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अगली पीढ़ी के GST सुधार

Lokesh Pal September 05, 2025 02:54 127 0

संदर्भ

वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद ने अपनी 56वीं बैठक में 22 सितंबर से प्रभावी होने वाली दो स्लैब वाली नई कर संरचना को मंजूरी प्रदान की। सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए गए, किसी भी राज्य की ओर से कोई असहमति नहीं थी।

GST परिषद के बारे में

  • GST परिषद का गठन: 101वें संविधान संशोधन द्वारा प्रस्तुत अनुच्छेद-279A में यह प्रावधान है कि राष्ट्रपति को अनुच्छेद-279A के लागू होने के 60 दिनों के भीतर GST परिषद का गठन करना होगा।
  • संरचना: वित्त मंत्री (अध्यक्ष), वित्त के प्रभारी केंद्रीय राज्य मंत्री, वित्त के प्रभारी मंत्री या प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा नामित कोई अन्य मंत्री।
    • परिषद के सदस्यों में केंद्रीय वित्त मंत्री (अध्यक्ष), केंद्रीय राज्य मंत्री (वित्त) शामिल हैं।
    • प्रत्येक राज्य वित्त या कराधान के प्रभारी मंत्री या किसी अन्य मंत्री को सदस्य के रूप में नामित किया जा सकता है।
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने परिषद की सभी कार्यवाहियों में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBlC) के अध्यक्ष को स्थायी आमंत्रित (बिना मतदान अधिकार) सदस्य के रूप में शामिल करने का भी निर्णय लिया।
  • गणपूर्ति: कुल सदस्यों का 50%।
  • निर्णय लेना: प्रत्येक निर्णय उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के तीन-चौथाई बहुमत से लिया जाएगा।
  • मतों का भार
    • केंद्र: 1/3
    • राज्य: 2/3

  • इसने 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत के स्लैब को समाप्त कर दिया, कई आवश्यक वस्तुओं पर कर कम कर दिया, और चुनिंदा ‘सिन (Sin)’ गुड्स पर उच्च शुल्क आरोपित किया गया।

56वीं GST परिषद बैठक के मुख्य परिणाम

  1. अगली पीढ़ी के GST सुधारों को मंजूरी: वर्ष 2017 में GST लागू होने के बाद से यह सबसे बड़ा परिवर्तन है, जो प्रधानमंत्री मोदी की स्वतंत्रता दिवस पर की गई घोषणा के अनुरूप है।
    • उद्देश्य: GST को एक सरल, नागरिक-केंद्रित और विकासोन्मुखी कर प्रणाली बनाना, जिससे जीवन में सुगमता और व्यापार में सुगमता सुनिश्चित हो।
  2. GST दर युक्तिकरण
    • दो-स्लैब संरचना की शुरुआत
      • मानक दर: 18% (अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं के लिए)।
      • योग्यता दर: 5% (आवश्यक वस्तुओं और व्यापक उपभोग की वस्तुओं के लिए)।
      • विशेष अयोग्यता दर: 40% (पान मसाला, तंबाकू, महँगे वाहन, वातित पेय आदि जैसी ‘सिन’ गुड्स और विलासिता की वस्तुएँ)।
      • क्षतिपूर्ति उपकर का समावेश: एक अलग उपकर व्यवस्था को समाप्त करना और इसे ‘सिन’ गुड्स और विलासिता की वस्तुओं के लिए 40% स्लैब में शामिल करना।
    • प्रमुख दर में कटौती
      • भारी ब्याज दरों में कटौती
        • 12% स्लैब की 99% वस्तुएँ 5% स्लैब में स्थानांतरित हो जाएँगी।
        • 28% स्लैब की 90% वस्तुएँ 18% स्लैब में स्थानांतरित हो जाएँगी।
      • 5% स्लैब: अब पैकेज्ड फूड, साबुन, दवाइयाँ, टूथपेस्ट, दूध उत्पाद और यहाँ तक कि जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा (अब पूरी तरह से GST-मुक्त) जैसी कई दौनिक आवश्यकता की वस्तुओं को भी इसमें शामिल किया गया है।
      • 18% स्लैब: मानक वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होता है, जिनमें उपकरण, टीवी, सीमेंट और छोटी कारें शामिल (पहले इन पर अधिक दरें थीं) हैं।
      • 40% स्लैब: ‘सिन’ गुड्स  और विलासिता की वस्तुओं, जैसे तंबाकू, सिगरेट और महँगी कारों के लिए शुरू किया गया। इन वस्तुओं पर पहले लागू 28% स्लैब को हटा दिया गया है।
      • 0% (छूट): यह दर अभी भी बुनियादी रूप से आवश्यक वस्तुओं, जैसे कुछ ताजा खाद्य पदार्थों पर लागू होती है।
        • जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा अब GST मुक्त है।
  3. संरचनात्मक सुधार
    • विपरीत शुल्क संरचना में सुधार: मानव निर्मित वस्त्र क्षेत्र के लिए लंबित विपरीत शुल्क संरचना में सुधार, मानव निर्मित रेशे पर GST दर को 18% से घटाकर 5% और मानव निर्मित धागे पर 12% से घटाकर 5% किया गया है।
      • उर्वरक क्षेत्र में सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड और अमोनिया पर GST दर को 18% से घटाकर 5% करके विपरीत शुल्क ढाँचे में सुधार किया गया है। 
    • पान मसाला और तंबाकू: राजस्व रिसाव को रोकने के लिए विनिमय मूल्य के बजाय खुदरा बिक्री मूल्य (Retail Sale Price- RSP) पर GST आरोपित किया जाएगा।

विपरीत शुल्क संरचना (Inverted Duty Structure)

  • GST में विपरीत शुल्क संरचना तब लागू होती है, जब इनपुट पर कर की दर आउटपुट पर कर की दर से अधिक हो जाती है।
  • इसका अर्थ है कि विक्रेताओं के पास इनपुट करों की लागत की भरपाई के लिए कम विकल्प होते हैं।
  • इस स्थिति के परिणामस्वरूप इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का संचय हो सकता है, जिसका उपयोग आउटपुट कर देयता के लिए नहीं किया जा सकता है।

इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit- ITC)

  • यह GST के अंतर्गत एक ऐसी व्यवस्था है, जो व्यवसायों को इनपुट (खरीदी गई वस्तुओं या सेवाओं) पर पहले से चुकाए गए GST पर क्रेडिट का दावा करके अपनी कर देयता कम करने की अनुमति देती है।
  • यह प्रणाली इनपुट पर चुकाए गए कर को आउटपुट कर से घटाने की सुविधा देती है, जिससे ‘कर पर कर’ प्रभाव समाप्त होता है।
  • यह कैसे कार्य करता है
    • क्रय चरण: कोई व्यवसाय कच्चा माल, वस्तुएँ या सेवाएँ खरीदता है और उन पर GST का भुगतान करता है।
    • क्रेडिट चरण: खरीद पर चुकाया गया GST इनपुट टैक्स क्रेडिट के रूप में उपलब्ध होता है।
    • बिक्री चरण: जब व्यवसाय अपना अंतिम उत्पाद बेचता है, तो वह ग्राहक से GST वसूलता है।
    • समायोजन चरण: व्यवसाय कुल एकत्रित GST में से इनपुट टैक्स क्रेडिट घटा देता है और केवल शुद्ध राशि सरकार को चुकाता है।

  1. प्रक्रिया सुधार
    • पंजीकरण
      • आवेदकों के लिए 3 कार्य दिवसों के भीतर स्वचालित पंजीकरण
      • सिस्टम-आधारित डेटा विश्लेषण द्वारा निर्धारित।
      • उन लोगों के लिए पात्रता जाँच, जिन्होंने ₹2.5 लाख प्रति माह से अधिक का इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) प्राप्त नहीं किया है और जो इस योजना का विकल्प चुनते हैं।
    • धनवापसी: निम्नलिखित के लिए प्रणाली-आधारित जोखिम मूल्यांकन के माध्यम से उचित अधिकारी द्वारा अनंतिम धनवापसी की स्वीकृति:
      • शून्य-रेटेड आपूर्तियाँ (निर्यात, विशेष आर्थिक क्षेत्र इकाइयाँ)।
      • विपरीत शुल्क संरचना वाली आपूर्तियाँ (जहाँ इनपुट कर आउटपुट कर से अधिक है)।
  1. संस्थागत सुदृढ़ीकरण
    • GST अपीलीय न्यायाधिकरण (GST Appellate Tribunal- GSTAT) का संचालन: सितंबर 2025 तक अपीलें स्वीकार की जाएँगी और दिसंबर 2025 तक सुनवाई शुरू होगी।
      • प्रधान पीठ अग्रिम निर्णय के लिए राष्ट्रीय अपीलीय प्राधिकरण के रूप में कार्य करेगी।
    • परिणाम: विवाद समाधान को मजबूत करेगा, मुकदमेबाजी के लंबित मामलों को कम करेगा और करदाताओं की निश्चितता को बढ़ाएगा।

वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण के बारे में

  • GSTAT की स्थापना: GSTAT, केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के तहत स्थापित एक अपीलीय प्राधिकरण है।
  • कार्य: GST प्राधिकरणों या अपीलीय प्राधिकरण द्वारा पारित आदेशों के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई हेतु एक स्वतंत्र निकाय।
  • संरचना: अध्यक्ष (प्रमुख), एक न्यायिक सदस्य और 2 तकनीकी सदस्य (एक राज्य से और दूसरा केंद्र से)।
    • इसके अतिरिक्त, राज्य पीठें भी हो सकती हैं, जिनमें दो न्यायिक सदस्य, एक तकनीकी सदस्य (केंद्र) और एक तकनीकी सदस्य (राज्य) शामिल हों।

सकारात्मक आर्थिक निहितार्थ

  • उपभोग को बढ़ावा: FMCG, खाद्य और दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर कम दरें प्रयोज्य आय में वृद्धि करेंगी और व्यय को प्रोत्साहित करेंगी।
  • मुद्रास्फीति का प्रभाव: कम करों का आंशिक लाभ उपभोक्ताओं को मिलने पर, खाद्य वस्तुओं के लिए CPI मुद्रास्फीति 10-15 आधार अंकों और अन्य वस्तुओं व सेवाओं के लिए 5-10 आधार अंकों तक कम हो सकती है।
  • MSME और ग्रामीण माँग: सरलीकृत दरें और सस्ते इनपुट, रसद और अनुपालन लागत को कम करेंगे, जिससे MSME और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लाभ होगा।
  • प्रतिस्पर्द्धात्मकता: इनपुट और आउटपुट पर कम कर भारतीय उत्पादों को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाता है।
  • बीमा राहत: जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर प्रस्तावित शून्य GST से घरेलू वित्तीय बोझ कम होगा।
  • मुद्रास्फीति में कमी: जब खाद्य, आवश्यक वस्तुओं और दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर GST दरों में कटौती की जाती है, तो उन वस्तुओं की कीमतें गिर जाती हैं (यह मानते हुए कि व्यवसाय इसका लाभ उपभोक्ताओं को देते हैं)।
    • चूँकि खाद्य और आवश्यक वस्तुओं का CPI में उच्च भार (लगभग 45%) होता है, इसलिए इस श्रेणी में कीमतों में मामूली गिरावट का भी समग्र मुद्रास्फीति के आँकड़ों पर एक मापनीय प्रभाव पड़ता है।

चुनौतियाँ

  • राज्यों पर राजस्व का दबाव: भारित औसत GST दर 11.6% से घटकर 9.5% हो सकती है, जिसका अर्थ है ₹85,000 करोड़ का संभावित वार्षिक राजस्व घाटा।
  • अल्पकालिक राजकोषीय दबाव: राजस्व में तत्काल कमी केंद्र को क्षतिपूर्ति तंत्र, चरणबद्ध बँटवारे या संक्रमणकालीन ऋण प्रदान करने के लिए बाध्य कर सकती है। राज्यों को संक्रमणकालीन क्षतिपूर्ति या चरणबद्ध कार्यान्वयन की आवश्यकता हो सकती है।
  • विलंबित उपभोग वृद्धि: उपभोक्ता कम GST दरें लागू होने तक खरीदारी स्थगित कर सकते हैं, जिससे अस्थायी मंदी हो सकती है।
  • राजकोषीय संतुलन संबंधी चिंताएँ: हाल ही में प्रत्यक्ष कर रियायतों के साथ, राजकोषीय संभावना सीमित है। राजस्व हानि की क्षतिपूर्ति के लिए ‘सिन टैक्स’ और अन्य उपायों का उपयोग किया जा सकता है।
    • केंद्र-राज्य सहमति: राजकोषीय स्वायत्तता संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए मजबूत सहकारी संघवाद की आवश्यकता है।
  • अनिश्चितता: वास्तविक मूल्य कटौती व्यवसायों द्वारा लाभ हस्तांतरित करने पर निर्भर करती है।

राज्यों की प्रमुख चिंताएँ

  1. राजस्व घाटा: GST स्लैब के युक्तिकरण से ₹40,000 करोड़ (केंद्र सरकार का अनुमान) से लेकर ₹2.5 लाख करोड़ (राज्यों का अनुमान) तक राजस्व घाटा होने की उम्मीद है।
    • राज्यों को अपने स्वयं के कर राजस्व में 15-20% की गिरावट का भय है, जो GSDP का लगभग 0.5% है।
  2. उपकर आय: वार्षिक उपकर संग्रह लगभग ₹1.8 लाख करोड़ है।
    • मूल रूप से इसका उद्देश्य राज्यों को क्षतिपूर्ति देना था, लेकिन अब केंद्र उपकरों को विभाज्य पूल से बाहर रखकर इसका अधिकांश हिस्सा अपने पास रखना चाहता है।
    • राज्यों का तर्क है कि इससे सहकारी संघवाद कमजोर होता है।
  3. राजकोषीय संघवाद का क्षरण: राज्यों को भय है कि यदि उनकी राजकोषीय स्वतंत्रता में कटौती की गई तो वे संघ के ‘नगरपालिका निकायों’ तक सीमित हो जाएँगे।
    • बिना मुआवजे के GST को युक्तिसंगत बनाना केंद्रीकरण के रूप में देखा जा रहा है।

GST को युक्तिसंगत बनाने पर राज्यों की माँगें

  • क्षतिपूर्ति गारंटी: वित्त वर्ष 2024-25 को आधार वर्ष मानकर, GST राजस्व सुरक्षा को पाँच और वर्षों के लिए बढ़ाना।
  • उपकर साझाकरण: उपकर को विभाज्य पूल का हिस्सा बनाना या राज्यों के साथ समान रूप से साझा करना, जैसा कि पहले वादा किया गया था।
  • पाप वस्तुओं पर शुल्क: विलासितापूर्ण/सिन गुड्स पर अतिरिक्त शुल्क लगाना, जिससे राजस्व राज्यों को प्राप्त हो।
  • चल औसत सूत्र: GST परिषद के पूर्ववर्ती उदाहरणों के अनुरूप, तीन-वर्षीय औसत का उपयोग करके क्षतिपूर्ति की गणना करना।
  • उधार लेने का अधिकार: राज्यों को भविष्य के GST राजस्व के विरुद्ध घाटे को पूरा करने के लिए उधार लेने की अनुमति देना, जैसा कि महामारी के दौरान अनुमति दी गई थी।

निष्कर्ष

  • अगली पीढ़ी के GST सुधार केवल दरों में कटौती से ही संबंधित नहीं हैं बल्कि ये GST को और सरल (कम स्लैब, कम विवाद), अधिक न्यायसंगत (सस्ती आवश्यक वस्तुएँ, बेहतर ITC प्रवाह), विकासोन्मुखी (उपभोग और विनिर्माण को बढ़ावा देना), और अनुकूलित (राज्य के राजस्व और राजकोषीय स्थिरता को बनाए रखना) बनाने के लिए एक रणनीतिक पुनर्निर्धारण हैं।
  • ये सुधार GST को एक एकीकृत कर से आर्थिक परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में विकसित करने में मदद करेंगे, जो वर्ष 2047 तक भारत के एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के दृष्टिकोण का समर्थन करेगा।

वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) के बारे में

  • GST एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है, जो मूल्य वर्द्धित कर (VAT) सिद्धांत पर आधारित है और पूरे भारत में वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है।
  • पृष्ठभूमि
    • वर्ष 2003: केलकर टास्क फोर्स ने GST की सिफारिश की।
    • वर्ष 2016: संविधान (101वाँ संशोधन) अधिनियम पारित हुआ।
    • वर्ष 2017 (1 जुलाई): GST देश भर में लागू हुआ।
  • उद्देश्य: ‘एक राष्ट्र, एक कर’ – अनुपालन को सरल बनाना, राजस्व में वृद्धि करना, और व्यापार सुगमता (Ease of Doing Business – EoDB) में सुधार करना।
  • संवैधानिक ढाँचा
    • अनुच्छेद-246A: केंद्र और राज्य GST कानून बना सकते हैं (केंद्र के पास अंतर-राज्यीय व्यापार के लिए शक्तियाँ हैं)।
    • अनुच्छेद-269A: केंद्र और राज्यों के बीच एकीकृत GST राजस्व का बँटवारा।
    • अनुच्छेद-279A: राष्ट्रपति GST परिषद का गठन करते हैं – सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था।
  • प्रमुख विशेषताएँ
    • एक राष्ट्र, एक कर: उत्पाद शुल्क, वैट, सेवा कर आदि के स्थान पर एकीकृत अप्रत्यक्ष कर।
    • दोहरी संरचना
      • अंतः राज्यीय आपूर्ति (Intra-State Supply):
        • CGST (केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर) + SGST (राज्य वस्तु एवं सेवा कर) लगाया जाता है।
      • अंतर्राज्यीय आपूर्ति (Inter-State Supply):
        • IGST (एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर) लगाया जाता है।
    • गंतव्य-आधारित कर: राजस्व, उपभोग आधारित राज्य को जाता है।
    • सीमा छूट और संयोजन योजना: छोटे करदाताओं के लिए राहत।
    • डिजिटल अनुपालन: पंजीकरण, रिटर्न दाखिल करना, GSTN पोर्टल पर भुगतान।
    • इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit- ITC): कर के बढ़ते बोझ को रोकता है।
  • कर सम्मिलित
    • केंद्रीय: उत्पाद शुल्क, सेवा कर, केंद्रीय बिक्री कर, अतिरिक्त सीमा शुल्क, आदि।
    • राज्य: वैट/बिक्री कर, चुंगी, प्रवेश कर, विलासिता कर, मनोरंजन कर (स्थानीय निकायों को छोड़कर)।
    • GST के बाहर कर।
    • मूल सीमा शुल्क, मोटर वाहन कर, स्टांप शुल्क, शराब और पेट्रोलियम पर उत्पाद शुल्क, पेट्रोलियम और तंबाकू पर वैट, एंटी-डंपिंग शुल्क, स्थानीय निकाय कर (टोल/मनोरंजन)।

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