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राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक नीति

Lokesh Pal November 09, 2024 03:03 155 0

संदर्भ

भारत सरकार राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी नीति लाने की योजना बना रही है, जिसमें आतंकवाद से निपटने और इसके पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों पर जोर दिया जाएगा।

आतंकवाद विरोधी सम्मेलन 2024 (Anti-Terror Conference 2024)

  • आतंकवाद विरोधी सम्मेलन 2024 का आयोजन राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) द्वारा नई दिल्ली में किया गया था।
  • यह सम्मेलन परिचालन बलों, तकनीकी विशेषज्ञों और एजेंसियों के लिए आतंकवाद विरोधी चुनौतियों तथा राष्ट्रीय सुरक्षा खतरों पर चर्चा करने के लिए एक बैठक मंच के रूप में कार्य करता है।
  • मुख्य फोकस क्षेत्रों में हितधारकों के बीच समन्वय को बढ़ावा देना और ‘सरकार के समग्र दृष्टिकोण’ के तहत भविष्य की नीति विकास के लिए इनपुट प्रदान करना शामिल है।

संबंधित तथ्य 

  • भारत में आतंकवाद से संबंधित घटनाएँ: राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) द्वारा आयोजित आतंकवाद विरोधी सम्मेलन-2024 में केंद्रीय गृह मंत्री ने पिछले 10 वर्षों में भारत में आतंकवाद से संबंधित घटनाओं मे 70% की कमी पर प्रकाश डाला है।
  • राज्य-केंद्रीय सहयोग से हिंसा में उल्लेखनीय कमी: राज्य तथा केंद्र सरकारों के संयुक्त प्रयासों से पिछले 10 वर्षों में जम्मू-कश्मीर, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों और पूर्वोत्तर राज्यों में हिंसा पर काफी हद तक नियंत्रण पाया गया है।
  • आतंकवाद के मामलों में NIA द्वारा UAPA का प्रभावी उपयोग: केंद्रीय गृह मंत्री ने आतंकवाद के मामलों में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) द्वारा गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम [UAPA] के सफल प्रयोग पर प्रकाश डाला।
    • पंजीकृत 632 मामलों में से 498 में आरोप पत्र दाखिल किए गए, जिससे लगभग 95% दोषसिद्धि दर प्राप्त हुई।
  • राज्य पुलिस से UAPA लागू करने का आह्वान: उन्होंने राज्य पुलिस बलों के अधिकारियों से आतंकवाद विरोधी प्रयासों को मजबूत करने के लिए जहाँ भी लागू हो UAPA का उपयोग करने का आग्रह किया।

अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (Comprehensive Convention on International Terrorism- CCIT)

  • वर्ष 1996 में, भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय (CCIT) को अपनाने का प्रस्ताव रखा।
  • यह एक प्रस्तावित संधि है, जिसका उद्देश्य सभी प्रकार के अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को अपराध घोषित करना तथा आतंकवादियों, उनके वित्तपोषकों और समर्थकों को धन, हथियार और सुरक्षित आश्रय तक पहुँच से वंचित करना है।
  • इसे अभी तक UNGA द्वारा अपनाया जाना बाकी है।

ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स (GTI) 2024

  • ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स (GTI) ‘इंस्टिट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस’ (IEP) द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित एक रिपोर्ट है।
  • भारत की रैंक: GTI वर्ष 2024 रिपोर्ट मे भारत 14वें स्थान पर है, जो पिछले वर्ष से एक स्थान नीचे है।
    • भारत आतंकवाद से संबंधित मौतों में सबसे अधिक कमी वाले शीर्ष दस देशों मे शामिल है।

आतंकवाद के बारे में 

  • आतंकवाद की परिभाषा: आतंकवाद की कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत कानूनी परिभाषा नहीं है।
  • अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (CCIT) की परिभाषा: आतंकवाद में निम्नलिखित कार्य शामिल हैं:-
    • मृत्यु या गंभीर चोट का कारण बनना।
    • सार्वजनिक अवसंरचना सहित संपत्ति को महत्त्वपूर्ण क्षति पहुँचाना।
    • आबादी को डराने या सरकारों अथवा अंतरराष्ट्रीय संगठनों को मजबूर करने का इरादा रखना।
  • UAPA की परिभाषा: गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) (UAPA) अधिनियम एक भारतीय कानून है, जिसका उद्देश्य भारत मे गैर-कानूनी गतिविधियों के संगठनों की रोकथाम करना है।
    • गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत, आतंकवादी कृत्य वह है जो:
    • भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा या आर्थिक स्थिरता को खतरा है। घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों या विशिष्ट वर्गों में भय पैदा करता है।
  • भारत में आतंकवाद के उदय मे योगदान देने वाले कारक
    • सांप्रदायिक राजनीति: राजनेता अक्सर चुनावी लाभ के लिए धार्मिक तथा जातीय विभाजन का लाभ उठाते है, जिससे समुदायों के बीच अविश्वास तथा शत्रुता का वातावरण बनता है, जिससे हिंसा एवं कट्टरता फैल सकती है।
    • चरमपंथी आंदोलन: विचारधारा से प्रेरित चरमपंथी समूह, जो अक्सर धार्मिक या राजनीतिक एजेंडे से प्रेरित होते हैं, अपने लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए हिंसा का इस्तेमाल करते है।
    • मानवाधिकारों का हनन: राज्य द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग और भेदभाव जैसे मानवाधिकारों का उल्लंघन आक्रोश को बढ़ाता है और ऐसी स्थितियाँ उत्पन्न करता है, जो आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं।
    • युवा बेरोजगारी में वृद्धि: आर्थिक अस्थिरता से चिह्नित उच्च युवा बेरोजगारी, आतंकवादी भर्ती के लिए संवेदनशीलता को बढ़ाती है, जो उद्देश्य और वित्तीय लाभ की भावना प्रदान करती है।

आतंकवाद के प्रकार

  • घरेलू आतंकवाद: किसी देश के भीतर व्यक्तियों या समूहों द्वारा अपनी ही सरकार या नागरिकों को निशाना बनाकर अपराध किया जाता है।
  • अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद: इसमें विभिन्न देशों के लोग शामिल होते हैं, जो अक्सर अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सीमाओं को पार करते हैं।
  • राज्य प्रायोजित आतंकवाद: जब सरकारें राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आतंकवाद का समर्थन करती है।
  • वामपंथी आतंकवाद: यह उन समूहों द्वारा की जाने वाली हिंसक गतिविधियों को संदर्भित करता है, जो आमतौर पर वामपंथी विचारधाराओं की वकालत करते हैं, जो अक्सर सामाजिक न्याय, पूँजीवाद-विरोधी, साम्राज्यवाद-विरोधी और धन के पुनर्वितरण जैसे मुद्दों पर केंद्रित होते है।
  • धार्मिक आतंकवाद: धार्मिक मान्यताओं से प्रेरित, जिसका लक्ष्य विशिष्ट विचारधाराओं को थोपना या असहमत लोगों को दंडित करना है।
  • नृजातीय-राष्ट्रवादी आतंकवाद: स्वतंत्रता या स्वायत्तता चाहने वाले नृजातीय या राष्ट्रवादी समूहों द्वारा संचालित। 
    • उदाहरण: श्रीलंका में तमिल टाइगर्स (LTTE)।
  • साइबर आतंकवाद: इसमें बुनियादी ढाँचे पर हमले शुरू करने या डर फैलाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग शामिल है।
  • ‘लोन वुल्फ’ आतंकवाद (Lone Wolf Terrorism): ‘लोन वुल्फ’ आतंकवाद से तात्पर्य ऐसे आतंकवादी कृत्यों से है, जो आतंकवादी संगठनों से प्रत्यक्ष समर्थन या सहयोग के बिना, स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाले व्यक्तियों द्वारा किए जाते हैं।
    • ये व्यक्ति आमतौर पर आत्म-कट्टरपंथी होते है तथा व्यक्तिगत विचारधाराओं, शिकायतों या विश्वासों से प्रेरित होते हैं।

    • गरीबी और निरक्षरता: गरीबी तथा निरक्षरता के कारण असुरक्षित स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं, जिससे व्यक्ति अपनी शिकायतों के समाधान के लिए चरमपंथी प्रचार तथा हिंसा के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।
  • अच्छे और बुरे आतंकवादियों पर भारत का रुख: वर्ष 2022 में नई दिल्ली में 90वीं इंटरपोल महासभा के समापन सत्र में भारत ने ‘अच्छा आतंकवाद, बुरा आतंकवाद’ एवं ‘आतंकवादी हमला यानी बड़ा या छोटा’ जैसी बातों को खारिज कर दिया।
  • ‘आतंकवाद’ बनाम ‘उग्रवाद’
    • आतंकवाद: इसमे सरकार, समाज या समूह को डराने या मजबूर करने के लिए हिंसा या धमकियों का प्रयोग शामिल होता है, जिसमें अक्सर भय उत्पन्न करने और राजनीतिक, धार्मिक या वैचारिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए नागरिकों को निशाना बनाया जाता है। उदाहरण: 9/11 हमले, मैड्रिड में बम विस्फोट, या विभिन्न देशों में अकेले किए गए हमले।
    • उग्रवाद: किसी स्थापित प्राधिकारी या सरकार के विरुद्ध विद्रोह या बगावत, जिसमें आमतौर पर सशस्त्र संघर्ष शामिल होता है और जिसका उद्देश्य सत्तारूढ़ शासन को अपदस्थ कर देना या चुनौती देना होता है। उदाहरण: भारत के मणिपुर में उग्रवाद का विस्तार।
  • आतंकवादी वित्तपोषण: इसका तात्पर्य आतंकवादी संगठनों या आतंकवादी गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों को वित्तीय संसाधन या सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया से है। उदाहरण: अवैध दान, व्यापार आधारित मनी लॉण्ड्रिंग, ड्रग तस्करी, तस्करी आदि।
    • लेयरिंग तथा इंटीग्रेशन (Layering and Integration): लेयरिंग में फंड को कई खातों के माध्यम से स्थानांतरित करना शामिल है ताकि उनका स्रोत छिपाया जा सके, जबकि इंटीग्रेशन में अवैध फंड को वैध गतिविधियों, जैसे निवेश, के साथ मिलाया जाता है ताकि उनके स्रोत को वैध बनाया जा सके और छुपाया जा सके।

प्रमुख आतंकवादी घटनाएँ

  • संयुक्त राज्य अमेरिका पर 9/11 हमले (वर्ष 2001): अलकायदा ने 11 सितंबर 2001 को विश्व व्यापार केंद्र को निशाना बनाकर चार विमानों का अपहरण कर लिया था, जिसमें लगभग 3,000 लोग मारे गए थे।
    • इस हमले ने अमेरिका को आतंकवाद के विरुद्ध वैश्विक सैन्य अभियान, ‘आतंकवाद पर युद्ध’ शुरू करने के लिए प्रेरित किया।
  • 26/11 मुंबई हमला, भारत (वर्ष 2008): लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के आतंकवादियों ने मुंबई में कई स्थानों पर समन्वित हमले किए, जिनमें 166 लोग मारे गए और 300 से अधिक घायल हुए थे।
  • फ्राँस में नाइस ट्रक हमला (वर्ष 2016): बास्तील दिवस समारोह के दौरान, एक हमलावर द्वारा चलाया जा रहा ट्रक भीड़ में घुस गया, जिसमें 86 लोग मारे गए और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे।
  • सैमुअल पैटी का सिर कलम करना (वर्ष 2020): अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कक्षा में चर्चा के दौरान पैगंबर मुहम्मद के कैरिकेचर दिखाने के लिए एक फ्राँसीसी स्कूल शिक्षक की हत्या कर दी गई।
    • फ्राँस में धर्मनिरपेक्षता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कट्टरपंथ विरोधी रणनीतियों पर राष्ट्रीय बहस छिड़ गई।

प्रमुख आतंकवादी संगठन

  • अल-कायदा (Al-Qaeda): 9/11 हमलों और कई वैश्विक हमलों के लिए जिम्मेदार। यह सुन्नी इस्लाम की चरमपंथी व्याख्या से प्रेरित है।
  • लश्कर-ए-तैयबा (LeT): पाकिस्तान में स्थित, 26/11 हमलों के लिए जिम्मेदार, जिसका लक्ष्य कश्मीर में एक इस्लामिक राज्य स्थापित करना है।
  • जैश-ए-मोहम्मद (JeM): यह पाकिस्तान में स्थित एक चरमपंथी समूह है।
  • हिज्ब-उत-तहरीर (HuT): HuT का लक्ष्य जिहाद और आतंकवादी गतिविधियों के माध्यम से लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को उखाड़ फेंककर, भारत सहित विश्व स्तर पर इस्लामिक राज्य और खिलाफत स्थापित करना है।

राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधी नीति की मुख्य विशेषताएँ

  • आतंकवाद से निपटने के लिए एकीकृत रणनीति: नई नीति राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA), ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग’ (RAW) और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO) जैसी एजेंसियों के बीच समन्वय को सुव्यवस्थित करने पर केंद्रित है।
    • इस ‘संपूर्ण सरकार’ दृष्टिकोण का उद्देश्य खुफिया जानकारी साझा करने में सुधार करना, त्वरित प्रतिक्रिया को सक्षम बनाना, समन्वित कार्रवाई सुनिश्चित करना तथा संचार अंतराल एवं कार्यान्वयन में देरी को न्यूनतम करना है।
  • उभरते खतरों पर ध्यान केंद्रित: साइबर आतंकवाद और गलत सूचना के बढ़ने के साथ, नीति में डिजिटल स्पेस से उभरने वाले खतरों का मुकाबला करने के प्रावधान शामिल है।
  • आदर्श आतंकवाद निरोधी दस्ता (ATS) और विशेष कार्य बल (STF) का प्रस्ताव: सरकार ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लिए आदर्श आतंकवाद निरोधी दस्ता (ATS) और विशेष कार्य बल (STF) का प्रस्ताव किया है।
    • आतंकवाद से निपटने के लिए मानकीकृत मंच: यदि इन इकाइयों को अपनाया जाता है, तो वे आतंकवाद से निपटने के लिए एक मानकीकृत संरचना और मंच के रूप में कार्य करेंगी।
    • राज्य अनुकूलन के लिए लचीले SOP:  ATS और STF मॉडल के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) राज्यों के साथ साझा की जाती है, जिससे उन्हें अपनी आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलन करने की अनुमति मिलती है।
    • राज्य के अधिकार बरकरार रखना:  ATS और STF  मॉडल को अपनाने से राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा और नए ढाँचे के भीतर उनकी स्वायत्तता को संरक्षित किया जा सकेगा।
  • राज्य-केंद्रीय सहयोग में वृद्धि: नई नीति का उद्देश्य आतंकवाद से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए राज्य तथा केंद्रीय एजेंसियों के बीच सहयोग को मजबूत करना है।

मल्टी एजेंसी सेंटर (MAC) 

  • मल्टी एजेंसी सेंटर का गठन दिसंबर 2001 में कारगिल घुसपैठ और उसके बाद कारगिल समीक्षा समिति की रिपोर्ट में सुझाए गए भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र में आमूलचूल परिवर्तन के बाद किया गया था।
  • यह खुफिया ब्यूरो के तहत एक आतंकवाद विरोधी ग्रिड है, जिसमें R&AW, सशस्त्र बल और राज्य पुलिस जैसे संगठन शामिल हैं।
  • यह 24 घंटे कार्य करता है, जिससे केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के बीच वास्तविक समय की खुफिया जानकारी साझा करने और समन्वय की सुविधा मिलती है।

आतंकवाद से निपटने में भारत के समक्ष चुनौतियाँ

  • संगठित अपराध आतंकवाद के वित्तपोषण का एक प्रमुख तत्त्व है: संगठित अपराध आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • ये गिरोह हथियार और परिवहन जैसी रसद सहायता प्रदान करते हैं।
      • धन शोधन मे सहायता करना।
      • भर्ती में सहायता करना।
      • आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह उपलब्ध कराना।
    • अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) तथा विश्व बैंक के अनुसार, अपराधी प्रत्येक वर्ष अनुमानतः दो से चार ट्रिलियन डॉलर तक की धनराशि लूट लेते हैं।
  • आतंकवादी संचार के लिए प्रौद्योगिकी का बढ़ता उपयोग 
    • एन्क्रिप्टेड ऐप्स, VPN आदि: भारत में आतंकवादी समूह पहचान से बचने के लिए एन्क्रिप्टेड ऐप्स, VPN तथा सुरक्षित डिजिटल टूल का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे खुफिया जानकारी जुटाने और आतंकवाद विरोधी प्रयासों में जटिलता आ रही है।
    • नार्को ड्रोन: हथियारों, ड्रग्स तथा अन्य अवैध सामानों की तस्करी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल सीमा पार से बढ़ रहा है।
  • आतंकी भर्ती में सोशल मीडिया का बढ़ता उपयोग: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्यक्तियों, विशेषकर युवाओं को आतंकवादी विचारधाराओं में शामिल करने, कट्टरपंथी बनाने, वैचारिक बदलाव करने और भर्ती करने के लिए एक प्रमुख उपकरण के रूप में कार्य करते हैं।
    • आतंकवादी समूह इन मंचों का उपयोग दुष्प्रचार फैलाने, कार्यकर्ताओं की भर्ती करने तथा हमलों का समन्वय करने के लिए करते हैं।
  • सीमा पार तस्करी: आतंकवादी समूह भारत भर में खुली सीमाओं का लाभ उठाकर हथियार, गोला-बारूद और ड्रग्स की तस्करी करते हैं तथा इन अवैध गतिविधियों का इस्तेमाल आतंकवाद को वित्तपोषित करने के लिए करते है।
  • आतंकवादी रणनीति का विकास: आतंकवाद के नए रूपों को अपनाना, जिसमे साइबर आतंकवाद, सोशल मीडिया के माध्यम से कट्टरपंथ तथा आतंकवादियों द्वारा उन्नत तकनीकों का उपयोग शामिल है।
  • सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी: मल्टी-एजेंसी सेंटर (MAC) जैसे तंत्रों के बावजूद, केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के बीच वास्तविक समय की खुफिया जानकारी साझा करने और समन्वय की कमी प्रभावी आतंकवाद विरोधी प्रयासों में बाधा डालती है।

आतंकवाद के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय घोषणाएँ

  • ब्रासीलिया घोषणा: इसे वर्ष 2019 में ब्रासीलिया (ब्राजील) में आयोजित 11वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में अपनाया गया था।
    • इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि आतंकवाद को किसी धर्म, राष्ट्रीयता या सभ्यता से नहीं जोड़ा जाना चाहिए तथा इस बात पर बल दिया गया कि आतंकवादी कृत्य आपराधिक तथा अनुचित हैं, चाहे उनके पीछे का उद्देश्य कुछ भी हो।
  • दिल्ली घोषणा: वर्ष 2023 में अपनाए गए G20 शिखर सम्मेलन के दिल्ली घोषणा-पत्र में सभी रूपों में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।

भारत में आतंकवाद से निपटने के लिए उठाए गए कदम

  • आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टाॅलरेंस नीति’: सरकार आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टाॅलरेंस’ की नीति अपनाती है, जो आतंकी गतिविधियों तथा उनके समर्थन नेटवर्क को पूरी तरह से समाप्त करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • NIA का गठन: यह भारत में केंद्रीय आतंकवाद निरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
    • स्थापना: इसकी स्थापना 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के बाद राष्ट्रीय जाँच एजेंसी अधिनियम, 2008 के माध्यम से की गई थी।
    • NIA के अधिकार क्षेत्र में वृद्धि: NIA अधिनियम में संशोधन करके NIA के अधिकार क्षेत्र को बढ़ा दिया गया है और अब यह विदेशों में भी आतंकी मामलों की जाँच कर सकती है।
  • राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड (NATGRID) की स्थापना: यह आतंकवाद निरोध के लिए एक एकीकृत डेटाबेस है, जो भारत में 21 प्रमुख सुरक्षा एजेंसियों के डेटाबेस को जोड़ता है।
    • यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए व्यापक खुफिया पैटर्न तक चौबीसों घंटे पहुँच को सक्षम बनाता है।
  • UAPA में संशोधन: UAPA में संशोधन करके, अब अधिकारियों के पास संपत्ति जब्त करने और संगठनों तथा व्यक्तियों को आतंकवादी घोषित करने की शक्ति है।
  • 25 सूत्री एकीकृत योजना की तैयारी: जिहादी आतंकवाद और वामपंथी उग्रवाद सहित आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए 25 सूत्री एकीकृत योजना तैयार की गई है।
  • मल्टी एजेंसी सेंटर (MAC) का दायरा बढ़ाया गया: खुफिया जानकारी जुटाने वाले तंत्र मल्टी एजेंसी सेंटर (MAC) का दायरा बढ़ाया गया।
    • SOP का निर्माण: साइबर सुरक्षा, नार्को-आतंकवाद और उभरते कट्टरपंथी हॉटस्पॉट जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों को संबोधित करने के लिए MAC के तहत मानक संचालन प्रक्रियाएँ (SOP) विकसित की गईं।
    • अपराधों की रोकथाम: विस्तारित MAC ढाँचे ने संभावित खतरों को घटित होने से पहले संबोधित करके कई अपराधों को सफलतापूर्वक रोका है।
  • राष्ट्रीय स्तर का आतंकवाद डेटाबेस
    • राष्ट्रीय स्वचालित फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली (National Automated Fingerprint Identification System- NAFIS): आतंकवादी संदिग्धों की पहचान और ट्रैकिंग को बढ़ाने के लिए 90 लाख से अधिक फिंगरप्रिंट रिकॉर्ड रखती है।
    • आतंकवाद की एकीकृत निगरानी (Integrated Monitoring of Terrorism- IMT): इसमें 22,000 आतंकवादी मामलों का डेटा है, जो आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों की निगरानी और विश्लेषण में सहायता करता है।
    • गिरफ्तार नार्को-अपराधियों पर राष्ट्रीय एकीकृत डेटाबेस: ड्रग्स और आतंकवाद के बीच साँठगाँठ का मुकाबला करने के लिए नार्को-आतंकवाद में शामिल 5 लाख से अधिक अपराधियों को ट्रैक करता है।
    • मानव तस्करी अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस: आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ी मानव तस्करी से निपटने के प्रयासों का समर्थन करते हुए, लगभग 1 लाख मानव तस्करों का डेटा रखता है।
  • अन्य
    • आतंकी फंडिंग और जाली मुद्रा (Terror Funding and Fake Currency- TFFC) सेल: आतंकी फंडिंग और जाली मुद्रा मामलों की केंद्रित जाँच करने के लिए राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) में एक सेल का गठन किया गया है।
    • समन्वय समूह: नकली नोटों के प्रचलन की समस्या से निपटने के लिए राज्यों/केंद्रों की सुरक्षा एजेंसियों के बीच खुफिया जानकारी/सूचना साझा करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा FICN समन्वय समूह (FCORD) का गठन किया गया है।

आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय पहल

  • संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 8 सितंबर, 2006 को सर्वसम्मति से संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति को अपनाया।
    • यह रणनीति आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को बढ़ाने के लिए एक अद्वितीय वैश्विक साधन है।
    • महासभा प्रत्येक दो वर्ष मे रणनीति की समीक्षा करती है, जिससे यह सदस्य देशों की आतंकवाद-रोधी प्राथमिकताओं के अनुरूप एक जीवंत दस्तावेज बन जाता है।
  • संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक कार्यालय (UNOCT): आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है तथा वैश्विक आतंकवादरोधी रणनीति के कार्यान्वयन में सदस्य देशों को समर्थन प्रदान करता है।
  • आतंकवाद के दमन पर SAARC सम्मेलन (वर्ष 1987): दक्षिण एशियाई देशों के बीच आतंकवाद से निपटने और क्षेत्र के भीतर आतंकवादियों के प्रत्यर्पण में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक क्षेत्रीय समझौता।
  • वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF): FATF वैश्विक मानकों को स्थापित करके और नियमित मूल्यांकन के माध्यम से देशों द्वारा अनुपालन सुनिश्चित करके मनी लॉण्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने के लिए कार्य करता है।
  • इंटरपोल (INTERPOL): यह वैश्विक पुलिस सहयोग तथा अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद से निपटने के लिए सूचना के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है तथा इसकी सुरक्षित संचार प्रणाली सदस्य देशों के बीच त्वरित डेटा साझाकरण को सक्षम बनाती है।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) 1267 समिति: इसकी स्थापना वर्ष 1999 में की गई थी (जिसे वर्ष 2011 और 2015 में अद्यतन किया गया) और यह किसी भी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश को किसी आतंकवादी या आतंकी समूह का नाम समेकित सूची में जोड़ने का प्रस्ताव देने की अनुमति देती है।
    • आतंकवादियों की 1267 सूची एक वैश्विक सूची है, जिस पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की मुहर लगी हुई है।
  • आतंकवाद के दमन पर अरब कन्वेंशन: 22 अप्रैल, 1998 को काहिरा में अरब राज्यों की लीग के महासचिवालय में आयोजित बैठक में इस पर हस्ताक्षर किए गए थे।
  • आतंकवाद की रोकथाम और मुकाबला करने पर अफ्रीकी एकता संगठन (OAU) अभिसमय: इसे 14 जुलाई, 1999 को अल्जीयर्स में अपनाया गया था। यह 06 दिसंबर, 2002 को लागू हुआ।

आगे की राह 

  • सुरक्षा के साथ मानवाधिकारों का संतुलन: आतंकवाद विरोधी उपायों को नागरिक स्वतंत्रता की सुरक्षा के साथ संतुलित करने की आवश्यकता है। इसमें सत्ता के दुरुपयोग से बचने के लिए सुरक्षा अभियानों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए मानवाधिकारों की सुरक्षा करना शामिल है।
  • निरंतर जुड़ाव: स्थानीय नेताओं को शामिल करना, संवाद करना और समुदायों और सुरक्षा एजेंसियों के बीच विश्वास को बढ़ावा देना राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए महत्त्वपूर्ण होगा।
  • नीतिगत जवाबदेही और निरंतर सुधार सुनिश्चित करना: नियमित नीति समीक्षा और हितधारक सहभागिता यह सुनिश्चित करेगी कि नीति उभरते खतरों के अनुकूल हो।
    • इस प्रगति को बनाए रखने के लिए निरंतर प्रशिक्षण, उन्नत प्रौद्योगिकी उन्नयन और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना महत्त्वपूर्ण है।
  • आतंकवादरोधी समन्वय और रणनीति: जिला स्तर पर आतंकवादरोधी दस्तों और स्थानीय पुलिस के बीच बेहतर समन्वय के साथ एक समान आतंकवादरोधी संरचना की आवश्यकता है।
    • भारत के सुरक्षा ढाँचे को मजबूत करने के लिए एजेंसियों के बीच समन्वय को और बढ़ाने के प्रयास किए जाने चाहिए।
  • सोशल मीडिया और डिजिटल उपकरणों को विनियमित करना: सोशल मीडिया विनियमन को मजबूत करना और एन्क्रिप्टेड एप्लिकेशन, VPN और वर्चुअल नंबरों के उपयोग की जाँच करना, साथ ही मादक पदार्थों की तस्करी से निपटना, आतंकवाद पर अंकुश लगाने और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

भारत की आगामी राष्ट्रीय आतंकवादरोधी नीति देश के आंतरिक सुरक्षा ढाँचे को मजबूत करने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार है कि आतंकवादी घटनाओं में कमी जारी रहे।

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