल की निर्भरता को सीमित करने के लिए निपटान प्रणालियों में सुधार करना।
  • जन जागरूकता: संघर्षों को कम करने एवं सहनशीलता बढ़ाने के लिए सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देना।
  • वैज्ञानिक निगरानी: पारिस्थितिकी एवं विकासवादी प्रवृत्तियों पर नजर रखने के लिए संख्या तथा आनुवंशिक अध्ययन जारी रखना।

गोल्डन जैकाल के बारे में

  • वैज्ञानिक नाम: कैनिस ऑरियस नारिया (Canis Aureus Naria)
  • परिवार: कैनिडाए (Canidae) (श्वान कुल)
  • आकार एवं व्यवहार: मध्यम आकार के भेड़िये जैसे होते हैं और एक मादा के साथ पूर्णतः जोड़े में रहते हैं।
  • आवास: घाटियों, नदी तटों, झीलों, नहरों एवं समुद्र तटों पर रहना पसंद करते हैं।
  • वितरण: उत्तरी एवं पूर्वी अफ्रीका, दक्षिण-पूर्वी यूरोप, दक्षिण एशिया से लेकर म्याँमार तक पाए जाते हैं।
  • गतिविधि: मानव-प्रधान क्षेत्रों में रात्रिचर; अशांत क्षेत्रों में आंशिक रूप से दिनचर।
  • आहार: सर्वाहारी एवं अवसरवादी भोजन खोजने वाले (छोटे स्तनधारी, पक्षी, फल तथा सड़ा हुआ मांस खाते हैं।)
  • संरक्षण स्थिति
    • IUCN की रेड लिस्ट: कम चिंताग्रस्त (Least Concern)
    • CITES: परिशिष्ट III
    • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (भारत): अनुसूची I (उच्चतम संरक्षण)।

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