भारत सरकार ने अपतटीय खनिज ब्लॉकों के लिए नीलामी का पहला दौर शुरू किया।
नीलामी की मुख्य विशेषताएँ
3 लाइम मड ब्लॉक (Lime Mud Blocks), 3 कंस्ट्रक्शन सैंड ब्लॉक (Construction Sand Block) और 7 पॉलीमेटेलिक नोड्यूल (Polymetallic Nodules) और क्रस्ट सहित 13 खदानों की पहली नीलामी।
यह विकास भारत के अपने अपतटीय क्षेत्रों के भीतर समुद्र के नीचे खनिज संसाधनों की खोज और विकास में प्रवेश का प्रतीक है, जिससे देश की खनिज अन्वेषण और संसाधन उपयोग क्षमताओं में वृद्धि होगी।
अपतटीय खनन के बारे में
परिभाषा: अपतटीय खनन, जिसे गहरे समुद्र में खनन भी कहा जाता है, में 200 मीटर से अधिक गहराई पर समुद्र तल से खनिज जमा को पुनः प्राप्त करना शामिल है।
महत्त्व
स्थलीय निक्षेप में कमी के बीच महत्त्वपूर्ण धातुओं की बढ़ती माँग को संबोधित करता है।
इससे खनिज आयात पर भारत की निर्भरता कम होगी तथा महत्त्वपूर्ण संसाधनों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।
अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 2002 (OAMDR अधिनियम)
OAMDR अधिनियम, 2002 का प्रशासन केंद्रीय खान मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
यह भारत के प्रादेशिक जल, महाद्वीपीय शेल्फ, अनन्य आर्थिक क्षेत्र (eeZ) और अन्य समुद्री क्षेत्रों में अपतटीय खनिज संसाधनों के विकास और विनियमन को नियंत्रित करता है।
वर्ष 2023 में प्रमुख संशोधन
पारदर्शी नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत: विवेकाधीन नवीनीकरण को समाप्त किया गया तथा परिचालन अधिकारों के लिए निष्पक्ष बोली की स्थापना की गई।
खनन प्रभावित व्यक्तियों के लिए ट्रस्ट का निर्माण: खनन गतिविधियों से प्रभावित लोगों के लिए राहत और पुनर्वास प्रदान करता है।
मानक पट्टा अवधि: सभी खनन ब्लॉकों के लिए 50 वर्ष की एक समान पट्टा अवधि निर्धारित की गई।
संयुक्त लाइसेंस
अन्वेषण और निष्कर्षण अधिकारों को जोड़ता है।
धारकों को खनिज संसाधन की उपस्थिति, सीमा और गुणवत्ता निर्धारित करने की और उसके बाद आर्थिक रूप से व्यवहार्य होने पर निष्कर्षण करने की अनुमति देता है।
क्षेत्र सीमाएँ: संधारणीय खनन प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिए परिचालन अधिकारों के लिए स्थापित सीमाएँ।
महत्त्वपूर्ण खनिजों के बारे में
महत्त्वपूर्ण खनिज धातु या गैर-धातु तत्त्व हैं, जो आधुनिक प्रौद्योगिकियों, अर्थव्यवस्थाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं, लेकिन जिनकी आपूर्ति शृंखलाएँ व्यवधान के प्रति संवेदनशील हैं।
आधुनिक अनुप्रयोगों के लिए आवश्यक: उन्नत और कम उत्सर्जन वाली प्रौद्योगिकियों में उपयोग किया जाता है।
आपूर्ति शृंखला जोखिम: सीमित उत्पादन स्रोत और भू-राजनीतिक कारक आपूर्ति शृंखला जोखिम उत्पन्न करते हैं।
महत्त्वपूर्ण खनिजों के अनुप्रयोग
उन्नत प्रौद्योगिकियाँ: मोबाइल फोन, कंप्यूटर, फाइबर-ऑप्टिक केबल, सेमीकंडक्टर, बैंक नोट।
रक्षा, एयरोस्पेस और चिकित्सा अनुप्रयोगों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कम उत्सर्जन वाली प्रौद्योगिकियाँ: इलेक्ट्रिक वाहन, पवन टर्बाइन, सौर पैनल और रिचार्जेबल बैटरी।
औद्योगिक उपयोग: स्टेनलेस स्टील उत्पादन और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण।
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